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दुनिया भर में मशहूर हैं दिल्ली के ये 11 मंदिर, नवरात्रि में यहां रहती है बड़ी धूम

Navratri Festival in India | Delhi Devi Temples | Delhi Jhandewalan Temple | Delhi Chhatarpur Temple | Navratri Puja in Delhi – भारत की राजधानी दिल्ली (Delhi) हमेशा से ही देशी और विदेशी पर्यटकों में खासा प्रचलित रही है। चकाचौंध से भरी इस नगरी में प्राचीन और आधुनिक भारत के मिश्रण का एक अच्छा उदाहरण है। इस शहर में जहां एक और ऐतिहासिक इमारतें भारत और दिल्ली (Delhi) के इतिहास की कहानी सुनाती हैं वहीं दूसरी और बड़े बड़े शॉपिंग मॉल और मॉडर्न इमारतें दिल्ली (Delhi) के आधुनिक रूप को दर्शाती हैं। दिलवालों की दिल्ली (Delhi) कहे जाने वाले इस मेट्रोपोलिटन शहर में देखने और समझने के लिए काफी कुछ है। ऐतिहासिक इमारतें, क़िले, रौनक भरे बाज़ार, हरे भरे उद्यान, बड़े बड़े शानदार शॉपिंग मॉल, होटल, रेस्तरां और चटोरी गालियां, सब कुछ है दिल्ली में। इन सब के अलावा कुछ और भी है जो दिल्ली वालों और दिल्ली (Delhi) घूमने आए पर्यटकों को अपनी ओर खींचता है। श्रद्धा और भक्ति से सराबोर कई विशाल और प्राचीन मंदिर भी दिल्ली के लोगों और पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। इस लेख के माध्यम से आप दिल्ली (Delhi) के प्रसिद्ध मंदिरों के बारे में जानेंगे.

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अक्षरधाम मंदिर: इस मंदिर को स्वामी नारायण अक्षरधाम मंदिर भी कहा जाता है। भगवान स्वामीनारायण को समर्पित यह विशाल मंदिर भारत के सबसे बड़े हिन्दू मंदिर परिसर में से एक है। यह मंदिर भारत की पौराणिक संस्कृति, अध्यात्मिकता और वास्तुकला को दर्शाता है। लगभग 5 वर्षों में बन कर तैयार हुआ यह मंदिर लगभग 100 एकड़ में फैला है और यह करीब 141 फ़ीट ऊंचा हैं। मंदिर में खूबसूरत नक्काशी किये गए 200 से भी ज़्यादा खंबे हैं। इसके अलावा यहां भव्य गजेंद्र की 20,000 मूर्तियां शामिल हैं। अपनी खूबसूरती और विशालता के कारण यह मंदिर गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी शामिल है।

इस्कॉन मंदिर: भगवान कृष्ण और देवी राधा को समर्पित यह मंदिर दिल्ली के ईस्ट ऑफ कैलाश में स्थित है और लोगों के आकर्षण का केंद्र है। इस मंदिर को 1998 में स्थापित किया गया था। इस मंदिर को श्री राधा पार्थसारथी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। मंदिर को मुख्य रूप से चार भागों में बांटा गया है जहां कई कार्यों में प्रयोग किया जाता है। भारत के सबसे बड़े मंदिर परिसर में शुमार इस्कॉन टेम्पल में रोज़ाना 6 आरतियों के साथ कृष्ण भगवान और राधा जी की आराधना की जाती है। यहां देशी पर्यटक और श्रद्धालुओं के अलावा विदेशी भी भारी संख्या में आते हैं। इस्कॉन मन्दिरों में श्री कृष्ण जन्माष्टमी, गौरी पूर्णिमा, रामनवमी,गोवर्धन पूजा और राधाष्टमी को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इस मंदिर के पट सुबह 4.30 बजे खोल दिये जाते हैं और रात 9 बजे बन्द कर दिए जाते हैं।

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कालकाजी मंदिर: माता काली को समर्पित यह मंदिर दक्षिणी दिल्ली के कालकाजी इलाके में स्थित है। 18वीं शताब्दी में निर्मित इस मंदिर की बहुत मान्यता है। इस मंदिर को मनोकामना सिद्ध पीठ के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि यह आने वाले भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं इसीलिए भारी संख्या में यहां भक्तों का आना जाना लगा रहता है। वर्तमान में संगमरमर से सजा यह मन्दिर चारों ओर से पिरामिड के आकार वाले स्तंभों से घिरा हुआ है। नवरात्रो के समय यहाँ की रौनक ही कुछ अलग होती है।

छतरपुर मंदिर: दिल्ली के सबसे बड़े और प्रसिद्ध मंदिरों में से एक छतरपुर मंदिर माता कात्यायनी को समर्पित है। यह मंदिर गुड़गांव मेहरौली मार्ग के पास छत्तरपुर इलाके में स्थित है। इस भव्य मंदिर की स्थापना कर्नाटक के संत बाबा नागपाल जी ने की थी। लगभग 70 एकड़ में फैले इस मंदिर परिसर में देवी कात्यायनी का मंदिर साल में दो बार नवरात्री के मौके पर ही खोला जाता है। नवरात्रों के समय हज़ारों की संख्या में यहां लोग मां के दर्शन करने आते हैं। इस मंदिर के प्रवेश द्वार पर ही एक पुराना पेड़ है जिस पर पवित्र धागे बांधे जाते है। अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए लोग इस पेड़ पर धागे और चूड़ियाँ बांधते है.

