Puducherry Travel Guide : पुडुचेरी भारत का एक ऐसा केंद्रशासित राज्य जो आपको किसी दूसरे देश में होने की अनुभूति करता है। यहाँ की इमारतें, खान-पान, पहनावा, संस्कृति और सभ्यता आज भी फ्रेंच सभ्यता में रंगी हुई हैं. पुडुचेरी यात्रा के दौरान आपको इसका बार बार अहसास। इस राज्य में अधिकतर लोग तमिल, तेलगु और मलयालम भाषा का प्रयोग करते है। फ्रेंच कल्चर होने की वजह से यहाँ फ्रेंच और अंग्रेजी भाषा का उपयोग भी किया जाता है। ये जग़ह फ्रांस का चोला ओढ़े हुए है। आप अगर फ्रेंच कल्चर का मज़ा लेना चाहते हैं तो अपना सामान बांध लीजिये और निकल चलिए पुडुचेरी ( Puducherry ) की सैर पर।
पुडुचेरी का इतिहास ( History of Puducherry )
पुडुचेरी भारत का एक केन्द्रशासित प्रदेश है। पहले पुडुचेरी एक फ्रांसीसी उपनिवेश था जिसे 4 ज़िलों का समावेश करके बनाया गया था। पांडिचेरी नाम इसके सबसे बडे ज़िले पांडिचेरी के नाम पर पडा़ है। पहले इसका आधिकारिक नाम पॉंडिचेरी ही था जिसे सितंबर 2006 में बदलकर पुडुचेरी कर दिया गया। हालाँकि फ्रांसीसी लोग अब भी इसे पॉंडिचेरी ही कहते हैं। यह एक लोकप्रिय पर्यटक स्थल भी हैं।
पुडुचेरी की सांस्कृतिक धरोहर ( Cultural Heritage of Puducherry )
पुडुचेरी प्रसिद्ध संतों की भूमि के रूप में प्रसिद्ध है। रोम और यूनान के साथ व्यापारिक संबंध होने के कारण, फ्रांसीसी भारत की राजधानी होने तथा आध्यात्मिक शक्ति को केंद्र होने की वजह से, पांडिचेरी में नदियों, समुद्री तटों के कारण पर्यटकों के लिए पर्यटन के स्थान हैं। पूर्व तथा पश्चिम संस्कृति से प्रभावित पुडुचेरी में हस्तशिल्प से तैयार चमड़े की वस्तुएं, मिट्टी के बरतन, हाथ से तैयार काग़ज़, पुराना औपनिवेशिक फर्नीचर आदि अनोखी वस्तुएं मिलती हैं।
ओरोविल प्रातः काल का शहर ( Auroville in Puducherry )
ओरोविल का अर्थ होता है ऊषा नगरी या नवजीवन की नगरी। ये दक्षिण भारत स्थित पुडुचेरी के पास तमिलनाडु राज्य के विलुप्पुरम जिले में स्थित एक “प्रायोगिक” नगरी है। इसकी स्थापना साल 1968 में मीरा रिचर्ड ने की वहीं इसकी रूपरेखा वास्तुकार रोजर ऐंगर के द्वारा तैयार की गई थी। ये एक ऐसी वैश्विक नगरी है, जहां सभी शांति एवं सद्भावना से जीवन का निर्वाह करते हैं। यहां रहने वाले स्त्री पुरुष प्रगतिशील सद्भावना के साथ रहते हैं। ओरोविल का उद्देश्य है मानवीय एकता की अनुभूति करना है और मिल-जुलकर साथ रहना। यहां पर कई प्रकार की वर्कशाप भी आपको देखने को मिल जायेंगीं। यहां अलग-अलग तरह की थैरपी दी जाती है जो लोगों को शांति का अहसास कराती है।
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अरबिंदो आश्रम ( Aurobindo Ashram in Puducherry )
