Travel Blog

Goa Travel Blog : रात के 2 बजे बीच पर शॉट्स पहनकर नाच रही थीं लड़कियां

Goa Travel Blog : गोवा यात्रा का दूसरा दिन- आप मेरी गोवा यात्रा का ये ब्लॉग पढ़ें लेकिन उससे पहले मैं चाहूंगा कि मेरे मित्र इससे पहले के मेरे दो ब्लॉग जरूर पढ़ें. इसमें से एक ब्लॉग गोवा में क्या करें, क्या न करें से जुड़ा हुआ है तो दूसरा ब्लॉग मेरी गोवा यात्रा के पहले दिन पर केंद्रित हैं. ये दोनों ही ब्लॉग आपके बेहद काम आएंगे. चलिए अब शुरू करते हैं मेरी गोवा यात्रा से जुड़ी तीसरी कहानी, यानी तीसरा ब्लॉग.

– ये एक सुस्त सुबह थी. रात को देर से सोने के बाद हमारी आंख सुबह साढ़े 9 बजे ही खुल सकी. वो भी तब जब मुझे ये याद आया कि होटल के ब्रेकफास्ट का टाइम सुबह 10:30 तक ही है. मैंने फटाफट प्रीति को जगाया. हम तैयार हुए. पीहू थोड़ा परेशान कर रही थी लेकिन उसे किसी तरह मनाकर हम रेस्टोरेंट तक पहुंचे. होटल में ब्रेकफास्ट में जूस, कॉर्न फ्लैक्स, फ्रूट्स, ऑमलेट-अंडे और पूरी सब्जी थी. हम तीनों ने नाश्ते की मेज को खाने से भर लिया था. हमने इसे खत्म करने में पूरे 30 मिनट लगा दिए.

नाश्ता कर हम वापस रूम में आए. मेरा मन कर रहा था कि कुछ देर स्वीमिंग पूल में खेलूं लेकिन अमित और कुछ लोगों ने होटल के पीछे के बीच की काफी तारीफ की थी. ये कलंगुट बीच था. सभी कह रहे थे कि गोवा में इससे अच्छा कोई बीच है ही नहीं. सबकी सुनकर मैंने और प्रीति ने इस बीच पर ही सबसे पहले जाने का फैसला किया. हमने स्लीपर्स पहने और फटाफट बताए गए रास्ते की तरफ चल दिए.

बीच के मुहाने पर ही एक दुकान थी. इस दुकान पर स्वीमिंग कॉस्ट्युम्स मिल रहे थे. हालांकि रेट थोड़े ज्यादा थे. मोलभाव करने के बाद हमने कुछ कॉस्ट्युम्स लिए. इसमें पीहू के लिए स्वीमिंग बबल और एक जैकेट भी थी. हम बीच की तरफ बढ़ गए. जैसे ही हम 4 कदम चले, सामने दूर तक फैला समंदर बाहें फैलाए खड़ा दिखाई दिया. ये समंदर के साथ मेरा पहला साक्षात्कार था. इससे पहले एक ऑफिशियल ट्रिप पर मैं मुंबई के जुहू बीच गया था लेकिन वहां भीड़ और एक अजीब सा शोर था जो मुझे कतई पसंद नहीं. गोवा के इस शांत सागर को देखते ही मैं और प्रीति बेहद खुश हो गए थे. पीहू के लिए भी ये कम उम्र का फर्स्ट टाइम एक्सपीरियंस था.

हम जैसे जैसे सागर किनारे जा रहे थे, पीहू का डर बढ़ता ही जा रहा था. वह पानी से बहुत डरती है. पीहू रोने भी लगी थी. मैंने और प्रीति ने तय किया कि पीहू को खिलौने के साथ वहीं किनारे से थोड़ी दूर बैठे दें. हमने उसे कैप पहनाकर वहीं किनारे से थोड़ी दूर बैठा दिया. पीहू यहां पर अपने खिलौनों से रेत में घर बनाने लगी. उसे ये काम ज्यादा पसंद आ रहा था. मैं और प्रीति अपने मोबाइल को वहीं पीहू के पास एक पॉलिथिन में छोड़कर समंदर के थोड़ा अंदर, जहां घुटनों तक पानी था, चले गए.

