इस ब्लॉग में आप शनिचरा धाम ( Shanichara Dham ) में मेरी यात्रा का वृत्तांत पढ़ेंगे और साथ ही जानेंगे कि अगर आपको शनिचरा धाम ( Shanichara Dham ) पहुंचना हो, तो आप कैसे पहुंच सकते हैं....
Shanichara Dham Morena Tour – बटेश्वर के मंदिरों ( Bateshwar Mandir ) की यात्रा के बाद अब वक्त हो चला था शनिचरा धाम जाने का. शनिचरा धाम ( Shanichara Dham ) भी मुरैना में मौजूद एक बेहद प्राचीन मंदिर है. इस ब्लॉग में आप शनिचरा धाम ( Shanichara Dham ) में मेरी यात्रा का वृत्तांत पढ़ेंगे और साथ ही जानेंगे कि अगर आपको शनिचरा धाम ( Shanichara Dham ) पहुंचना हो, तो आप कैसे पहुंच सकते हैं.
मुरैना यात्रा ( Morena Tour Blog ) की पिछली कड़ी में मैंने पान सिंह तोमर का गांव भिड़ौसा, ककनमठ मंदिर, श्री दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र सिहोनिया, कुतवाल के कुंती मंदिर, मितावली की पहाड़ी पर बने 64 योगिनी मंदिर और मुरैना के ही प्रसिद्ध बटेश्वर मंदिर को कवर किया है. आप इनकी जानकारी को ट्रैवल जुनून वेबसाइट पर ही पढ़ सकते हैं. अगर आपको इनके वीडियो देखने हैं तो वह भी आपको हमारे यूट्यूब चैनल Travel Junoon पर मिल जाएंगे.
मैं अभी तक भूखा ही था. व्याकुलता बढ़ रही थी. ऑटो भी बढ़ रहा था, शनिचरा धाम की ओर. रास्ते में हर ओर दूर तक फैले मैदान दिखाए दे रहे थे. इनके अलावा, जो चीज़ दिखाई दे रही थी, वह थे पहाड़ और उनपर हो रहा खनन. पता नहीं कि यह वैध था या अवैध, लेकिन मुझे अवैध होने के प्रमाण ही ज़्यादा दिखाई दे रहे थे.
चलते-चलते एक शख्स ने हमारे ऑटो को रोक लिया. उसके साथ एक युवा भी था. वह थोड़ा बुजुर्ग थे लेकिन थे अक्खड़. ऑटो वाले को दबंगई से कहा कि ये कढ़ाहा कुछ दूर तक ले जाना है. ऑटो वाले भाई राजबीर ने ना नुकर की तो और आंखें तरेर ली.
राजबीर ने मेरी तरफ इशारा किया और कहा कि मीडिया वाले बैठे हैं अंदर. यह सुनकर वह थोड़ा विनम्र हुए. अब उनका गुस्सा निवेदन की मुद्रा अख्तियार कर चुका था. मैंने कहा कि आप कढ़ाहा रख दो और एक जन अंदर आ जाओ, दूसरे कोई और साधन ले लेना.
उन्होंने मुझसे कहा कि आप आगे बैठ जाइए. मैंने सोचा, अब ये भी नहीं पता कि इन्हें कितनी दूर जाना है. सो, मैंने इससे साफ इनकार कर दिया. जब उनके पास कोई विकल्प नहीं बचा तो उन्होंने मेरी राय ही मानी. हालांकि, करीब 200 मीटर बाद ही उनका गंतव्य आ गया. मुझे यहां बड़ी राहत मिली.
बटेश्वर के मंदिर से शनिचरा मंदिर तक का रास्ता उबड़खाबड़ मिला. कहीं कहीं सड़क का काम चल रही है और कहीं कहीं ढलान और फिर चढ़ाई मिली. मुझे इस वीराने में सिर्फ एक गाड़ी दिखी जो हमारे साथ शनिचरा मंदिर जा रही थी. उस दिन शुक्रवार भी था, और इसी वजह से खामोशी कुछ ज्यादा ही थी.
