Teerth Yatra

Karnataka Tour : Sugriva की गुफा के अनसुने रहस्य, यहीं गिराए थे माता सीता ने अपने गहने

Karnataka Tour. रामायण ( Ramayana )में ऐसे बहुत से पात्र हैं जिनके बारे में हमलोग ज्यादा नहीं जानते हैं। हम जब भी किसी से बात करते हैं तो राम, देवी सीता, लक्षमण और हनुमान जी के बारे में ही बात करते हैं, लेकिन इनके आलावा भी बहुत से रामायण में ऐसे पात्र हैं। जिनके बारे में हमको जानना चाहिए। तो आज हम आपको अपने इस लेख के जरिए बताएंगे रामायण के पात्र सुग्रीव (Sugriva)  के बारे में उनकी गुफा  Cave के बारे में भी जानकारी देगें।

सुग्रीव रामायण का प्रमुख पात्र 

सुग्रीव रामायण के एक प्रमुख पात्र है। वह बाली के अनुज है। हनुमान के कारण भगवान रामचंद्र जी से उनकी मित्रता हुई। वाल्मीकि रामायण में किष्किन्धाकाण्ड, सुन्दरकाण्ड, युद्धकाण्ड और गोस्वामी तुलसीदास रचित श्रीरामचरितमानस किष्किंधा कांड में हनुमान ने ही भगवान रामचंद्र जी और सुग्रीव के बीच मित्रता कराई  है। लंका पर चढ़ाई के लिए सुग्रीव ने ही वानर और ॠक्ष सेना का प्रबन्ध किया था।उन्होंने भगवान राम को रावण को मारने में मदद की थी।

Nimmu in Leh – लेह की वो जगह है कैसी जहां पहुंचे PM नरेंद्र मोदी

सुग्रीव की गुफा ( Sugriva Cave )

कर्नाटक का एक छोटा सा इलाका है हम्पी, जो वाल्मीकि रामायण में पहले बाली का और उसके बाद सुग्रीव का राज्य था। आज के संदर्भ में यह राज्य तुंगभद्रा नदी के किनारे वाले कर्नाटक के हम्पी शहर के आस-पास के इलाके में माना गया है। रामायण काल में विन्ध्याचल पर्वत माला से लेकर पूरे भारतीय प्रायद्वीप में एक घना वन फैला हुआ था जिसका नाम था दण्डक वन।

सुग्रीव की गुफा हम्पी में एक प्राकृतिक गुफा है, जो कभी रामायण के पौराणिक बंदर राजा का घर था। प्रकृति की उंगलियों से नक्काशी की गई यह गुफा बहुत ही सुदंर है। गौरवशाली इतिहास में डूबी गुफा, हम्पी का एक प्रमुख आकर्षण केंद्र है।

यूनेस्को की विश्व विरासत की लिस्ट में शामिल हम्पी भारत का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है। हम्पी बेलगांव से 190 किलोमीटर, बेंगलुरु से 350 किलोमीटर और गोवा से 312 किलोमीटर दूर है। मंदिरों का यह प्राचीन शहर मध्यकाल में हिन्दू राज्य विजयनगर साम्राज्य की राजधानी था।

हम्पी में बने दर्शनीय स्थलों में सम्मिलित हैं, विरुपाक्ष मंदिर, रघुनाथ मंदिर, नरसिम्हा मंदिर, सुग्रीव गुफा, विठाला मंदिर, कृष्ण मंदिर, हजारा राम मंदिर, कमल महल और महानवमी डिब्बा।

सुग्रीव की गुफा के बारे में

सुग्रीव की गुफा कभी पौराणिक वानर योद्धा सुग्रीव का निवास था, जो भगवान राम के बहुत बड़े भक्त थे। यह एक प्राकृतिक गुफा है। पौराणिक बंदर के घर को देखने की उत्सुकता हर साल हजारों पर्यटकों को इस गुफा में ले जाती है। यह स्थान बहुत ही शांत है और आसपास का मनोरम दृश्य प्रस्तुत करता है। देवी सीता का जब राक्षस राजा रावण ने अपहरण किया था तब सीता जी ने इस रास्ते में अपने गहने गिरा दिए थे। यह वह स्थान भी है जहां भगवान राम पहली बार हनुमान से मिले थे। एक नदी के पास गुफा का स्थान सैलानियों के लिए एक सुखद स्थान बनाता है। नदी के किनारे गुफा के पास सुग्रीव भगवान राम और लक्ष्मण से मिले जब वह देवी सीता की खोज में यहां आए थे। पास में ही एक तालाब है सीता सरोवर।