हम उस पल को शिद्दत से इंजॉय कर रहे थे. हर आने वाली लहर हमें हिला रही थी. एक पल तो ऐसा आया कि समंदर का पानी मेरे मुंह में गया. ये बेहद खारा था. इसके स्वाद को लेने के बाद मैंने सोचा जब समंदर का पानी इतना नमकीन है तो लोग इसके अंदर तक कैसे नहाने चले जाते हैं. हालांकि ये एक अजीब सी सोच थी. मैंने दूर देखा कि अमित अपना कैमरा लिए चले आ रहे थे. मैंने हाथ हिलाकर उनसे तस्वीर खींचने का अनुरोध किया. इस बीच पर अमित की खींची कई तस्वीरों को मैं हमेशा सहेजकर रखना चाहूंगा.

अमित ने हमारी तस्वीर खींची और एक हट के नीचे बैठकर सुस्ताने लगे. मैं और प्रीति समंदर में ही थे. अचानक से एक डरा देने वाली घटना हुई. एक तेज लहर आई और वह किनारे से दूर बैठी पीहू तक जा पहुंची. पीहू अपनी जगह से खड़ी हो गई. हालांकि लहर वहां पहुंचते पहुंचते धीमी हो चुकी थी. मैंने तुरंत भागकर पीहू को पकड़ा. पीहू के खिलौने बहे जा रहे थे. प्रीति ने उन्हें थामा. तभी मैं क्या देखता हूं कि मोबाइल वाली पॉलिथिन में पानी घुसा हुआ है. मैंने फटाफट पानी को बाहर किया और मोबाइल को धूप दिखाने लगा.

अचानक से मैं क्या देखता हूं कि दोनों मोबाइल पूरी तरह बंद हो गए थे. ट्रिप में हम दो मोबाइल लेकर गए थे और दोनों की ही ये हालत डरा देने वाली थी. ट्रिप की तस्वीरें संजोने का सपना पाले में एक नया फोन लेकर आया था लेकिन समंदर का पानी मेरे फोन को बंद कर चुका था. हम फटाफट सारा सामान लेकर बीच के सामने बने रेस्टोरेंट में गए. वहां हमने थोड़ा वेट किया. इतने में प्रीति का मोबाइल जो रेडमी 4 था, वहा चालू हो गया. एक फोन के चालू होने से मैंने थोड़ी राहत भरी सांस ली. एयर ट्रैवल, कैब, घरवालों से संपर्क, हम कुछ भी काम एक फोन ठीक हुए बिना नहीं कर सकते थे. हालांकि मेरा फोन अभी भी बंद था.

इस रेस्टोरेंट में हमने खाना खाया और पूरी भीगी हुई हालत में ही होटल लौटे. हमारे शरीर से अब भी रेत के कण बुरी तरह चिपके हुए थे. होटल पहुंचकर हमने शावर लिया. रूम में पहुंचकर हम आराम से बैठ ही रहे थे कि प्रीति को मोबाइल फिर से बंद हो गया. ये देख मैं थोड़ा चिंतित हो गया. मैंने उसे चार्जिंग पर लगाया लेकिन वह कभी ऑन होता और कभी ऑफ. मैं चिंतित था लेकिन 2 घंटे की बीच पर की गई मस्ती से हम निढाल भी थे. मैंने होटल की ही कैंटीन से लंच ऑर्डर किया. 10 मिनट बाद हम तीनों कमरे में टेबल पर बैठकर लंच कर रहे थे. लंच कर हम बैड पर लेटे और हमें नींद आ गई.

मेरी आंख शाम 5 बजे खुली. बाहर निकलकर देखा तो मौसम थोड़ा खराब लगा. तेज हवा थी और काले बादल थे. मैंने बगल वाले कमरे में जाकर अमित को जगाया. मैंने उनसे फोन की समस्या बताई. उन्होंने कहा कि इसे तुरंत मार्केट में जाकर सही कराना होगा. हम दोनों तैयार हुए. इससे पहले दोपहर में हम स्कूटी और बाइक किराए पर ले चुके थे. मैं दोनों फोन लेकर आया. हम दोनों ने स्कूटी और बाइक थामी और पूछ पूछकर कलंगुट सर्किल जा पहुंचे. वहां हमें एक मोबाइल रिपेयरिंग की शॉप नजर आई. इस शॉप पर जाकर हमने दुकानदार को अपनी समस्या बताई.

ऐसे कामों में अक्सर आप घर के पास ही किसी पर भरोसा नहीं कर सकते है, फिर ये तो गोवा था. मैं इसे समझते हुए आराम आराम से हर चीज कर रहा था. दुकानदार ने कहा कि वह फोन खोलकर देखेगा. मैंने पहले उसे प्रीति का रेडमी 4 फोन दिया. फोन का काम उसे करना था लेकिन खोलने से शुरुआत अमित ने ही की. फोन खुलने के बाद उसने चेक किया और बताया कि अंदर पानी चला गया है. फिर उसने फोन को हीट दी. फोन को सही से सेट किया. अमित ने फिर फोन को बंद भी किया.

