Guwahati to Shillong Tour – 16 दिसंबर की सुबह मैं पलटन बाज़ार ( Paltan Bazar in Guwahati ) में खड़ा था. पलटन बाज़ार के चौक ( Paltan Bazar Chowk ) पर, जहां मैं खड़ा था वहां से एक रास्ता पीछे गुवाहाटी रेलवे स्टेशन ( Guwahati Railway Station ) के लिए जाता है, दूसरा सामने नेपाली मंदिर ( Nepali Mandir Guwahati ) के लिए. दाएं वाला रास्ता आगे बाज़ार की ओर और बाएं वाला रास्ता पीछे होटलों की ओर. यहीं चौराहे पर सुमो खड़ी थीं, जो लोगों को शिलॉन्ग लेकर जाती हैं.
सुमो वाले ने 300 रुपये ( Ticket Fare from Guwahati to Shillong ) कहा और मैं झटपट उसमें बैठ गया. देखते ही देखते सुमो भर भी गई. वैसे यहां तो 300 रुपये लगे थे लेकिन वापसी में मैंने शिलॉन्ग से गुवाहाटी ( Shillong to Guwahati Ticket Fare ) के लिए असम ट्रांसपोर्ट की बस बुक की थी. इसे मैंने Red Bus से बुक किया था. कमाल की बात ये थी कि सिर्फ 180 रुपये में मर्सिडीज़ बस में सीट बुक हो गई थी. ऐसा करके मैंने 120 रुपये बचा लिए थे. आप भी शिलॉन्ग और गुवाहाटी के सफर के लिए इस बस को बुक कर सकते हैं.
जिस सुमो में मैं बैठा था, उसमें पिछली सीट पर 4 दोस्त थे. ये सभी गुवाहाटी से ही थे. मेरे साथ वाली सीट पर एक गोरखा रेजिमेंट ( Gorkha Regiment ) के पूर्व सैनिक थे. आगे वाली सीट पर इनके ही दो साथी थे. मेरे बगल में जो पूर्व सैनिक थे उनके साथ वाली जगह पर भी दो सैनिक लोग ही बैठे थे. गुवाहाटी वाले 4 दोस्तों की टोली से मैंने बातचीत की, उन्होंने बताया कि वह शिलॉन्ग घूमने जा रहे हैं. कई और भी बातें हुई.
मेरे लिए यह सफल पूरी तरह से कौतुहल से भरा था. पहली बार ऐसी जगह जाने पर हो रही एक्साइटमेंट बार बार हिलोरे मार रही थी. मेरे लिए बाहर घरों को देखना, घाटी को निहारना सब नया था. घरों में बांस का इस्तेमाल ज़्यादा किया गया था. हर नज़ारा मुझे हैरान किए दे रहा था.
चलते-चलते मेरे फोन पर एक घंटी बजी. ये कॉल घर से था. मैंने बताया कि गुवाहाटी में कामाख्या देवी मंदिर ( Kamakhya Devi Mandir Guwahati ) जाने की बहुत तमन्ना है लेकिन सुना है कि वह बहुत दूर है. बातचीत करके मैंने कॉल कट किया, इतने में बगल में बैठे हुए पूर्व सैनिक ने मुझे टोका. वह गोरखा रेजिमेंट में रह चुके थे. उन्होंने कहा कि कामाख्या मंदिर ( Kamakhya Devi Mandir ) मुश्किल से 15 किलोमीटर दूर होगा, जहां से आपने सुमो लिया है.
उनके कहने के हिसाब से पलटन बाज़ार की उस जगह से जहां से मैंने सुमो ली थी, वहां से 15 किलोमीटर की दूरी पर ही कामाख्या मंदिर है. इतना सुनते ही मैं खुश हो गया. उन्होंने कहा कि इतना ही नहीं, आप मेघालय जा रहे हैं, तो मॉउशिनग्राम में भी एक शिवलिंग है, वहां ज़रूर जाइएगा. वह एक गुफा के भीतर है.
उन्होंने दोनों जानकारी दी और सच में यह दोनों ही जानकारी मेरी यात्रा में दो अहम पड़ाव साबित हुए.
