Chamba Travel Blog : ट्रैवलिंग (Travel) के दिवाने तो हम सभी हैं. ऑफिस, कॉलेज की बिजी लाइफ के बीच हम सभी कुछ पल चुराकर घूम (Travel) लेने का शौक रखते हैं. लेकिन घुमक्कड़ी (Travel) के हमारे इस शौक में सबसे बड़ी बाधा बनती है फाइनेंशियल कंडीशन. हम रहने के, आने-जाने के और खाने के खर्च को सोचकर ही डरे रहते हैं. अगर आपके साथ भी ऐसा ही तो हम आपको मिलवाना चाहते हैं जनाब सचिन कुमार जांगड़ जी से. सचिन साहब अपनी 100 सीसी की बाइक से ही कश्मीर चले गए. दिल्ली से उनकी ये यात्रा कश्मीर के किश्तवाड़ (Kishtwar) और हिमाचल के सांच पास (Sach Pass) से होकर गुजरी. हम आपको तस्वीरें दिखाएं उसके साथ साथ आपको ये जान लेना भी जरूरी है कि सांच पास (Sach Pass) और किश्तवाड़ में घूमने (Travel) के लिए ऐसा क्या है जो लोग वहां खिंचे चले आते हैं.
सांच पास (Saanch Pass) के बारे में
सांच पास (Sach Pass) 4,420 मीटर ऊंचा यानी 14,500 फीट की ऊंचाई पर बना पहाड़ी दर्रा है. यह हिमाचल के चंबा जिले में है. हिमालय के पीर पंजाल माउंटेन रेंज में यह दर्रा स्थित है. जिला मुख्यालय से यह 127 किलोमीटर दूर है. हिमाचल प्रदेश में यह चंबा घाटी को पांगी घाटी से जोड़ता है. सांच पास हर साल जून या जुलाई की शुरुआत में खुलता है और मध्य अक्टूबर तक यह खुला रहता है. यह सड़क बेहंद संकरी और अनियमित है. यह पांगी घाटी का गेटवे भी है. चंबा से किल्लर (170 किलोमीटर) तक के सफर में यह सबसे छोटा और कठिनाइयों से भरा रास्ता है.
1998 में चंबा हत्याकांड भी सतरुंडी और कलबन गांव में हुआ था जहां 35 हिंदुओं और कुछ बौद्धों की हत्या की गई थी जिसमें कई मजदूर थे. इन्हें आतंकियों ने अंजाम दिया था. 11 लोग इस हमले में घायल हुए थे. ये सभी सांच पास रोड पर काम कर रहे थे. हालांकि तब यह सुरक्षा व्यवस्था कम थी लेकिन अब यह पूरा क्षेत्र सर्विलांस में रहता है और ट्रैकर्स और टूरिस्ट में यह बेहद चर्चित हो रहा है.
यह किल्लर के लिए सबसे छोटा रास्ता है. सांच पास (Sach Pass) बनने के बाद पठानकोट से लेह की दूरी सांच पास होकर घट गई है और यह मात्र 670 किलोमीटर रह गई है. जबकि पठानकोट से लेह की दूरी मनाली होकर 800 किलोमीटर हो गई है. इस सड़क को भारतीय सेना भी इस्तेमाल करती है.
सांच पास (Sach Pass) पर 3 दिशाओं से पहुंचा जा सकता है. पठानकोट-डलहौजी रोड से, मनाली-उदयपुर रोड से और उधमपुर/अनंतनाग-किश्तवाड़ रोड से . पहला रूट इस यात्रा में ज्यादा चर्चित है. आइए हम आपको सांच पास (Sach Pass) की कुछ तस्वीरें दिखाते हैं जिन्हें हमें पत्रकार प्रमोद रंजन ने उपलब्ध कराई हैं.
किश्तवाड़ (Kishtwar) को जानें
जम्मू-कश्मीर में बसा किश्तवाड़ एक नगरपालिका है. राजतरंगिणी में इसे ऐतिहासिक नाम कष्टतत्व से संबोधित किया गया है. चिनाब नदी जिले से होकर बहती है और कई सहायक नदियों से मरवीसुदर, फंबर नल्ला, चिंगम नल्ला से जुड़ती है. आइए हम आपको बताते हैं किश्तवाड़ (Kishtwar) में कहां कहां आप घूम सकते हैं.
Nagseen- जंगल से घिरे इस रास्ते में ढेरो सैलानी आते हैं. ये रास्ता किसी नाग जैसा नजर आता है. नागसीन पूर्वी किश्तवाड़ (Kishtwar) में स्थित है. नागसीन प्राकृतिक सौंदर्यता से भरा हुआ है. इस जगह का नाम एक बौद्ध अनुयायी नागसीन के नाम पर पड़ा था.
Dachhan- यह मारवाह तहसील में स्थित है. पर्वतीय चोटी जैसे सिकल नॉर्थ, ब्रह्मा, वैष्णो, हुड माता और महेश पर ट्रैकिंग करने वाले ट्रैकर्स के लिए यह बेस कैंप है. यह फिशिंग स्पॉट के लिए भी मशहूर है. यहां एक पहाड़ी गाय के आकार की है और यह सैलानियों में खासा आकर्षण है. यहां एक नेशनल पार्क भी है.
Paddar- पद्दार अपनी ब्यूटी के लिए पूरे किश्तवाड़ में चर्चित है. रिच वाइल्ड लाइफ रिसोर्सेज और फ्लोरा की वजह से इसमें चार चांद लग जाते हैं. बेशकीमती रत्न की खान जिसमें रूबी प्रभुख है, उसके लिए भी ये जगह खासी चर्चित है. यहां नीला हीरा भी मिलता है. चंडी माता का मंदिर भी यहां पर है.
Sarthal- किश्तवाड़ (Kishtwar) टाउन से 24 किलोमीटर दूर सर्थल एक बेहद मशहूर टूरिस्ट प्लेस है. यहां अष्टभुजा मंदिर है. आसपास के इलाकों में जुनवास, बंदवान, सुमजा, अगरल, घान हैं. यहां जांगरू कल्चरल फेस्टिवल भी होता जहां मशहूर चकरी डांस किया जाता है. चिनार के पेड़ों को आप यहां किश्तवाड़ (Kishtwar) में देख सकते हैं. यह हवा को शुद्ध करता है और इसकी सूखी पत्तियों गर्माहट के काम आती है.
इसके अलावा शाह असरार की मजार भी किश्तवाड़ (Kishtwar) के अहम स्थलों में से है.
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