Somnath Mandir’ History –आखिरकार वह क्षण आ ही गया, जिसका तकरीबन 500 सालों से रामभक्तों को इंतजार था. श्रीराम मंदिर का भूमि पूजन समारोह अयोध्या में संपन्न हो चुका है. ये अपने आप में ऐतिहासिक लम्हा रहा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 अगस्त को अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए आधारशिला रखी थी. इस तारीख को इतिहास के पन्नों में लिखा जाएगा. 5 अगस्त को अयोध्या के लिए कभी न भूलने वाली इतिहास की तारीख बन चुका है जिसे आने वाली पीढ़ियां भुलाए नहीं भूलेंगी. 30 साल पहले शुरू हुए राम मंदिर के आंदोलन ने अपने मिशन को आखिरकार 5 अगस्त पूरा कर ही दिया. अब जब हर जगह अयोध्या छाया हुआ है, चाहे आप समाचार देख लें या सोशल मीडिया हर जगह राम मंदिर की ही चर्चा हो रही है. तो ऐसे में देश में स्थित एक और मंदिर की चर्चा करना जरूरी हो जाता है. इस मंदिर को जानते तो सब लोग हैं लेकिन उसके पीछे की कहानी बहुत कम लोगों को पता है. इस मंदिर ने जो त्रासदी झेली है, वह कहीं से भी अयोध्या में बनने से जा रहे भव्य राम मंदिर के स्थल पर सदियों पहले हुए अत्याचार से कहीं भी कमतर नहीं है. Somnath Mandir’ History, ये वो कहानी है जिसे सुनकर शायद आप अयोध्या के राम मंदिर की घटना को भूल जाएं.
आइए आज हम बात करते हैं Somnath Mandir’ History की – सोमनाथ मंदिर की जो गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र के वेरावल बंदरगाह में स्थित है. यह मंदिर हिंदू धर्म के उत्थान-पतन के इतिहास का प्रतीक रहा है. अत्यंत वैभवशाली होने के कारण इतिहास में 17 बार यह मंदिर तोड़ा और पुनर्निर्मित किया गया. वर्तमान भवन के पुनर्निर्माण का आरंभ भारत की स्वतंत्रता के बाद लौहपुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल ने करवाया और 1 दिसंबर 1955 को भारत के राष्ट्रपति शंकरदयाल शर्मा जी ने इसे राष्ट्र को समर्पित किया. सोमनाथ मंदिर की गिनती 12 ज्योतिर्लिंगों में सर्वप्रथम ज्योतिर्लिंग के रूप में होती है. इस मंदिर के बारे में अनेक मान्यता है. जिसकी वजह से दूर-दूर से सैलानी इस मंदिर के दर्शन करने आते हैं
इसे अब तक 17 बार नष्ट किया गया और हर बार इसका पुनर्निर्माण किया गया. 1024 ई. में गजनी के शासक महमूद गजनवी ने भारत के सौराष्ट्र में समुद्र तट पर स्थित सोमनाथ के प्रसिद्ध शिव मंदिर पर आक्रमण किया. आक्रमण में गजनवी को सोने के रूप में अत्यधिक धन मिला. जितना माल ऊंट-घोड़ों पर लाद सकता था लादा गया बाकी छोड़ना पड़ा. उसने मुख्य सोमनाथ मंदिर सहित कई मंदि ध्वस्त करवा डाले और शिवलिंग को तुड़वाकर खंड-खंड करवा दिया, इतना ही नहीं करीब 50 हजार हिन्दुओं को निर्ममता से कत्ल करवा डाला. हजारों स्त्रियों एवं बच्चों को गुलाम बनाकर गजनी ले जाया गया, जहां बाद में गुलामों के बाजार में उनकी नीलामी की गई. लूटपाट और कत्ल का नंगा खेल कई दिनों तक चलता रहा.
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माल-असबाब और गुलामों को लेकर गजनवी कच्छ के रन से होता हुआ वापस गजनी की ओर लौटा. लौटते समय रास्ते में सिंध के लुटेरे जाटों ने उसका बहुत सा सामान “लूट” लिया और उसकी सेना को भारी नुकसान पहुंचाया. जाटों ने महमूद गजनवी को वापस लौटने में बहुत नुकसान पहुंचाया था. जाटों को सजा देने के लिए 1027 ई. गजनवी ने सिंध पर हमला किया.
