Shravan Kshetra in Ambedkar Nagar | Makhauda Dham Harraiya Tehsil | Bharat Kund Nandigram : दोस्तो, भारत के अयोध्या (Ayodhya in India) से थाईलैंड में अयुत्थाया (Ayutthaya in Thailand) तक की यात्रा की सीरीज का पहला वीडियो हमने रिलीज कर दिया है. हमारी यात्रा की शुरुआत हुई भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित अयोध्या से… अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि (Shri Ram Janmbhoomi in Ayodhya) है… श्रीराम जन्मभूमि से डेढ़ किलोमीटर से ज्यादा दूरी पर है दशरथ महल (Dashrath Mahal in Ayodhya)…
दशरथ महल के रास्ते में है हनुमान गढ़ी (Hanuman Garhi in Ayodhya)… हनुमान गढ़ी से 500 मीटर दूरी पर है कनक भवन (Kanak Bhawan in Ayodhya)… और इन सबसे पहले राम जन्मभूमि के रास्ते में है सुग्रीव किला (Sugreev Kila in Ayodhya)… सुग्रीव किले से 3 किलोमीटर दूर vidya kund के नजदीक है मणि पर्वत (Mani Parvat in Ayodhya)…
अयोध्या में घूमने की ढेरों जगहें हैं… लेकिन हमने अपनी यात्री उस जगह से शुरू की जहां से रामायण की वास्तविक शुरुआत होती है, जहां से रामायण के हर सिरे जुड़े हुए हैं…
ये जगह है श्रवण क्षेत्र… राम जन्मभूमि से 50 किलोमीटर से भी ज्यादा दूरी पर अंबेडकर नगर जिले के अंदर स्थित है ये श्रवण क्षेत्र (Shravan Kshetra)… पोस्ट कटेहरी है और गांव है चिउंटीपारा… अयोध्या से यहां पहुंचने में डेढ़ घंटे का वक्त लगता है…
सूरज निकलने से पहले मैं अयोध्या से निकल चुका था श्रवण क्षेत्र के लिए… अयोध्या में पुलिस बूथ नंबर 4 से मुड़ते ही हाईवे सीधा अंबेडकर नगर ले आता है… चिउंटीपारा से 3 किलोमीटर दूर ये हाईवे आपको छोड़ता है… आपको वहां से अंदर गांव के लिए मुड़ना होता है
रास्ते में एक जगह चाय और समोसे खाए… श्रवण क्षेत्र के आसपास एक बाजार है… लेकिन मंदिर पर दूर तक सन्नाटा ही दिखाई देता है.
श्रवण क्षेत्र अंबेडकर नगर के कटहरी ब्लॉक में स्थित है. यह स्थल चिउंटीपारा नाम के गांव में है. यही वो स्थल है जहां त्रेतायुग में महाराज दशरथ ने श्रवण कुमार पर शब्दभेदी बाण चलाया था. इस बाण की वजह से श्रवण कुमार की मृत्यु हो गई थी. यहां आज भी वह तमसा नदी (Tamsa River) बहती है जहां से श्रवण कुमार माता-पिता के लिए जल लेने गए थे.
श्रवण क्षेत्र से 70 किमी दूर घाघरा नदी से उत्तर की ओर बसा हुआ है मखौड़ा धाम… यह वही जगह है जहां महाराज दशरथ से पुत्रेष्टि यज्ञ कराया था…
दुखी होकर राजा दशरथ जब वशिष्ठ के पास पहुंचे थे… और उनसे संतान न होने की बात बताई,… तब गुरू बोले
निज दुख सुख सब गुरहि सुनायउ। कहि बसिष्ठ बहुबिधि समुझायउ॥
धरहु धीर होइहहिं सुत चारी। त्रिभुवन बिदित भगत भय हारी॥2॥
अगली पंक्ति है-
सृंगी रिषिहि बसिष्ठ बोलावा। पुत्रकाम सुभ जग्य करावा॥
भगति सहित मुनि आहुति दीन्हें। प्रगटे अगिनि चरू कर लीन्हें॥3॥
गुरु वशिष्ठ ने कहा कि महाराज दशरथ को पुत्रेष्टि यज्ञ कराना होगा. इसके बाद उन्हें 4 पुत्रों की प्राप्ति होगी. हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि पुत्रेष्टि यज्ञ अच्छी भूमि पर ही हो सकता है. इसके बाद गुरु वशिष्ठ के कहने पर दशरथ ने अपने तरकश में से भूमिशोधक बाण निकाला और आकाश की ओर चलाया. ये बाण अयोध्या से 18 किलोमीटर दूर मनोरमा नदी के किनारे आकर दिरा. गुरु के कहने पर राजा दशरथ ने यहीं पुत्रेष्टि यज्ञ करवाया था.
