समुद्री तट से 2723 मीटर की ऊंचाई पर स्थित देवप्रयाग (Devprayag), उत्तराखण्ड के टिहरी गढ़वाल (Tehri Garhwal) जिले का प्रमुख धार्मिक स्थान है। अलकनंदा (Alaknanda) और भागीरथी (Bhagirathi) नदियों के संगम पर स्थित, इस शहर को संस्कृत में पवित्र संगम के नाम से संबोधित किया गया है। 7वीं सदी में देवप्रयाग ब्रह्मपुरी, ब्रह्म तीर्थ और श्रीखण्ड नगर जैसे कई अलग-अलग नामों से जाना जाता था। उत्तराखण्ड के रत्न के रूप में जाना जाने वाला ये शहर प्रसिद्ध हिंदू संत देव शर्मा के नाम पर अंकित है। कहा जाता है कि भगवान राम और उनके पिता राजा दशरथ ने यहां पर घोर तपस्या की थी।
देवप्रयाग में क्या क्या देखें ( Where to Travel in Devprayag )
चंद्रबर्दनी मंदिर (Chandrabadni Temple)
चंद्रबर्दनी मंदिर देवप्रयाग का प्रमुख धार्मिक स्थान है। ये मंदिर शक्ति का दूसरा रूप माने जाने वाली देवी सती को अर्पित है। मंदिर के अंदर हिंदू देवी सती की प्रतिमा स्थापित है। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस स्थान पर देवी सती का धड़ गिर गया था, जिसके कारण उनके सारे शस्त्र यहां पर बिखर गए थे। श्रद्धालु मंदिर के बाहर कई प्राचीन मूर्तियां और लोहे के त्रिशूल देख पाएंगे। इसके अलावा यात्री यहां से बद्रीनाथ, केदारनाथ और सिरकंदा पहाड़ों की चोटियां भी देख सकेंगे।
झूलता पुल (Jhulta Pul)
भागीरथी और अलकनंदा नदियों पर बना ये झूलता पुल देवप्रयाग का प्रमुख आकर्षण है। इन पुलों से सैलानी इस पूरे शहर के सुंदर नजारों को देख सकते हैं।
दशरथशीला मंदिर (Dashrathshila Temple)
शांता नदी के किनारे बना दशरथशिला मंदिर, देवप्रयाग का पुराना और प्रचलित धार्मिक स्थान है, इसका नाम दशरथ की बेटी के नाम पर रखा गया था। कहा जाता है कि भगवान राम के पिता दशरथ ने यहां पर घोर तपस्या की थी। कहते हैं कि मंदिर के पास स्थित छोटी सी पहाड़ी है जो कि राजा दशरथ का सिंहासन हुआ करती थी।
रघुनाथ मंदिर (Raghunath Mandir)
देवप्रयाग का रघुनाथ मंदिर हिंदुओं का पवित्र धार्मिक स्थान है। ये प्राचीन मंदिर हिंदू भगवान राम को अर्पित है, और इस मंदिर में भगवान राम की मूर्ति के साथ सीता मां और लक्ष्मण की मूर्ति भी स्थापित है। कहते हैं कि सालों पहले कुल्लू के राजा जगत सिंह ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था। साल 1835 में जम्मू और कश्मीर साम्राज्य के संस्थापक महाराजा गुलाब सिंह ने मंदिर की वर्तमान संरचना का निर्माण कार्य आरंभ किया। लेकिन महाराजा गुलाब सिंह के पुत्र महाराजा रणबीर सिंह ने 1860 में इस निर्माण कार्य को पूरा किया था। मंदिर की अंदर की 3 दीवारों पर सोने की परत लगाई गई है, जिस पर हिंदू भगवान राम और कृष्ण के जीवन के चित्र चित्रित है। मंदिर के सारे कार्यकलाप तेलुगु बोली बोलने वाले पुजारी करते हैं।
तीन धारा (Teen Dhara)
ये ऋषिकेश देवप्रयाग राजमार्ग पर स्थित एक रेस्टिंग प्लेस है। यहां पर नदियों की तीन धाराएं मिलती हैं और इन्हें एनएच 58 से देखा जा सकता है।
देवप्रयाग कैसे पहुंचे ( How to reach Devprayag )
देवप्रयाग (Devprayag) जाने के लिए कई रास्ते हैं जिसमें सड़क, हवाई और ट्रेन तीनों शामिल है, आप इन तीनों में से किसी भी माध्यम से वहां पहुंच सकते हैं। अगर आप सड़क मार्ग से देवप्रयाग (Devprayag) जाना चाहते हैं तो ये जगह, आसपास के कई बड़े शहरों से बसों के द्वारा जुड़ा हुआ है। देवप्रयाग (Devprayag) उत्तरकाशी, देहरादून, हरिद्वार, मसूरी से आसानी से पहुंचा जा सकता है। वहीं अगर आप ट्रेन के जरिये यहां आना चाहते हैं तो सबसे पास हरिद्वार रेलवे स्टेशन है, जो कि देवप्रयाग (Devprayag) से 94 किलोमीटर दूर है। लेकिन आपको रेलवे स्टेशन से आसानी से बसें और कैब मिल जाएंगी, जो कि देवप्रयाग (Devprayag) तक जाती है। वहीं अगर बात करें हवाई मार्ग की तो देवप्रयाग से सबसे नजदीकि हवाई अड्डा देहरादून का जॉली ग्रांट हवाई अड्डा है, जो कि 116 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, यहां से आपको बसें और कैब मिल जाएंगी।
कब जाएं देवप्रयाग ( BEst time to Visit Devprayag )
यहां पर सर्दियों के मौसम में काफी ज्यादा ठण्ड होती है। जबकि गर्मियों में यहां का वातावरण बहुत मधुर और सुहावना बना रहता है। सैलानी साल के किसी भी मौसम में देवप्रयाग के दर्शन करने जा सकते हैं। लेकिन गर्मियों में ज्यादा बेहतर रहता है।
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