Bareilly Travel Guide – झुमका गिरा रे बरेली के बाजार में, ये गीत तो आपने खूब सुना होगा लेकिन इस गाने में जिस बरेली की बात हो रही है, कभी वहां पर घूमकर आने का प्लान बनाया है? आइए, आज हम आपको यूपी के इस झुमके वाले शहर यानी Bareilly Travel Guide के बारे में बताते हैं. यूं तो उत्तर प्रदेश का बरेली जिला प्राचीन इतिहास की धरोहर है, लेकिन बॉलीवुड के एवरग्रीन गाने झुमका गिरा रे…ने इस शहर को देश के कोने-कोने में बैठे लोगों के बीच बहुचर्चित बना दिया. रामगंगा तट पर बसा यह शहर कभी, रोहिलखंड के ऐतिहासिक क्षेत्र की राजधानी था.
बरेली शहर ने जरी से कारीगरी, बांस फर्नीचर से लेकर व्यापार के हर क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाई है. यहां का सुरमा भी किसी पहचान का मोहताज नहीं है. दूर-दूर से लोग यहां से सुरमा लेकर जाते हैं. उत्तर प्रदेश का आठवां सबसे बड़ा महानगर बरेली है. आज हम आपको इस लेख के जरिए बताएंगे बरेली की 10 मशहूर जगहें के बारे में आगर बरेली जाएं तो जरूर घूमें.
लखनऊ और दिल्ली के बीच स्थित बरेली को नाथ नगरी भी कहा जाता है, जिसका एक कारण है कि बरेली शहर की चारों दिशाओं में भगवान शिव के मंदिर स्थित है. इन्हीं में से एक है अलखनाथ मंदिर, जो कि बरेली-नैनीताल रोड पर किले के करीब स्थित है और ये मंदिर आनंद अखाड़े द्वारा संचालित है.
इस मंदिर को नागा साधुओं की भक्तस्थली भी कहते हैं. इस मंदिर का भी काफी महत्व है. मंदिर परिसर में कई मठ है जिसमें विभिन्न देवी-देवताओं को अधिष्ठापित किया गया है. गाय, ऊंट और बकरी जैसे मवेशी यहां पाले जाते हैं. ये मंदिर हमेशा भजनों में रमें श्रद्धालुओं से भरा रहता है.
अलखनाथ मंदिर करीब 96 बिगाह परिसर में फैला हुआ है. वैसे तो यहां भक्तों का तांता लगा रहता है, लेकिन सावन के महीनों में यहां की रौनक देखने वाली होती है. इस मंदिर के बारे में प्राचीन मान्यता है कि वर्षों पहले वैदिक धर्म की रक्षा के लिए इस मंदिर का निर्माण किया गया था.
जब मुगल शासनकाल में हिंदुओं को प्रताड़ित किया जा रहा था और उनका जबरन धर्मांतरण कराया जा रहा था, तब नागा साधुओं ने धर्म की रक्षा के लिए आनंद अखाड़े के बाबा अलाखिया को बरेली भेजा था. बाबा अलाखिया के नाम पर ही इस मंदिर का नाम अलखनाथ मंदिर पड़ा है.
Bareilly Travel Guide का हमारा सफर अब एक ऐसी जगह पहुंच चुका है जो कि बरेली के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है. हम बात कर रहे हैं, बरेली के प्रसिद्ध त्रिवटी नाथ मंदिर की, जो कि टिवरी नाथ मंदिर के नाम से भी प्रसिद्ध है. ये मंदिर प्रेमनगर इलाके में स्थित है. कहते हैं यहां दर्शन मात्र से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. इस मंदिर की मान्यता है कि एक चारवाह त्रिवट वृक्षों की छाया में सो रहा था.