पुडुचेरी में श्री अरबिंदो ने 1926 में अरबिंदो आश्रम की स्थापना की थी। इस दौड़-भाग की जिंदगी से दूर अध्यात्म शक्ति को बढ़ाने और मन को शांत चित्त रखने के लिए की थी। यहां विश्व भर से लोग अध्यात्म की तलाश में आते हैं। अगर आप को दौड़ भाग की दुनिया से कुछ शांति के पल गुज़ारने हैं तो आप यहां आ सकते हैं।इस आश्रम में तीन साल से कम उम्र के बच्चों को आने की अनुमति नहीं है। आश्रम सुबह 8 बजे से 12बजे तक और दोपहर 2 बजे से शाम 6 बजे तक आने जाने वाले लोगों के लिए खुला रहता है। इस आश्रम में एक विस्तृत पुस्तकालय भी स्थित है जहाँ आश्रम के अधिकारियों की अनुमति के साथ पहुँचा जा सकता है।
पांडिचेरी संग्रहालय ( Puducherry Museum )
इस संग्रहालय में एक गैलरी है जिसमें अनेक मूर्तियाँ और अरिकामेडु रोमन व्यवस्था के समय की अनेक महत्वपूर्ण पुरातत्वीय वस्तुएँ आपको देखने को मिलेंगीं। ये संग्रहालय प्राचीनकाल की दुर्लभ कलाकृतियों का भंडारगृह है। इस संग्रहालय में राजवंश की अनेक दुर्लभ पीतल की मूर्तियाँ तथा पत्थर सम्मिलित हैं। पांडिचेरी संग्रहालय में पांडिचेरी क्षेत्र से लाई गई सीपियों का भी एक बहुत अच्छा संग्रह देखने को मिलता है। यहां आने वाले पर्यटकों को पांडिचेरी के औपनिवेशिक अतीत के बारे में जानने का अवसर मिलता है। जो की भारत में फ्रांस के औपनिवेशिक शासन की दृष्टि सेे एक अच्छी अंतर्दृष्टि प्रदान करता है। पांडिचेरी यात्रा के दौरान पांडिचेरी संग्रहालय आना बहुत ही आसान है। ये संग्रहालय भारती पार्क में स्थित है।
सैक्रेड हार्ट चर्च ऑफ जीसस
सैक्रेड हार्ट चर्च ऑफ जीसस ये पांडिचेरी के सबसे प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण चर्चों में स्थान रखता है। ये चर्च वास्तुकला की गोथिक शैली में डिज़ाइन किया गया है और सालभर यहांं आनेे वाले पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। इस चर्च का सबसे बड़ा आकर्षण है इस चर्च की स्टेन्ड काँचयुक्त खिड़कियाँ जो प्रभु यीशु के जीवन के समय को दर्शाती हैं। येे चर्च एक ऐसा स्थल है जो यहां आने वालो को शांति और सुकून का अहसास देता है। पुडुचेरी स्थित इस चर्च ने हाल ही में वर्ष 2008 में अपनी शताब्दी मनाई थी।
मनाकुला विनायगर मंदिर
मनाकुला विनायगर मंदिर भारत के दक्षिण में पुडुचेरी में स्थित प्राचीन मंदिर है। ये मंदिर गणेशजी के प्रसिद्ध तीर्थ मंदिरों में से एक है। इस क्षेत्र में विशेष मान्यता प्रचलित है कि सन् 1666 में यहां फ्रांसीसियों का एक दल आया था, मंदिर का इतिहास उससे भी पहले का है। भगवान गणेश के 16 स्वरूपों के चित्र भी यहां देखे जा सकते हैं। इस मंदिर का मुख समुद्र की ओर है। इसीलिए इसे भुवनेश्वर गणेश भी कहते हैं। तमिल भाषा में मनल का मतलब बालू रेत और कुलन का मतलब सरोवर होता है। पुराने समय में गणेश प्रतिमा के आसपास काफी ढेर सारी बालू रेत थी, इसलिए इन्हें मनाकुला विनायगर गणेश कहा जाने लगा। इस मंदिर में काफी मात्रा में सोना दिखाई देता है। मंदिर में 10 फीट ऊंचा एक रथ भी देखने को मिलेगा। जिसको सोने की मदद से बनाया गया है।
बोटनिकल गार्डन
