Sheshnag Lake Importance: सनातन धर्म में अमरनाथ यात्रा (Amarnath Yatra) का बहुत महत्व है. हर साल यहां हजारों भक्त यात्रा करते है. अमरनाथ यात्रा दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र में स्थित है. भक्त बाबा बर्फानी के धाम पर पहुंचने के लिए बहुत कठिन रास्ते से होते हुए बाबा का दर्शन कर पाते हैं. दो साल के बाद अमरनाथ यात्रा फिर से शुरू हुई. जम्मू कश्मीर प्रशासन (Jammu Kashmir Administration) ने इस यात्रा के लिए पूरी तैयारी की हैं, वहीं श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड (Shri Amarnath Shrine Board) ने भी यात्रियों के ठहरने, लंगर, मेडिकल फैसिलिटी के लिए बंदोबस्त किए हैं. अमरनाथ यात्रा के रास्ते में कई जगहें आती हैं जो धार्मिक और ऐतिहासिक दोनों ही रूप से महत्वपूर्ण हैं. रास्ते में इसी तरह से एक झील भी आती है जिसका नाम शेषनाग झील है… इस झील को प्राचीन काल से ही पवित्र माना जाता है… आइए जानते हैं इस झील के बारे में…
ऐसा माना जाता है कि इस झील में शेषनाग का वास है. अमरनाथ की यात्रा करते समय शिवजी ने अपने गले से सांप उतार दिया था. ऐसा माना जाता है कि 24 घंटे में से एक बार शेषनाग इस जगह पर दर्शन देने के लिए आते हैं. इस झील का आकार भी आपको नाग के जैसा ही दिखाई देगा, जिसे देखकर लगेगा मानों शेषनाग फन फैलाकर बैठे हो.
शेषनाग झील पहलगाम से लगभग 17 किलोमीटर की दूरी पर 3,590 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. इसका हरा-भरा पानी ब्राउन ट्राउट सहित विभिन्न प्रकार की मछलियों का घर है, जबकि पहाड़ और बर्फ से ढके पहाड़ इसके चारों ओर दिखाई देते हैं.
एक पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान शिव ने देवी पार्वती के साथ शाश्वत जीवन के रहस्यों के बारे में बात करते हुए शेषनाग (सांप) को इस स्थान पर छोड़ दिया था.एक और मिथक है कि शेषनाग ने खुद इस झील का निर्माण किया और यहीं रहने लगे. स्थानीय मान्यता है कि इस झील में आज भी शेषनाग निवास करते हैं.
शेषनाग नागों के राजा हैं; वह भगवान विष्णु का सिंहासन है. अमरनाथ में शिव मंदिर जाने से पहले भक्त हमेशा इस पवित्र स्थान की यात्रा करते हैं. शेषनाग से 20 किमी की यात्रा अमरनाथ (बर्फ में निर्मित शिव लिंग) की प्रसिद्ध गुफा है.
वैज्ञानिक रूप से यह एक उच्च ऊंचाई (ऑलिगोट्रोफिक) झील है. मतलब पानी में कम पोषक तत्व होते हैं जो बदले में ऑक्सीजन के स्तर को बढ़ाते हैं. इसलिए, पानी साफ है और अत्यधिक पोर्टेबल है. कुछ प्रजातियां जैसे ट्राउट मछलियां जिन्हें अधिक ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है, ऐसी अल्पपोषी झीलों में रहती हैं. शेषनाग झील आसपास के पहाड़ों से पिघली हुई बर्फ से पोषित होती है.आगे, पहलगाम घाटी में पानी लिडर नदी में मिल जाता है.
श्रीनगर से लगभग 120 किमी और पहलगाम से 23 किमी दूर है. चंदनवाड़ी तक सड़क मार्ग से पहुंचा जा सकता है. इसके अलावा यहां केवल 7 किमी की ट्रेकिंग के माध्यम से पहुंचा जा सकता है. जो लोग ट्रेक नहीं कर सकते वे घुड़सवारी का विकल्प चुन सकते हैंय
ट्रेक मार्ग जून से खुलता है और सितंबर तक रहता है. इस मौसम के बाद, इस क्षेत्र में भारी बर्फबारी होती है और सर्दियों के महीनों में झील भी जम जाती है. नेचर के ऐसे शानदार अजूबों तक पहुंचना कभी आसान नहीं होता है. शेषनाग झील होकर ही अमरनाथ गुफा की यात्रा की जा सकती है.
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