Anjaw Travel Blog : विशाल हरियाली, चमचमाते झरनों, खूबसूरत नदी धाराओं, देवदार के जंगलों और हजारों अन्य शानदार चीजों के बीच अंजाव, अरुणाचल प्रदेश में एक छोटा सा ऑफबीट हिल स्टेशन है. अंजाव कोई ज्यादा विकसित टूरिस्ट प्लेस नहीं है, लेकिन अपने प्राकृतिक खूबसूरती और हरियाली के कारण यह एक ऐसी जगह है, जहां शहरों के शोर-शराबे से दूर एकांत पाया जा सकता है.
2004 में लोहित जिले से अलग होने के बाद अरुणाचल प्रदेश में अंजाव एक नया जिला बना. लोहित नदी, ब्रह्मपुत्र की एक सहायक नदी इस शहर से बहती है जो समुद्र तल से 1296 मीटर ऊपर स्थित है. यह भारत का सबसे पूर्वी जिला है. भारत-चीन सीमा से मात्र 20 किमी दूर है ये जगह.
जो लोग इस जगह की यात्रा करते हैं वे न केवल प्रकृति, मौसम और सुंदरता की सराहना करते हैं बल्कि एंडवेंचर एक्टिविटी में भी शामिल होते हैं. अंजाव में घूमने की कई जगहें हैं जिसके बारे में हम आपको इस आर्टिकल (Best Tourist Places to visit in Anjaw) में बताने जा रहे हैं.
किबिथू समुद्र तल से 1305 मीटर ऊपर और लोहित नदी के दाहिने किनारे पर स्थित है. किबिथू नदी की धाराओं, चमचमाते झरनों, घने घने जंगलों, रैश बेरी, चीड़ के जंगलों से घिरा है. यहां कुछ आकर्षक फूलों को भी देखा जा सकता है. घूमने के लिए यह एक आदर्श स्थान है.
तेजू एक छोटा सा कस्बा है. यह अपनी खूबसूरत वादियों और नदियों के लिए जाना जाता है. मिशमि जनजाति के लोग यहां के प्राचीन बाशिंदे हैं. इस जनजाति का अस्तित्व महाभारत काल से मिलता है. ऐसा कहा जाता है कि भगवान कृष्ण की पहली रानी रुक्मणी मिशमि जनजाति की ही युवती थी.
तेजू के लोग मिशमि त्योहार मनाते हैं, जिसे तमलाडू पूजा के नाम से जाना जाता है. मिशमि जनजाति का ये एक प्रमुख त्योहार है. इसका आयोजन हर साल 15 फरवरी को किया जाता है और हर समुदाय के लोगों को निमंत्रण भेजा जाता है.
तेजू में बहुत कुछ देखने लायक है. इन्हीं में से एक है परशुराम कुंड. इस प्रसिद्ध तीर्थ स्थल पर भारत और पड़ोसी देश से बड़ी संख्या में हिंदू तीर्थयात्री आते हैं. पर्यटक यहां आकर पवित्र डुबकी लगाते हैं और अपने पापों से मुक्ति पाते हैं.
तेजू में जनवरी के महीने में एक मेले का भी आयोजन किया जाता है. तेजू के अन्य आकर्षणों में ग्लो झील, हवा कैंप और गर्म पानी का झरना भी महत्वपूर्ण है.
मिश्मी भाषा में हवाई का मतलब तालाब होता है और यह खूबसूरत जगह समुद्र तल से 1296 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. यह स्थान आसपास के सर्द मौसम के लिए जाना जाता है.
आमतौर पर लोग अपना खाली समय लोहित नदी पर बने पुल के पास बिताते हैं. आसपास के क्षेत्र में अनानास, संतरे, कीवी, बाजरा, बड़ी इलायची और मक्का के कई खेत शानदार पैनोरमा दिखाते हैं.
डोंग वालोंग से 7 किमी दूर और लोहित के बाएं किनारे पर है और देश में सबसे पहले सनराइस यहीं दिखाई देता है. हरे-भरे हरियाली से समृद्ध इस शहर के चारों ओर कई चीड़ के पेड़ हैं.
