Travel Festival, Chhath Festival, छठ पूजा, बिहार की छठ पूजा, Chhath Puja Pictures, छठ पूजा की तस्वीरें
हमारे देश में नदियों का जुड़ाव त्योहारों से बरसों से रहा है. नदीं और जल से जुड़ाव का ही एक पावन पर्व है छठ (Chhath). हर साल देश में करोड़ों लोग इस पावन पर्व को मनाते हैं. इस पर्व के लिए नदी, घाट या छोटा टैंक का खासा महत्व है. लेकिन तब क्या हो जब एक नदी का जुड़ाव इससे होकर भी खत्म होता सा हो. वो नदी, जिसके घाट पर कभी छठ मनाया जाता हो, आज वह पूरी तरह से सूख चुकी हो. पत्रकार आलोक कुमार ने इसी नदी से जुड़ी बात को अपने फेसबुक पर शेयर किया. उन्होंने लिखा-
‘कदाने’ हमारे गांव की बरसाती नदी है. जहां से तस्वीर ली वो नदी की पेटी है. यानी तलहटी. नदी की मौत हो चुकी है. धारा अवरुद्ध होने के बावजूद यहां साल भर पानी रहता था. 1995-6 तक 20 जून से दो दिन पहले या बाद नदी में सोती पकड़ने की खबर रोमांचित करती थी. सोती मतलब स्वच्छ ताज़ा पानी की पतली धारा जो नदी को जीवंत बनाए रखती थी. सोती अषाढ़ और भादो तक नदी को लबालब भर देती थी. स्विस गेट खुलता था और नदी के दोनों तरफ कदवा यानी धान के बिचरे की रोपाई शुरू हो जाती थी. अब सब यादों में है. 2007 में आखिरी दफा बाढ़ आई थी. बाढ़ गांव की खेतिहर जमीन को 3 साल तक उर्वरा बनाये रखती थी. अब किसानों ने धान को अलविदा कह दिया है क्योंकि सीमांत किसान पटवन का खर्च नहीं उठा सकता. स्विस गेट धंस चुका है. बदलाव को स्थायी मान कई गरीबों ने बांध को ही घरारी यानी पुश्तैनी रिहाईश बना दिया है.
बरसाती नदी होने के बावजूद मानुष डूबाह तलहटी के कंकड़ साफ दिखाई देते थे. धारा के साथ आया बालू फिल्टर का काम करता था. पानी उतरने के बाद तलहटी में जमे बालू से गांव के कई पक्के घर भी बनते हुए देखा है. जुलाई से जनवरी तक मछली कोई भी आते जाते थमा दिया करता था. अब हैदराबाद की मछली औरों की तरह हम भी बाजार से लाते हैं.
ऐसा नहीं कि नदी सूखी रहती है. पानी अब भी आता है लेकिन अपने साथ बदबू और जलकुम्भी के नीचे छिपे हुए. ये पानी कम शहर के नाले को आगे बढ़ाने का काम करती है. पता करने पर मालूम हुआ कि मुजफ्फरपुर शहर के मुख्य नाले को इस नदी से कनेक्ट कर दिया है. कभी इसी नदी में बाबा के साथ घंटो छपक छपक करते हल्की फुल्की तैराकी सीखी थी. अब कोई सोचता भी नहीं. छठ में व्रतियों को बीमारी न हो इसके लिए सुबह ही एकाध मन चूना डालना पड़ता है. सोच रहा हूँ क्या नदी फिर जिंदा हो पाएगी?
Rangbhari Ekadashi 2025: हर साल फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रंगभरी… Read More
Char Dham Yatra 2025 : उत्तराखंड की चार धाम यात्रा 30 अप्रैल, 2025 को गंगोत्री… Read More
आज की भागदौड़ भरी दुनिया में एकाग्रता बनाए रखना एक बड़ी चुनौती बन गई है.… Read More
Spring Season 2025 : वसंत ऋतु सबसे सुखद मौसमों में से एक है, जिसमें फूल… Read More
Dharamshala travel Blog Day 1 धर्मशाला उत्तर भारत का एक शहर है. यह हिमाचल प्रदेश… Read More
Vietnam Travel Blog : वियतनाम एक खूबसूरत देश है जो अपनी समृद्ध संस्कृति, शानदार लैंडस्केप… Read More