Shakumbhari Devi Mandir : सहारनपुर के बेहट में है ये प्राचीन मंदिर, शंकराचार्य ने भी किया था यहां तप!
Shakumbhari Devi Mandir : सिद्धपीठ श्री शाकुंभरी देवी का मंदिर ( Siddha Peeth Shakumbhari Devi Mandir ) उत्तर भारत में एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है. यह मंदिर उत्तर प्रदेश में सहारनपुर जिले में बेहट तहसील के अंतर्गत आता है. सहारनपुर जिला मुख्यालय से इसकी कुल दूरी 40 किलोमीट, उत्तर दिशा में है.
यह मंदिर भारत में सबसे चर्चित आध्यामिक स्थलों में से एक है. हर वर्ष लाखों तीर्थयात्री शाकुंभरी देवी के मंदिर ( Shakumbhari Devi Mandir ) दर्शन के लिए पहुंचते हैं. यह मंदिर, मां दुर्गा को समर्पित है.
आज इस लेख में हम आपको मंदिर की संपूर्ण जानकारी देंगे. आपको ये भी बताएंगे कि अगर आप शाकुंभरी देवी जी के मंदिर ( Shakumbhari Devi Mandir ) आना चाहते हैं तो कैसे आ सकते हैं.
शंकराचार्य ने किया था यहां तप || Shankaracharya Did Penance Here
मंदिर ( Shakumbhari Devi Mandir ) में देवी की मूर्ति के बारे में कहा जाता है कि वह अत्यंत प्राचीन है. कुछ लोग ऐसा भी कहते हैं कि यह उस कालखंड की है जब सहारनपुर पर मराठा शासन था. वहीं, कुछ लोगों का मानना है कि आदि शंकराचार्य ने यहीं पर तपस्या की थी.
शाकुंभरी देवी मंदिर का इतिहास || Shakumbhari Devi Temple History
शाकुंभरी देवी के संबंध में, यह माना जाता है कि मां शाकुंभरी ने यहां महिषासुर महा दैत्य का वध किया था और हर महीने के अंत में सिर्फ एक “शाकाहारी” भोजन करते हुए 100 से अधिक वर्षों तक तपस्या की थी. शाकाहार का यही शब्द देवी के नाम में भी प्रतिबिंबित होता है.
1960 के दशक की शुरुआत में, प्रवेश द्वार और बाहरी बरामदे को जोड़ने वाला एक ढका हुआ गलियारा बनाया गया था. इससे श्रद्धालुओं को बहुत ज़्यादा लाभ हुआ और आगंतुकों की सुविधा और आराम में काफी सुविधा हुई. यह कार्य जसमौर के राणाओं के संरक्षण में किया गया था और तत्कालीन कलसिया राज्य के एक सम्मानित अधिकारी श्री राधा किशन द्वारा पूरा किया गया था.
शाकुंभरी देवी जी के मंदिर का महत्व || Importance of Shakumbhari Devi Mandir
मंदिर की पवित्रता इस शांत वातावरण में एक सकारात्मक ऊर्जा पैदा करती है. धाराओं की गड़गड़ाहट के साथ, माहौल इतना मंत्रमुग्ध कर देने वाला है कि यह तुरंत किसी के तनाव को शांत कर देता है.
कहा जाता है कि शंकराचार्य ने भी इस स्थान का दौरा किया था और वहां ध्यान किया था. उन्होंने आसपास से मूर्तियों को इकट्ठा किया और उन्हें मंदिर के भीतर रख दिया. गर्भगृह में विराजमान देवी के साथ भ्रामरी देवी, भीम देवी और शीतला देवी हैं.
ये सभी देवियां आदि ‘शक्ति’ के रूप हैं जो पूरे ब्रह्मांड में व्याप्त हैं और माना जाता है कि उन्होंने समय के विभिन्न अंतरालों पर अवतार लिया था.
शाकुंभरी देवी जी के दूसरे मंदिर || Other Temples of Shakumbhari Devi
राजस्थान के सीकर जिले में मां शाकुंभरी का एक और प्राचीन मंदिर ( Shakumbhari Devi Mandir ) है और यहां की मूर्ति को स्वयंभू माना जाता है. यह उदयपुर शेखावाटी शहर के करीब स्थित है. यहां एक प्राचीन मठ या शक्तिपीठ भी है. मंदिर में नवरात्रों का त्योहार बहुत उत्साह के साथ मनाता है.
राजस्थान में सांभर झील के पास स्थित शाकुंभरी मंदिर ( Shakumbhari Devi Mandir ) भी एक बेहद लोकप्रिय धार्मिक स्थल है और इसकी उत्पत्ति लगभग 1300 या उससे भी ज़्यादा वक्त पहले की बताई जाती है. इस प्राचीन मंदिर की देवी पुंडीरों और चौहानों की कुल देवी हैं.
राजस्थान में गोरिया के पास जीन-मां मंदिर भी शाकुंभरी देवी से जुड़ा हुआ है और यहां भी देवी को मां के रूप में पूजा जाता है.