तभी उसके सपने में भगवान भोलेनाथ आए और उससे कहने लगे कि मैं यहां विराजामान हूं और खुदाई करने पर दर्शन दूंगा. जब चारवाह जागा तो उसने भालेनाथ के आदेश का पालन किया और खुदाई शुरू कर दी. तभी त्रिवट वृक्ष के नीचे शिवलिंग के दर्शन हुए. उस समय से इस मंदिर का नाम त्रिवटी नाथा पड़ा. कहते हैं यह शिवलिंग करीब 600 साल पुराना है. इस मंदिर में हर साल देश के प्रसिद्ध संतों का प्रवचन भी होता है. जिन्हें सुनने के लिए यहां पर लोगों की भारी भीड़ उमड़ती है.
बरेली के आंवला तहसील रामनगर में स्थित अहिच्छत्र फोर्ट का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ है. यहां दक्षिण पांचाल का उल्लेख मिलता है. पांचाल की राजधानी द्रुपद नगर था. राजा द्रुपद की पुत्री द्रोपदी का स्वयंवर यहां रचाया गया था. 100 ई.वी के आसपास यहां मित्र राजाओं का राज्य था. 1662-63 में तीन टीलों की खोज हुई थी, यहां स्तूप भी पाया गया.
आज यह टीला खंडहर के रूप में दिखाई पड़ता है, जिसके बीचों-बीच पहाड़ीनुमा टीले पर भीम शिला खंड है, जिसे भीम गदा कहा जाता है. यह टीला पुरातत्व विभाग के अधिकार क्षेत्र में है. कहते हैं अगर बरेली आएं हैं और अहिच्छत्र फोर्ट नहीं आएंगे, तो आपका सफर अधूरा ही रहेगा, क्योंकि बरेली का इतिहास अगर जानना है तो यहां जाना तो बनता है.
सर्वधर्म सद्भाव भी भावना से बरेली शहर भी अछूता नहीं है. यहां का क्राइस्ट मेथोडिस्ट चर्च इसका जीता-जागता उदाहरण है, जो कि सिविल लाइन्स में है. ये चर्च 145 साल पुराना है. कहते है इस चर्च के साथ ही इंडिया में मैथोडिज्म की शुरुआत हुई थी. डॉक्टर विलियम बटलर जो कि एक ब्रिटिश मिशिनरी थे, उन्होंने इस चर्च की नींव रखी थी. क्राइस्ट मेथोडिस्ट चर्च किसी भी बाहर के डोनेशन को नहीं लेता है, बल्कि कम्यूनिटी के लोग ही डोनेशन इकट्ठा करते हैं. यहां पर जगह-जगह पर कोड्स लिखे हुए हैं, तो कुछ न कुछ सीख देते हैं. इस चर्च को भी देखने लोग दूर दूर से आते हैं.
अब हम आपको बरेली की दरगाह आला हजरत ले चलते हैं. दरगाह-ए-अला हज़रत अहमद रजा खान की दरगाह है, जो 19वीं शताब्दी के हनीफी विद्वान थे, जो भारत में वहाबी विचारधारा के कट्टर विरोध के लिए जाने जाते हैं. ऐसी मान्यता है कि अगर यहां आप कोई मन्नत लेकर आते हैं, तो वो मन्नत जरूर पूरी होती है. जब भी कोई बरेली आता है, तो इस दरगाह में अर्जी लगाना नहीं भूलता है.
बरेली की खानकाह नियाजिया की भी अलग पहचान है. जो लोग किसी कारण से अजमेर में ख़्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती नहीं जा पाते वो यहां आते हैं. ख़्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के उर्स मुबारक के मौके पर बरेली की खानकाह नियाजिया में हर साल कुल शरीफ की रस्म अदा की जाती है. वैसे तो हज़रत ख्वाजा गरीब नवाज़ का उर्स पूरी दुनिया में मनाया जाता है लेकिन बरेली की खानकाह नियाजिया की अहमियत इसलिए भी है क्योंकि यहां ख्वाजा गरीब नवाज़ के रूहानी जानशीन हज़रत शाह नियाज़ बे नियाज़ की दरगाह भी है.
