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Pauri Garhwal: क्यों जाएं उत्तराखंड की इस जगह, कहां कहां घूमें?

Pauri Garhwal: पौड़ी (Pauri), गढ़वाल ( Garhwal) क्षेत्र का सबसे मशहूर जिला है, जो कि प्राकृतिक सुंदरता से भरा हुआ है। ये एक खूबसूरत पर्यटन स्थल है जो कि समुद्र तल से 1650 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। ये स्थान उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल (Pauri Garhwal) जिले के जिला मुख्यालय है। देवदार के जंगलों से ढका हुआ और कंडोलिया पहाड़ी के उत्तरी ढलानों पर स्थित ये स्थान पर्यटकों के लिए एक दिल को छू लेने वाला नजारा लिए बैठा है। पर्यटक यहां पर बर्फ से ढके हुए मनोरम पहाड़ों जैसे बंदरपूंछ, जोंली, गंगोत्री समूह, नंदादेवी, त्रिशूल, चौखंभा, घोरी पर्वत, हाथी पर्वत, स्वर्गरोहिणी, जोगिन समूह, थालिया–सागर, केदारनाथ, सुमेरु और नीलकंठ के नजारों का आनंद ले सकते हैं। अलकनंदा और नायर जिले की प्रमुख नदियां हैं।

पौड़ी में देखने के लिए जगह (Places to Visit in Pauri)

ज्वालपा देवी मंदिर (Jwalpa Devi Mandir Pauri)

ज्वालपा देवी मंदिर एक धार्मिक स्थान है जो कि पौड़ी से 34 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। नवालिका नदी के बाएं किनारे पर स्थित ये मंदिर लगभग 350 मीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। ऐसा माना जाता है कि भगवान भक्तों की हर इच्छा पूरी करते हैं। नवरात्रि के दौरान इस मंदिर में एक उत्सव मनाया जाता है।

तारा कुंड (Tara Kund Pauri)

तारा कुंड एक सुंदर स्थान है जो कि समुद्र तल से 2200 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। ये स्थान चारीसरह विकास क्षेत्र में विशाल पहाड़ों के बीच में स्थित है। पर्यटक मंदिर के पास एक छोटी सी झील को देख सकते हैं। तीज का त्योहार यहां पर बड़े उत्साह और उल्लास के साथ मनाया जाता है।

कंडोलिया मंदिर (Kandolia Mandir, Pauri)

कंडोलिया मंदिर पौड़ी शहर से 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। ये मंदिर कंडोलिया देवता को समर्पित है जो कि स्थानीय भूमि देवता हैं। इस धार्मिक स्थान से हिमालय की चोटियों और गंगवारस्यून घाटी का खूबसूरत नजारा देखा जा सकता है। कंडोलिया से बुवाखल तक 4 किलोमीटर का ट्रेकिंग का रास्ता देवदार और ओक के पेड़ों से घिरा हुआ है जो कि एक ताजगी देने वाला और तरोताजा करने वाला अवसर प्रदान करता है।

अडवानी (Adwani pauri)

अडवानी पिकनिक के लिए एक बेहद सुंदर स्थान है जो कि पौड़ी से 17 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। ये शांत जगह हरे भरे जंगलों से घिरा हुआ है। यहां पर एक फॉरेस्ट रेस्ट हाउस है जहां पर पर्यटक रुक कर आराम कर सकते हैं।

चौखंभा व्यूपॉइंट (Chaukhamba View Point)

हिमालय की चोटियों और ग्लेशियरों के सुंदर नजारों से पर्यटकों का दिल चुरा लेने वाला चौखंभा व्यूपॉइंट काफी मशहूर है। ये एक शांत स्थान है जो कि घने हरे ओक के जंगलों और द्वारिखाल के रंगीन बुरुंश के पेड़ों से घिरा हुआ है। पौड़ी से 4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस स्थान से इद्वाल घाटी और चौखंभा चोटियां देखी जा सकती हैं। अपनी प्राकृतिक सुंदरता के कारण ये स्थान पिकनिक जाने वालों के बीच लोकप्रिय है।

कंकालेश्वर मंदिर (Kankaleshwar Mandir Pauri)

8वीं सदी का ये मंदिर शिव, पार्वती, गणेश और कार्तिकेयन को समर्पित है। ये पौड़ी शहर में स्थित है। हालांकि यहां पर पहुंचने के लिए आपको खड़ी चढ़ाई चढ़नी होगी, लेकिन यहां आकर जो लुभावना दृश्य आप देखेंगे, वो आपकी सारी थकान को भुला देगा। यहां पर पास के इदवाल रिज से आप तमाम चोटियों का और सम्मोहिक दृश्य देख सकते हैं।

रांसी (Ransi Pauri)

रांसी में पौड़ी का एकमात्र खेल स्टेडियम है और ये उत्तराखंड का सबसे ऊंचा स्टेडियम है। यहां तक पहुंचने के लिए आपको लगभग आधा किलोमीटर की चढ़ाई चढ़नी पड़ती है। यहां पर आप पिकनिक एंजॉय कर सकते हैं या फिर चादर बिछाकर आराम से पक्षियों की चहचहाहट सुन सकते हैं।

नाग मंदिर (Naag Mandir Pauri)

नाग देवता का मंदिर बुबाखाल की रोड पर पौड़ी से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर है। मंदिर के रास्ते में आप हिमालयन रेंज के खूबसूरत नजारों को देख सकते हैं।

कैसे पहुंचे पौड़ी (How to Reach Pauri)

पौड़ी जिले में कोई हवाई अड्डा नहीं है लेकिन देहरादून का जॉली ग्रांट हवाई अड्डा निकटतम हवाई अड्डा है जो कि जिले से 155 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां से सस्ते दाम पर टैक्सियां मिलती है। वहीं अगर आप ट्रेन से आना चाहते हैं तो निकटतम रेलवे स्टेशन कोटद्वार का है जो कि पौड़ी से 108 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। ये रेलवे स्टेशन देश के प्रमुख शहरों से नियमित रेल सेवा द्वारा जुड़ा हुआ है। इसके अलावा सड़क मार्ग से आना चाहते हैं तो पौड़ी और ऋषिकेश के बीच में सार्वजनिक और निजी बसें चलती हैं। हरिद्वार, देहरादून और मसूरी से भी पौड़ी के लिए बस सुविधा उपलब्ध है।

पौड़ी जाने का सबसे अच्छा समय (Best Time to Visit Pauri)

इस स्थान की यात्रा के लिए सबसे अच्छा वक्त मार्च में शुरु होता है और आप यहां पर नवंबर तक आ सकते हैं, क्योंकि इस पूरी अवधि के दौरान मौसम खुशनुमा बना रहता है।

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