Gadisar Lake- गड़ीसर झील राजस्थान के शहर जैसलमैर के के बाहरी इलाके में एक रेगिस्तान के बीच में स्थित एक मानव निर्मित झील है जिसका निर्माण मध्य युग में यहा लोगों की जरूरत को पूरा करने के लिए किया गया था. आपको बता दें कि जब उस समय राजस्थान के सूखे क्षेत्रों में पानी के स्त्रोत नहरें या सिंचाई प्रणाली या अन्य वैज्ञानिक तरीके नहीं थे तब राजा रावल जैसल ने अपनी जनता का ध्यान रखते हुए इस झील का निर्माण करवाया था.
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यह जैसलमेर के किले के काफी करीब स्थित जिसको देखने के लिए देश के पर्यटकों के अलावा विदेश से भी लोग आते हैं. गड़ीसर झील अपने सभी किनारों पर काफी सुंदर दृश्य प्रस्तुत करती है. खासकर जब सूरज उगता है तो यहां से आकाश का दृश्य और जैसलमेर किले का दृश्य बहुत ही आकर्षक दिखाई देता है. अगर आप जैसलमेर यात्रा के समय एक खास शांति वाले स्थान की तलाश में हैं और अपने परिवार के साथ मौज-मस्ती करना चाहते हैं तो गड़ीसर झील की यात्रा करना आपको एक खास अनुभव दे सकता है.
गड़ीसर झील का निर्माण तत्कालीन शासक राजा रावल जैसल ने लगभग 12 वीं -13 वीं ईस्वी में जलाशय के रूप में करवाया था. बताया जाता है कि झील को क्षेत्र की शुष्कता के लिए बनवाया गया था. भूमि की एक विशिष्ट ढाल के कारण यह झील स्वचालित रूप से बहती है. पुराने समय में यह झील एक जलाशय और जल संरक्षण प्रणाली के रूप में काम करते हुए जैसलमेर में पानी का जीवन रक्षक स्रोत बन गई. यह झील पानी की कमी को दूर करने में काफी हद तक सफल रही.
इस कारण से कई लोग यह मानते हैं कि भारतीय थार रेगिस्तान के बीच में एक प्राकृतिक नखलिस्तान था और कई लोग इसको मानव निर्मित बताते हैं. इस प्राचीन झील को अपना नाम इसके जीर्णोद्धारकर्ता महारावल गडसी सिंह से मिला है जिन्होंने 1400 ईस्वी में पूरे क्षेत्र को पुनर्जीवित किया.
जब आप गड़ीसर झील घूमने के लिए जाते हैं तो आपको सबसे पहले टिल्लन का द्वार दिखाई देता है को जो झील के खूबसूरत परिवेश में आपका स्वागत करता है. इसे समृद्ध पीले बलुआ पत्थर पर उकेरा गया है जो गड़ीसर झील के लिए एक राजसी आकर्षक प्रवेश द्वार के रूप में स्थित है.
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इस द्वार का निर्माण 19 वीं शताब्दी के अंतिम कुछ वर्षों के आसपास जैसलमेर के तत्कालीन शासक के शाही शिष्टाचार द्वारा किया गया था. बाद में 1908 में भगवान भगवान विष्णु की एक मूर्ति को कृष्ण मंदिर के रूप में घोषित करने और तत्कालीन महारावल के विध्वंस से बचाने के लिए द्वार पर स्थापित किया गया था.
यहां आपके द्वारा चुने गए वाहन के आधार पर विभिन्न दरों पर नाव की सवारी उपलब्ध है. यह आपको झील के चारों ओर की सैर करवाएंगे. यहां भीड़ से दूर अपने खास लोगों के साथ शांति भरा कुछ समय बिता सकते हैं. यहां बोटिंग करते समय नाव से उतरने और अपने पैर को भारत निकलने की कोशिश न करें क्योंकि यह आपके लिए खतरनाक साबित हो सकता है.
गड़ीसर झील में आप मछलियों को बिस्किट या चावल जैसी चीजें खिला सकते हैं और अपनी यात्रा का पूरा मजा उठा सकते हैं.
अगर आप फोटो खींचने का शौक रखते हैं तो आप अपने कैमरे में झील के कुछ मनोरम दृश्यों को कैद कर सकते हैं. यह खूबसूरत झील कुछ घंटों का समय बिताने के लिए एक बहुत अच्छी और शांत जगह है. अगर आप शहर की भीड़-भाड़ से परेशान हो चुकें हैं तो झील के किराने बैठकर अपने मन को शांत कर सकते हैं. बताया जाता है कि झील के पास सूर्यास्त और सूर्योदय का दृश्य काफी बेहतर दिखाई देता है.
गड़ीसर झील के पास से आप जैसलमेर किले का एक दूर का दृश्य देख सकते हैं. जब सूरज की पहली किरणें किले पर पड़ती हैं तो यहाँ से आप किले के आकर्षक दृश्यों को देख सकते हैं.
अगर आप सर्दियों के दौरान झील की यात्रा कर रहे हैं तो बता दें कि भरतपुर पक्षी अभयारण्य के प्रवासी पक्षी अक्सर उड़कर झील के पास या किनारों पर बैठ जाते हैं. अगर आप एक पक्षी प्रेमी हैं तो यहां के खूबसूरत पक्षियों को देखना आपके लिए बेहद खास साबित हो सकता है
गड़ीसर झील जैसलमेर शहर का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है. इस शहर में आने के बाद आप यहां के राजस्थानी व्यंजन और समृद्ध मांसाहारी भोजन का स्वाद ले सकते हैं. यहां के रेस्तरां के मेनू में स्वादिष्ट भोजन की लिस्ट देखकर अपने मुंह में पानी आ जायेगा.
अगर आप गड़ीसर झील घूमने का प्लान बना रहे हैं तो बता दें कि यहाँ घुमने का सबसे अच्छा समय नवंबर से मार्च के आरंभ तक के महीनों का होता है क्योंकि इन महीनों में यहां का तापमान यात्रा के लिए अनुकूल होता है. जैसे-जैसे यहां ठंड कम होती है और गर्मियों का मौसम शुरू होता है तो प्रवासी पक्षियों के झुंड भी दिखाई देते हैं. गड़ीसर झील रेगिस्तानी क्षेत्र में है स्थित है इसलिए यहां गर्मियों का मौसम काफी गर्म होता है, इसलिए गर्मियों के मौसम में इस जगह की यात्रा से बचना ही बेहतर होगा.
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