कर्नाटक के बागलकोट जिले के बादामी में भी शाकुंभरी देवी ( Shakumbhari Devi Mandir ) का एक मंदिर है.
शाकुंभरी देवी के मंदिर से जुड़े उत्सव || Festivals at Shakumbhari Devi Mandir
मशहूर शाकुंभरी मेला दो बार आयोजित किया जाता है. यह अश्विन और चैत्र नवरात्रि के मौके पर आयोजित होता है. इन मेलों में हज़ारों भक्त जुटते हैं और इसे बड़ी धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया जाता है.
भूरा देव मंदिर || Bhura-Dev Temple
भूरा देव मंदिर, शाकुंभरी देवी मंदिर ( Shakumbhari Devi Mandir ) से एक किलोमीटर पहले स्थित है. भूरा देव, भैरो बाबा का समर्पित मंदिर है. इनके बारे में कहा जाता है कि यह शाकुंभरी देवी मंदिर के रक्षक हैं. मंदिर में आने वाले भक्त सबसे पहले पास के भूरा-देव मंदिर में माथा टेकते हैं. भगवान भैरव की पूजा करने के बाद, भक्त शाकुंभरी मंदिर जाते हैं.
पूरे मंदिर ( Shakumbhari Devi Mandir ) परिसर और उसके आसपास के क्षेत्र में होली को भी बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है.
शाकुंभरी देवी मंदिर पदयात्रा || Shakumbhari Devi Mandir Padyatra
देश में जिस तरह से कांवड़ यात्रा के दौरान लाखों कांवड़िए पदयात्रा करते हैं, उसी तरह नवरात्रि के पावन महीने और भी दूसरे अवसरों पर दिल्ली-एनसीआर व आसपास के कई किलोमीटर दूर से भक्त पालकी लेकर मां के दरबार ( Shakumbhari Devi Mandir ) में पहुंचते हैं.
शाकुंभरी देवी जी के मंदिर कैसे पहुंचें ? || How to reach Shakumbhari Devi Temple
परिवहन के कई साधनों द्वारा मंदिर ( Shakumbhari Devi Mandir ) तक आसानी से पहुंचा जा सकता है.
वायु मार्ग से : अगर आप हवाई मार्ग से शाकुंभरी देवी के मंदिर आना चाहते हैं, तो आपको सबसे नज़दीकी जॉली ग्रांट हवाईअड्डे पर आना होगा. हवाई अड्डे से मंदिर की दूरी लगभग 67 किलोमीटर की है. आप रेल के ज़रिए या रोडवेज़ बस के ज़रिए मंदिर तक आसानी से आ सकते हैं. मंदिर तक के लिए आप एयरपोर्ट से टैक्सी भी कर सकते हैं.
रेल मार्ग से : सहारनपुर में यूं तो 3-4 रेलवे स्टेशन हैं जिनमें सहारनपुर, टपरी और देवबंद प्रमुख हैं. यहां कई गाड़ियों का स्टॉपेज है. हालांकि, शाकुंभरी देवी मंदिर से सबसे नज़दीक सहारनपुर रेलवे स्टेशन है. आप देश में कहीं से भी ट्रेन लेकर सहारनपुर आ सकते हैं और फिर यहां से बस के ज़रिए शाकुंभरी देवी के मंदिर जा सकते हैं.
बस के ज़रिए : सहारनपुर आसपास के जिलों से बस रूट के ज़रिए कनेक्टेड है. आप सहारनपुर आकर यहां से बस लेकर मंदिर जा सकते हैं.
देवबंद से कैसे पहुंचें शाकुंभरी देवी के मंदिर || How to Reach from Deoband
अगर आप देवबंद में हैं और आपको शाकुंभरी देवी के मंदिर जाना है, तो आप पहला रास्ता ट्रेन का चुन सकते हैं. देवबंद से हरिद्वार के रास्ते पर अगला ही स्टेशन है टपरी. आप टपरी उतर जाइए. टपरी रेलवे स्टेशन से बाहर आकर सहारनपुर के घंटाघर चौक तक के लिए ऑटो कर लीजिए.
घंटाघर चौक से आपको बेहट अड्डे के लिए ई-रिक्शा मिल जाएगा, जो 10 रुपये प्रति सवारी के हिसाब से बेहट अड्डे पहुंचा देता है. इसके बाद, बेहट अड्डे से आप सीधा शाकुंभरी देवी के मंदिर के लिए बस ले सकते हैं.
बेहट अड्डे से शाकुंभरी देवी के मंदिर की टिकट 60 रुपये है.
अगर आपको देवबंद से बस के ज़रिए शाकुंभरी देवी मंदिर आना है, तो सहारनपुर के घंटाघर चौक के बाद का रास्ता वही रहेगा, बस आपको देवबंद से घंटाघर चौक पहुंचना होगा. इसके लिए आपको देवबंद से ही बस मिल जाती है.
इस बस का किराया 54 रुपये है. यह बस आपको सहारनपुर में घंटाघर चौक छोड़ देती है.
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