Delhi Tours – दिल्ली को भारत की राजधानी यूं ही नहीं कहा जाता, दिल्ली ने अपने आप में पूरे भारत को समेट रखा है. दिल्ली में हर आयु वर्ग के लिए हर धर्म के लोगों के लिए कई सारी जगह ( Delhi Tours ) हैं जैसे अगर आप को किसी धार्मिक स्थल पर जाने का मन है तो आप किसी भी मंदिर जा सकते है.
मुस्लिम समुदाय का भी दिल्ली से पुराना नाता रहा है इसलिए दिल्ली में मीनारें, किले और मस्जिदें भी काफी ज्यादा हैं, जो आज पर्यटक स्थल ( Delhi Tourist Places ) के रूप में भी देखे जाते हैं. दिल्ली में घूमने के लिए 12 सबसे बेस्ट जगह के बारे में हम आपको विस्तार से बता रहे हैं.
दिल्ली में घूमने ( Delhi Tours ) के लिए एक आकर्षण का केंद्र है लाल किला. भारत में मौजूद सभी किलों में से लाल किला सबसे ज्यादा मशहूर है.
यमुना नदी के तट पर बने इस किले को देखने पर मुगलों के शासन की झलक दिखाई पड़ती है. 256 एकड़ में फैले इस किले में कई तरह के महल हैं जिनकी वास्तुकला और शिल्पकारी लाजवाब है.
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देश विदेश से लोग इस किले को देखने के लिए आते हैं. भारत में 200 वर्षों से ज्यादा शासन करने वाले मुगल साम्राज्य के पांचवें शाहजहां ने लाल किले का निर्माण करवाया था.
दिल्ली आने से पूर्व शाहजहां ने अपना किला बनाने का आदेश दिया था. लाल किले का निर्माण कार्य 13 मई 1638 को शुरू हुआ इसके लिए खास मुहर्रम का दिन चुना गया.
लाल किले की पहली नीव शाहजहां के हुक्म पर इज्जर खान द्वारा रखी गई. इस किला को पूरा बनाने में 10 साल का समय लगा.
1648 में इस किले का निर्माण कार्य पूरा हुआ उस समय किले की शिल्पकारी और चमक देखकर सभी आश्चर्यचकित रह गए थे.
प्रगति मैदान के पास मौजूद इस जगह से, 3 हजार साल से भी ज्यादा समय पहले दिल्ली पर राज किया गया था. इसके बाद से यह जगह लगातार आबाद रही है.
पुराने किले को 16वीं शताब्दी में शेरशाह सूरी ने बनवाया था. मगर, इससे ढाई हजार साल पहले से लोग यहां रहते थे.
ऐसा कहा जाता है कि पांडवों की राजधानी इंद्रप्रस्थ यहीं थी. उन्होंने सोने के पिलर और कीमती पत्थरों से अपने महल बनवाए थे.
किले में आज मौजूद इमारतों में, 1541 में बनाई गई किला-ए-कुहना मस्जिद है. इसके आंगन में एक तालाब भी था, जिसमें फव्वारा लगा था.
इस मस्जिद को लोदी शैली से मुगल शैली में परिवर्तन की मिसाल के तौर पर देखा जाता है. मस्जिद के पास ही लाल बलुआ पत्थर से बनी दो मंजिल इमारत है, जिसे शेर मंडल कहते हैं.
दिल्ली पर्यटन विभाग द्वारा हर शाम एक नया लाइट एंड साउंड शो आयोजित किया जाता है.
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कुतुब मीनार दिल्ली के प्रमुख पर्यटन स्थल ( Delhi Tours ) में आता है. यह 12वीं से 13वीं शताब्दी में बनाई गई थी, यह 72.5 मीटर ऊंची इमारत है.
दुनिया की सबसे लंबी ईट से यह इमारत बनाई गई है. इसे लाल बलुआ पत्थर और संगमरमर से बनाया गया है.
कुतुब मीनार अफगान तुर्कों की दिल्ली में जीत की निशानी है.
Delhi के महरौली में कुतुब मीनार स्थित है. इसे 1993 में यूनेस्को की विश्व धरोहर स्मारक में शामिल किया गया था.
कुतुब मीनार के परिसर में कुवत उल इस्लाम मस्जिद मौजूद है. इसका निर्माण भी कुतुबुद्दीन ऐबक ने हिन्दू मंदिर तोड़कर करवाया.
सुरक्षा कारणों से पर्यटकों को कुतुब मीनार यानी टॉवर पर चढ़ने की अनुमति नहीं है.
