Nalanda University Admission Process
Nalanda University Admission Process : गुप्त सम्राट कुमारगुप्त प्रथम द्वारा लगभग 450 ई. में स्थापित Nalanda University प्राचीन भारत में शिक्षा का एक केंद्र था. बिहार के बीच में स्थित यह इंस्टीट्यूट न केवल एक विश्वविद्यालय था, बल्कि शिक्षा का एक स्मारक केंद्र था. यह दुनिया भर के विद्वानों को आकर्षित करता था. समय के साथ, इसे हर्षवर्धन और पाल राजाओं जैसे प्रमुख शासकों का संरक्षण प्राप्त हुआ, जिसने इसे सदियों तक फलने-फूलने दिया.
वहीं Prime Minister Narendra Modi ने 19 जून 2024 को Nalanda University के 1700 करोड़ रुपये की लागत वाले नए परिसर का उद्घाटन किया. इस कार्यक्रम में ऑAustralia, Bangladesh, Bhutan, Brunei, Cambodia, China, Indonesia, Laos, Mauritius, Myanmar, New Zealand, Portugal, Singapore, South Korea, Sri Lanka और Vietnam सहित 17 देशों के विदेशी दूत भी उपस्थित थे. पटना से लगभग 90 किलोमीटर और बिहार शरीफ से लगभग 12 किलोमीटर दक्षिण में स्थित इस विश्व प्रसिद्ध प्राचीन बौद्ध विश्वविद्यालय के खंडहर आज भी मौजूद हैं. तक्षशिला के बाद दुनिया का दूसरा सबसे पुराना विश्वविद्यालय माना जाने वाला यह विश्वविद्यालय housing complex के रूप में काम करता था और 800 वर्षों तक अस्तित्व में रहा. इसी कड़ी आइए जानते हैं कि इस यूनिवर्सिटी में एडमिशन कैसे होता है और किन-किन कोर्सो की पढ़ाई कराई जाती है. अगर आप भी यहां से पढ़ाई करना चाहते हैं, तो कैसे यहां एडमिशन मिलता है,फीस कितनी है सबकुछ जानिए इस आर्टिकल में…
Nalanda University दुनिया का पहला Residential Universities था जहां दुनिया भर से छात्र पढ़ाई करने आते थे. इसमें 300 से ज़्यादा कमरे, सात बड़े हॉल और धर्मगंज नामक इसकी लाइब्रेरी थी जो नौ मंज़िल तक फैली हुई थी. तुर्की के मुस्लिम शासक बख्तियार खिलजी ने नालंदा विश्वविद्यालय में आग लगा दी थी. लाइब्रेरी में इतनी किताबें थीं कि आग लगातार तीन महीने तक जलती रही.
अपने समय में, विश्वविद्यालय हिंदू और बौद्ध अध्ययन पढ़ाने के लिए जाना जाता था. प्राचीन समय में, यहांLiterature, astrology, psychology, law, astronomy, science, military strategy, history, mathematics, architecture, linguistics, economics और medicine जैसे विषय पढ़ाए जाते थे.
विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय महत्व और एक अंतरराष्ट्रीय संस्थान के रूप में देखा गया है. इसने 1 सितंबर 2014 को स्कूल ऑफ हिस्टोरिकल स्टडीज और स्कूल ऑफ इकोलॉजी एंड एनवायरनमेंटल स्टडीज में 15 छात्रों के साथ अपना पहला Academic Session शुरू किया. राजगीर में बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम द्वारा संचालित एक होटल ने प्रारंभिक होस्टल भी दिया.राजगीर में अस्थायी सुविधाओं के साथ शुरू में स्थापित, 160 हेक्टेयर (400 एकड़) में फैला एक आधुनिक परिसर निर्माणाधीन था, जिसका 80 प्रतिशत से अधिक निर्माण 2021 तक पूरा हो चुका था. विश्वविद्यालय ने जनवरी 2020 से अपने 455 एकड़ के नए परिसर से काम करना शुरू कर दिया था. [26] विश्वविद्यालय के आसपास के कम से कम 200 गाँवों को विश्वविद्यालय से जोड़ा जाएगा,यह पुराने नालंदा की याद दिलाता है.
Nalanda University बिहार का पहला प्लास्टिक मुक्त परिसर बन गया है.विश्वविद्यालय में अब प्लास्टिक की बोतलों की जगह कांच की बोतलों में पानी उपलब्ध हो रहा है। इसके साथ ही बायोगैस का भी उत्पादन किया जाएगा.
नए परिसर में, विश्वविद्यालय ने Buddhist Studies, Philosophy, Comparative Religion Studies, History, Environmental and Ecological Studies और Management Studies के लिए अलग-अलग स्कूल स्थापित किए हैं.