पुडुचेरी में स्थित बेहद खूबसूरत बोटनिकल गार्डन तथा एक्वैरियम सी.एस. पैरोटेट द्वारा 1826 में स्थापित किए गए थे। बोटनिकल गार्डन मुख्य रूप सेे विदेशी पौधों का एक संग्रह है। ये मनोरम गार्डन और एक्वैरियम प्रमुख बस स्टैंड के दक्षिण द्वार के पास ही स्थित है और ये गार्डन 22 एकड़ भूमि पर फैला हुआ है। एक्वैरियम में समुद्री जीवन की विस्तृत विविधता है जो इसे एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल बनाती है। पर्यटकों के लिए ये स्थान आकर्षण का प्रमुख केंद्र माना जाता है। यहां आने पर्यटकों को जलीय जीवन की एक अनोखी झलक देखने को मिलती है। इस बगीचे में एक बच्चों की ट्रेन, एक डांसिंग फव्वारा, सुंदर मछलियों की कुछ दुर्लभ किस्में तथा छः फव्वारें का नज़ारा भी देखने लायक है।
डुपलीक्स की प्रतिमा
ये प्रतिमा 1742 से 1754 तक पांडिचेरी के राज्यपाल, जोसफ फ्रेंकोइस डुपलीक्स की प्रतिमा बीच सड़क पर स्थित है। ये पुडुचेरी में बच्चों के पार्क में स्थित है। जिसे बच्चों के बीच खासा पंसद किया जाता है। ये मूर्ति 2.88 मी. लाबी है और पार्क के दक्षिणी छोर पर स्थित है। फ्रांसीसी सरकार द्वारा इस प्रतिमा को 1870 में स्थापित किया गया था। पुडुचेरी यात्रा के दौरान बच्चों को ये प्रतिमा देखने का सुझाव दिया जाता है।
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पुडुचेरी का फेमस क्विज़ीन ( Puducherry famous Cuisine )
पुडुचेरी का क्विज़ीन यहां की संस्कृति और रिवाजों के स्वाद से निर्मित मिलेगा। ये समुद्र के किनारे स्थित है यही कारण है कि यहाँ सीफूड की भरमार है और सीफूड को लेकर लोगों का चाव देखा जा सकता है। यहां के पारंपरिक दक्षिण भारतीय भोजन में आपको इडली-डोसे का स्वाद जमकर हर स्थान पर मिल जाएगा।ये आपको लंबे समय तक याद रहेगा। इसी के साथ ही साथ यहां स्थित रेस्ट्रोरेंट्स में आसानी से फ्रेंच फूड मिल जाएगा। आप यहां फ्रेंच फ़ूड के प्रति लोंगों की दीवानगी देख सकते हैं।
कैसा रहता है पुडुचेरी का मौसम ( Puducherry weather )
पुडुचेरी का तापमान 38 डिग्री तक पहुंच जाता है। यहां सर्दियों के मौसम में तापमान काफी सुहावना रहता है। सर्दियां नवंबर के महीने से शुरु होती हैं और तब यहां का तापमान कभी भी 20 डिग्री से नीचे नहीं जाता है। यहां पर उत्तर-पश्चिमी मानसून जुलाई से अगस्त और नवंबर से जनवरी तक बरसता है। गर्मियों का मौसम मुख्यता मार्च से जुलाई तक ही रहता है। सैलानियों को इस जगह का भ्रमण दिसंबर से मार्च के दौरान करना चाहिए। सर्दियों में यहाँ का नज़ारा और भी सुंदर रहता है।
पुडुचेरी की यात्रा कैसे करें ( How to reach Puducherry )
पुडुचेरी अच्छी तरह से सड़कों के अच्छे नेटवर्क से देश के लगभग सभी बड़ें हिस्सों से जुड़ा हुआ है। यहाँ आने के लिए कोयंबटूर, चेन्नई और मदुरै जैसे शहरों से बसें आसानी से उपलब्ध हैं। आप बंगलुरू से भी बसों द्वारा पांडिचेरी जा सकते हैं। यहाँ से बस का किराया देश के अन्य हिस्सों की तुलना में काफी सस्ता पड़ता है।
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