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इंडिया गेट मुख्य रूप से सैनिकों का स्मारक है. इसे लुटियंस द्वारा डिजाइन किया गया था. 42 मीटर ऊंची संरचना द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान शहीद हुए सैनिकों के सम्मान में एक युद्ध स्मारक है.
12 फरवरी 1931 को इंडिया गेट बनकर तैयार हुआ था. इसकी ऊंचाई की बात करें तो यह 42 मीटर है और इसे बनाने में 10 साल लगे थे.
यह स्मारक नई दिल्ली में राजपथ मार्ग पर स्थित है, जो भारत की विरासत के रूप में जाना जाता है. शुरुआत में इस स्मारक का नाम ‘ऑल इंडिया वॉर मेमोरियल’ रखा गया था.
इंडिया गेट का निर्माण लाल बलुआ पत्थर और ग्रेनाइट से किया गया है. इंडिया गेट पर बनी अमर जवान ज्योति लगातार 1971 से जल रही है.
अमर जवान ज्योति का निर्माण आजादी के बाद हुआ. 3 दिसम्बर 1971 से 16 दिसम्बर 1971 तक पूर्वी पाकिस्तान में मुक्ति संग्राम के समय भारतीय सेना का पाकिस्तान का साथ टकराव (1971 का इंडो-पाक युद्ध) हुआ था.
इस युद्ध में विजय के प्रतीक के तौर पर अमर जवान ज्योति का निर्माण किया गया.
दिल्ली के नेहरू प्लेस में स्थित लोटस टेंपल एक बहाई उपासना मंदिर है, जहां न ही कोई मूर्ति है और न ही किसी प्रकार की पूजा पाठ की जाती है.
लोग यहां आते हैं शांति और सुकून का अनुभव करने. कमल के समान बनी इस मंदिर की आकृति के कारण इसे लोटस टेंपल कहा जाता है.
इसका निर्माण सन 1986 में किया गया था. यही वजह है कि इसे 20वीं सदी का ताजमहल भी कहा जाता है.
मंदिर आधे खिले कमल की आकृति में संगमरमर की 27 पंखुड़ियों से बनाया गया है, जोकि 3 चक्रों में व्यवस्थित हैं.
मंदिर चारों ओर से 9 दरवाजों से घिरा है और बीचों-बीच एक बहुत बड़ा हॉल स्थित है. जिसकी ऊंचाई 40 मीटर है इस हॉल में करीब 2500 लोग एक साथ बैठ सकते हैं.
राष्ट्रपति भवन वह घर जिसमें भारत के राष्ट्रपति रहते हैं. जो राष्ट्रपति निवास के नाम से भी जाना जाता है, इटली के रोम स्थित क्यूरनल पैलेस के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा निवास स्थान है.
राष्ट्रपति भवन को एडविन लुटियन द्वारा डिजाइन किया गया था और 1931 में दिल्ली में ब्रिटिश सत्ता का केंद्र बिंदु बनाया गया था.
मूल रूप से वाइसराय हाउस कहा जाता है, राष्ट्रपति भवन में 4.5 एकड़ भूमि का एक क्षेत्र शामिल है.
इसमें 340 कमरे, 37 सैलून, 74 लॉबी और लॉगजीस, 18 सीढ़ियां और 37 फव्वारे हैं. राष्ट्रपति भवन में सबसे शानदार कमरा दरबार हॉल है, जो मुख्य गुंबद के नीचे स्थित है.
सभी महत्वपूर्ण भारतीय राज्य और आधिकारिक समारोह यहां आयोजित किए जाते हैं.
प्रत्येक वर्ष फरवरी के महीने में राष्ट्रपति भवन के पीछे बने मुगल गार्डन को उद्यानोत्सव नाम के त्योहार के दौरान जनता के लिए खोला जाता है.
इसमें अलग-अलग आकार वाले कई गार्डन हैं जैसे आयता कार, लंबा और गोलाकार.
राजघाट नई दिल्ली में स्थित एक स्मारक है, भारत के राष्ट्र पिता महात्मा गांधी को समर्पित है. इस स्मारक को बिरला हाउस में गांधी जी की हत्या के बाद के बनाया गया था.
पहले यमुना नदी के तट पर एक प्राचीन घाट को राज घाट कहा जाता था. राज घाट मुख्य रूप से बारह फीट चौकोर मंच है जिसका निर्माण काले संगमरमर से किया गया है.
यह मंच उस जगह का प्रतिनिधित्व करता है जहां महात्मा गांधी की मृत्यु के बारे उनका अंतिम संस्कार किया गया था. तभी से इस स्थान पर भारतीय और विदेशी लोग राष्ट्र पिता को सम्मान देने के लिए आते हैं.