इन रास्तों से होकर, आखिरकार मैं शनिचरा मंदिर पहुंच चुका था. बाहर कुछ फूल माला और तेल वाले बैठे दिखाई दिए, एक गाड़ी खड़ी दिखी, जिसमें दर्शन करके लौट रहे लोग बैठकर जा रहे थे और वह दूसरी गाड़ी जो हमारे साथ ही यहां पहुंची थी.
इन सबके अलावा मुझे शांति ही दिखी. भूख से अब रहा नहीं जा रहा था. यह पता है कि कहीं जाओ तो दर्शन के बाद ही भोजन या कुछ भी ग्रहण करना चाहिए लेकिन हालत ऐसी हो गई थी कि मैं अभी कुछ मिल जाए, तो खा लूं, ऐसी स्थिति में था.
अंदर दाखिल होने पर मुझे एक त्यागी आश्रम दिखाई दिया. इसपर लिखा था 24 घंटे भंडारा. अब क्या था. मुझसे रहा नहीं गया. वहां एक शख्स नहीं दिखा तो बाहर झाड़ू मार रहे शख्स से मैंने पूछा- भैया क्या कहीं खाने की व्यवस्था है? वह रुके और बगल में भैरो बाबा के मंदिर पर बैठे पुजारी से कहा कि इन्हें भोजन करना है.
पुजारी जी ने कहा कि व्यवस्था करवा दीजिए. झाड़ू लगा रहे शख्स ने मुझसे पूछा कि आप कितने लोग हैं? मैंने कहा कि एक मैं और एक ऑटोवाले. उन्होंने कहा कि आपने दर्शन कर लिया क्या? मैंने कहा अभी नहीं… वह बोले- दर्शन कर लीजिए, फिर यहीं आइए…
अब मुझे संतुष्टि मिल चुकी थी. जब सुबह के भूखे को भोजन मिलने जा रहा हो तो निश्चित ही संतुष्टि मिलती है.
बातचीत के बाद मैंने शनिचरा मंदिर में प्रवेश किया. मंदिर अर्थात मंदिर के दरवाज़े के भीतर. परिसर में तो मैं पहले ही दाखिल हो चुका था. इस दरवाज़े से प्रवेश के बाद, बाईं ओर काली माता का मंदिर है और गुप्त गंगा हैं. गुप्त गंगा दरअसल एक जलधारा है. यह जलधारा धरती में ही समा जाती है इसलिए इसे गुप्त गंगा कहा गया है. इसी जल से शनि देव का जलाभिषेक होता है.
दाहिनी ओर हनुमान जी का मंदिर है. इसमें हनुमान जी की विलक्षण प्रतिमा है. ऐसा प्रतिमा विश्व में कहीं है ही नहीं. आप इस प्रतिमा और मंदिर का संपूर्ण वीडियो नीचे देख सकते हैं.
इन दिनों के बीच से सीधा रास्ता आपको शनि देव के मुख्य मंदिर तक लेकर जाता है. यहां शनि देव की प्रतिमा है. झुके नेत्र वाली ये प्रतिमा देखकर ही आपको उनकी शक्ति का आभास हो जाता है. आप निशब्द हो उठते हैं.
शनि देव के मुख्य मंदिर के बराबर में राधा-कृष्ण का मंदिर भी है. यह मंदिर बाद में बनाया गया है. इस मंदिर में प्रचीनतम स्थल, शनि देव का मंदिर, हनुमान जी का मंदिर और गुप्त गंगा हैं.
शनिचरा मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यह धरती का पहला शनि मंदिर है. त्रेतायुग में हनुमान जी ने लंका से शनि को यहां स्थापित किया था. मंदिर की बेहद महत्ता है. इसके बाद द्वापरयुग में कोसिकला का शनिमंदिर बना और कलयुग में शनि शिंगणापुर का शनि मंदिर.
शनि शिंगणापुर में शनि के रूप में जिस शिला की पूजा की जाती है, वह शिला यहीं मुरैना में स्थित शनिचरा धाम से ही लेकर जाने के बाद वहां स्थापित की गई है.
