Travel Blog

Feroz Shah Kotla Fort – लाल किले से पुराना है दिल्ली का ये किला, यहां होती हैं जिन्न और रूहों की इबादत!

Feroz Shah Kotla Fort | Delhi Haunted Fort | Tughlaq Fort in Delhi | Delhi mein Tughlaq ka Kila | फिरोजशाह तुगलक का किला | दिल्ली का भुतहा महल | किलों में आपकी कितनी दिलचस्पी है? पर्सनली कहूं तो मेरी बिल्कुल भी नहीं है. एक बार जयपुर गया था. आमेर फोर्ट की चढ़ाई की और फिर उतरा. एक किला देखकर ही इतना थक गया कि उसी दिन वापस दिल्ली की टिकट कटा ली थी. खैर, मुद्दे पर आते हैं. किलों की बात करने पर निश्चित ही राजस्थान के ऐतिहासिक किलों की छवि दिमाग में उभर आती होगी, और अगर दिल्ली में किसी किले की बात की जाए तो लाल किला सबसे पहले जहन में आता है लेकिन दिल्ली के ही दूसरे किले के बारे में पूछने पर ज्यादातर रीडर्स का जवाब पुराना किला होगा. हा हा हा. और अगर मैं पूछूं आपने फिरोजशाह तुगलक या फिरोजशाह कोटला (Feroz Shah Kotla Fort) किला देखा है तो आप निश्चित ही ना कहेंगे.

ये भी पढ़ें- बरसात की वो रात, जब पहली बार ‘भूत’ से सामना हुआ!

आज हम जिस किले की बात करने जा रहे हैं वह है दिल्ली में आईटीओ के पास स्थित फिरोजशाह तुगलक का किला (Feroz Shah Kotla Fort). फिरोजशाह तुगलक किले (Feroz Shah Kotla Fort) का निर्माण फिरोजशाह तुगलक ने सन 1354 में करवाया था. यह किला दिल्ली की सबसे प्राचीन धरोहरों में से है. आईटीओ से आ रहे बहादुरशाह जफर मार्ग पर लाल बत्ती से दाहिने हाथ पर एक रास्ता इस किले की तरफ जाता है. अब बात करते हैं उन वजहों की जिसकी वजह से ये किला आज जाना जाता है.

मैं एक सोमवार की दुपहरी को इस फिरोजशाह कोटला किले (Feroz Shah Kotla Fort) को देखने गया था. यूं कहिए कि ट्रैवल जुनून के लिए एक जुनूनी काम करने गया था. उमस भरी उस गर्मी में मेरा पहला सामना गेट पर खड़े सिक्योरिटी गार्ड से हुआ. मैंने उन्हें अपना परिचय दिया और बात करने लगा. कुछ ही मिनटों में हम दोस्ताना हो चुके थे. सिक्योरिटी गार्ड ने मुझे अंदर की कुछ जानकारी दी और मुझसे पहले वहां पर आए मीडियाकर्मियों के बारे में भी बताया.

ये भी पढ़ें- भारत के दक्षिणी राज्य केरल में कैसे आया था इस्लाम?

हां, एक दर्द जो उनकी बात में छलका वो ये कि भारतीय पुरात्तव सर्वेक्षण द्वारा संरक्षित होने के बावजूद इसमें आने वाले ज्यादातर लोग बगैर टिकट लिए अंदर प्रवेश कर जाते हैं. सिक्योरिटी गार्ड के लिए हर किसी से झगड़ पाना संभव नहीं होता है. बगैर टिकट (जो सिर्फ 25 रुपये का है) अंदर आने वाले ज्यादातर लोग जिस वजह से आते हैं, उसका जिक्र हम आगे करेंगे. बहरहाल, हमारा अनुरोध है कि हमारे रीडर्स ऐसा कतई न करें और अगर कोई ऐसा करता दिखा तो उसे भारत की जीडीपी से लेकर इतिहास तक का ज्ञान देकर टिकट अवश्य ले लेने को कहें.

मैंने टिकट लिया और अंदर प्रवेश कर गया. मैं इससे पहले नवंबर 2012 में इस किले में आया था. वो रात्रि का समय था और मैं तुगलक नाटक देखने आया था. इसमें मुझे अभिनय की एबीसीडी सिखाने वाले राजीव शर्मा ने भी अभिनय किया था. हां, यह नाटक मेरी जिंदगी में अब तक देखे गए सबसे बेहतरीन नाटकों में से है. आगे बढ़ते हैं, अंदर प्रवेश करते ही मैंने कैमरा और माइक निकाल लिया. सिक्योरिटी गार्ड ने गेट पर ही मुझे बताया था कि इस वक्त अंदर न तो लोग होंगे और न ही मौलवी साहब इसलिए मैं बेकार ही कोशिश कर रहा हूं लेकिन इस किले को लेकर मेरे मन में सवालों की झंकार ऐसी उठ रही थी कि मैं खुद को रोक नहीं सका. मैंने सुना था कि इस किले में आत्माओं का वास है और यहां रूहानी ताकतें रहती हैं. यही वजह है कि यहां दहशत के मारे लोग या तो आते नहीं हैं, या जो आते हैं वो अपनी समस्याओं से निदान के लिए यहां पहुंचते हैं.