गुफा के आंतरिक भाग को सुंदर चित्रों से सजाया गया है। गुफा काफी छोटी है और एक सपाट चट्टानी क्षेत्र के किनारे पर स्थित है। यह सपाट चट्टानी क्षेत्र कई नक्काशीदार पैरों के निशान से युक्त है। उसे अगर ध्यान से देखेंगे तो वह राम और लक्ष्मण के पदचिन्हों का चित्रण करते हैं। यह स्थान हिंदुओं द्वारा अत्यधिक पवित्र माना जाता है। आपने जीवन में एक बार सुग्रीव की गुफा में जरूर जाना चाहिए।

कर्नाटक में सुग्रीव की गुफा के आकर्षण केंद्र (Sugriva Cave Attractions in Karnataka)

सुग्रीव की गुफा हम्पी में एक प्राकृतिक गुफा है, जो कभी रामायण के पौराणिक बंदर राजा का घर था। गौरवशाली इतिहास में डूबी गुफा, हम्पी का एक प्रमुख आकर्षण है। दुनिया भर से पर्यटक इस प्राकृतिक आश्चर्य को देखने के लिए यहां आते हैं जो कि पौराणिक महत्व को दर्शाता है। गुफा का शांतिपूर्ण वातावरण अपने आप में एक आकर्षण है। यहां से कोई भी व्यक्ति अपने आस-पास के वातावरण के बारे में सोच सकता है। गुफा के पास एक सुंदर नदी बहती है, जिसमें अधिक आकर्षण है।

Temples in Kashmir : कश्मीरी पंडितों के बिना कैसे हैं, कश्मीर के ये 8 हिंदू मंदिर !

हम्पी से 6 किलोमीटर दूर तुंगभद्रा बांध

हम्पी से 6 किलोमीटर दूर तुंगभद्रा बांध है। यह कभी राम के काल में किष्किंधा क्षेत्र में हुआ करता था। यह किष्किंधा का केंद्र था। आजकल होसपेट स्टेशन से ढाई मील दूरी पर और बेल्लारी से 60 मील उत्तर की ओर स्थित एक पहाड़ी स्थान को किष्किंधा कहा जाता है। रामायण के अनुसार यह वानरों की राजधानी थी। यहां ऋष्यमूक पर्वत के आसपास तुंगभद्रा नदी बहती है। ऋष्यमूक पर्वत तथा तुंगभद्रा के घेरे को चक्रतीर्थ कहते हैं।

Recent Posts

Anantnag Travel Blog : अनंतनाग में घूमने की ये 19 जगहें हैं बहुत फेमस

Anantnag Travel Blog : अनंतनाग जम्मू और कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश के सबसे खूबसूरत… Read More

17 hours ago

Chhath Puja 2024 Day 3 : जानें, सूर्यास्त का समय, पूजा अनुष्ठान, महत्व और अधिक

Chhath Puja 2024 Day 3 : छठ पूजा कोई त्योहार नहीं है लेकिन इस त्योहार… Read More

21 hours ago

High Uric Acid Control : हाई यूरिक एसिड से हैं परेशान, सुबह खाली पेट खाएं ये सफ़ेद चीज़

High Uric Acid Control : लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियों से जूझ रहे लोगों में हाई… Read More

2 days ago

Kharna puja 2024 : इस चीज के बिना अधूरी है खरना पूजा, जानिए 36 घंटे के निर्जला व्रत की विधि

 Kharna puja 2024 : चार दिवसीय महापर्व छठ के दूसरे दिन खरना मनाया जाता है.… Read More

2 days ago

Chhath Puja 2024 : 36 घंटे के व्रत के दौरान इन महत्वपूर्ण नियमों का पालन करें

Chhath Puja 2024 :  महापर्व छठ 5 नवंबर को नहाय खाय के साथ शुरू हो… Read More

2 days ago

Dev Diwali 2024 : जानें, कब है देव दिवाली, समय, महत्व और अनुष्ठान

Dev Diwali 2024:  देव दिवाली हिंदू महीने कार्तिक की पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है.… Read More

3 days ago