Shiv Jyotirlinga – हमने अपनी पहली घुमक्कड़ स्टोरी में आपको 12 ज्योतिर्लिंगों ( Shiv Jyotirlinga ) में से 5 ज्योतिर्लिंगों ( Shiv Jyotirlinga ) के बारे में बताया था। अब आगे की 7 ज्योतिर्लिंगों के बारे में जानने से पहले आप जल्दी से जान लीजिए कि हमने अपनी पहली स्टोरी में क्या-क्या बताया था। दरअसल हमने अपनी पहली स्टोरी की शुरुआत भगवान शिव से जुड़े 2 सवालों से की थी और आपको देश के अलग-अलग जगहों पर स्थित 5 ज्योतिर्लिंगों के बारे में बताया था जिनमें सोमनाथ ज्योतिर्लिंग, केदारनाथ ज्योतिर्लिंग, मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग, महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग और ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग शामिल थे। अगर आप एक बार फिर से पहली स्टोरी को पढ़ना चाहते हैं तो आप नीचे दी हुई लिंक से पढ़ सकते हैं।
यह भी पढ़ें- क्या आपको पता है कहां स्थित हैं ये 12 ज्योतिर्लिंग?
अब हम अपनी घुम्मकड़ स्टोरी में आपको लेकर चलेंगे-
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग
काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग
वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग
रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग
घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग
जगह- महाराष्ट्र
देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में से भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग का छठा स्थान है। इस ज्योतिर्लिंग ( Shiv Jyotirlinga ) को मोटेश्वर महादेव भी कहा जाता है। कहा जाता है कि जो भी भक्त श्रृद्धा से इस मंदिर के प्रतिदिन सुबह सूर्य निकलने के बाद दर्शन करता है, उसके सात जन्मों के पाप दूर हो जाते हैं। साथ ही उसेस स्वर्ग में जगह भी मिलती है। यह ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के पूणे जिले में सह्याद्रि नामक पर्वत पर स्थित है। भीमा नदी भी इसी पर्वत से निकलती है।
कैसे पहुंचे- महाराष्ट्र के पुणे शहर स्थित इस मंदिर तक पहुंचने के लिए पुणे हवाई अड्डा निकटतम एयरपोर्ट है। नजदीकी रेलवे स्टेशन, पुणे रेलवे स्टेशन है। यहां से बस-टैक्सी की सुविधा हर समय उपलब्ध रहती है।
जगह- वाराणसी
काशी विश्वनाथ मंदिर बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह मंदिर पिछले कई हजारों वर्षों से वाराणसी में स्थित है। ऐसा माना जाता है कि एक बार इस मंदिर के दर्शन करने और पवित्र गंगा में स्नान कर लेने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
कैसे पहुंचे- बनारस से बड़े शहर जैसे की नई दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, पुणे, अहमदाबाद, इंदौर, भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर, उज्जैन और जयपुर आदि से वायु, सड़क और रेल यातायात जुड़ा हुआ है। यहां जाने के लिए आपको आसानी से ट्रेनें और बस मिल जाएगी।
त्र्यम्बकेश्वर ज्योर्तिलिंग मन्दिर महाराष्ट्र-प्रांत के नासिक जिले में हैं गौतम ऋषि तथा गोदावरी के प्रार्थनानुसार भगवान शिव इस स्थान में वास करने की कृपा की और त्र्यम्बकेश्वर नाम से विख्यात हुए। मंदिर के अंदर एक छोटे से गंढे में तीन छोटे-छोटे लिंग है, ब्रह्मा, विष्णु और शिव- इन तीनों देवों के प्रतीक माने जाते हैं।
कैसे पहुंचे- सिक से 28 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद त्रयंबकेश्वर मंदिर यातायात से पूरी तरह से जुड़ा हुआ है। यदि आप बस से पहुंचना चाहते हैं तो नासिक से सुबह पांच से लेकर रात नौ बजे तक हर 15 मिनट में सरकारी बसें चलाई जाती हैं। त्रयंबकेश्वर मंदिर का नजदीकी रेलवे स्टेशन नासिक ही है जो पूरे देश से रेल के जरिए जुड़ा हुआ है।
जगह- देवघर
भगवान श्री वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग का मन्दिर जिस स्थान पर अवस्थित है, उसे वैद्यनाथ धाम कहा जाता है। यह स्थान झारखण्ड प्रान्त, पूर्व में बिहार प्रान्त के संथाल परगना के दुमका नामक जनपद में पड़ता है। जहाँ पर यह मन्दिर स्थित है उस स्थान को “देवघर” अर्थात देवताओं का घर कहते हैं।
कैसे पहुंचे-
रेलवे स्टेशन देवघर से 7 कि.मी. की दूरी पर बैद्यनाथ धाम में स्थित है और यह नई दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, वाराणसी और भुवनेश्वर जैसे कई बड़े शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। यहाँ का मुख्य स्टेशन जसीडीह है जो की देवघर से 7 किलोमीटर की दूरी पर है।
जगह- गुजरात
भगवान शिव को नागेश्वर के नाम से भी जाना जाता है। कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति श्रद्धा और विश्वास के साथ यहां दर्शनों के लिए आता है उसकी सभी मनोकामनाएं भगवान शिव पूरी करते हैं। बता दें कि यह ज्योतिर्लिंग गुजरात के बाहरी क्षेत्र में द्वारिका स्थान में स्थित है।
कैसे पहुंचे
नागेश्वर च्योतिर्लिग मंदिर ओखा तथा द्वारका के बीचो-बीच बना है। आपको अहमदाबाद से ओखा के लिए ट्रेनें आसानी से मिल जाएंगी। साथ ही आप द्वारका रेलवे स्टेशन उतर सकते हैं।
जगह- तमिलनाडु
इस ज्योतिर्लिंग को हिंदु के चार धाम में भी जोड़ा गया है। कहा जाता है कि इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना खुद भगवान श्रीराम ने की थी। बता दें कि रामेश्वरम भगवान राम का द्वार है इसलिए इस ज्योतिर्लिंग को रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग कहा जाता है
कैसे पहुंचे
रामेश्वरम रेलवे स्टेशन से आपको हर शहर के लिए ट्रनें आसानी से मिल जाएगी। दिल्ली से रामेश्वरम के लिए सीधी ट्रेनें भी चलती हैं। साथ ही रामेश्वरम से 154 किलोमीटर की दूरी पर मदुरई हवाई अड्डा है।
जगह-महाराष्ट्र
यह भगवान शिव की आखिरी ज्योतिर्लिंग है। इसे धुश्मेश्वर मंदिर भी कहा जाता है।. शिव का बारहवां अवतार ‘घुमेश्वर’के नाम से प्रसिद्ध है । बता दें कि यह ज्योतिर्लिंग अजन्ता एवं एलोरा की गुफाओं के देवगिरी के समीप तड़ाग में अवस्थित है।
कैसे पहुंचे
घृष्णेश्वर का सीमप स्टेशन दौलताबाद है। यहां से करीब 20 किलोमीटर की दूरी पर यह मंदिर स्थित है। रेल और सड़क मार्ग से पूरे देश से जुड़ा हुआ है. यह औरंगाबाद-एलोरा सड़क पर राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 211 के समीप है।
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