ये भी पढ़ें- टपकेश्वर महादेव मंदिरः जिस गुफा में अश्वतथामा को भोलेनाथ ने पिलाया था दूध!

मैं जैसे ही अंदर गया मुझे दो रास्ते दिखाई दिए, एक दाहिनी ओर लॉन की तरफ जा रहा था, जहां मैं 2012 में नाटक देखने आया था जबकि बाईं तरफ का दूसरा रास्ता किले, पार्क, कुएं और अशोक स्तंभ की तरफ लेकर जाता है. मैं इस दूसरे रास्ते की तरफ बढ़ा. यहां बढ़ते ही मुझे एक दीवार पर कालिख पुती दिखाई दी. संभवतः यहां शुक्रवार या गुरुवार को लोग चिराग, अगरबत्ती जलाकर जिन्नों या रूहों को याद करते होंगे. दीवार इसी वजह से काली पड़ चुकी थी. मैं यहां से आगे बढ़ा. कॉलेज के 4 बच्चों का झुंड मुझे दूर से आता दिखाई दिया. इनके अलावा किले में सिर्फ सुरक्षाकर्मी, एक दिल्ली पुलिस का जवान, माली ही थे.

मैंने थोड़ा नजर को और घुमाया तो दूर घास में 4 शख्स बैठे थे. ये सभी मुझे इस्लाम के जानकार लगे इसलिए मैं दौड़ा दौड़ा उनके पास पहुंचा. मैंने इनसे पूछा- क्या मैं आपसे बात कर सकता हूं. सभी ने विनम्रता से हां कहा और पूछा- बताइए क्या बात करना चाहते हैं? मैंने कहा- आप में से कोई मुझे बता सकता है कि इस किले को लोग भुतहा के तौर पर क्यों जानते हैं और क्या यहां आत्माओं का वास है? मेरे इस सवाल पर 4 में से 3 लोगों ने उन चौथे शख्स की तरफ इशारा कर दिया और कहा कि आपको यही बता सकते हैं. जब मैं चौथे शख्स से मुखातिब हुआ तो उन्होंने मुझे अनुरोध किया कि उनका चेहरा कैमरे पर न दिखाया जाए और न ही उनके नाम की जिक्र किया जाए. मैं तैयार हो गया.

ये भी पढ़ें- पश्तूनः नीली आंखों पर जिनका ‘जन्मसिद्ध’ अधिकार है! इजरायल से है गहरा रिश्ता

ये जनाब रामपुर से आए एक मौलवी थे. उन्होंने मुझे बताया कि इस्लाम में आत्मा जैसी कोई चीज नहीं होती है. इस्लाम में रूहों का जिक्र है. ये अच्छी रूहों और बुरी रूहों के तौर पर जानी जाती हैं. मैंने पूछा कि लोग यहां पूजा करने आते हैं. अपनी समस्याओं का जिक्र कर चिट्ठियां छोड़ जाते हैं, इसकी क्या वजह है? उन्होंने बताया कि लोग ऐसा मन की शांति के लिए करते हैं. जिस भी जगह जंगल होता है, पुराने किले/खंडहर होते हैं, कुएं होते हैं और वहां 40 दिन तक चिराग न जले, वहां पर जिन्नों का वास हो जाता है. इस जगह पर ये तीनों चीजें हैं और यहां पर इसीलिए जिन्न और रूहें हैं. लोग उन्हीं के आगे मिन्नतें मांगने आते हैं.

