Living Root Bridge / Double Decker Bridge in Meghalaya: Cherrapunji का Double Decker Bridge एक तरह से Meghalaya की Iconic Image है. बीते कई सालों में यह एक तरह से मेघालय के प्रतीक के तौर पर भी उभरा है. Double Decker Bridge को Living Root Bridge के नाम से भी जाना जाता है. वैसे तो ऐसा ही ब्रिज Mawlynnong गांव के पास भी है लेकिन मेघालय में जिस Living Root Bridge को आप देखते हैं और टूरिस्ट जाने की ख्वाहिश रखते हैं, वह Cherrapunji के Nongriat गांव में है. इस Double Decker Bridge को कैसे बनाया गया? इसकी हिस्ट्री क्या है? Double Decker Bridge आप कैसे पहुंच सकते हैं, यह सब हम आपको बताएंगे. साथ ही, अगर आप Double Decker Bridge पर ही रुकना चाहते हैं, तो भी हम आपको इसकी जानकारी देंगे. इस ब्लॉग की शुरुआत करते हैं…
स्थानीय Khasi लोग ये तो नहीं जानते कि living root bridges की परंपरा कबसे शुरू हुई लेकिन इसकी शुरुआत Sohra’s (Cherrapunji’s) से मानी जाती है. सोहरा (चेरापूंजी) के living root bridges का सबसे पहला लिखित रिकॉर्ड लेफ्टिनेंट हेनरी यूल का मिलता है, जिन्होंने 1844 जर्नल ऑफ द एशियाटिक सोसाइटी ऑफ बंगाल में उन्हें लेकर हैरानी व्यक्त की थी.
ये living root bridges एक खास तरह के रबर के पेड़ की जड़ों से बनाए जाते हैं. जैसे-जैसे जड़ें बढ़ती हैं, वैसे-वैसे पुल भी मज़बूत होता जाता है. living root bridges को मेघालय के ताजमहल के रूप में देखा जाता है. इन्हें बनाने में और पूरी तरह इस्तेमाल के लायक बनने में 25 साल लगते हैं. ये एक साथ 50 लोगों का वजन उठा सकते हैं और 500 साल तक काम में लाए जा सकते हैं. टूरिज्म की वजह से living root bridges की स्थिति काफी खराब हो चुकी है.
Nohkalikai Waterfalls से Double Decker Bridge की कुल दूरी लगभग 22 किलोमीटर हैं. इस दूरी को तय करने में 1 घंटे लगते हैं. जिस दिन हम Double Decker Bridge के लिए निकले थे, उस दिन रविवार था. संडे के दिन मेघालय में Christian Prayer के लिए सबकुछ लगभग बंद रहता है. हमें ये बात पता नहीं थी. रास्ते भर सन्नाटा दिखा. खूबसूरत वादियां, बेहतरीन सड़कें… बचपन में जिस Cherrapunji के बारे में पढ़ा था, उस धरती पर कदम रखकर ही हम मदमस्त हो चुके थे. हमें क्या पता था कि आगे एक बड़ी मुश्किल आने वाली है.
हम रास्ता पूछते पूछते बढ़े जा रहे थे. आगे एक टी पॉइंटनुमा सड़क पर कैब दिखी. उसमें बैठे टूरिस्ट ने कहा कि आज डबल डेकर ब्रिज बंद है. आप सिंगल डेकर ब्रिज तक जा सकते हैं. अब ये कौन से बला था. सिंगल डेकर ब्रिज कहां से आ गया. दिमाग घूम गया. हम तो निकल चले थे सफर पर… अब जो होगा देखा जाएगा, ये सोचकर हम बढ़ चले डबल डेकर ब्रिज की ओर. एंड पॉइंट पर स्कूटी लगाई. यहां उस रोज ऑफिशियल काउंटर भी बंद था. अब यहां कोई आपसे फीस न ले, ऐसा कैसे हो सकता है. मेघालय में तो आप वॉशरूम भी कहीं फ्री में नहीं जा सकते हैं. यहां लाठी लेकर खड़े एक शख्स ने हमसे 10 10 रुपये लिए.
Double Decker Bridge जाने के लिए 3 हजार से ज्यादा सीढ़ियां पार करनी होती हैं. बैग में दो दो लैपटॉप और कपड़े थे. लगभग 15 किलो का बैग लेकर जाना हमारे बस की बात नहीं थी इसलिए हमने उसे Pineapple बेच रहे शख्स के पास रखवा दिया. उसने हमसे 10 रुपये लिए. बैग में लॉक भी नहीं था. हा हा हा… हेलमेट को स्कूटी पर ही टांग दिया. यहां हमारा सामान राम भरोसे था. हमने ऐसा इसलिए किया क्योंकि कहीं न कहीं हम मेघालय के लोगों की ईमानदारी को जान चुके थे.
