Narad Muni – सभी युगों के अंदर हमें एक पात्र के बारे में जानने के लिए जरूर मिलता है, जिनका जिक्र कई टीवी सीरियल में हुआ है। उन्हें देवताओं के दूत के रूप में भी पहचाना जाता है। वो इस धरती के सबसे बड़े घुमक्कड़ रहे हैं और वो शायद सबसे पहले रिपोर्टर के रूप में भी रहे हैं। उनकी पूरी घुमक्कड़ी के पीछे एक मकसद होता था। वो हमेशा अपनी वीणा के साथ नारायण-नारायण का जाप करते हुए नजर आते थे। वो हर बार सही समय पर सही जगह पर दिखाई देने के लिए काफी मशहूर है, वो कभी भी गुप्त रूप से सुरक्षित नहीं रखने के लिए बदनाम था। गपशप करने की उनकी आदत कई विवादों और द्वंद्वों की जड़ थी।
अगर आपको लगता है कि वो सिर्फ कहानी सुनाने वाले या फिर झगड़ा कराने वाले व्यक्ति की भूमिका निभाते थे तो आप गलत है क्योंकि हम जिसके बारे में बात कर रहे हैं वो नारद मुनि ( Narad Muni ) हैं। वो पुराणों और वेदों के गुरु और एक ऋषि थे। तो ऐसे में आज चलिए नारद मुणि ( Narad Muni ) से जुड़े कुछ अनसुने तथ्यों के बारे में जानते हैं
अपने पिछले जन्म में नारद ( Narad Muni ) एक सामान्य नौकरानी के बेटे थे और वो बड़े होकर भक्तों की सेवा किया करते थे। उनके जन्मदिन को पत्रकार दिवस के रूप में मनाया जाता है क्योंकि माना जाता है कि वो संसार के पहले पत्रकार थे। उन्हें तीनों में से किसी भी दुनिया की यात्रा करने का वरदान मिला हुआ था।वो हर वक्त अपनी वीणा के साथ ही नजर आते थे, जिसे वो काफी पसंद किया करते थे। अपने खाली वक्त में वो वीणा बजाते थे और भगवान विष्णु की तारीफ में गाने गाते थे। पुराणों में लिखा है कि उनकी आवाज काफी अच्छी थी।
Communication जगत में इनको पूजने वाले कई लोग हैं, वो इन्हें अपना गुरु मानते हैं। इन्हें काफी श्रद्धा और भक्ति के साथ पूजा जाता है। रामायण को लिखने में इनकी अहम भूमिका थी। इन्होंने ऋषि वाल्मिकी को रामायण लिखने के लिए भी मनाया था। जब नारद ने भगवान राम की कहानी, और रामायण की बाकी बातों के बारे में उन्हें बताया तो वाल्मीकि ने एक कविता के रूप में महाकाव्य को लिखने के लिए अपनी सहमति की थी।
नारद भगवान विष्णु के एक साथी थे और वो अक्सर उनके साथ उनके विमान गरुड़ में यात्रा पर भी जाते थे। नारद का चीन के साथ नाता हो सकता है। इसके बारे में ऋग्वेद में भी लिखा है कि नारद हूण देश के थे। ये असल में आज की तारीख में उत्तराखंड में चीन की सीमा से लगा हुआ इलाका है।
उनके रहने की जगह थोलिंग मानी जाती है जो कि आज चमोली में 12,200 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। ऐसा माना जाता है कि नारद ने भगवान विष्णु के साथ वहां पर समय बिताया है। नारद काफी जटिल व्यक्तित्व के थे, उन्हें हर कोई नहीं समझ सकता था। वो एक खुश और चंचल चरित्र के रूप में सामने आते थे, लेकिन असल में वो काफी बुद्धिमान थे। उन्हें भगवान विष्णु की तरफ से कई चमत्कारों को पूरा करने का काम सौंपा गया था।
जब जालंधर एक क्रोधी और क्रूर राजा राजा बन गया तो नारद ने चारों तरफ आकर उसे शिव के धन और पार्वती की सुंदरता के बारे में बताया। पार्वती का पीछा करने के कारण वो शिव के हाथों मारा गया था। ऐसा करवाने वाले नारद ही थे।
वो 64 विद्याओं के मास्टर थे। वो चलते-फिरते Encyclopedia थे। वो 12 चिरंजीवियों में से एक हैं। माना जाता है कि नारद आज भी जिंदा है और वो हम सबके बीच में रहते हैं। कहा जाता है कि नारद ही एक ऐसे थे जिन्हें पता होता था कि भगवान क्या सोच रहे थे। वो हमेशा समझ लेते थे कि भगवान क्या करने का प्लान कर रहे हैं।
नारद के भक्ति सूत्र एक मास्टरपीस है। ये ऐसी किताबें हैं जिनका बाकी भक्ति की किताबों से कोई तुलना नहीं है। ये इतनी आसान है कि एक आम इंसान भी समझ लेगा। इन्होंने महाभारत में भी एक अहम भूमिका निभाई है। कहा जाता है कि वो नारद ही थे जिन्होंने पांड्वों के बड़े भाई युधिष्ठिर को धर्म का सही रास्ता दिखाया था। कर्नाटक में नारद को समर्पित एक मंदिर भी है।
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