Shantadurga Mandir : Goa का ऐसा मंदिर, जहां आज भी दिखता है पुर्तगाली रंग
Shantadurga Mandir : शांतादुर्गा मंदिर ( Shantadurga Mandir ) गोवा की राजधानी पणजी से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर पोंडा तालुका के कवलम नाम के गांव में स्थित हैं। ये मंदिर ( Shantadurga Mandir ) देवी पार्वती के एक और रूप श्री शांतादुर्गा को समर्पित हैं। मदिर में शांतादुर्गा ( Shantadurga Mandir ) के अलवा भगवान शिव और भगवान विष्णु की प्रतिमाएं भी स्थापित हैं। शांतादुर्गा मंदिर गौड़ सारस्वत ब्राह्मण समुदाय और देवजना ब्राह्मण समुदाय से संबंधित एक व्यक्तिगत मंदिर हैं। शांतादुर्गा मंदिर ( Shantadurga Mandir ) गोवा के सबसे बड़े और महत्वपूर्ण मंदिरों में से एक हैं। अनौपचारिक रूप से यहां के देवता को संतेरी भी कहा जाता है।
शांतादुर्गा मंदिर की कहानी || Story of Shantadurga Mandir
शांतादुर्गा मंदिर और इसके देवी-देवताओं के बारे में एक कहानी काफी ज्यादा प्रचलित हैं कि एक समय पर भगवान शिव और भगवान विष्णु के बीच में एक भयंकर युद्ध छिड़ गया था। लेकिन जब भगवान ब्रह्मा को ये युद्ध समाप्त होते हुए नहीं दिखा था, तो उन्होंने माता पार्वती से युद्ध में हस्तक्षेप करने के लिए कहा था। पार्वती ने शांतादुर्गा के रूप में भगवान विष्णु को अपने दाहिने हाथ पर और भगवान शिव को अपने बाएं हाथ पर उठा लिया था। इसके बाद दोनों देवताओं के बीच में चल रहा ये युद्ध खत्म हो गया था। माता पार्वती का ये अवतार जो भगवान भोले नाथ और भगवान विष्णु के बीच छिड़े इस युद्ध को शांत करने के लिए हुआ था, ये श्री शांतादुर्गा के नाम से पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हुआ है। श्री शांतादुर्गा मंदिर में देवी के मन्त्रों का जाप चलते रहता हैं।
शांतादुर्गा मंदिर मंदिर में स्थापित देवता || Lords in Shantadurga Mandir
शांतादुर्गा मंदिर देवी पार्वती के एक रूप शांतादुर्गा को समर्पित हैं। मंदिर की देवी शांतादुर्गा अपने दोनों हाथों में एक-एक सांप को पकड़े हुए हैं जो कि भगवान विष्णु और भगवान शिव का नेतृत्व करते हैं। दोनों देवताओं की लड़ाई शांत करवाने के कारण देवी को शांतादुर्गा नाम से संबोधित किया गया हैं।
शांतादुर्गा मंदिर का इतिहास History of Shantadurga Mandir
शांतादुर्गा मंदिर शुरुआती समय में कैवेलोसिम में स्थित था, लेकिन पुर्तगालियों के द्वारा मंदिरों को नष्ट किया जा रहा था। तो इस मंदिर को कवलम नाम के गांव में लेटराइट मिट्टी से एक छोटे मंदिर के रूप में स्थापित कर दिया गया था। बाद में इस मंदिर का दोबारा से निर्माण सतारा के मराठा शासक साहू राजे ने अपने मंत्री नरो राम के अनुरोध पर करवाया था। मंदिर का निर्माण कार्य सन् 1738 में पूरा हो गया था।
शांतादुर्गा मंदिर की संरचना|| Architecture of Shantadurga Mandir
शांतादुर्गा मंदिर इंडो और पुर्तगालियों की वास्तुकला का एक संयोजन है। ये मंदिर गोवा के अन्य मंदिरों के विपरीत पिरामिड शिकारा, रोमन धनुषाकार की खिड़कियां और एक फ्लैट गुंबद के रूप में निर्मित है जिसे बलुस्ट्रैड्स द्वारा चारों तरफ से घेर लिया गया है। मंदिर में एक दीप स्तम्भ स्थापित हैं, जो कि यहां पर आने वाले पर्यटकों या भक्तगणों के बीच आकर्षण का केंद्र हैं। दीप स्तम्भ को त्यौहार के समय रोशन किया जाता हैं।
शांतादुर्गा मंदिर के उत्सव || Festivals at Shantadurga Mandir
शांतादुर्गा मंदिर के मुख्य आकर्षणों में एक स्वर्ण पालकी हैं। जिसे मंदिर के देवी देवताओं के लिए उत्सव के समय पर निकाला जाता हैं। उत्सव के दौरान की जानी वाली यात्रा में देवताओं को सुनहरी पालकी में बिठाया जाता हैं। ये उत्सव दिसंबर के महीने में आयोजित किया जाता हैं। यहां पर मनाएं जाने वाले उत्सवो में तुलसी विवाह, पालकी यात्रा, मुक्तभरणी शामिल हैं।
शांतादुर्गा मंदिर खुलने का समय ||Timings of Shantadurga Mandir
शांतादुर्गा मंदिर खुलने का समय सुबह 5: 00 बजे से रात के 10:00 बजे तक का होता हैं। इस समय के दौरान आप यहां पर जाकर देवी मां के दर्शन का लाभ उठा सकते हैं।
शांतादुर्गा मंदिर के आसपास का आकर्षण ||Shantadurga Mandir nearby tourist attractions
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शांतादुर्गा मंदिर दर्शन का सबसे अच्छा समय|| Best Time to visit Shantadurga Mandir
अगर आप गोवा के शांतादुर्गा मंदिर घूमने जा रहे हैं, तो आप पूरे साल किसी भी वक्त यहां पर जा सकते हैं और देवी मां के दर्शन कर सकते हैं।
शांतादुर्गा मंदिर कैसे पहुंचे || How to reach Shantadurga Mandir
शांतादुर्गा मंदिर जाने के लिए आप फ्लाइट, ट्रेन और सड़क तीनों रास्तों से जा सकते हैं। आपको बता दें कि मंदिर के पास डाबोलिम एयरपोर्ट नजदीक पड़ता हैं। इस एयरपोर्ट से शांतादुर्गा मंदिर की दूरी लगभग 34 किलोमीटर की हैं। वहीं ट्रेन के माध्यम से शांतादुर्गा मंदिर जाने के लिए सबसे नजदीकी रेल्वे स्टेशन वास्को डी गामा हैं, जो की 35 किलोमीटर दूर है।