Barmer Tour : राजस्थान के बाड़मेर में घूमने के लिए 5 बेस्ट जगहें
Barmer Tour : बाड़मेर राजस्थान का एक प्राचीन शहर है. शहर की स्थापना 13 वीं शताब्दी ईस्वी में बहादा राव या बार राव ने की थी. बाड़मेर की बस्ती का नाम मूल रूप से उनके नाम पर बहादमेर रखा गया था, जिसका अर्थ है बहाड़ा का पहाड़ी किला. हालांकि, समय बीतने के साथ शहर का नाम बदलकर बाड़मेर कर दिया गया.
राजस्थान का यह क्षेत्र व्यापक रूप से अपने हैंडीक्राफ्ट और ट्रेडिशनल कला के लिए जाना जाता है. यहां मौजूद विभिन्न ऐतिहासिक स्थल भी इसे एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल बनाते हैं.
भारत-पाक सीमा से महज 20 किलोमीटर दूर बाड़मेर स्थित है. यह शहर भारत के पश्चिमी भाग में राजस्थान राज्य के थार मरुस्थलीय क्षेत्र में स्थित है और इस प्रकार बाड़मेर को भीषण गर्मी के लिए भी जाना जाता है. बाड़मेर शहर राजस्थान के अधिकांश शहरों की तरह एक ऐतिहासिक शहर है.
बाड़मेर का इतिहास || History of Barmer
बाड़मेर जिला प्राचीन काल में एक बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान रखता था और इसने अपनी धरती पर विभिन्न राजवंशों को पनपते और नष्ट होते देखा है. बाड़मेर का प्राचीन शहर खेड़, किराडू, पचपदरा, जसोल, तिलवाड़ा, शेओ, बालोतरा और मल्लानी जैसे स्थानों तक फैला हुआ है. अंग्रेजों के जिले में आने के बाद वर्ष 1836 में बाड़मेर शहर अधीक्षक के शासन में आ गया. बाड़मेर को बाद में 1891 में जोधपुर राज्य के साथ एकीकृत किया गया. 1947 में भारतीय स्वतंत्रता के बादजोधपुर और बाड़मेर दोनों राजस्थान राज्य का एक अभिन्न अंग बन गए. आज, बाड़मेर जिले में विभिन्न ऐतिहासिक स्थान शामिल हैं, जिनमें मल्लानी शिव, पचपदरा, सिवाना और चोहटन क्षेत्र शामिल हैं.
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बाड़मेर अपने ऐतिहासिक स्मारकों और मंदिरों के लिए जाना जाता है. बाड़मेर शहर में ऐसे मंदिर , जो पूरे देश के टूरिस्ट को अपनी ओर अट्रैक्ट करते हैं. बाड़मेर अपने जगदम्बे देवी के मंदिर के लिए बहुत प्रसिद्ध है. इस मंदिर के बारे में ऐसा कहा जाता है कि यह मंदिर 500 साल पुराना है. यह मंदिर मैदान से लगभग 140 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है.
नकोड़ा जैन मंदिर || Nakoda Jain Temple
नकोड़ा का जैन मंदिर पूरे विश्व में जैनियों के लिए काफी प्रमुखता रखता है. नकोड़ा जैन मंदिर जंगलों में घिरी अरावली पहाड़ियों के बीच स्थित है. यह जैन मंदिर बलोतरा रेलवे स्टेशन से लगभग 13 किमी और मेवाड़ शहर से 1 किमी के करीब 1500 फुट की एक सुंदर पहाड़ी पर स्थित है.
इस मंदिर में कई मूर्तियां हैं, जबकि जैन संत पार्श्वनाथ (तीर्थंकर) की काले पत्थर की मूर्ति है जो नाकोडा का प्रमुख आकर्षण है.
इसके अलावा यहां एक और मंदिर है जिसे शांतिनाथ मंदिर के नाम से जाना जाता है. हजारों तीर्थयात्रियों और पर्यटक यहां आते रहते हैं. बड़मेर में यह मंदिर घूमने के लिए अच्छी जगहों में से एक है.
किराडू मंदिर || Kiradu Temple
थार रेगिस्तान के ठीक बीच में,सुंदर और अद्भुत किराडू मंदिर स्थित हैं. .ये मंदिर करीब 1500 साल पुराने हैं. किराडू मंदिर अपनी सुन्दरता तथा शिल्पकला के लिए प्रसिद्ध है.
