Vidya Kund Ayodhya : मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की जन्मस्थली अयोध्या एक ऐसा शहर है जिसके कण कण में भगवान श्री राम बसते हैं . अयोध्या के हर महत्वपूर्ण मंदिर और प्राचीन इमारतों से कही न कही भगवान श्रीराम का संबंध रहा है, ऐसी ही एक प्राचीन जगह विद्या कुंड (Vidya Kund Ayodhya) है. अयोध्या का विद्या कुंड मंदिर बेहद महत्वपूर्ण है.
पौराणिक मान्यता के अनुसार यह कहा जाता है की मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम ने अपने तीनों भाइयों के साथ गुरु वशिष्ठ से इस स्थान पर शिक्षा ग्रहण की थी. इसी कारण इस प्राचीन मंदिर में वर्ष के 12 महीने श्रद्धालुओं की भीड़ जमा रहती है . वहीं गुरु पूर्णिमा के मौके पर इस प्राचीन मंदिर में एक विशाल मेले का आयोजन भी किया जाता है. जिस में शामिल होने देश के कोने-कोने से भक्त श्रद्धालु अयोध्या पहुंचते हैं.
विद्या कुंड के पवित्र जल को पीने से मिलती है विद्या और वैभव || Vidya Kund Holy Water
अयोध्या के थाना राम जन्मभूमि से कुछ दूरी पर स्थित इस प्राचीन मंदिर का महत्व अद्भुत है. ऐसी पौराणिक मान्यता है कि इस स्थान पर स्थापित गुरु वशिष्ठ की प्रतिमा का दर्शन पूजन करने से व्यक्ति को ज्ञान और विद्या की प्राप्ति होती है. वहीं इस मंदिर परिसर में मौजूद पवित्र कुंड के जल से स्नान और आचमन करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है. जिसके चलते बड़ी संख्या में भक्त और श्रद्धालु इस प्राचीन मंदिर में दर्शन करने के साथ इस कुंड के जल को प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं.
प्रसिद्ध विद्या कुंड (Vidya Kund Ayodhya) मंदिर में गुरु वशिष्ठ के आश्रय में शिक्षा ग्रहण करते हुए मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम भाई लक्ष्मण भरत और शत्रुघ्न की सुंदर प्रतिमा बेहद मनोहारी है और भगवान की प्रतिमा का दर्शन करने के लिए बड़ी संख्या में लोग इस मंदिर परिसर में आते हैं.
इस मंदिर में एक खास बात यह भी है इस संगमरमर से बने इस विशाल मंदिर के पिछले हिस्से में उन सभी गुरुओं की प्रतिमा स्थापित है. जिन से मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम ने शिक्षा और दीक्षा ली थी.
इसके अतिरिक्त अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमा भी श्रद्धालुओं के विशेष आकर्षण का केंद्र है. हर वर्ष गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु वशिष्ट के इस आश्रम पर एक वृहद मेले का आयोजन होता है जिस में शामिल होने के लिए दूर-दूर से लोग अयोध्या पहुंचते हैं.
श्री विद्या कुंड के विषय मे यह भी पौराणिक मान्यता है कि यह मान्यता है कि भगवान और पार्वती जी को विद्या कुंड के बारे में बताया कि समस्त पापों को नाश करने वाला सुंदर विद्या कुंड जहां पर अरुंधती के साथ तप तपस्वी वशिष्ठ जी कामधेनु की सेवा और सत्कार करते हैं.
वामदेव जी भी यही वास करते हैं इसी कारण वसिष्ठ कुंड में विधि विधान से स्नान और अन्न वस्त्र दान करके वशिष्ठ जी और वामदेव,अरुंधती की पूजा करनी चाहिये इस कुंड में शास्त्र सम्मत स्नान करने के मनुष्य वशिष्ठ जी के तरह प्रखर ज्ञानवान और शक्तिवान होता है.
यहां पर भगवान विष्णु का पूजन से समस्त पापो का नाश होने से आत्मा शुद्ध होती हैं और विष्णु लोक में स्थान मिलता है. यहां साल में एक बार भादौ शुक्ल पंचमी एवं आषाढ़ी पूर्णिमा में ये सभी धार्मिक अनुष्ठान को करना शुभ होता है.
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