Shravan Kshetra Ambedkar Nagar : श्रवण क्षेत्र अंबेडकर नगर के कटहरी ब्लॉक में स्थित है. यह स्थल चिउंटीपारा नाम के गांव में है. यही वो स्थल है जहां त्रेतायुग में महाराज दशरथ ने श्रवण कुमार पर शब्दभेदी बाण चलाया था. इस बाण की वजह से श्रवण कुमार की मृत्यु हो गई थी. यहां आज भी वह तमसा नदी बहती है जहां से श्रवण कुमार माता-पिता के लिए जल लेने गए थे.
अयोध्या से 55 किलोमीटर दूर अंबेडकरनगर के वन्य क्षेत्र में श्रवण कुमार ने अपने प्राण त्यागे थे. इसका जिक्र तुलसीदास की रामायण में भी है. इसके बाद गांव के लोगों ने यहां श्रवण धाम मंदिर बनाकर पूजा-अर्चना शुरू कर दी. मान्यता है कि श्रवण कुमार के पदचिह्नों पर सावन महीने में कांवड़ यात्रा की शुरुआत हुई.
कावड़ यात्रा शुरू होने के बाद तमसा नदी किनारे बने श्रवण समाधि मंदिर में लाखों लोग जल चढ़ाते है और मन्नतें मांगते हैं. धाम स्थल पर सालभर में दो बार शिवरात्रि को एक दिन और अगहन पूर्णिमा को पांच दिनों तक मेला लगता है, जिसमें हजारों श्रद्धालु श्रवण धाम पहुंचकर समाधि पर मत्था टेकते हैं.
साल में श्रवण धाम मेला छोड़ दिया जाए तो बाकी समय यहां पर दर्शन करने के लिए कम ही लोग आते हैं. इतना पवित्र और महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल की पहचान मात्र श्रवण धाम मेले तक सिमट कर रह गई है. बता दें श्रवण धाम पर हर साल अगहन पूर्णिमा से तीन दिवसीय मेला लगया जाता है.
मान्यता है कि त्रेता युग में अपने अंधे माता-पिता को चारों धाम की यात्रा कराने के लिए श्रवण कुमार इस वन क्षेत्र में पंहुचे थे. यात्रा से थके प्यास से व्याकुल माता-पिता के लिए श्रवण कुमार नदी के किनारे पानी लेने गए थे.
इसी दौरान अयोध्या के राजा दशरथ इसी वन क्षेत्र में शिकार खेल रहे थे. पानी में घड़ा डालने पर आवाज आने से राजा दशरथ ने जंगली जानवर की आहट समझकर शब्दभेदी बाण चला दिया.
बाण श्रवण कुमार को जाकर लगा, जिससे उनकी मौत हो गई. श्रवण की मौत के बाद राजा दशरथ को पश्चाताप हुआ और वह उनके प्यासे माता-पिता को जल पिलाने पंहुचे, लेकिन दूसरे शख्स की आवाज सुनकर माता-पिता ने जल पीने से इनकार कर दिया और पुत्र वियोग में राजा को श्राप देकर श्रवण अपने प्राण त्याग दिए.
फरवरी: फरवरी में उच्चतम तापमान 26 डिग्री सेल्सियस और सबसे कम है यह टांडा-अंबेडकर-नगर की यात्रा के लिए सबसे अच्छे महीनों में से एक है.
अयोध्या से 73 किमी दूर अंबेडकर नगर जिला में तमसा नदी के किनारे श्रवण धाम स्थित है. आप यहां बस, ट्रेन, टैक्सी अथवा फ्लाइट से श्रवण धाम जा सकते हैं. फ्लाइट से आप केवल वाराणसी, लखनऊ अथवा गोरखपुर तक ही आ सकते हैं। इसके आगे आपको सड़क मार्ग से श्रवण धाम आना पड़ेगा.
श्रवण कुमार की याद में अयोध्या मंडल के अंबेडकर नगर जनपद में तमसा नदी किनारे श्रवण कुमार धाम स्थित है. कहा जाता है कि आज भी श्रवण कुमार की आत्मा श्रवण धाम में गूंजती है.
श्रवण धाम जाने के लिए आपको अकबरपुर रेलवे स्टेशन उतरना होगा. लखनऊ से वाराणसी जाने वाली अधिकांश एक्सप्रेस ट्रेन यहां रूकती हैं. लंबी दूरी की कुछ एक्सप्रेस ट्रेन यहां नहीं रूकती हैं. अयोध्या से आपको पैसेंजर ट्रेन या बस अथवा टैक्सी पकड़नी होगी.
नई दिल्ली (NDLS) (भारत की राजधानी): रेलवे ट्रैक और सड़क मार्ग से 720 कि.मी.
लखनऊ (उत्तर प्रदेश की राजधानी): रेलवे ट्रैक से 189 किमी और सड़क मार्ग से 110 किमी.
फैजाबादः ट्रेन और सड़क मार्ग से 60 कि.मी.
अयोध्या : ट्रेन और सड़क मार्ग से 60 किमी.
अन्य प्रमुख शहरों से अम्बेडकरनगर के लिए नियमित उड़ानें उपलब्ध नहीं हैं. नजदीकी हवाई अड्डा वाराणसी का हवाई अड्डा है. अंबेडकरनगर बनारसी हवाई अड्डे से 121 किमी दूर है. अम्बेडकरनगर लखनऊ हवाई अड्डे, उत्तर प्रदेश से 201 किमी दूर है
श्रवण धाम जाने के लिए दो रास्ते हैं. पहला रास्ता, अयोध्या – आजमगढ़ मार्ग. यहां आप अयोध्या- अकबरपुर मुख्य मार्ग से अन्नावा बाजार होते हुए पहुंच सकते है.
दूसरा रास्ता: जिला मुख्यालय अकबरपुर से सुल्तानपुर रोड पर पहितीपुर होते हुए पहुंचा जा सकता है. श्रवण धाम जिला मुख्यालय से 7 किमी की दूरी पर स्थित है.
अयोध्या से कैसे जाएं श्रवण धाम? || How to reach Shravan Dham from Ayodhya
अयोध्या से श्रवण धाम जाने के लिए आपको बाईपास होकर बूथ नंबर 4 पहुंचना होगा. इसके बाद राष्ट्रीय राजमार्ग 135 A पकड़ना होगा. ये हाईवे सीधा श्रवण क्षेत्र के पास से गुजरता है. चिउंटीपारा गांव से 3 किलोमीटर नजदीक से ये हाईवे गुजरता है.
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