अब बारी मेरे मोबाइल की थी. जो LAVA Z25 था. दुकानदार ने मुझसे कहा कि उसे इसे खोलने का आइडिया नहीं है. उसके अनुरोध पर मैंने यूट्यूब ट्यूटोरियवल वाला वीडियो प्ले किया. वीडियो देखकर और बेहद कोशिश के बाद भी मेरा फोन नहीं खुला. वह चल भी नहीं रहा था. करीब 30 मिनट की कोशिश के बाद मैंने उससे कहा कि वह रहने दे. उसने उसे छोड़ दिया. हां, मुझे राहत ये देखकर थी कि अब मेरे पास एक मोबाइल तो था ही. हालांकि मौसम खराब देखकर मैंने उसे पॉलिथिन से कवर कर लिया था.

हम वापस होटल पहुंच चुके थे. होटल पहुंचने के बाद हमने देखा कि जो थोड़ी बहुत रिमझिम बारिश हो रही थी, वह बंद हो चुकी थी. इसके बाद हमने मुख्य कलंगुट बीच पर जाने का फैसला लिया. हम अपने अपने वीइकल्स से बीच पर चल दिए. कलंगुट बीच, बागा बीच की अपेक्षा थोड़ा शांत नजर आ रहा था. यहां श्रेक भी थोड़े कम ही थे. हम एक श्रेक पर समंदर किनारे ही टेबल पर जाकर बैठे. बीच पर सागर काफी शांत नजर आ रहा था. पास ही लड़कियों का एक ग्रुप था जो अंग्रेजी गानों पर झूम रहा था. मेरे पीछे कुछ लड़के बैठे जो अपनी पर्सनल बातों में डूबे हुए थे. गोवा जैसा ये मिजाज मैंने अब तक कहीं नहीं देखा था.

हम तकरीबन 2 घंटे या इससे कुछ ज्यादा कलंगुट के इस मुख्य बीच पर रहे. इसके बाद श्रेक का टाइम भी खत्म हो चला था. रात के 2 बज गए थे. हम वापस होटल की तरफ लौट आए. हालांकि बीच पर ही मुझे और प्रीति को बॉटल्स से बनी एक क्रिएटिव पेंटिंग दिखाई दी. हम दोनों ने वहां जाकर फोटो खिंचवाई. अब हम होटल के रास्ते पर बढ़ चले. हां, रास्ते में हम तीसरे दिन की प्लानिंग भी कर रहे थे.

Recent Posts

Pushkar Full Travel Guide : पुष्कर आएं तो जरूर करें यह 18 चीजें, झूम उठेंगे

Pushkar Full Travel Guide - राजस्थान के अजमेर में एक सांस्कृतिक रूप से समृद्ध शहर-पुष्कर… Read More

2 days ago

Artificial Jewellery Vastu Tips : आर्टिफिशियल ज्वैलरी रखते समय रखें इन बातों का ध्यान

Artificial Jewellery Vastu Tips : आजकल आर्टिफिशियल ज्वैलरी का चलन काफी बढ़ गया है.  यह… Read More

3 days ago

Prayagraj Travel Blog : प्रयागराज में घूमने की ये जगहे हैं बहुत फेमस

Prayagraj Travel Blog :  क्या आप प्रयागराज में दुनिया के सबसे बड़े तीर्थयात्रियों के जमावड़े,… Read More

6 days ago

10 Best Hill Stations In India : भारत के 10 बेस्ट हिल स्टेशन जिन्हें आपको अपनी लाइफ में एक बार जरूर देखना चाहिए

10 Best Hill Stations In India : भारत, विविध लैंडस्कैप का देश, ढेर सारे शानदार… Read More

1 week ago

Mirza Nazaf Khan : महान सैन्य जनरल मिर्जा नज़फ खां ने कैसे बदल डाला भारत का इतिहास?

Mirza Nazaf Khan भारत के इतिहास में एक बहादुर सैन्य जनरल रहे हैं. आइए आज… Read More

1 week ago

Republic Day 2025 : परेड का समय, ऑनलाइन टिकट बुक करने की विधि और नजदीकी मेट्रो

Republic Day 2025 : गणतंत्र दिवस भारत के सबसे खास दिनों में से एक है.… Read More

2 weeks ago