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बिरला मंदिर: मशहूर उद्योगपति जी. डी. बिरला द्वारा 1938 में निर्मित यह शानदार मंदिर कनॉट प्लेस में स्थित है। यह मंदिर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी माँ को समर्पित है इसलिए इसको लक्ष्मी नारायण मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। दिल्ली के प्रसिद्ध मंदिरों में शुमार बिरला मंदिर का उद्घाटन भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी द्वारा किया गया था। इस मंदिर की खूबसूरती देखते ही बनती है साथ ही मंदिर में स्थापित भगवान विष्णु और माँ लक्ष्मी की मूर्ति भी बेहद आलौकिक है। यह मंदिर सप्ताह के सातों दिन सुबह 6 बजे से रात के 10 बजे तक खुला रहता है।

कमल मंदिर: 1986 में निर्मित यह मंदिर अपने कमल के फूल रूपी आकर के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है। इसे मदर टेम्पल भी कहा जाता है। कमल पुष्प को शांति, शुद्धता, प्यार और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है इसीलिए इस मंदिर को कमल का आकार दिया गया। यह मंदिर बाह्य धर्म की आस्था और श्रद्धा का सबसे महत्वपूर्ण मंदिर है। यह मंदिर लगभग 40 मीटर लंबा है। मंदिर 9 तालाब से घिरा है जिससे इसकी खूबसूरती और भी बड़ जाती है। यहाँ हर रोज़ बड़ी संख्या में लोग प्रार्थना एवं ध्यान करने तथा निर्धारित समय पर होने वाली प्रार्थना सभा में भाग लेने आते हैं। यह विशेष प्रार्थना हर घंटे में पाँच मिनट के लिये की जाती है। यह मंदिर गर्मियों में सुबह 9 बजे से शाम को 7 बजे तक खुलता है और सर्दियों में सुबह 9.30 बजे से शाम 5.30 बजे तक खुला रहता है।

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झंडेवाला मंदिर: दिल्ली के मध्य में स्थित झंडेवाला मंदिर झंडेवाली देवी को समर्पित एक है। अपने धार्मिक एवं ऐतिहासिक महत्व के कारण राज्य सरकार ने इस मंदिर को दिल्ली के प्रसिद्ध दर्शनीय स्थलों में शामिल किया है। यहाँ लाखों की संख्या में भक्त देश विदेश से दर्शन करने आते हैं। नवरात्रों के दिनों में यह भक्तों की आवाजाही से अच्छी रौनक लगी रहती है। झंडेवाला मंदिर आज जिस स्थान पर स्थित है 18वीं सदी में यहां पर अरावली पर्वत श्रॄंखला की हरी भरी पहाड़ियां और वन हुआ करते थे। ऐसा माना जाता है कि बद्री भगत जो माता के परम भक्त थे उनको माता ने सपने में दर्शन दिये और ज़मीन में मूर्ति के बारे में बताया। इस ज़मीन की जब खुदाई की गई तो ज़मीन के अंदर से झंडे वाली मां की मूर्ति मिली। इसके बाद यहां मंदिर का निर्माण किया गया था। कहा जाता है कि जो सच्चे दिल से माँ की इस मंदिर में आराधना करता है उसकी मनोकामना माँ झंडेवाली ज़रूर पूरी करती है। मंदिर गर्मियों में सुबह 5 बजे से रात 10 बजे तक खुला रहता है और सर्दियों में सुबह 5.30 बजे से 9.30बजे तक खुला रहता है।

दिगंबर जैन मंदिर: पुरानी दिल्ली के चांदनी चौक इलाके में लाल क़िले के पास स्थित यह मंदिर सबसे पुराना जैन मंदिर है। यह मंदिर 23वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ को समर्पित है। दिगंबर जैन मंदिर को ख़ूबसूरत लाल बलुआ पत्थरों से बना है इसलिए इसे श्री दिगंबर जैन लाल मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण 1526 में किया गया था। इस मंदिर में कोई पुजारी नहीं है। बगैर पुजारी वाले इस मंदिर में पूजा करने का अपना एक विधान है। यहां श्रद्धालु स्वयं पूजा करते हैं लेकिन पूजा में उन्हें सहयोग करने के लिए एक व्यक्ति अवश्य होता है, जिसे व्यास कहा जाता है। श्रद्धालुओं के साथ साथ यह मंदिर देशी विदेशी पर्यटकों के बीच भी आकर्षण का केंद्र रहता है।

