Chennai Travel Blog : दक्षिण भारत के गेटवे में घूमने के लिए है काफी कुछ तमिलनाडु की राजधानी चैन्नई (Chennai) भारत का चौथा सबसे बड़ा महानगर है. समुद्र किनारे बसा यह शहर भारत का विशालतम बंदरगाह है और इसे पहले मद्रास के नाम से जाना जाता था. यह शहर दक्षिण भारत की व्यवसायिक गतिविधियों का केन्द्र है. चैन्नई का मरीना बीच विश्व का दूसरा सबसे बड़ा बीच है. यह शहर शिष्टाचार, सौम्यता और सभ्यता का प्रतीक है. अनेक मंदिर, किले, चर्च, पार्क, बीच, मस्जिद इस शहर की खूबसूरती बढ़ाते हैं. इसे दक्षिण का गेटवे कहा जाता है. यह शहर दक्षिण की फिल्म इंडस्ट्री का हब है.
संक्षिप्त इतिहास- चैन्नई ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा स्थापित प्रथम बंदोबस्त का स्थल था. उन दिनों चैन्नई को टोन्डेमंडलम के नाम से जाना जाता था. इसका मिलिटरी मुख्यालय पजहल में था जो अब इस शहर के बाहरी क्षेत्र का महत्वहीन छोटा सा गांव है. उन्नीसवीं शताब्दी में यह शहर मद्रास प्रेजीडेन्सी के नाम से जाना गया. यह शहर ब्रिटिश साम्राज्य का दक्षिणी मंडल था. आजादी के बाद मद्रास का तमिलनाडु की राजधानी बना दिया गया. हाल ही में इसका नाम बदलकर चैन्नई रख दिया गया.
दर्शनीय स्थल- भारत के चारों मैट्रो शहरों में यह शहर सबसे छोटा जरूर लेकिन पर्यटन के लिहाज से किसी से कम नहीं है. वहनीय रीयल स्टेट के कारण इस शहर रिटेल की राजधानी कहा जाता है. इसके साथ ही चैन्नई में अनेक ऐसे दर्शनीय स्थल हैं जो पर्यटकों को आकर्षित करते हैं.
पार्थसारथी मंदिर- इस मंदिर का निर्माण 8 वीं शताब्दी में दक्षिण के पल्लव राजाओं ने करवाया था. मंदिर को विजय नगर के राजाओं ने 16 वीं शताब्दी में पुनर्निर्मित किया. यह मंदिर चैन्नई के प्रमुख ट्रिपलिकेन बीच में स्थित है. यह बीच पल्लवों के काल में विशालतम बंदरगाहों में था. यह मंदिर अपने गोपुरम और वास्तुशिल्प के लिए प्रसिद्ध है.
कपालेश्वर मंदिर- इस मंदिर की रचना 13वीं शताब्दी में हुई. यह द्रविड़ों की वास्तुकारी का जीता जागता उदाहरण है. यह चैन्नई के मेलापोर क्षेत्र के स्थानीय टैंक मार्किट के केन्द्र में स्थित है. इसका मुख्य प्रवेश द्वार पूर्व की ओर है और लाल रंग से पुता हुआ है.
संथोम कैथोड्रल- यह एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है. किवदंती के अनुसार सेन्ट थॉमस फिलिस्तीन से भारत 52 ई. में आए थे और 26 वर्ष बाद उनकी मृत्यु हो गई. उनकी मृत्यु के एक हजार वर्ष बाद इस चर्च का निर्माण किया गया. इसे फारस के ईसाइयों ने बनवाया. 1606 ई. में चर्च को नया रूप देने के बाद कै थोड्रल में तब्दील कर दिया गया. चर्च के परिसर में एक संग्रहालय है जिसमें 16वीं शताब्दी के दक्षिण एशिया का मानचित्र है.
सेन्ट जॉर्ज किला- यह ब्रिटिश साम्राज्य के प्रारंभिक दिनों की निशानी है. सेन्ट जॉर्ज का किला अंग्रजों द्वारा स्थापित प्रथम इमारत है. यह ऐतिहासिक इमारत मुगलों से अलग शैली की है. इसमें ग्रे पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है. यह किला ब्रिटिश फौजों की बैरक थी. किले का सेन्ट मैरी चर्च मद्रास का सबसे प्राचीन चर्च है.
मरीना बीच- यह बीच सेन्ट जॉर्ज किले से महाबलिपुरम तक फैला हुआ है. सूर्यास्त के समय यह बीच बहुत ही आकर्षक लगता है. मरीना बीच विश्व का दूसरा सबसे बड़ा बीच है. यहां भाग्य बताने वाले अनेक ज्योतिष पर्यटकों को लुभाने का प्रयास करते रहते हैं. यहां की मनमोहक और लुभावनी शाम पर्यटकों को आकर्षित करती है.