धर्मगंज लाइब्रेरी में 9 मिलियन से ज़्यादा किताबें रखी गई हैं. Nalanda University के नए परिसर में 40 कक्षाओं के साथ दो शैक्षणिक ब्लॉक हैं. परिसर में कुल 1900 छात्रों के बैठने की जगह है. विश्वविद्यालय में दो Auditorium भी हैं. इसके अलावा, एक अंतर्राष्ट्रीय केंद्र और एक एम्फीथिएटर का निर्माण किया गया है, जिसमें 2000 लोगों के बैठने की क्षमता है. इसके अलावा, छात्रों के लिए Faculty Club और एक खेल परिसर भी है
नालंदा विश्वविद्यालय में वर्तमान में 6 स्कूल ऑफ स्टडीज है. इसके बारे में नीचे विस्तार से देख सकते हैं.
स्कूल ऑफ इकोलॉजी एंड एनवायरनमेंट स्टडीज
स्कूल ऑफ हिस्टोरिकल स्टडीज
स्कूल ऑफ बुद्धिस्ट स्टडीज, फिलॉसफी एंड कंपेरेटिव स्टडीज
स्कूल ऑफ लैंग्वेज एंड लिटरेचर/ह्यूमैनिटीज
स्कूल ऑफ इंटरनेशनल रिलेशन एंड पीस स्टडीज
बिजनेस मैनेजमेंट इन रिलेशन टू पब्लिक पॉलिसी एंड डेवलपमेंट स्टडीज
नालंदा विश्वविद्यालय विभिन्न विषयों में स्नातकोत्तर, डॉक्टरेट, डिप्लोमा और प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम सहित कई कार्यक्रम प्रदान करता है:
नालंदा विश्वविद्यालय के पोस्ट ग्रेजुएट कोर्सेज
एमए इन बुद्धिस्ट स्टडीज, फिलॉसफी एंड कंपेरेटिव स्टडीज
एमए इन हिंदू स्टडीज (सनातन)
एमए इन हिस्टोरिकल स्टडीज
एमए इन वर्ल्ड लिटरेचर
एमए इन इकोलॉजी एंड एनवायरनमेंट स्टडीज
एमए इन सस्टेनेबल डेवलपमेंट एंड मैनेजमेंट
पी.एच.डी इन बुद्धिस्ट स्टडीज, फिलॉसफी एंड कंपेरेटिव स्टडीज
पी.एच.डी इन इकोलॉजी एंड एनवायरनमेंट स्टडीज
पी.एच.डी इन हिस्टोरिकल स्टडीज
नालंदा विश्वविद्यालय में पोस्ट ग्रेजुएट प्रोग्रामों के लिए उम्मीदवारों को संबंधित भाषा या किसी भी विषय में न्यूनतम तीन साल की ग्रेजुएट डिग्री (10+2+3) की आवश्यकता होती है. साथ ही कम से कम 55% अंकों के साथ कक्षा 12वीं पास होना चाहिए.
पीएचडी कोर्सेज- उम्मीदवारों को संबंधित स्ट्रीम में कम से कम 65% अंकों के साथ पास होना चाहिए.
Nalanda Universityनिम्नलिखित वैश्विक संस्थानों के साथ सहयोग करता है:
नालंदा-श्रीविजय केंद्र, दक्षिण पूर्व एशियाई अध्ययन संस्थान (सिंगापुर)
पेकिंग विश्वविद्यालय (चीन)
बिहार हेरिटेज डेवलपमेंट सोसाइटी (भारत)
मैक्स वेबर सेंटर फॉर एडवांस्ड कल्चरल एंड सोशल स्टडीज, यूनिवर्सिटी ऑफ एरफर्ट (जर्मनी)
बोरलॉग इंस्टीट्यूट ऑफ साउथ एशिया (भारत)
डीकिन विश्वविद्यालय (ऑस्ट्रेलिया)
यूनिवर्सिटास सेबेलस मारेट (इंडोनेशिया)
कनाज़ावा विश्वविद्यालय (जापान)
कोरियाई अध्ययन अकादमी (दक्षिण कोरिया)
सीएसआईआर – राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (भारत)
Nalanda University में प्रवेश या तो योग्यता-आधारित या प्रवेश परीक्षा-आधारित होता है, जो कार्यक्रम पर निर्भर करता है. संभावित छात्र
इस प्रकार अप्लाई कर सकते हैं:
अप्लाई प्रोसेस: उम्मीदवारों को विश्वविद्यालय की आधिकारिक वेबसाइट के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन करना होगा। आवेदन पत्र ऑनलाइन उपलब्ध हैं, और उम्मीदवारों को उन्हें सही और पूरी तरह से भरना आवश्यक है.
Selection Process
मास्टर प्रोग्राम: चयन मेरिट या प्रवेश परीक्षाओं जैसे कि MAT, XAT, CAT के आधार पर होता है, जो प्रोग्राम पर निर्भर करता है.
पीएचडी प्रोग्राम: प्रवेश मानदंड में संबंधित विभागों द्वारा आयोजित मेरिट या विशिष्ट प्रवेश परीक्षाएं शामिल हैं.
इंटरव्यू: अंतर्राष्ट्रीय छात्रों को विश्वविद्यालय द्वारा प्रदान की गई निर्धारित तिथियों के अनुसार स्काइप जैसे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से इंटरव्यू के लिए उपस्थित होना आवश्यक है.
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