Travel Tips and Tricks

Parijat tree : पारिजात वृक्ष के लिए श्रीकृष्ण ने इंद्र देवता से किया था युद्ध

Parijat tree – 5 अगस्त को अयोध्या में भगवान श्री राम के भव्‍य और विशाल मंदिर की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आधारशिला रखी और भूमि पूजन किया. पीएम नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर के प्रांगण में पारिजात का पौधा भी लगाया है. इस पौधे के बारे में कहा जाता है कि पारिजात पौधे को देवराज इंद्र ने स्वर्ग में लगाया था. इस पर सफेद रंग के फूल आते हैं, जो छोटे होते हैं. इस पर आने वाले फूल अन्‍य फूलों से अलग होते हैं. ये फूल रात में खिलते हैं और सुबह पौधे से खुद ही झड़ कर नीचे गिर जाते हैं.

Parijat tree पारिजात वृक्ष अपनी खासियत के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है. भगवान श्रीकृष्ण ने लगाया था पारिजात वृक्ष को. यह पेड़ पलभर में लोगों की थकान मिटा देता है. इसके नीचे बैठने से ही आप एकदम तरोताजा महसूस करते हैं. उत्तर प्रदेश के बाराबंकी के पास किंटूर में इस वृक्ष को देखने दूर-दूर से लोग आते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं इसके पीछे की कहानी. आखिर कैसे स्वर्ग का यह पेड़ धरती पर आया. आइये जानते हैं इस लेख में परिजात के बारे में बताएंगे.

पारिजात कई हिंदू धार्मिक कहानियों में दिखाई देता है और अक्सर कल्पवृक्ष (Tree of heaven) से संबंधित होता है. यह पेड़ भागवत पुराण, महाभारत और विष्णु पुराण में दिखाई देती है, माना जाता है कि किन्तूर गांव का नाम पांडवो की माता कुन्ती के नाम पर है. जब धृतराष्ट्र ने पाण्डु पुत्रों को अज्ञातवास दिया तो पांडवों ने अपनी माता कुन्ती के साथ यहां के वन में निवास किया था. इसी समय में ग्राम किन्तूर में कुंतेश्वर महादेव की स्थापना हुई थी.भगवान शिव की पूजा करने के लिए माता कुंती ने स्वर्ग से पारिजात पुष्प लाये जाने की इच्छा जाहिर की. अपनी माता की इच्छानुसार अर्जुन ने स्वर्ग से इस वृक्ष को लेकर यहां स्थापित कर दिया.

दूसरी पौराणिक मान्यता

दूसरी पौराणिक मान्यता यह है कि एक बार श्रीकृष्ण अपनी रानी रुक्मिणी के साथ व्रतोद्यापन समारोह में रैवतक पर्वत पर आ गए. उसी समय नारद अपने हाथ में पारिजात का फूल अपने साथ लेकर आए. नारद ने इस फूल श्रीकृष्ण को भेंट कर दिया. श्रीकृष्ण ने इस पुष्प को रुक्मिणी को दे दिया और रुक्मिणी ने इसे अपने बालों के जूड़े में लगा लिया इस पर नारद ने प्रशंसा करते हुए कहा कि फूल को जूड़े में लगाने पर रुक्मिणी अपनी सौतों से हजार गुना सुन्दर लगने लगी हैं.

Sabarimala Temple – भगवान अयप्पा के बारे में कितना जानते हैं आप?

जिसे देखकर श्रीकृष्ण की दूसरी पत्नी सत्यभामा ने पूरे पारिजात के पेड़ की मांग की. जिसके बाद कृष्ण जी ने इंद्र से पारिजात का पेड़ देने का अनुरोध किया. लेकिन इंद्र ने उनका अनुरोध ठुकरा दिया. जिसके बाद सत्यभामा की जिद् पर भगवान ने गरुड़ पर बैठकर स्वर्ग पर हमला कर दिया. इस युद्ध में सत्यभामा और कृष्ण ने साथ मिलकर युद्ध किया और सभी देवताओं को पराजित कर दिया और स्वयं भगवान कृष्ण ने इंद्र के हाथों को पकड़कर उसका वज्र स्तंभित कर दिया. 14 रत्नों में यह एक विशिष्ट रत्न रहा है. बाराबंकी में स्थित पारिजात धाम आस्था का केंद्र है. सावन महीने में यहां श्रद्धालुओं का मेला लगता है. महाशिवरात्रि व्रत पर यहां कई जिलों से श्रद्धालु जल चढ़ाने पहुंचते हैं. हिंदू मान्‍यताओं के मुताबिक, परिजात के पौधे के फूलों से भगवान हरि का श्रृंगार भी होता है.

परिजात वृक्ष का वर्णन हरिवंश पुराण में भी आता है. हरिवंश पुराण में इसे कल्पवृक्ष कहा गया है. हरिवंश पुराण के अनुसार इसको छूने मात्र से ही देव नर्त्तकी उर्वशी की थकान मिट जाती थी.

देवी लक्ष्मी को प्रिय है पारिजात के फूल

Parijat tree – धन की देवी लक्ष्मी को पारिजात के फूल बेहद प्रिय हैं. मान्‍यता ये भी है कि लक्ष्‍मी की पूजा करने के दौरान यदि उन्‍हें ये फूल चढ़ाए जाएं तो वो बेहद प्रसन्न होती हैं. पूजा के लिए परिजात के लिए उन्‍हीं फूलों का इस्‍तेमाल किया जाता है, जो खुद ही झड़कर नीचे जमीन पर गिर जाते हैं. इन फूलों को पौधे से तोड़कर पूजा में नहीं चढ़ाया जाता है.