नेशनल आर्ट गैलरी- इसका निर्माण 1906 में भारतीय-अरबी शैली में हुआ. इसे पहले विक्टोरिया मैमोरियल हॉल कहा जाता था. इसका डिजाइन हेनरी इरविन ने तैयार किया था. यहां पुरानी पेंटिंग्स और प्रतिमाओं का अच्छा खासा संग्रह है. तंजौर की कांच की पेंटिन्स, राजपूतों और मुगलों की लघु पेंटिग्स, 17वीं शताब्दी की दक्खन की पेंटिग्स, हैन्डीक्राफ्ट, ग्यारहवीं और बारहवीं शताब्दी की हाथी दान्त नक्कासी यहां की प्रमुख विशेषताएं हैं.
अमीर महल- यह महल अरकाट के शाही वंश से संबंधित है. 1789 में निर्मित यह महल लगभग 14 एकड़ में फैला हुआ है. आरकोट वंश का 1870 में इस महल पर स्वामित्व हो गया. महल ट्रिपलिकेन में स्थित है. अनुमति मिलने पर इसमें प्रवेश किया जा सकता है.
अन्ना नगर टॉवर- यह चैन्नई का सबसे विशाल और ऊंचा पार्क टॉवर है. इसकी चक्रीय सीढ़ियां हैं. टॉवर की चोटी से सारे शहर का अभूतपूर्व नजारा देखा जा सकता है.
अन्ना चिड़ियाघर- 1265 एकड़ क्षेत्र में फैला यह चिड़ियाघर दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा चिड़ियाघर है. इसमें स्तनपायी पशुओं के अलावा पक्षियों और सरीसृपों की विभिन्न प्रजातियां हैं.
मगरमच्छ बैंक- चैन्नई से 42 कि.मी. दूर ममलापुरम में मगरमच्छ बैंक है. यह मगरमच्छों के प्रजनन और अनुसंधान का केन्द्र है. यह रोमुलस विट्टेकर द्वारा संचालित होता है. इसे 1976 में स्थापित किया गया था. इसकी स्थापना का उद्देश्य विलुप्त होते मगरमच्छों और सर्पों के पकड़ने पर पाबंदी लगाकर उन्हें संरक्षित करना था. यहां कुछ भारतीय और अफ्रीकी मगरमच्छों को खुले तालाब में रखा गया है.
रिपन बिल्डिंग- चैन्नई की इस गौरवशाली बिल्डिंग का नामकरण गवर्नर लार्ड रिपन के नाम पर हुआ. रिपन भारत में स्वशासन के जनक थे। चैन्नई कॉरपोरेशन और कौंसिल इस बिल्डिंग में अपना कार्य करते हैं.
सर्प पार्क- यह पार्क सरदार वल्लभ भाई पटेल रोड पर स्थित है. इसमें भारत के लगभग 40 सापों की प्रजातियां हैं. मगरमच्छों, गिरगिटों, कछुओं, छिपकलियों और गोहों को यहां प्राकृतिक अवस्था में देखा जा सकता है.
वल्लुवरकोटम- सन्त कवि तिरूवल्लुवर की याद में इस अद्भुत रचना का निर्माण हुआ. कहा जाता है कि वे 2000 साल पहले रहते थे. उन्होंने तिरूक्कुरल नामक एक पवित्र ग्रंथ लिखा. इस मैमोरियल को रथ शैली के मंदिर के आकार में बनवाया गया है. इसमें एक विशाल ऑडिटोरियम है जिसमें 4000 दर्शक तक ठहर सकते हैं.
दक्षिणचित्र- चैन्नई से 20 कि.मी. दूर नव ममलापुरम के तटीय रोड पर यह अद्वितीय स्थान मुट्टूकाडु गांव में स्थित है. यह गांव दक्षिण भारत के विभिन्न लोगों की जीवनशैली और अविस्मरणीय वास्तविकता दर्शाता है. कला और शिल्प का यह गांव दक्षिण भारत की पंरपराओं का जीवंत रूप दिखाता है.
गुइंडी राष्ट्रीय पार्क- शहर की सीमाओं में फैला यह देश का प्रथम वन्य जीव अभ्यारण्य है. इस पार्क का विस्तार 27.6 वर्ग किलोमीटर तक है. इस पार्क की स्थापना 1976 में की गई थी. पार्क का एक हिस्सा राज्यपाल के भवन के अन्तर्गत आता है. यह खूबसूरत पार्क चैन्नई के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान का परिसर भी है.