आगे गाड़ी ने एक हॉल्ट लिया. ढाबेनुमा होटल पर गाड़ी रुकी. यह मेघालय की सीमा के भीतर था. यहां मैंने देखा कि ढाबे के बाहर शीशियों में मछली के आचार बिक रहे थे. कई और भी लोकल फूड थे वहां.
मेघालय में अनानास ( Pineapple in Meghalaya ) यानी पाइनऐप्पल बहुत बिकता है. इसी जगह मैंने देखा कि छोटे छोटे पैकेट्स में अनानास बिक रहे थे. मैंने दो पैकेट लिए. 10-10 रुपये के दो पैकेट्स अनानास कमाल के थे. इतने मीठे कि चीनी फेल. देसी मिठास ने मन मोह लिया. ऐसा लगा, मानों मेघालय की धरती इस अनानास से ही मेरा स्वागत कर रही हो. मेघालय में अनानास का स्वाद लेकर मैं फिर सवार हो गया सुमो में.
इससे आगे एक जगह आई उमलिंग. उमलिंग में गाड़ी में सवार हर शख्स की कोविड जांच रिपोर्ट चेक की जा रही थी. रिपोर्ट न होने पर रैपिड टेस्ट हो रहा था. मुझे यहां और पूरे मेघालय में अभी तक एक भी बाहर की गाड़ी नहीं दिखाई दी थी. सिर्फ टैक्सी.
यहां भी बहुत भीड़ भाड़ का माहौल था. लाइन में लगकर मैंने अपनी जांच रिपोर्ट दिखाई. ड्राइवर भी मेरे साथ ही थे. उन्होंने जांच रिपोर्ट चेक कर रही महिला से बताया कि मुझे यूनिवर्सिटी जाना है. ये भी गजब की सेटिंग थी. उन्होंने कहा कि अगर टूरिस्ट कहेंगे तो मुझे दूसरी गाड़ी से भेजा जाएगा. मैं भी क्या करता? जैसा उन्होंने कहा, किया…
सुमो फिर चल पड़ी. मैं मेघालय की वादियों को, सड़कों को, घरों को, परिवेश को देखे जा रहा था. इसके बाद मेघालय का आईएसबीटी ( Meghalaya ISBT ) भी आया. इससे थोड़ा आगे आर्म्ड फोर्सेस के हेडक्वार्टर भी आए. मुझे पता चला कि शिलॉन्ग में सीआरपीएफ, सीआईएसएफ, आर्मी, सभी के कैंट हैं.
आईएसबीटी से थोड़ा आगे बढ़ते ही एक बार फिर कोविड की जांच की रिपोर्ट यानी पीछे उमलिंग में मिली पर्ची देखी गई. सुमो में गोरखा रेजिमेंट के पूर्व जवान मेरे बगल में थे, उनके बगल में एक भाई साहब और थे. वह पूरे सफर नींद में थे, उनके खर्राटे ऐसे थे कि सभी को खीज हो रही थी. बीच में कई बार उन्हें जगाया भी गया लेकिन खर्राटे हर बार बुलंद ही रहे. ये भी गजब हाल था.
इस बीच शिलॉन्ग आ चुका था लेकिन पुलिस बाजार दूर था. रास्ते में हम अब तक जिस रफ्तार से आए थे, शिलॉन्ग में वह कम हो चली थी. जाम की परेशानी देखकर मैं समझ गया था कि ट्रैफिक यहां की बड़ी प्रॉब्लम है. देर हुई और साढ़े तीन घंटे में मैं पहुंचा केटिंग रोड पर. ये रास्ता पुलिस बाजार से थोड़ा दूर था और यहां से पैदल ही मुझे पुलिस बाजार तक पहुंचना था.
मैं केटिंग रोड ( Keating Road Shillong ) पर चलते चलते पुलिस बाजार पहुंचा. यहां पर मैं कई होटल में गया लेकिन मेरे बजट के हिसाब से मुझे जो होटल मिला, वह क्विंटन रोड ( Quinton Road Shillong ) पर था. बड़ी बात ये कि यहीं पर वेजिटेरियन होटल भी था एक. सामान रखकर मैं बाहर आया और निकल दिया था शिलॉन्ग घूमने ( Shillong Tour ) के लिए.
अगले ब्लॉग में पढ़िए, शिलॉन्ग की यात्रा के दूसरे दिन की घुमक्कड़ी का किस्सा…
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