मखौड़ा धाम से कुछ ही दूरी पर है छपिया तीर्थ स्थल… यही जगह स्वामीनारायण संप्रदाय की जन्मस्थली है… अक्षरधाम मंदिर इसी संप्रदाय के मंदिर हैं…
मखौड़ा धाम से 46 किलोमीटर पहले घाघरा नदी की दक्षिण दिशा में अयोध्या से 16 किमी दूर सुल्तानपुर रोड पर स्थित है भरत कुंड… यहां के बारे में कहा जाता है कि यहीं पर भरत स्नान किया करते थे… और यहीं पर वह और हनुमान मिले भी थे…
भरतकुंड (Bharat Kund in Ayodhya) यूं तो भगवान राम के वनवास के दौरान भरत की तपोस्थली के तौर पर जाना जाता है, लेकिन यह वह स्थान भी है, जहां वनवास से लौटने पर भगवान राम ने अपने पिता राजा दशरथ का प्रथम पिंडदान किया था. पितृपक्ष में हजारों की संख्या में श्रद्धालु अपने पूर्वजों का पिंडदान करने के लिए यहां जुटते हैं.
इसे नंदीग्राम भी कहते हैं क्योंकि यह जिस गांव में है उसका नाम नंदीग्राम ही है. भगवान राम के वनवास के दौरान भरतजी ने उनकी खड़ाऊं को सिंहासन पर रखकर यहीं 14 वर्ष तक तप किया था. मान्यता है कि भगवान के राज्याभिषेक के लिए भरत 27 तीर्थों का जल लेकर आए थे, जिसे आधा चित्रकूट के एक कुंआ में डाला गया था, बाकी भरतकुंड स्थित कुंआ में. यह कुआं आज भी मौजूद है. कुंआ के पास ही सदियों पुराना वट वृक्ष भी है. भरतकुंड आने वाले श्रद्धालु कुंआ का जल अवश्य ग्रहण करते हैं.
पिता के पिंडदान के लिए नंदीग्राम में कुंड का निर्माण कराया गया, जिसे भरतकुंड के रूप में माना गया…
दोस्तों अयोध्या सीरीज का वीडियो अभी बाकी है… अगले वीडियो में हम सुग्रीम किला… मणि पर्वत… राम की पैड़ी आदि जगहों के बारे में जानेंगे और साथ ही जानेंगे कि आप अयोध्या में कहां ठहर सकते हैं, कहां भोजन कर सकते हैं… और किस तरह यात्रा कर सकते हैं…
आपको ये वीडियो कैसा लगा, कॉमेंट बॉक्स में अपनी राय जरूर दें… हिन्दी में दिलचस्प ब्लॉग के लिए लॉग इन करें www.traveljunoon.com पर… मिलते हैं अगले वीडियो में… वीडियो देखने के लिए आपको ढेर सारा शुक्रिया…
यह वही स्थान है जहां त्रेतायुग में महाराज दशरथ ने श्रवण कुमार पर शब्द बाण चलाया था. इसी बाण से श्रवण कुमार की मृत्यु हो गई थी. आज भी यहां तमसा नदी बहती है जहां से श्रवण कुमार अपने माता-पिता के लिए जल लेने गए थे और अधिक जानने के लिए नीचे दिए गए वीडियो को जरूर देखें…
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