यहां से बढ़े तो कोई कहता Single Decker Bridge जाओ, कोई कहता Double Decker Bridge… हम बढ़ते गए. एक शख्स ने हमें लाठियां दीं तो हमें एक लड़की दिखी… हमने वह लाठियां उसे दे दी. उसके कुछ और दोस्त भी आने वाले थे. लोगों ने कहा, अभी तो हंसते हंसते जाएंगे, वापसी में हालत खराब होगी. हमने सोचा… देखी जाएगी. हम बढ़ते रहे… कुछ लोग दिखे जो बिना Double Decker Bridge देखे वापस आ रहे थे, कुछ Single Decker Bridge देखकर लौट रहे थे. हमें पहले तो काफी लोग दिख रहे थे लेकिन इस ट्रेक में धीरे धीरे सिर्फ हम ही बचे और फिर इक्का दुक्का लोग ही दिखते रहे…
इस बीच एक ब्रिज आया. ये तारों का ब्रिज ऐसे बंद किया गया था जैसे बॉर्डर का एरिया हो. हम समझ नहीं सके कि जाने का रास्ता नीचे से है. कोई बताने वाला भी नहीं था. हमने तारों के ऊपर से ही इसे मुश्किल से पार किया. इस ब्रिज को पार करने के बाद आई सबसे बड़ी अड़चन. एक ब्रिज और आया. इस ब्रिज को पार करने के बाद ही आप Double Decker Bridge पहुंचते है. यानी कि ये आखिरी बाधा थी… लेकिन यहां तो गेट ही बंद किया हुआ था. कुछ बच्चे खड़े थे. हमने उन्हें बुलाया तो वह हमें ऐसे इग्नोर करने लगे जैसे उनकी सुनने की शक्ति ही खत्म हो चुकी हो.
Cherrapunji के Double Decker Bridge से पहले इस रवैये ने बहुत तकलीफ दी. इससे पहले एक वाकया और हुआ था. हमें बंगाल मूल के 3 लोग मिले और इनसे हमारी दोस्ती हुई. इनकी भाषा लोकल थी लेकिन शारीरिक बनावट मेघालय के लोगों जैसी नहीं थी. ये मेघालय के बांग्लादेश बॉर्डर वाले इलाके से थे. इन्हें खैनी खाते देख मैंने कुछ कहा और ये सभी हंस दिए. मैंने कहा था कि यही टॉनिक आपको ताकत देगा. खाते रहिए… यहां से बातचीत का किस्सा शुरू हुआ और हम 2 से 5 हो गए. मैं, गौरव और ये तीन साथी. अब Double Decker Bridge से पहले लॉक लगे इस गेट पर हम पांचों बैठे थे. सबने कहा लौट जाते हैं, मैंने कहा नहीं, रुकिए…
बंगाल मूल के तीन साथियों में से एक रोहित ने स्थानीय भाषा में पुल की निगरानी कर रहे लड़कों से बात की लेकिन कुछ नहीं हुआ. इतने में मैंने देख कि कुछ टूरिस्ट आए और उनके लिए झट से दरवाजा खुल गया. वहीं कुछ टूरिस्ट उस तरफ से भी आए. ये लौट रहे थे. इनके साथ एक गाइड था. अब मुझे ये समझते देर न लगी कि जिन्होंने अंदर Nongriat Village में अपने कॉटेज बुक करा रखे हैं, उनके लिए कोई संडे बैन नहीं है. और हम जैसे लोगों के लिए ही सारे नियम हैं.
अब मैंने उस लड़के को बुलाया और डांटा. मैंने कहा कि मैं इसकी कंप्लेन करूंगा… मैंने ये सब अंग्रेजी में कही और कहीं कहीं रोहित स्थानीय भाषा में उसे ट्रांसलेट करता रहा. अब वह लड़का गया और किसी से पूछकर आया. फाइनली लगभग 40 मिनट के इंतजार के बाद दरवाजा खुल गया. हम अंदर गए… वह लड़के जो पीछे पुल की निगरानी कर रहे थे उनमें से एक हमारे पीछे पीछे आता रहा. ये हमें Santina Homestay लेकर आया.
Cherrapunji के Nongriat Village में स्थित Double Decker Bridge के आसपास कई कॉटेज बने हुए हैं. आप यहां ठहर भी सकते हैं. ये बात हमें नहीं पता था. अगले ब्लॉग में हम आपको Nongriat Village के अपने नाइट स्टे और पूरे सफर के बारे में बताएंगे.
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