मिश्मी बोली में वालोंग का अर्थ है “बांस से भरा स्थान”. यह लोहित नदी के पश्चिमी तट पर समुद्र तल से 1094 मीटर ऊपर स्थित है.
यह स्थान बहुत ऐतिहासिक महत्व रखता है क्योंकि 1962 में जब चीनी आक्रमण हुआ था तब भारतीय शहीदों ने यहां अपने प्राणों की आहूति दी थी.
क्योंकि वालांग भारत – चीन सीमा से सिर्फ 20 किमी दूर है, यह स्थान उस समय बड़े पैमाने पर प्रभाव में था.
यहां एक प्रसिद्ध नमती घाटी है जिसमें उन शहीदों की बहादुरी को याद करने के लिए एक स्मारक बनाया गया है.
समुद्र तल से 1258 मीटर ऊपर दलाई नदी के बाएं किनारे पर स्थित है. चागलोगम विभिन्न एंडवेंचर एक्टिविटी जैसे ट्रेकिंग, मछली पकड़ने, राफ्टिंग, माउंटेनिग आदि के लिए बेहतरीन अवसर प्रदान करता है.
कहो भारत-चीन सीमा पर अंतिम सीमावर्ती कहो गांव मेयोर समुदाय द्वारा बसाया हुआ है. इसमें एक बहुत पुराना गोम्पा है जो बौद्ध धर्म की साधना को दर्शाता है.
नमती घाटी, जिसे नमती मैदान के नाम से भी जाना जाता है, किबिथू के रास्ते में वालोंग से 7 किमी दूर स्थित है. 1962 की भयंकर लड़ाई यहां घाटी में चीनी आक्रमण के खिलाफ भारतीय सेना द्वारा लड़ाई लड़ी गई थी. वीर भारतीय सैनिकों के बलिदान के सम्मान में एक युद्ध स्मारक खड़ा है.
इसके साथ-साथ सदियों पुरानी देवदार की खाड़ी और खूबसूरत लहरदार हरी-भरी घाटी युद्ध के दौरान किए गए सर्वोच्च बलिदानों की मूक गवाह बनी हुई है. शहीदों की यादों से लदी घाटी की सुंदरता नमती घाटी को अन्य पर्यटन स्थलों से अलग करती है.
लोहित नदी के किनारे, एक निचले क्षेत्र में, गर्म पानी का झरना (तिलम), एक छोटा गर्म पानी का झरना स्थित है, जो सर्दियों के दौरान गर्म रेत के टीलों से घिरा रहता है और गर्मियों में गर्म पानी के झरने के गर्म पानी को सुंदर लोहित नदी तक ले जाता है.
नजदीकी हवाई अड्डा तेजू में है. तेजू से ह्युलियांग के लिए हेलीकॉप्टर सेवाएं भी उपलब्ध हैं. गुवाहाटी का लोकप्रिय गोपीनाथ बोरदोलोई अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा निकटतम प्रमुख हवाई अड्डा है जहां नियमित उड़ानें प्रमुख शहरों को जोड़ती हैं. इन शहरों से कैब किराए पर ली जा सकती है.
अंजाव NH52 द्वारा पहुंचा जा सकता है और बस सुविधाएं उपलब्ध हैं. ये बसें अन्य नजदीकी शहरों जैसे तेजू, दापरजीतो, पासीघाट, अलॉन्ग और जीरो से उपलब्ध हैं.
अंजाव से नजदीकी रेलवे स्टेशन असम में तिनसुकिया रेलवे स्टेशन है. वहां से आप अंजॉ की आगे की यात्रा के लिए कैब या बस ले सकते हैं.
इंट्रा सिटी कम्यूटिंग ज्यादा विकसित नहीं है, लेकिन शहरों के भीतर यात्रा करने के लिए बसें उपलब्ध हैं और इन बसों की टिकट सस्ती होती है.
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