जब इस कत्ले-आम की खबर हिन्दू शासकों को सुनाई पड़ी उनकी गु्स्से से लाल हो गए. ऐसे में थार के राजपूत शासक भोज ने लौटते हुए गजनवी को सजा देने का निश्चय किया लेकिन गजनवी को जब इस बात की खबर लगी तो वह रास्ता बदलकर कच्छ के रन से सिंध की ओर बढ़ गया. सिंध के जाटों को भी इसकी जानकारी मिल चुकी थी और साथ ही पता लग चुका था कि महमूद गजनवी सिंध के रास्ते गजिनी वापस लौट रहा है. ऐसे में सिंध के जाट शासक भीमसेन जाट की सेनाओं ने घेराबन्दी कर गजनवी की सेनाओं पर जबरदस्त आक्रमण करने शुरू किये और सिंध के जाटों ने गजनवी बहुत सा सामान और माल-असबास “लूट ” लिया. 1027 ई. में गजनवी ने एक विशाल सेना संगठित कर सिंध पर आक्रमण किया.
महमूद गजनवी ने अपने 5000 लुटेरों के साथ सोमनाथ मंदिर पर हमला किया, जमकर लूट-पाट की और मंदिर को ध्वस्त कर दिया. 50 हजार हिन्दू इसमें मारे गए. इसके बाद गुजरात के राजा भीम और मालवा के राजा भोज ने इसका पुनर्निर्माण कराया.
इसके बाद 1297 मे दिल्ली के सुल्तान ने और 1706 में अत्याचारी मुगल औरंगजेब ने सोमनाथ मंदिर को ध्वस्त कर दिया. हजारों हिन्दू मार डाले गए. भारत की आजादी के बाद सरदार वल्लभभाई पटेल ने समुद्र का जल लेकर नए मंदिर के निर्माण का संकल्प लिया. उनके संकल्प के बाद 1950 में मंदिर का पुनर्निर्माण हुआ, 6 बार टूटने के बाद 7वीं बार इस मंदिर को कैलाश महामेरू प्रासाद शैली में बनाया गया. इसके निर्माण कार्य से सरदार वल्लभभाई पटेल भी जुड़े रह चुके हैं. इस समय जो मंदिर खड़ा है उसे भारत के गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने बनवाया और 1 दिसंबर 1995 को भारत के राष्ट्रपति शंकरदयाल शर्मा ने इसे राष्ट्र को समर्पित किया.
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बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक
सोमनाथ मंदिर को बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है. कहते हैं कि इस मंदिर में रखे शिवलिंग को चंद्र देव ने स्थापित किया था. अरब सागर के तट पर बने इस मंदिर का उल्लेख स्कंदपुराण, श्रीमद्भागवत गीता, शिवपुराण और बहुत से प्राचीन ग्रंथों में है.
सोमनाथ और आसपास के पर्यटन स्थल मुख्य महादेव मंदिर के अलावा सोमनाथ में सूर्य मंदिर भी है. इस मंदिर का निर्माण 14वीं शताब्दी में किया गया था और इसमें दो अनुषंगिकों के साथ भगवान सूर्य की प्रतिमा रखी हुई है. यहां के भालुका तीर्थ पर श्री कृष्ण को गलती से एक भील शिकारी ने मार दिया था और देहोत्सर्ग तीर्थ पर भगवान श्री कृष्ण का अंतिम संस्कार किया गया था.
सोमनाथ का समुद्र तट एक और पर्यटन स्थल है, हालांकि आप यहां तैराकी का आनंद नहीं उठा सकते, क्योंकि लहरें काफी खतरनाक होती हैं. फिर भी आप इस समुद्री किनारे पर प्रकृति से जुड़ाव महसूस कर सकते हैं. आप यहां कैमल राइड के साथ-साथ लजीज व्यंजनों का भी आनंद ले सकते हैं.