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गौरी शंकर मंदिर: लाल मंदिर के पास ही स्थित है हिंदुओं का प्रशिद्ध गौरी शंकर मंदिर। करीब 800 वर्ष पुराना यह मंदिर पूर्णतया भगवान शिव को समर्पित है। इतिहास के मुताबिक, इस मंदिर का निर्माण मराठा सैनिक आपा गंगा धर ने करवाया था। एक बार गंगाधर युद्ध में बुरी तरह घायल हो गये थे और अपने अंतिम समय में थे। उस समय गंगाधर ने भगवान शिव शंकर से अपनी जान बचाने की प्रार्थना की और भगवान से एक भव्य मंदिर बनवाने की भी इच्छा जताई। तो भगवान भोलेनाथ ने गंगाधर को मौत के मोह से बचा लिया और भक्त गंगाधर ने अपने जैसे सभी भक्तों के लिए इस भव्य मंदिर का निर्माण करवा दिया। तब से लेकर अब आज तक श्रद्धालु बड़ी संख्या में यहाँ अपनी मुरादें पूरी करवाने आते हैं। मंदिर के अंदर 800 साल पुराना सफेद शिवलिंग है जिस पर चांदी के सर्प लिपटे हुए हैं। मंदिर में अन्य देवी देवताओं की भी भव्य मूर्तियां हैं।

प्राचीन हनुमान मंदिर: दिल्ली के प्राचीन मन्दिरों का जब भी ज़िक्र होता है तो प्राचीन हनुमान मंदिर का ज़िक्र भी ज़रूर होता है। यह मंदिर दिल्ली के कनॉट प्लेस में स्थित है। इस मंदिर की काफ़ी मान्यता है, क्योंकि इस मंदिर में प्रतिष्ठित हनुमान स्वयंभू हैं।मान्यता है कि इं​द्रप्रस्थ की स्थापना के समय पांडवों ने पांच हनुमान मंदिरों को प्रतिष्ठित किया था। यह मंदिर उन्हीं पांच मंदिरों में से एक है। बाद में आमेर, जयपुर के महाराजा मान सिंह और जयसिंह द्वितीय ने इस मंदिर का विस्तार कराया था। एक और मान्यता के अनुसार स्वामी तुलसीदास जी ने हनुमान चालीसा की रचना यहीं हनुमानजी की मूर्ति के दर्शन के पश्चात की थी। तभी मुगल सम्राट ने उन्हें अपने दरबार में बुलाकर कोई चमत्कार दिखाने का निवेदन किया। तब तुलसीदास जी ने हनुमान जी की कृपा से सम्राट को चमत्कार दिखा कर संतुष्ट किया। सम्राट ने प्रसन्न होकर इस मंदिर के शिखर पर इस्लामी चंद्रमा सहित किरीट कलश समर्पित किया। इसीलिए ही अनेक मुस्लिम आक्रमणों के बावजूद किसी मुस्लिम आक्रमणकारी ने इस इस्लामी चंद्रमा के मान को रखते हुए कभी भी इस मंदिर पर हमला नहीं किया। इस हनुमान मंदिर में लोग बड़ी संख्या में अपनी फर्याद लेकर आते हैं। यह मंदिर हमेशा खुला रहता है। मंगलवार और शनिवार को यहाँ खास तौर से भारी संख्या में श्रद्धालु आते हैं।

गुफ़ा वाला मंदिर: पूर्वी दिल्ली के प्रीत विहार में स्थित शिव मंदिर जो कि ‘गुफ़ा वाले मंदिर’ के नाम से भी प्रसिद्ध है, दिल्ली के सबसे प्रसिद्ध और सुंदर मंदिरों में से एक है।यह मंदिर करीब 22 साल पुराना है। इस मंदिर का मुख्य आकर्षण भगवान गणेश और हनुमान जी की विशाल मूर्ति हैं। इस मंदिर में एक बड़ी गुफा है जो वैष्णो देवी मंदिर का अनुभव कराती है। गुफ़ा के अंदर माता वैष्णो देवी और भगवान हनुमान की भव्य मूर्ति है। गुफ़ा के बाहर भगवान शिव की एक मूर्ति स्थापित है। नवरात्रों और दुर्गा पूजा के दौरान यहाँ विशेष पूजा की जाती है जिसके लिए भक्तों की भारी भीड़ यहाँ आती है।

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दिल्ली में ऐसे कई मंदिर हैं जो लोगों में खासे प्रचलित हैं। हर मंदिर की अपनी खासियत और मान्यता है जिस कारण श्रद्धालु उन मंदिरों में भारी मात्रा में पूजा अर्चना करने जाते हैं।

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