Yercaud Hill Station in Tamilnadu:यरकौड तमिलनाडु की शेवारॉय पहाड़ियों में बसा एक खूबसूरत सा हिल स्टेशन है। ये 1515 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और यहां की प्राकृतिक सुंदरता और खुशनुमा मौसम बहुत से पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करता है। यरकौड स्थानीय और विदेशी पर्यटकों में काफी तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। यरकौड 2 तमिल शब्दों से मिलकर बना है – येरी जिसका मतलब होता है झील और कडू जिसे जंगल कहते हैं। यरकौड मुख्य रूप से कॉफी, संतरा, कटहल, अमरुद, इलायची और काली मिर्च के पौधों के लिए मशहूर है। कॉफी इस जगह का प्रमुख उत्पाद है और साल 1820 में स्कॉटिश कलेक्टर एम. डी. कॉकबर्न अफ्रीका से इसे यहां पर लेकर आए थे। यरकौड के जंगलों में चंदन, सागौन और सिल्वर ओक के पेड़ काफी ज्यादा पाए जाते हैं। यहां पर जंगली जानवर जैसे कि भैंसा, हिरन, लोमड़ी, नेवले, सांप, गिलहरी से लेकर विभिन्न पक्षी जैसे कि बुलबुल, पतंगे, गौरेया और अबाबील भी पाए जाते हैं।
यरकौड एक हिल स्टेशन है और यहां पर कभी भी तापमान बहुत अधिक नहीं होता। इसलिए लोगों को हमेशा यहां पर अपने साथ गर्म कपड़े रखने की सलाह भी दी जाती है। साथ ही यहां पर आने के लिए सबसे अच्छा वक्त अक्टूबर से जून का है। प्रकृति के सुंदर नजारों के अलावा लोग यहां पर ट्रेकिंग भी कर सकते हैं और अगर आप मई के महीने में यहां पर आ रहे हैं तो आपको यहां के ग्रीष्म उत्सव का मजा भी लेना चाहिए। यहां पर ग्रीष्म उत्सव, बोट रेस, फूलों और कुत्तों के शो भी आयोजित किये जाते हैं।
ब्रिटिश शासनकाल में साल 1842 में सर थॉमस मुरोए ने यरकौड की खोज की थी जो कि उस समय मद्रास प्रेसीडेंसी के गवर्नर थे। यहां की कुछ चीजें काफी लोकप्रिय हैं जैसे कि प्राकृतिक तेल, परफ्यूम, त्वचा की देखभाल के उत्पाद, स्थानीय तौर पर उत्पन्न होने वाली काली मिर्च के ताजा पैक, इलायची और कॉफी।
यरकौड जाने के लिए सबसे पास हवाई अड्डा त्रिची या तिरुचिरापल्ली का है जो कि लगभग 163 किलोमीटर की दूरी पर है। वहीं इसके अलावा कोयंबटूर और बेंगलुरु हवाई अड्डे भी पास ही है। त्रिची से यरकौड के लिए टैक्सी सुविधा भी उपलब्ध है। ये अच्छा होगा कि टैक्सी में बैठने से पहले आप रेट तय कर लें।
वहीं अगर आप ट्रेन से जाने की सोच रहे हैं तो सेलम रेलवे स्टेशन यरकौड का सबसे नजदीकि रेलवे स्टेशन है जो कि यरकौड से 35 किलोमीटर की दूरी पर है। देश के दक्षिणी भाग से जाने वाली अधिकांश ट्रेनें सेलम से होकर ही गुजरती हैं जो कि कोचीन, मैंगलोर और त्रिवेंद्रम से जुड़ा हुआ है। वहीं यरकौड पूरी तरह से सड़क मार्ग से भी जुड़ा हुआ है।
राज राजेश्वरी मंदिर एक सुंदर घाटी में स्थित है। इस मंदिर की मुख्य देवी राज राजेश्वरी हैं जो कि सभी देवों की देवी हैं। इस मंदिर का निर्माण सन् 1983 में हुआ था। मुख्य देवी के अलावा मंदिर में अन्य कई देवताओं की मूर्तियां भी हैं। मुख्य देवी की मूर्ति के चारों तरफ हिंदू भगवान जैसे रूद्र, विष्णु, लक्ष्मी, ब्रह्मा और सरस्वती की मूर्तियां भी हैं। ऐसा माना जाता है कि देवी की पूजा करने से समृद्धि, धन और ज्ञान की प्राप्ति होती है।
बोटेनिकल गार्डन उन लोगों के लिए है जो वन्य जीवन, वनस्पतियों और जीवों के साथ-साथ प्राकृतिक सुंदरता में रूचि रखते हैं। और्चिडेरियम में ऑर्चिड का बहुत बड़ा संग्रह है और एक अच्छी तरह से प्रबंधित ग्रीन हाउस भी है। इसके अलावा यहां पर देखने के लिए और बहुत सी चीजें हैं। इस क्षेत्र में कुरिंजी फूल काफी प्रसिद्ध है जो कि साल में सिर्फ दो बार ही खिलता है।
टिप्पेरारी व्यु पॉइंट से यरकौड के दक्षिणी हिस्से का नजारा देखा जा सकता है और इस क्षेत्र की सुंदरता को देखने के लिए ये काफी मशहूर स्थान है। जिनमें एलीफेंट टूथ रॉक्स भी शामिल हैं। ये शुद्ध सफेद चट्टानें हैं और ऐसा माना जाता है कि इस क्षेत्र में एक meteorite गिरने के कारण ये चट्टानें बनी थी।
ये मंदिर सेरवरायण पहाड़ियों के ऊपर स्थित है। ये मंदिर एक पतली गुफा है जो देवी कावेरी और भगवान सेरवरायण को समर्पित है। देवी कावेरी, कावेरी नदी को प्रस्तुत करती है जबकि भगवान सेरवरायण, सेरवरायण पहाड़ियों को प्रदर्शित करते हैं। देवी कावेरी और भगवान सेरवरायण आसपास के गांवों के संरक्षक माने जाते हैं।
शहर के बीचों-बीच में बनी यरकौड लेक को बिग लेक के नाम से भी जाना जाता है। चारों तरफ फैली हुई हरियाली इस लेक की खूबसूरती को और भी ज्यादा बढ़ा देती है। यहां पर आप बोटिंग भी कर सकते हैं। इसके अलावा लेक के आसपास बहुत सारी दुकानें हैं जिनमें आप यहां के पारंपरिक और लजीज खाने को चखने के साथ ही गिफ्ट भी खरीद सकते हैं।
ये यरकौड की एक ऐसी जगह है जो कि ब्रिटिश काल से जुड़ी हुई है और इस नाम के पीछे की कहानी भी बड़ी मजेदार है। दरअसल अंग्रेजों की पत्नियां इस जगह का इस्तेमाल अपनी किटी पार्टी के लिए करती थी। यहां से ढ़लते हुए सूरज को देखना बहुत ही सुकूनदायक होता है।
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