हिमाचल प्रदेश के दामन में फैली लाहौल-स्पीति ( Lahaul and Spiti ) की हसीन वादियां यहां सैलानियों को आने को मजबूर कर देती हैं। यहां पर पर्यटकों के लिए देखने के लिए कई चीजें हैं। जहां पर नजर उठाओ वहां पर आपको खूबसूरत नजारे ही दिखेंगे। हिमखंडों से घिरी आकर्षक झीलें, आसमान छोटे पर्वतों के शिखर, ठंडी हवा के झौंके और चारों तरफ हरियाली ये सब कुछ लाहौल-स्पीति ( Lahaul and Spiti ) को शानदार बनाती है। तो चलिए आज ट्रैवल जुनून पर पड़ते हैं इन हिम-शिखरों के बारे में।
जहां एक तरफ इन घाटियों की प्राकृतिक सौंदर्यता को निहारते हुए आंखों को सुकून मिलता है तो वहीं दूसरी तरफ हिंदू और बौद्ध परंपराओं का अनूठा संगम आश्चर्यचकित कर देता है। वैसे लाहौल को लैंड विद मैनी पासेस भी कहा जाता है क्योंकि लाहौल से दुनिया का सबसे ऊंचा हाईवे गुजरता है। जो कि लाहौल को विश्व में अलग पहचान दिलाता है। इसके अलावा ताबो प्राचीन बौद्ध मठ, काजा, कुंजाम दर्रा, की गोंपा, केलांग आदि यहां के प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल हैं।
ताबो प्राचीन बौद्ध मठ
ताबो प्राचीन बौद्ध मठ गेलूकंपा सम्प्रदाय से जुड़ा हुआ है। इस मठ में 9 कक्ष हैं और इसके चारों तरफ ऊंची ऊंची दीवारें है। ऐसा कहा जाता है कि इस मठ को बनने में 46 साल लगे थे। इसमें बुध्द की विशाल प्रतिमा भी है। इसका निर्माण तिब्बत के एक शासक शहोद ने कराया था।
काजा
काजा का त्रिमूर्ति मंदिर और बौध्द मठ देखने लायक है। अगर आप यहां आना चाहते हैं तो आपको बता दें कि यहां पर ऑक्सीजन की मात्रा काफी कम रहती है इसलिए यहां सांस लेने में दिक्कत होती है।
कुंजम दर्रा
कुंजम दर्रा से हिमाचल प्रदेश के ग्लेशियरों को साफ-साफ देखा जा सकता है। यहां का शिगड़ी ग्लेशियर एशिया का सबसे विशाल ग्लेशियर माना जाता है। यहां से 12 किलोमीटर नीचे उतरकर आप बातल नाम की जगह पर पहुंचते है। चन्द्रा नदी पर पुल है आगे छोटा दर्रा और बड़ा दर्रा नाम की जगह है। ये पूरा रास्ता विशाल चट्टानों के बीच में हैं।
की गोंपा
की गोंपा गेलुग्पा संप्रदाय से सम्बंधित है। जो कि विश्व भर में प्रसिद्ध है। ये लाहुल स्पीति के दर्शनीय स्थलों में से एक है। की गोम्पा काजा से 8 किमी उपर की ओर है। गेलुग्पा सम्प्रदाय से संबधित गोम्पा विश्व भर में प्रसिद्ध है। इसमें थंकचित्रों का वृहद भंडार है। इसमें 100 से अधिक आवासीय कक्ष है जिनमे 300 से अधिक लामा रहते है। यहाँ का छम्म नृत्य मशहूर है।
केलांग
केलांग लाहौल स्पीति ( Lahaul and Spiti ) जिले का मुख्यालय है। केलांग अपने मनमोहक दृश्यों से पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता रहता है। अगर आप लाहौल स्पीति ( Lahaul and Spiti ) की सैर करने की सोच रहे हैं तो यहां पर जरूर जाएं। इसके दक्षिण में डीलबुरी चोटी है। यहां पर बौद्ध और हिन्दू मिलकर रहते है। ये चोटी उनका तीर्थ है। वो इसकी परिक्रमा करके अपने आप को धन्य मानते है। पूरब की ओर लेडी ऑफ केलांग चोटी है। केलांग जिस शिखर की गोद में बसा है उसे कियारकयोक्स के नाम से जाना जाता है। केलांग के आसपास कई बौद्ध मठ है।
कैसे जाएं लाहौल स्पीति ( How to visit Lahaul and Spiti )
लाहौल स्पीती ( Lahaul and Spiti ) जाने के लिए कई रास्ते हैं आप वायु और रेल मार्ग से आसानी से जा सकते हैं। सबसे पहले आपको बताते हैं कि वायु मार्ग के द्वारा अगर आप यहां जाना चाहते हैं तो लाहुल का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा भुंटार है, जो कि शिमला और नई दिल्ली जैसे प्रमुख शहरों से जुड़ा है। हवाई अड्डे के बाहर से टैक्सियों और कैब को किराए पर लेकर जा सकते और लाहुल तक पहुंचा जा सकता है। वहीं दूसरा विकल्प रेल का है। अगर आप ट्रेन से आना चाहते हैं तो लाहुल के सबसे पास रेलवे स्टेशन जोगिंदर नगर है जो कि छोटी लाइन रेलवे स्टेशन है। यहां से चंडीगढ़ के लिए ट्रेन मिल जाती हैं। यात्री रेलवे स्टेशन के बाहर से टैक्सी किराए पर लेकर जा सकता है।
लाहौल स्पीति ( Lahaul and Spiti ) के लिए सड़क मार्ग का एख विकल्प भी है। जो कि मनाली राष्ट्रीय राजमार्ग नम्बर 21 से जुड़ा हुआ है। ये रास्ता चंडीगढ़ से विलासपुर, मंडी और कुल्लू से होकर जाता है। मनाली से आगे ये रास्ता मनाली लेह रोड कहलाता है। यहां पर दिल्ली और शिमला से सीधी बस सेवाएं उपलब्ध है।
कब जाएं लौहल स्पीति ( When to visit Lahaul and Spiti )
गर्मियों के दौरान यहां आना सबसे अच्छा समय माना जाता है। यहां ज्यादा बारिश नहीं होती है। सर्दियों के दौरान ये जगह बर्फबारी से ढक जाती है औैर तापमान शून्य से भी नीचे चला जाता है।
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