किराडू मंदिर में प्राचीन समय में पांच मंदिरों की श्रंखला थी. जो समय के साथ-साथ मिट्टी में ढह गई. और आज केवल भगवान का शिव का एक विष्णु भगवान का एक मंदिर है.
इस मंदिर का निर्माण किराड़ वंश के शासको द्वारा किया गया था. इसी कारण इस मंदिर का नाम किराडू का मंदिर रखा गया है. इस किले के निर्माण में प्राचीन गुजराती संस्कृति का प्रयोग किया गया है.
देवका-सूर्य मंदिर || Devka-Surya Temple
इस मंदिर का निर्माण 12वीं या 13वीं शताब्दी में हुआ था. बाड़मेर-जैसलमेर रोड के किनारे बाड़मेर से लगभग 62 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक छोटे से गांव देवका में स्थित, मंदिर अपनी खूबसूरत बनावट के लिए जाना जाता है. गांव में दो अन्य मंदिरों के खंडहर भी हैं जिनमें भगवान गणेश की पत्थर की मूर्तियां हैं.
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रानी भटियानी मंदिर || Rani Bhatiani Temple
जसोल में नकोडा बालोतरा रोड पर स्थित रानी भटियानी मंदिर देवी माता रानी भटियानी को समर्पित है. मांगनियार बार्ड समुदाय उनकी विशेष रूप से पूजा है करते हैं. कई लोग इस देवी को मजीसा या मां भी कहते हैं. कहा जाता है कि देवी बनने से पहले देवी एक राजपूत राजकुमारी थीं, जिन्हें स्वरूप कहा जाता था.
बाड़मेर का किला || Barmer Fort
बाड़मेर किले का इतिहास लगभग 400 साल से भी पुराना माना जाता है. बाड़मेर के किला का निर्माण रावत भीम ने 1552 ई में उस दौरान करवाया था. जब उन्होंने अपनी वर्तमान राजधानी जुना को बाड़मेर में ट्रांसफर कर दिया था. उन्होंने शहर के एक किले का निर्माण किया, जिसे बाड़मेर गिर के नाम से भी जाना जाता है. किले से 1383 फीट की ऊंचाई पर स्थित है, लेकिन रावत भीम ने किले को 676 फीट की ऊंचाई पर बनाया जो कि पहाड़ी की चोटी से अधिक सुरक्षित जगह है.
किले के चारों ओर कई मंदिर मिलेंगे, इनमें से दो मंदिर सबसे फेमस हैं. पहाड़ी की चोटी पर जोगमाया देवी का मंदिर है जो 1383 की ऊँचाई पर और नागनची माता मंदिर 500 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. नवरात्रि के दौरान यहां त्योहारों का आयोजन किया जाता है.
बाड़मेर कैसे पहुंचे || How to Reach Barmer
बाड़मेर राजस्थान राज्य में स्थित है और जैसलमेर और जोधपुर जैसे प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है. इसका अपना हवाई अड्डा नहीं है, लेकिन सड़क और रेल द्वारा जोधपुर के साथ अच्छी सड़क संपर्क है.
फ्लइट से कैसे पहुंचे बाड़मेर || How to Reach Barmer By Air
नजदीकी हवाई अड्डा जोधपुर में बाड़मेर से लगभग 220 किमी दूर है. दिल्ली, मुंबई, जयपुर और उदयपुर से लगातार उड़ानें हैं. हवाई अड्डे से टैक्सी उपलब्ध हैं. नजदीकी इंटरनेशनल हवाई अड्डा जयपुर में है, जो बाड़मेर से लगभग 320 किमी दूर है.
ट्रेन से कैसे पहुंचे बाड़मेर || How to Reach Barmer by Train
बाड़मेर रेलवे स्टेशन जोधपुर से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है, जो बदले में भारत के अन्य प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है.यह स्टेशन जोधपुर-मुनाबाओ मार्ग पर स्थित है. बाड़मेर पहुंचने के लिए ट्रेन परिवहन का एक सस्ता साधन है.
सड़क द्वारा कैसे पहुंचे बाड़मेर || How to Reach Barmer by Road
बाड़मेर बस टर्मिनल रेलवे स्टेशन के पास स्थित है और राज्य द्वारा संचालित बसें शहर को जोधपुर, जयपुर, उदयपुर सहित राज्य के अधिकांश शहरों से जोड़ती हैं. टिकट सस्ती हैं और बसें अक्सर आती हैं.