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Shri Babu Maharaj Temple : जानें धौलपुर के श्री बाबू महाराज मंदिर और उनके चमत्कार के बारे में

Shri Babu Maharaj Temple :  श्री बाबू महाराज मंदिर, धौलपुर जिले के सरमथुरा शहर के 30 कि.मी. दूर झिरी गांव में चम्बल नदी के किनारे बना हैं. यह प्राचीन मंदिर हजारों साल पुराना है.  इस मंदिर की मरम्मत पूर्व सरपंच श्री अशोक सिंह जादौन (झिरी वाले) ने करवाया था.

फिलहाल चम्बल नदी के किनारे श्री बाबू महाराज के तीन मंदिर हैं जिनमें झिरी, थूम्म का मंदिर तो राजस्थान में और करजोनी का मंदिर मध्यप्रदेश में स्थित हैं. जिनमें झिरी में स्थित श्री बाबू महाराज का मंदिर सबसे प्राचीन हैं. (Shri Babu Maharaj  Temple)  क्योंकि श्री बाबू महाराज ने सबसे पहले  यही चम्बल नदी के किनारे मीणा जाति के एक भक्त को दर्शन दिए.

मंदिर का इतिहास || History of the Temple

बहुत प्राचीन समय की बात है कि एक दिन चम्बल नदी के अन्दर एक व्यक्ति नहा रहा था.  तभी उसे एक कमल का फुल तैरता हुआ उसकी तरफ आया तो व्यक्ति ने उस कमल के फुल को देखा तो पाया कि उसमें एक पत्थर की लुडिया (पिण्डी) थी. (Shri Babu Maharaj Mandir Temple) तभी अचानक उस कमल के फुल की लुडिया (पिण्डी) से श्री बाबू महाराज प्रकट हुए और उस व्यक्ति को अपना आर्शीवाद देते हुए, अपना मंदिर निर्माण की बात कही.  तभी से ये प्राचीन मंदिर बना हुआ हैं.

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श्री बाबू महाराज के मंदिर के पास ही श्री महादेव जी, श्री गणेश जी, श्री भैरोबाबा, श्री झिरीया देवी माताजी का मंदिर भी स्थित हैं. कहा जाता हैं कि झिरीया माता के नाम से ही झिरी गांव का नाम रखा गया हैं.

कहा जाता है कि स्थानीय लोगों और मवेशियो कि जहरीले जानवरों और बीमारियों से रक्षा श्री बाबू महाराज ही करते हैं. (Shri Babu Maharaj Mandir Temple) यदि किसी व्यक्ति या जानवर को जहरीला जानवर कांट लेता हैं तो श्री बाबू महाराज के भक्त द्वारा, झाडा (झाडू) लगा देने से वह ठीक हो जाता हैं.

बाबू देव महाराज की कहानियां || Stories of Babu Dev Maharaj

1. एक बार दिल्ली के एक मुस्लिम शासक ने किसी गुर्जर की गर्भवती गाय को दीवार मे चुनवा दिया था और गुर्जर को दरबार मे हाजिर होने का फरमान जारी कर दिया था.

जब गुर्जर को इस बात का पता चला तो उसने सोचा गाय तो हाथ से गई ही और अब पता नहीं मुस्लिम सुल्तान मुझे क्या सजा देगा. तब वह अपने प्रथम अराध्य श्री बाबू जी महाराज का स्मरण कर सुल्तान के दरबार में हाजिर हुआ.

बहुत माफी मांगने पर सुल्तान ने गुर्जर को चुनौती दी कि ‘यदि तुम्हारे भगवान में इतनी शक्ति है तो बचा ले अपनी गाय को’ तभी अचानक बहुत तेज प्रकाश हुआ और गाय को चुनवाई गई दीवार जोर से फट गई.

वहां उपस्थित जनता ये देखकर आश्चर्य चकित रह गई कि उस दीवार से बच्चे को दूध पिलाती वह गाय जीवित मिल गई. तब सुल्तान श्री बाबू महाराज के सामने नत मस्तक होकर मांफी मंगने लगा और श्री बाबू महाराज को पूजने भी लगा.

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2. एक बार गांव में वर्षा नहीं हुई. जिस कारण से गांव में बहुत भयंकर अकाल पड़ गया. पशु-पक्षी और आदमी मरने लगे एवं गांव के लोगों को खाने पीने का संकट खड़ा होने लगा. तब गांव के लोग चम्बल नदी के किनारे स्थित श्री बाबू महाराज के मंदिर में गए श्री बाबू महाराज से वर्षा करने के लिए मन्नत मांगने लगे.

अचावक एकाएक चम्बल नदी से पानी का तेज चक्रवात उठा व झिरी और पड़ोसी गांव में तेज बारिश होने लगी. ऐसा कहा जाता है कि उस समय वर्षा के पानी के साथ पानी के जीव-जंतु एवं मछली आदि भी वर्षा के पानी के साथ बरसने लगे. बताया जाता है कि उस समय जो पानी बरसा था वो सम्पूर्ण पानी चम्बल नदी से ही चक्रवात के रूप में होकर उठा था.

लक्खी मेले का आयोजन || Organizing lakkhee Fair

साल में एक बार लक्खी मेले का आयोजन किया जाता है. जिसमें दूर-दूर से हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं.

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