How to use Google Map: दोस्तों, टेक्नोलॉजी की दुनिया में हम सभी मशीनों पर डिपेंड होते जा रहे हैं. हमारे ईर्द-गिर्द मोबाइल ऐप्लिकेशन से लेकर मशीनों तक का ऐसा जाल बन चुका है कि इनके बिना हमारी जिंदगी अधूरी सी लगती है. ऐसा ही एक ऐप है Google Map. आज हम जानेंगे कि किस तरह गूगल मैप का इस्तेमाल करना (How to use Google Map) चाहिए, ताकि हम किसी मुश्किल में न पड़ें. हम आगे बढ़ें उससे पहले बता दें कि इस आर्टिकल का मकसद किसी भी ब्रैंड की छवि को नुकसान पहुंचाने का नहीं है.
आज Google Map हम सभी की लाइफलाइन बन चुका है. कहीं भी ट्रैवल करना हो, तो हम तुरंत Google Map लगाते हैं और चल पड़ते हैं सफर पर… हालांकि कई बार इसपर आंख मूंदकर यकीन करने से हम मुश्किल में भी फंस सकते हैं. हमारे साथ मुरैना की यात्रा में ऐसा ही हुआ. घने जंगल, बीहड़ वाली जगह हमने कई बार ऐसा हुआ जब हम सफर में Google Map के भरोसे आगे बढ़े लेकिन सही जगह नहीं पहुंच सके…
पहली बार Google Map ने हमे तब गच्चा दिया जब हम ईश्वरा महादेव मंदिर (Ishwara Mahadev Mandir) के रास्ते में थे… दूसरी बार तब हम जब शनिचरा महादेव मंदिर (Shanichara Mandir Morena) से सुबह सुबह पान सिंह तोमर के गांव (Paan Singh Tomar Village Bhidosa) के लिए निकले थे और तीसरी बार की कहानी तो सबसे भयंकर थी… हम मुरैना से दिल्ली आने के लिए Google Map को फॉलो करते हुए जब चंबल नदी (Chambal River) तक पहुंचे, तब देखा कि वहां तो पुल है ही नहीं… जबकि Google Map हमें पुल दिखा रहा था..
इस वीडियो में आप इन्हीं 3 किस्सों के बारे में जानेंगे… आपकी यात्रा में कोई परेशानी न आए इसलिए हमारी सलाह है कि दूर दराज की जगहों पर स्थानीय लोगों से भी रास्ते को एक बार जरूर पता करें…
सबसे पहले किस्सा ईश्वरा महादेव का… कैलारश से ईश्वरा महादेव मंदिर लगभग 23 किलोमीटर दूर है. इसमें 15 किलोमीटर का रास्ता निर्जन और वीराना है. ये पहाड़गढ़ का इलाका है. दूर तक घने जंगल हैं. यहां मुख्य सड़क का काम चल रहा था. इस रास्ते से एक सड़क अंदर ईश्वरा महादेव मंदिर के लिए जाती है. यहीं कोने पर एक साइनबोर्ड लगा है जिसमें मंदिर की कुल दूरी वहां से 2 किलोमीटर बताई जाती है.
ये रास्ता पक्का है. आप जैसे ही पक्के रास्ते को पाने की खुशी में झूमते हैं, तुरंत ही ये रास्ता खत्म भी हो जाता है और फिर शुरू होता है असली संघर्ष. आपको पता ही नहीं होता कि जाना कहां है… Google Map जहां पक्का रास्ता खत्म होता है, वहीं कह देता है- यू हैव अराइव्ड.
ऐसे हालात में जंगल के बीच आप भटक सकते हैं. मदद के लिए किसी स्थानीय बाशिंदे या यात्री से जरूर पता कर लें…
Google Map के साथ हमारे भटकाने वाले सफरनामे की दूसरी कहानी सफर आखिरी दिन घटी… इस दिन हमें सुबह सुबह पान सिंह तोमर के गांव निकलना था… हमने मैप लगा लिया… लेकिन गूगल हमें पहाड़ी के उस रास्ते पर ले गया, जहां शनिचरा मंदिर की पैदल परिक्रमा होती है.
गनीमत ये रही कि हम वक्त से पहले भांप चुके थे कि हम गलत रास्ते पर है…
इसके बाद हम वापस आए और स्थानीय लोगों से पता करके सही रास्ते पर आगे बढ़े…
अब आते हैं तीसरे किस्से पर. ये सबसे ज्यादा तकलीफभरा था. पान सिंह तोमर के गांव भिड़ौसा से निकलकर हमने अंब पोरसा के रास्ते आकर चंबल नदी को पार करने का विकल्प चुना. दरअसल, ये रास्ता छोटा था और इसलिए हम वापस मुरैना नहीं आए…
डेढ़-दो घंटे बाद जब हम चंबल नदी पहुंचे तो देखते हैं कि वहां तो पुल है ही नहीं… वहां एक पुल का काम चल रहा था… शायद Google Map पुराने पुल को दिखा रहा था जो बह गया था या टूट गया था…
यहां हिम्मत जवाब दे गई. पेट्रोल भी खर्च हुआ और लगभग 4 घंटे भी बर्बाद हुए. इसी वजह से दिल्ली पहुंचते पहुंचते हमें आधी रात हो गई. अन्यथा हम रात को 7 बजे वहां पहुंच चुके होते.
दोस्तों, Google Map निश्चित ही हमारे जीवन की लाइफलाइन है लेकिन हमने इस एक्सपीरियंस से यही सीखा कि हमेशा लोकल लोगों से पूछें जरूर, ताकि आप कंफर्म हो जाएं कि मशीन सही कह रही है या नहीं…
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