भारत में फनसिटी नाम के कई मनोरंजक पार्क हैं, लेकिन बरेली का फन सिटी पार्क उत्तर भारत में सबसे बड़ा है. सभी आयु वर्ग के लोगों के लिये पार्क में मनोरंजन की भरपूर सुविधाएं उपलब्ध हैं. इसलिए यह न सिर्फ बरेली में रहने वाले लोगों के लिए बल्कि पर्यटकों के लिए भी आराम फरमाने और कुछ फुर्सत के पल बिताने के लिए लोकप्रिय जगह है. बता दें कि यह सुबह 11 बजे से शाम के 7 बजे तक खुलता है. तो आप अपनी फैमली, फ्रेंड्स के साथ आइए और यहां पर एन्जॉय कीजिए.
बरेली का गांधी गार्डन भी किसी पहचान का मोहताज नहीं, शहर के अधिकतर लोगों का यहां आना होता है. यहां लहराता 135 फीट ऊंचा तिरंगा इसकी शान को और बढ़ाए रखता है. ये सिविल लाइन्स बरेली में स्थित है. यहां आपको हर एजग्रुप के लोग दिख जाएंगे, बच्चों से लेकर बूढ़े-बुजुर्ग तक. यहां का वातावरण एकदम शांत हैं, तो अगर आप किसी पीसफुल जगह पर घूमने का मन बना रहे हैं, तो बरेली का गांधी उद्यान एक दम बेस्ट प्लेस होगा.
अब हम आपको सैर कराने वाले हैं, जाफर खान सैलानी रोड की और यहीं वो जगह से जहां से शुरुआत हुई थी बरेली की कढ़ाई और जरी के काम की. बरेली देशभर में अपनी जरी और कढ़ाई के काम से अच्छी खासी पहचान बना चुका है. आधुनिक मशीनों के कारण कढ़ाई के काम को बढ़ावा जरूर मिला है. हालांकि आज भी नए और पेंचिदा डिजाइन्स और सैमप्लस के लिए जो मशीन नहीं बना सकती है, उन्हें यहां के कारीगर बड़ी ही सफाई से बना देते हैं. हैंडमेड कढ़ाई की खूबसूरती और बारीकी, दूर-दूर से लोगों को यहां खींच लाती है. यहां की संकरी गलियों से शुरू हुआ यह काम बरसों से पीढ़ी दर पीढ़ी चलता आ रहा है. सही मायनों में यहां के कारीगरों ने अपनी पारिवारिक धरोहर को संभाल कर रखा है.
अब अगर खरीददारी की बात करें, तो पंजाबी मार्केट यहां की फेमस मार्केट हैं, जो कि शहर के बिल्कुल बीचों-बीच है. यहां आप इंटरनेशनल ब्रांड से लेकर स्ट्रीट शॉपिंग तक के मजे उठा सकते हैं. बच्चों से लेकर महिलाओं और पुरुष हर किसी के लिए अब यहां से शॉपिंग कर सकते हैं. इस मार्केट के लिए कहा जाता है कि देश के बंटवारे के बाद पंजाबी फैमिली के लोगों ने यहां आकर अपनी दुकानें लगाईं, यहां पर ज्यादातर दुकानें पंजाबियों की हैं, इसलिए इसका नाम पड़ गया पंजाबी मार्केट.
अगर आप खाने-पीने के भी शौकीन है, तब भी यहां आना आपके बेस्ट रहेगा, क्योंकि यहां आपको खाने-पीने के लिए स्वादिष्ट आइटम मिल जाएंगे. इसके अलावा इस मार्केट से महज पांच मिनट की दूरी पर एक और मार्केट है, जिसका नाम है बड़ा बाजार. यहां आपको ट्रेडिशनल कपड़ों का अच्छा खासा स्टॉक मिल जाएगा, कई सारे वेसाइटी भी मिल जाएगी. ज्यादातर लोग शादी-फंग्शन भी शॉपिंग के लिए बड़ा बाजार आया करते हैं.
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