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Sharad Purnima 2024 : शरद पूर्णिमा कब है, जानिए इस दिन चांदनी में क्यों रखी जाती है खीर

Sharad Purnima 2024 : हर साल आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा मनाई जाती है. सभी पूर्णिमाओं में शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व है. आश्विन मास की इस पूर्णिमा को ‘शरद पूनम’ या ‘रास पूर्णिमा’ भी कहा जाता है, जो शरद ऋतु के आगमन का संकेत है. इसे कोजागर के नाम से भी जाना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान कृष्ण ने शरद पूर्णिमा के दिन वृंदावन से गोपियों के साथ रास रचाया था, इसलिए इसे रास पूर्णिमा कहा जाता है. वहीं दूसरी ओर एक और मान्यता है कि शरद पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी धरती पर भ्रमण करने आती हैं, इसलिए इसे कोजागर पूर्णिमा कहा जाता है. शरद पूर्णिमा के दिन रात में खुले आसमान के नीचे चांद की रोशनी में खीर रखने का विधान है. तो जानिए शरद पूर्णिमा के दिन चांद की रोशनी में खीर क्यों रखी जाती है.

शरद पूर्णिमा तिथि और चंद्रोदय का समय || Sharad Purnima date and moonrise time

इस साल शरद पूर्णिमा 16 अक्टूबर को है. हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 16 अक्टूबर को रात 8:40 बजे से शुरू होगी. पूर्णिमा तिथि शाम 4:55 बजे समाप्त होगी. शरद पूर्णिमा पर चंद्रोदय का समय शाम 5:06 बजे होगा.

शरद पूर्णिमा पर खीर क्यों रखी जाती है || Why is kheer kept on Sharad Purnima?

शरद पूर्णिमा की रात चांद की रोशनी को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. इस दिन चंद्रमा अपनी पूरी चमक के साथ चमकता है. इसके अलावा, ऐसा कहा जाता है कि शरद पूर्णिमा की रात चांद की रोशनी में कुछ ऐसे तत्व मौजूद होते हैं, जो हमारे तन-मन को शुद्ध करते हैं और सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करते हैं. इसके साथ ही, यह भी माना जाता है कि शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा की किरणें अमृतमयी होती हैं.

इसलिए, शरद पूर्णिमा की रात को दूध और चावल की खीर बनाकर चांद की रोशनी में रखने का रिवाज है. मान्यता है कि चंद्रमा की किरणें इस मिठाई में अमृत जैसे औषधीय गुण लाती हैं. इस दिन दूध और चावल की खीर बनाकर एक बर्तन में रखकर जालीदार कपड़े से ढककर चांद की रोशनी में रख दिया जाता है. इसके बाद अगली सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उस खीर को भगवान विष्णु को अर्पित किया जाता है और फिर उसे परिवार के सदस्यों में खाया और बांटा जाता है.

 

(अस्वीकरण: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और लोक मान्यताओं पर आधारित है. इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. ट्रैवल जुनून किसी भी बात की सच्चाई का कोई सबूत नहीं देता है।)

Komal Mishra

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