जोहार… जैसे हम गुड मॉर्निंग, नमस्ते, राम राम कहते हैं, उसी तरह झारखंड (Jharkhand) में जोहार कहा जाता है… इसका मतलब है सबका कल्याण करने वाली प्रकृति की जय… ये यात्रा झारखंड के रामगढ़ (Ramgarh) तक होने वाली है…वो भी गाजियाबाद (Ghaziabad) से… ये रामगढ़ शोले वाला रामगढ़ नहीं है… ये है झारखंड वाला रामगढ़… यहीं पर है 1761 में बनी पंजाब रेजिमेंट (Punjab Regiment) और 1846 में बनी सिख रेजिमेंट (Sikh Regiment) का केंद्र… हम स्टेशन पर थोड़ा जल्दी पहुंच गए थे… प्लेटफॉर्म पर बैठे बैठे बोर हो ही रहे थे, कि बंदरों की एक टोली पर ध्यान गया… किसी की कोल्डड्रिंक छीनकर खूब दावत उड़ाई इन्होंने… कोल्डड्रिंक खत्म कर दोनों फरार हो गए…
अब आई ट्रेन… छुक छुक करती गाड़ी आई थी जम्मू तवी से… तो अंदर अभी पैसेंजर्स नींद में डूबे हुए थे… कानपुर (Kanpur) तक तो ट्रेन वक्त पर आई लेकिन फिर आगे लेट होती चली गई… Prayagraj के बाद रात हो गई और हम सो गए… सुबह आंख खुली तो ट्रेन झारखंड में एंट्री कर चुकी थी.. Jharkhand में सबसे पहले जिस स्टेशन ने ध्यान खींचा, वो था लातेहार… अभी तक तो सिर्फ खबरों में ही इसका नाम पढ़ा था, पहली बार यहां का स्टेशन भी देख लिया..
यहीं पर ली चाय और गरमा गरम समोसे… कमाल का टेस्ट था दोनों का…
अब आया Tori Station. बाहर नजारे बहुत सुंदर थे… नीचे कोयला और स्टील और ऊपर कमाल की ब्यूटी… झारखंड तो सचमुच गजब लगा… अब आया Patratu Railway Station, फिर Barkakana और फिर आ गया रामगढ़ कैंट (Ramgarh Cantt)… गाड़ी पूरे पांच घंटे लेट हो चुकी थी… स्टेशन से साढ़े तीन किलोमीटर दूर एक होटल में दो कमरे पहले से बुक कर लिए थे…
फ्रेश होकर हम चल दिए पेट पूजा करने… वेज फूड की तलाश पूरी हुई स्पाइस गार्डन में… यहां बेहतरीन लंच के बाद हम चल पड़े छिन्नमस्ता मां (Maa Chinnamastika Mandir) के दर्शन करने… रामगढ़ कैंट के रजरप्पा में है ये प्राचीन मंदिर… सावन का आखिरी सोमवार था तो कैथा के शिव मंदिर पर भी भक्तों की बहुत भीड़ दिखाई दी…
रजरप्पा तक का रास्ता बहुत खूबसूरत था… रजरप्पा के इस क्षेत्र में छिन्नमस्तिके मंदिर के साथ ही महाकाली मंदिर, सूर्य मंदिर, दस महाविद्या मंदिर, बाबाधाम मंदिर, बजरंग बली मंदिर, शंकर मंदिर और विराट रूप मंदिर के नाम से कुल 7 मंदिर मौजूद हैं. पश्चिम दिशा से दामोदर और दक्षिण दिशा से कल-कल करती भैरवी नदी का दामोदर में मिलना मंदिर की खूबसूरती को और बढ़ा देता है…
छिन्नमस्तिके मां के दर्शन के बाद हम आ गए कैथा शिव मंदिर… ऐसा जर्जर मंदिर आज तक नहीं देखा था.. मंदिर का निर्माण 500 वर्ष पूर्व पद्म राजा दलेल सिंह ने तब करवाया गया था जब रामगढ़, पद्मा राज्य की राजधानी हुआ करती थी. मंदिर में गुफा भी बनी हुई है. अंदर ही अंदर तालाब तक जाने का रास्ता है. बताया जाता है कि राजा-रानी जब यहां पूजा करने आते थे तो गुफा के रास्ते ही तालाब से स्नान कर मंदिर में प्रवेश कर पूजा करते थे..
रात में डिनर किया और होटल में आकर सो गए…
अगली सुबह उठकर सबसे पहले पहुंचे दामोदर नदी के किनारे… यहां काफी गौशाला थीं… यहां काफी फोटो खिंचवाई… एक महिला नदी के पानी में बर्तन धोते मिलीं… उनसे भी बात कीं… लौटते वक्त सोचा कि यहीं की गौशाला से दूध लेने का मन हुआ… अब ये चांस भी देखिए, हम उन्हीं महिला के घऱ पहुंचें जो हमें नदी किनारे बर्तन धोते मिली थी…
उन्होंने हमें अपने घर में बुलाया, मिट्टी के चूल्हे पर दूध को उबाला और अपने बर्तन में उसे दिया… जब हम इस बर्तन को वापस करने आए तो साथ में बच्चे भी आए… बच्चों ने क्या किया आप ये भी देखिए…
इसके बाद पहुंचे होटल, किया ब्रेकफास्ट और चल दिए टूटी झरना मंदिर (Tuti Jharna Mandir) की ओर…रामगढ़ में ही शिव जी का ये एक और बेहद प्राचीन मंदिर स्थित है. जिसे ‘टूटी झरना’ के नाम से जाना जाता है. मंदिर में भोलेनाथ का जलाभिषेक साल के बारह महीने चौबीस घण्टें होता रहता है. वैसे तो आमतौर पर लोग 2 या 3 बार जलाभिषेक करते हैं, लेकिन 24 घंटों तक जलाभिषेक किसी को भी हैरान कर सकता है. ये मंदिर, रामगढ़ कैनटोमेंट इलाके से लगभग 7 किमी की दूरी पर स्थित है.
इस मंदिर के बाद हम चले आगे पतरातू डैम की ओर… 20 रुपये की टिकट और जी भरकर मस्ती…
वापस लौट आए रामगढ़ कैंट स्टेशन… यहां खाने का सामान खरीदा और ट्रेन का करने लगे इंतजार… ट्रेन आई और हम चल दिए दिल्ली की ओर.
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