एक झाड़ीदार पेड़

एक झाड़ीदार या छोटा पेड़ है जो 10 मीटर (33 फीट) ऊंचा होता है, जिसमें परतदार धूसर छाल होती है. पत्तियां विपरीत, सरल, 6–12 सेमी (2.4–4.7 इंच) लंबी और 2-6.5 सेमी (0.79–2.56 इंच) चौड़ी होती हैं, पूरे मार्जिन के साथ. फूल सुगंधित होते हैं, नारंगी-लाल केंद्र के साथ पांच से आठ-लोब वाले सफेद कोरोला, वे दो से सात के समूहों में एक साथ पैदा होते हैं,  फूल शाम को खिलते हैं और सुबह में खत्म होते हैं. फल एक बिलोबेड, सपाट भूरे रंग का दिल के आकार का गोल कैप्सूल 2 सेमी (0.79 इंच) व्यास का होता है, प्रत्येक लोब एक एकल बीज होता है.

कपड़ों के डाई के लिए इस्तेमाल किया जाता है

पेड़ को कभी-कभी “दुःख का पेड़” कहा जाता है, क्योंकि फूल दिन के समय अपनी चमक खो देते हैं. फूलों को कपड़ों के लिए पीले रंग के डाई के स्रोत के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है.

हर राज्य में इस फूल का अलग नाम

फूल को गंगासुली कहा जाता है और भारत के ओडिशा में इसका नाम झार सीफली है. त्रिपुरा की बोरोक तिपुरी संस्कृति में, यह जीवन के चक्र के साथ जुड़ा हुआ है यानी जन्म और मृत्यु.यह मृतकों के लिए एक माला के रूप में लोकप्रिय है.

यह फूल पश्चिम बंगाल में राजकीय फूल है, और इसे भारत में स्थानीय पश्चिम बंगाल क्षेत्र में पारिजात, शेफाली और सिउली के रूप में भी जाना जाता है, और कंचनबुरी प्रांत, थाईलैंड में आमतौर पर नाइट-फ्लावरिंग चमेली और कोरल चमेली के रूप में जाना जाता है. इसे बिहार के मिथिलांचल में हरिगोर कहा जाता है. इसे असाम में हेवली कहा जाता है, जबकि श्रीलंका में इसे सेपालिका कहा जाता है. केरल में, जहां इसे मलयालम में पविज़हमल्ली कहा जाता है, इसका उपयोग पूजा और ऐसे समारोहों के लिए किया जाता है. पुराने रोमांटिक गानों में भी इसका बहुत महत्व है.

कब आते हैं यह फूल

पेड़ पर रात्रि में खुशबूदार छोटे छोटे सफ़ेद फूल आते है, और एवं फूल की डंडी नारंगी रंग की होती है। प्रातःकाल तक यह फूल स्वतः ही जमीन पर गिर जाते है, इसके फूल अगस्त से दिसम्बर तक आते हैं. इसका वनस्पतिक नाम ‘निक्टेन्थिस आर्बोर्ट्रिस्टिस’ है

तनाव में रहते है तो इसके फूल की सुगंध एक माह तक लेते रहने से तनाव दूर हो जाता है. पाचन शक्ति बढ़ाने में भी इसके पत्ते और फूल का इस्तेमाल किया जाता है, गठिया रोग में इसके फूल का इस्तेमाल होता है. साथ ही अस्थियों में आने वाली परेशानी भी दूर होती है.

Recent Posts

Chhath Puja 2024 Day 3 : जानें, सूर्यास्त का समय, पूजा अनुष्ठान, महत्व और अधिक

Chhath Puja 2024 Day 3 : छठ पूजा कोई त्योहार नहीं है लेकिन इस त्योहार… Read More

2 hours ago

High Uric Acid Control : हाई यूरिक एसिड से हैं परेशान, सुबह खाली पेट खाएं ये सफ़ेद चीज़

High Uric Acid Control : लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियों से जूझ रहे लोगों में हाई… Read More

20 hours ago

Kharna puja 2024 : इस चीज के बिना अधूरी है खरना पूजा, जानिए 36 घंटे के निर्जला व्रत की विधि

 Kharna puja 2024 : चार दिवसीय महापर्व छठ के दूसरे दिन खरना मनाया जाता है.… Read More

1 day ago

Chhath Puja 2024 : 36 घंटे के व्रत के दौरान इन महत्वपूर्ण नियमों का पालन करें

Chhath Puja 2024 :  महापर्व छठ 5 नवंबर को नहाय खाय के साथ शुरू हो… Read More

1 day ago

Dev Diwali 2024 : जानें, कब है देव दिवाली, समय, महत्व और अनुष्ठान

Dev Diwali 2024:  देव दिवाली हिंदू महीने कार्तिक की पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है.… Read More

2 days ago

Cashews Quality Check : असली या नकली काजू? इन ड्राई फ्रूट्स की क्वालिटी जांचने के लिए अपनाएं ये 5 आसान तरीके

Cashews Quality Check : काजू सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं, वहीं मिलावटी काजू… Read More

2 days ago