उदयपुर का बोहरा गणेश मंदिर, जहां भक्तों को पैसे उधार देते हैं भगवान
Bohra Ganesh- गणेश चतुर्थी का पर्व पूरे देश में मनाया जा रहा है, गणपति की स्थापना हर घर में की जा चुकी है और 10 दिनों तक लोग बप्पा की पूजा पूरे श्रद्धा और भक्ति भाव से उनकी पूजा करेंगे. आज गणेश पर्व के मौके पर हम आपको गणेश जी के ऐसे रूप के दर्शन कराएंगे जो (Bohra Ganesh) अपने भक्तों को पैसे उधार देकर उनकी परेशानियों को दूर करते हैं. राजस्थान के उदयपुर जिले में बोहरा गणेश जी का मंदिर जहां किसी भी भक्त का पैसे संबंधित समस्या का निवारण हो जाता है.
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बोहरा गणेश (Bohra Ganesh) जी का मंदिर लगभग 350 साल से भी ज्यादा पुराना है. यहा हर सप्ताह हज़ारों की संख्या में लोग दर्शन करने आते हैं और गणेश चतुर्थी पर ये नंबर्स दोगुने हो जाते हैं इस दिन 2-2.5 लाख लोग दर्शन के लिए आते हैं यहां गणेश जी को छप्पन भोग लगाया जाता है. इस मंदिर को पहले ‘बोरगनेश जी’ बुलाते थे. मंदिर की पॉपुलैरिटी की वजह से ये पूरा इलाका अब बोहरा गणेश जी के नाम से जाना जाता है.
इनका नाम बोहरा इसलिए पड़ा क्योंकि 70-80 साल पहले जिस किसी को भी शादी-ब्याह, बिजनेस के लिए रुपयों की ज़रूरत पड़ती थी तो भक्त यहां आकर एक कागज पर लिख के चला जाता था, और उसे मंदिर रुपये दे देता था (Bohra Ganesh)पर एक शर्त पर उसे ये रुपये ब्याज के साथ लौटाने होते थे. ये काम तब के जमाने में बोहरा लोग बहुत करते थे. मंदिर का निर्माण महाराणा मोखल सिंह ने कराया था. इसलिए इनका नाम बोहरा गणेश जी गया. जब गणपति उन्हें आवश्तानुसार पैसे की मदद करते तो भक्त कुछ समय बाद वह राशि ब्याज सहित प्रभु को लौटा देते थे. अक्सर ब्याज पर पैसे देने का काम बोहरा समुदाय किया करता था तो इसी प्रथा के कारण इनका नाम बोहरा गणेश पड़ा. हालांकि यह प्रथा अब बंद हो चुकी है.
गणेश जी पर क्यों नहीं चढ़ाई जाती तुलसी
आपने शायद कभी ध्यान नहीं होगा लेकिन गणपति के पूजा में कभी भी तुलसी नहीं चढ़ाई जाती है. प्रचलित पौराणिक कथा के अनुसार एक धर्मात्मज नाम का राजा हुआ करता था. उसकी एक कन्या थी, जिसका नाम था तुलसी. तुलसी यौन अवस्था में थी. वो अपने विवाह की इच्छा लेकर तीर्थ यात्रा पर निकली. कई जगहों की यात्रा के बाद उन्हें गंगा किनारे तप करते हुए गणेश जी दिखे. तप के दौरान भगवान गणेश रत्न से जड़े सिंहासन पर विराजमान थे. उनके समस्त अंगों पर चंदन लगा हुआ था. गले में उनके स्वर्ण-मणि रत्न पड़े हुए थे और कमर पर रेशम का पीताम्बर लिपटा हुआ था. उनके इस रूप को देख माता तुलसी ने गणेश जी से विवाह का मन बना लिया.
उन्होंने गणेश जी की तपस्या भंग कर उनके सामने विवाह का प्रस्ताव रखा. तपस्या भंग करने पर गुस्साए भगवान गणेश ने विवाह प्रस्ताव ठुकरा दिया और कहा कि वह ब्रह्माचारी हैं. इस बात से गुस्साई माता तुलसी ने गणेश जी को श्राप दिया और कहा कि उनके दो विवाह होंगे. इस पर गणेश जी ने भी उन्हें श्राप दिया और कहा कि उनका विवाह एक असुर शंखचूर्ण (जलंधर) से होगा. राक्षक की पत्नी होने का श्राप सुनकर तुलसी जी ने गणेश जी से माफी मांगी.
तब गणेश ने तुलसी से कहा कि वह भगवान विष्णु और कृष्ण की प्रिय होने के साथ-साथ कलयुग में जगत को जीवन और मोक्ष देने वाली होंगी. लेकिन मेरी पूजा में तुम्हें (तुलसी) चढ़ाना अशुभ माना जाएगा. उसी दिन से भगवान गणेश की पूजा में तुलसी नहीं चढ़ाई जाती.
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By Air – आप फ्लाइट से भी जा सकते हैं आपको महाराणा प्रताप हवाई अड्डा उदयपुर पर उतरना होगा. उसके बाद आप गाड़ी करके यहां पहुंच सकते हैं.
By Train – उदयपुर सिटी रेलवे स्टेशन से बोहरा गणेश मंदिर 4 किमी दूर है. स्टेशन पहुंचकर आप गाड़ी लेकर आराम से मंदिर पहुंच सकते हैं.
मंदिर खुलने का समय- सोमवार – शुक्रवार: सुबह 6.00 बजे – रात 8 बजे. शनिवार: प्रातः 6.00 बजे – प्रातः 8.00 बजे.