ममलापुरम- इसे महाबलिपुरम के नाम से भी जाना जाता है. यह स्थान पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र रहता है. इसकी इमारत को युनेस्को ने विश्व विरासत की सूची में शामिल किया है. ममलापुरम के तटीय मंदिर यहां की प्रमुख विशेषता है. यह द्रविड़ों की भवन निर्माण कला का सबसे प्राचीन उदाहरण है. शाम के समय यहां की सुंदरता देखते ही बनती है. समुद्र के किनारे एक मंदिर शिव, पार्वती और उनके पुत्र कार्तिकेयन व विनायक को समर्पित है. यहां स्थल शायन पेरूमल का मंदिर भी है. यह एकमात्र विष्णु मंदिर है जहां उन्हें लहरों के सांध्य गीत में भूमि पर लेटा हुआ दिखाया गया है. मंदिर के स्तम्भों में दहाडते हुए शेरों को दिखाया गया है.
खरीददारी- साड़ियां खरीदने के लिए चैन्नई से अच्छी जगह हो ही नहीं सकती. पनागल पार्क के समीप यहां का मशहूर पजहई नल्ली चिन्नास्वामी चेट्टी स्थान साड़ियों के प्रसिद्ध है. मेलापुर की सन्नाधि गली में सौ साल पुराना राधा सिल्क हाउस है. इसके अलावा टी. नगर के उत्तरी उसमान रोड़ पर तरूनी लोक सिल्क भी साड़ियों की खरीददारी के लिए महत्वपूर्ण स्थान है. साड़ियों के अतिरिक्त पुरुषों के कुर्ते और फोक्स की ज्वैलरी भी यहां से खरीदी जा सकती हैं.
नागेश्वर राव पार्क के समीप रंगाचारी क्लॉथ स्टोर मदुरई संगुड़ी साडियों के लिए सबसे अधिक प्रसिद्ध है. टी. नगर को दुल्हनों का स्वर्ग कहा जाता है. मेलापुर का शुक्र, मंदिर और कोस्ट्यूम ज्वैलरी के लिए प्रसिद्ध है. समकालीन कला और शिल्प की खरीददारी के लिए रामास्वामी रोड़ पर स्थित सी.पी. जाया जा सकता है. के. बी. दासन रोड़ पर स्थित विनायग तंजौर आर्ट गैलरी पेंटिग्स के लिए अच्छी जगह है. टीएन क्राफ्ट एम्पोरियम शिल्प प्रेमियों की खरीददारी की खास जगह है. ममलापुरम में पत्थरों पर बनी मूर्तियां मिलती हैं. इनके अलावा चैन्नई में अनेक ऐसी चीजें मिल जाएंगी जिन्हें खरीदे बिना नहीं रहा जाएगा.
भोजन- यहां का सस्ता और उपयोगी भोजन जेब पर भारी नहीं पड़ता. यहां हर प्रकार के भोजन का विकल्प उपलब्ध है. चैन्नई में दक्षिण भारतीय व्यंजन विशेषकर इडली, सांभर और डोसा का आनंद लिया जा सकता है. अदायर आनंद भवन दक्षिण भारतीय भोजन के लिए विख्यात है. इसके अलावा लेबेनीस, कोरियन, चाइनीज, जापानी, मैक्सिकन, इटैलियन और थाई भोजन विभिन्न होटलों में उपलब्ध है. चैन्नई में श्री कृष्णा स्वीट्स बहुत लोकप्रिय हैं. टी नगर की इलूर लाइब्ररी के समीप सुस्वाद में मीठी रसीली जानग्री परोसी जाती है.
कैसे जाएं- चैन्नई जाने के लिए अपनी सुविधा के अनुसार रेल, वायु या सड़क मार्ग को अपनाया जा सकता है।
वायु मार्ग- कामराज यहां का घरेलू एयरपोर्ट है जबकि अन्ना अन्तर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट हैं। यह शहर अनेक विमानों के माध्यम से देश और विदेश से जुड़ा हुआ है. पर्यटन के लिए यहां से प्रीपेड टैक्सी उपलब्ध हैं.
रेलमार्ग- चैन्नई में तीन रेलवे स्टेशन हैं. सेन्ट्रल, एगमोर और तम्बारम के रेलवे स्टेशन भारत के प्रमुख शहरों और राज्यों से जुड़े हुए हैं।
सड़क मार्ग- राष्ट्रीय राजमार्ग 4 बैंगलोर और चैन्नई से जुड़ा हुआ है। इसके अलावा राष्ट्रीय राजमार्ग 5 हैदराबाद और पूर्वी तटीय रोड़ पॉन्डीचैरी से जुड़ा है। अच्छी बस सेवाएं इस शहर को अन्य शहरों से जोड़ती हैं.
कब जाएं- पर्यटन के लिहाज से सर्दियों को मौसम उत्तम माना जाता है। इस मौसम में यहां का तापमान करीब 25 डिग्री से 30 डिग्री सेल्सियस तक रहता है। जबकि गार्मियों में तापमान 40 डिग्री तक पहुंच जाता है। उष्णकटिबंधीय जलवायु के कारण यहां की जलवायु गर्म और आर्द्र होती है। नवम्बर से फरवरी के दौरान तापमान कम होने की वजह से यह अवधि पर्यटकों के लिए उपयुक्त है।
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