जो भी पर्यटन राज घाट की यात्रा करते हैं उन्हें यहां प्रवेश करने से पहले अपने जूते को उतारना अनिवार्य है.
हुमायूं का मकबरा हुमायूं की याद में उनकी पत्नी हामिदा बानो बेगम साल 1562 में बनवाना शुरू किया था जबकि संरचना का डिज़ाइन मीरक मिर्ज़ा घीयथ नामक पारसी वास्तुकार ने बनाया था.
मकबरे को हुमायूं की मृत्यु के नौ साल बाद बनवाया गया था. दिल्ली का हुमायूं का मकबरा लोधी रोड और मथुरा रोड के बीच पूर्वी निज़ामुद्दीन के इलाके में स्थित एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण केंद्र है और 1993 में इसे यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर के रूप में घोषित किया गया.
भारत में मुगल स्थापत्य कला का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है.
संसद भवन, विश्व के किसी भी देश में उपस्थित वास्तुकला का एक बेहतरीन उदाहरण है. इसका डिजाइन उस समय के मशहूर वास्तुकार लुटियंस ने किया था और इसका निर्माण कार्य सर हर्बर्ट बेकर के निरीक्षण में संपन्न हुआ था.
गोलाईदार गलियारों के कारण शुरू में सर्कलुर हाउस कहा जाता था. वन के केंद्र में सेंट्रल चैंबर है, और इसके चारों ओर अर्धवृत्ताकार हॉल हैं.
इमारत बड़े गार्डनों से घिरी हुई है और परिधि को बलुआ पत्थर की रेलिंग से.
दिल्ली के जामा मस्जिद को मुगल सम्राट शाहजहां ने बनवाया था. इस मस्जिद के निर्माण का काम वर्ष 1650 में शुरू हुआ था और यह 1656 में बनकर तैयार हुई थी.
इस मस्जिद के बरामदे में करीब 25 हजार लोग एक साथ नमाज पढ़ सकते हैं. इस मस्जिद का उद्घाटन बुखारा (वर्तमान के उज्बेकिस्तान) के इमाम सैयद अब्दुल गफूर शाह बुखारी ने किया था.
जामा मस्जिद को पांच हजार से ज्यादा मजदूरों ने मिलकर बनाया था. इसमें प्रवेश के लिए तीन बड़े दरवाजे हैं. मस्जिद में दो मीनारें हैं जिनकी ऊंचाई 40 मीटर (करीब 131.2 फीट) है.
जंतर मंतर आधुनिक कला की एक कला दीर्घा प्रतीत होता है. यह जयपुर के सवाई जिया सिंह द्वितीय (1699 – 1743) द्वारा बनाई गई वेध शाला है. जंतर मंतर उन पांच वेधशालाओं में से प्रथम है जिसे विशाल मेस्नरी उपकरणों के साथ उन्होंने निर्मित कराया.
इस वेधशाला में सम्राट यंत्र है, जो समान घंटों में सूर्य की घड़ी है. यहां स्थित राम यंत्र ऊंचाई संबंधी कोणों को पढ़ने के लिए है.
जय प्रकाश यंत्र सूर्य की स्थिति को जानने तथा अन्य नक्षत्रीय पिंडों की स्थिति को सुनिश्चित करने के लिए है और यहां बनाया गया मिश्र यंत्र चार वैज्ञानिक उपकरणों का एक संयोजन है.
सफदरजंग मकबरा अवध के नवाब ने अपने पिता के लिए बनवाया था. संरचना अपने समय की वास्तुकला का सबसे अच्छा उदाहरण है
मिर्जा मुक़ीम अबुल मंसूर खान यानि सफ़दरजंग की याद में बनाया गया “सफदरजंग का मकबरा” बलुआ और संगमरमर पत्थर से बना है.
इस मकबरे का परिसर चारबाग शैली में बना हुआ है. चारों ओर से घिरे हरे-भरे पेड़ पौधे और मकबरे के सामने बना छोटा-सा पानी का कुंड इसकी सुन्दरता को और बढ़ाते हैं.
अवध के नवाब मिर्जा मुक़ीम अबुल मंसूर खान को “सफदरजंग” का खिताब प्राप्त था. उन्हीं के मकबरे के तौर पर सन् 1753-54 में उनके बेटे शुजा-उद-दौला ने इस स्मारक का निर्माण कराया गया था.
सफदरजंग मुगल शासक मोहम्मद शाह के अधीन रहा था.
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