अगर आप समुद्री किनारे पर तैराकी और दूसरे वाटर स्पोर्ट्स एक्टिविटी करना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको अहमदपुर मांडवी का रूख करना होगा. यह दीव टापू के पास स्थित है और यहां का पानी बिल्कुल साफ है. यहां के खानपान और संस्कृति में आप पुर्तगाली और सौराष्ट्र की झलक देख सकते हैं. इसके अलावा आप सोमनाथ में बौद्ध साना गुफा, मै पुरी मस्जिद और वेरावल भी घूम सकते हैं.
सोमनाथ का मौसम अरब सागर के करीब होने के कारण सोमनाथ का मौसम सामान्य बना रहता है. गर्मी यहां थोड़ी ज्यादा पड़ती है, पर ठंड का मौसम काफी खुशनुमा होता है. वहीं बरसात के समय यहां तेज हवाओं के साथ बारिश होती है. अक्टूबर से मार्च के बीच सोमनाथ घूमना सबसे अच्छा रहता है.
सोमनाथ जाने के लिए, बस एक बहुत ही आसान और सुविधाजनक विकल्प है. पौराणिक महत्व होने की वजह से कई राज्य परिवहन बसें और निजी बसें हैं जो नियमित अंतराल पर चलती हैं.
भारत के सभी प्रमुख शहरों के लिए इसकी नियमित बसें हैं. लग्जरी बसें, नॉन-एसी और एसी बसें उपलब्ध हैं, जिन्हें आप अपने बजट के अनुसार चुन सकते हैं.
दीव से सोमनाथ लगभग 85 किमी दूरी पर है. जहां बस से करीब 2 से 2.5 घंटे में आप सोमनाथ पहुंच जाओगे.
वेरावल से सोमनाथ महज 6 किमी की दूरी पर है. 15 से 20 मिनट में आप सोमनाथ पहुंच जाएंगे.
अहमदाबाद से करीब 420 किमी जो करीब 8 घंटे बस के सफर के बाद आप सोमनाथ पहुंचेगे.
सोमनाथ रेलवे स्टेशन भावनगर डिवीजन के पश्चिमी रेलवे के अंतर्गत आता है. जबलपुर जंक्शन, अहमदाबाद जंक्शन, राजकोट जंक्शन, ओखा और पोरबंदर के लिए एक दैनिक ट्रेन यहां से चलती है.
नजदीकी शहरों से रोजाना सोमनाथ ले जाने वाली ट्रेनें.
सोमनाथ रेलवे स्टेशन तक की सेवाएं
अहमदाबाद -सोमनाथ इंटरसिटी एक्सप्रेस
राजकोट – सोमनाथ पैसेंजर
पोरबंदर-सोमनाथ पैसेंजर
ओखा-सोमनाथ एक्सप्रेस
रेलवे स्टेशन से महज 1.5 किमी की दूरी पर सोमनाथ ज्योतिर्लिंग आया है, जहां पर आप टैक्सी या लोकल वाहन से आसानी से सोमनाथ मंदिर पहुंच सकते है।
अगर आप द्वारका दर्शन के लिए गए हो तो आप ने वहां नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन किये ही होंगे तो वहां से अगर आप सोमनाथ ज्योतिर्लिंग भी पहुँच सको तो इससे बेहतर क्या होगा ?
द्वारका से एक ट्रेन रोजाना सोमनाथ के लिए आती है जो आपको सीधा द्वारका ज्योतिर्लिंग पहुंचा देगी. और वो ट्रेन रात को ही चलती है तो आप अपना एक दिन भी बचा सकोगे.
द्वारका से सोमनाथ रूट पर चलने वाली सबसे तेज ट्रेन 19252 ओखा सोमनाथ एक्स्प्रेस है.
यह द्वारका से रात को 20:33:00 बजे प्रस्थान करती है और सुबह 05:30 बजे सोमनाथ पहुंचती है.
ट्रेन 413 किलोमीटर की दूरी तय करती है और इसका किराया महज 250 रुपए है.
हवाई मार्ग से सोमनाथ की यात्रा को अंतिम विकल्प माना जा सकता है क्योंकि सोमनाथ के लिए नियमित उड़ानें नहीं हैं.
इस जगह का अपना सोमनाथ हवाई अड्डा नहीं है.
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