Sita ki Rasoi का क्या है सच? Ram Mandir के साथ क्यों बार-बार आता है इसका नाम?
Sita ki Rasoi सीता की रसोई सही मायने में कोई रसोई नहीं बल्कि मंदिर है.सीता रसोई राम जन्म भूमि के उत्तर पश्चिम भाग में है. इस मंदिर में मर्यादा पुरुषोत्तम राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न के साथ साथ सीता, उर्मिला,मांडवी और सुक्रिति की मूर्ति लगी हुई हैं. आम रसोई की तरह इस मंदिर में चकला और बेलन रखे है. जैसे आज भी जव कोई वधू अपने ससुराल जाती है तो वो शगुन के तौर पर पूरे परिवार के लिए खाना बनाती है, ठीक वैसे ही हजारों साल पहले यही रीति और रिवाज परंपरा में थी। क्या देवी सीता ने खाना बनाया था या नहीं इसे लेकर मतभेद है.
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कुछ जानकार कहते हैं कि शगुन के तौर पर उन्होंने खाना बनाया था. लेकिन कुछ विद्धान कहते हैं कि मां सीता ने अपने हाथों से खाना नहीं बनाया था. इस विषय पर तमाम वाद विवाद के बीच एक बात तो साफ है कि आम जनमानस उस सीता रसोई में मां अन्नपूर्णा को देखता है. देवी अन्नपूर्णा के बारे में कहा जाता है कि वो पूरे संसार का पेट भरती थीं. सीता रसोई या सीता मंदिर के बारे में एक रोचक जानकारी ये है कि कथित बाबरी मस्जिद के मुख्य मेहराब पर भी सीता की रसोई लिखा हुआ था जो सीता के अस्तित्व के बारे में बताता है. भगवान राम जब 14 वर्ष के लिए वनवास गए तब चित्रकूट के जंगलों में ही रहते थे. चित्रकूट धाम में आज भी सीता माता की रसोई बनी हुई है. इस रसोई में माता सीता पंच ऋषियों को भोजन खिलाया करती थीं. यह रसोई एक मंदिर की तरह है.
कई प्रकार के व्यंजन बनाती थीं सीता जी
सीता रसोई में तीन तरह की खीर, मटर घुघुरी, कढ़ी, मालपुआ, आलू टिक्की, गोल गप्पे के अलावा थाली भी थी. थाली में चावल, दाल, रोटी के साथ दो तरह की सब्जी परोसी गई. गांव का गुड़ भी लोगों के मन को खूब भाया. जिमीकंद भर्ता का स्वाद बहुत टेस्टी होता है।
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खीर का कमाल
जितना लाजवाब तस्मै खीर का स्वाद था उतना ही दिलचस्प उसे बनाने की विधि भी थी. दरअसल दूध को फाड़कर मोटे चावल के दाने जैसा बना लिया जाता है. इसके बाद दूध में इसे गाढ़ा होने तक चलाते हैं फिर मेवा, काजू, किशमिश और मलाई डालते है. परोसने से पहले उसमें केसर मिलाया जाता है.
वहीं इंद्राणी खीर बनाने के लिए जब दूध फट जाता है तो उसके थक्के से गोला बनाते हैं. फिर उसे चाशनी में पकाते हैं. यह सब यहीं खत्म नहीं होता, कुछ लजीज खाना होता है तो धैर्य भी उतना रखना पड़ता है. अब इसके बाद चाशनी में उसे एक दिन के लिए छोड़ दिया जाता है. फिर मलाई का इस्तेमाल कर विधि अनुसार खीर बनाते हैं, जबकि मेवा खीर में पिस्ता बादाम का प्रयोग होता है.