इन चार लोगों से अच्छी मुलाकात के बाद मैं आगे चल दिया. आगे रास्ते में दो इमारते थीं. इसके आगे किला खत्म था. और पीछे थोड़ी दूर पर एक बड़ा कुआं था. ये जो दो इमारतें थीं इसमें दाहिनी तरफ वाली इमारत में मुस्लिम समाज के लोग नमाज अदा करते हैं और बाईं तरफ वाली इमारत पिरामिड आकार की है. इसमें कई छोटी छोटी कोठरियां हैं और इसमें सबसे ऊपर अशोक स्तंभ बना हुआ है. मैं पहले इसी इमारत में गया. मैं सीढ़ियों से ऊपर चढ़ता गया और मुझे लोग जिन्न और रूहों की इबादत करते दिखाई देते रहे. जिनकी भी नजर मुझपर पड़ी उन्होंने मुझे लौट जाने को और कैमरा बंद कर देने को कहा. मुझे दीवारों पर वो चिट्ठियां भी दिखाई दी जिसमें सबने अपनी समस्याओं का जिक्र किया था. मैं अशोक स्तंभ तक तो नहीं गया लेकिन काफी ऊंचाई पर चढ़ने के बाद नीचे लौट आया.

ये भी पढ़ें- विज्ञान को चैलेंज करता है मेंहदीपुर बालाजी धाम | दरबार में भूतों को मिलती है थर्ड डिग्री | दर्शन नियम

अब मैं इसके ठीक सामने बनी दूसरी इमारत या यूं कहें खंडहर में गया. इसमें मुस्लिम नमाज अदा करते हैं. शुक्रवार को और ईद जैसे खास मौकों पर यहां हजारों की भीड़ पहुंचती है. मुझे अंदर कोई नहीं मिला. मैंने दो सफाईकर्मियों से मौलवी के बारे में पूछा. उन्होंने बताया कि अभी वो यहीं थे, शायद कहीं चले गए. मैं अंदर चला गया. अंदर एक बड़ा सा बरामदा था जिसकी छत नहीं थी. यहां मुझे 2 लोग नमाज अदा करते मिले. नमाज के बाद जब मैंने उनसे बातचीत की तो उन्होंने भी मुझे जिन्नों और रूहों वाली बात सच बताई और कहा कि वह उन्हीं की इबादत करने आए थे. इन दोनों से छोटी सी मुलाकात के बाद मैंने उनसे विदा ली. वो चले गए और मैं भी जूते पहनने लगा. तभी मुझे एक शख्स दिखाई दिया. मैंने सफाईकर्मियों से पूछा कि क्या यही मौलवी हैं. उन्होंने हां कहा तो मैंने उनसे पूछा कि क्या मैं आपसे बात कर सकता हूं. मौलवी ने मेरे विनम्र अनुरोध पर तपाक से चिढ़कर ना कह दिया. ये उन 4 लोगों के मिजाज से बिल्कुल उलट था जिनसे मैं बाहर मिलकर आया था. मैं हैरान था. खैर जूते पहनकर मैं वापस हो लिया.

मैं किले से बाहर निकल रहा था. दो दिन पहले बारिश हुई थी और उमस धरती से आग बरसा रही थी. मैं थका था लेकिन किले की खामोशी मुझे और बोझिल कर रही थी. मैं हिंदू हूं और मैंने भी आत्माएं देखी हैं लेकिन किले की खामोशी खामोशी नहीं एक वीरानापन थी जो मुझे बता रही थी कि यहां कुछ है जो अलौकिक है. ये वो है जिसे आस्था और विश्वास ही समझ सकता है. यकीनन, मैं इस सन्नाटे को साथ लेकर ये लेख पूरा कर रहा हूं.

Recent Posts

Ujjain Mahakal Bhasma Aarti Darshan : जानें,उज्जैन महाकाल भस्म आरती दर्शन,शीतकालीन कार्यक्रम और टिकट की कीमतें

Ujjain Mahakal Bhasma Aarti Darshan :  उज्जैन महाकाल भस्म आरती दर्शन के साथ दिव्य आनंद… Read More

1 day ago

Kulgam Travel Blog : कुलगाम में घूमने की ये जगहें हैं बेहतरीन

Kulgam Travel Blog :  कुलगाम शब्द का अर्थ है "कुल" जिसका अर्थ है "संपूर्ण" और… Read More

2 days ago

Vastu Tips For Glass Items : समृद्धि को आकर्षित करने के लिए घर पर इन नियमों का पालन करें

Vastu Tips For Glass Items : बहुत से लोग अपने रहने की जगह को सजाने… Read More

2 days ago

Travel Tips For Women : महिलाओं के लिए टॉप 3 ट्रैवल-फ्रेंडली टॉयलेट सीट सैनिटाइजर

Travel Tips For Women : महिलाओं के लिए यात्रा करना मज़ेदार और सशक्त बनाने वाला… Read More

2 days ago

Kishtwar Tourist Places : किश्तवाड़ में घूमने की जगहों के बारे में जानें इस आर्टिकल में

Kishtwar Tourist Places : किश्तवाड़ एक फेमस हिल स्टेशन है, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता, समृद्ध… Read More

3 days ago