मंदिर के दर्शन करके लौट आया था. उसी जगह जहां जाते हुए भोजन की बात हुई थी. भैरो बाबा के मंदिर के पुजारी ने मुझे एक इत्र दिया और इशारा किया कि मैं त्यागी बाबा के आश्रम में चला जाऊं. अंदर हमें कुर्सी पर बिठाया गया. क्योंकि उस रोज वहां कोई और नहीं था इसलिए दो ही कुर्सी लगाई गई, अन्यथा धरती पर बैठकर भोजन की व्यवस्था है.
मुझे बताया गया कि अलग अलग बने कमरों में ठहरने की व्यवस्था भी है और यह बिल्कुल निशुल्क है. मुझे नोएडा से आए एक दंपत्ति से मिलवाया गया. ये दंपत्ति 1984 से ही यहां आ रहा है.
नोएडा के दंपत्ति ने बताया कि जब वे यहां उस दौर में आते थे, तब डकैतों तो आतंक बुलंदी पर था. उनकी सिक्योरिटी के लिए अलग से लोग रहते थे. मैंने लगभग 20 मिनट उस दंपत्ति के साथ उन्हीं के कमरे में बातचीत करते बिता दिए.
भोजन लगने के बाद भोजन करने चला गया. रोटी पर चुपड़े देसी घी ने समां बांध दिया था दोस्तों. क्यो भोजन था. आनंद की कोई सीमा नहीं रही. मैंने श्रद्धानुसार दान पात्र में कुछ रुपये डाले और चल दिया वापसी की ओर.
नोएडा के दंपत्ति ने मुझसे कहा था कि मैं त्यागी बाबा से मिलता जाऊं. वैसे तो वह इस समय यहां आ जाते हैं, लेकिन आज वह गौशाला में ही मिलेंगे, तो मैं एक किलोमीटर दूर बनी उनकी गौशाला में जाकर उनसे मिल सकता हूं.
शनिचरा धाम के त्यागी बाबा अपने आप में एक इतिहास हैं. उनकी गौशाला तक पहुंचते हुए मुझे हनुमान जी का एक मंदिर भी दिखा. इसमें लेटे हुए हनुमान जी हैं. यह मंदिर आपको प्रयागराज में मौजूद लेटे हुए हनुमान जी की स्मृति दिलवा देता है. इस मंदिर में भी मैं कुछ पल रुका था और फिर आगे बढ़ गया.
त्यागी बाबा ने मुझसे मिलते ही कहा कि पहले आप चाय पीजिए. ना नुकर किसी काम न आए. चाय पीकर उन्होंने इस पूरे मुरैना क्षेत्र का इतिहास सुना डाला. उस दौर की कहानी भी बताई जब यह मंदिर डकैतों की शरणस्थली हुआ करता था.
आप इस पूरी बातचीत को ट्रैवल जुनून के यूट्यूब चैनल पर शनिचरा मंदिर के वीडियो में और मुरैना विदिशा की यात्रा के प्लेलिस्ट में देख पाएंगे.
मुरैना के शनिचरा धाम पहुंचने के लिए सबसे उत्तम साधन है अपना निजी वाहन. यहां आने के लिए सार्वजनिक परिवहन उपलब्ध नहीं है. आप या तो अपने साधन से यहां आ सकते हैं या फिर मुरैना रेलवे स्टेशन से ऑटो/टैक्स बुक करके भी यहां आ सकते हैं, जैसा मैंने किया.
अब वक्त था वापसी का. वापसी में मुझे लगा कि जब ऑटो बुक किया ही था तब क्यों नहीं सुबह धर्मशाला का कमरा भी खाली कर दिया. कमरा खाली कर देने से मैं अपना इस दिन का रूम खर्च बचा लेता. सामान ऑटो में ही रख सकता था.
आगे से यह ध्यान रहेगा, इस वादे के साथ मैं मुरैना रेलवे स्टेशन के लिए गतिमान था. यहां से साढ़े 6 बजे मेरी गाड़ी थी विदिशा के लिए. विदिशा में मुझे बीजामंडल मंदिर जाना था.
लगभग 1 घंटे से भी कुछ ज्यादा वक्त में ऑटो ने मुझे मुरैना उतार दिया. यहां मैंने राजबीर को शुक्रिया कहा और कमरे में जाकर थोड़ा फ्रेश हुआ, डेटा ट्रांसफर किया, फोन चार्ज किया और सामान पैक करके नीचे आ गया.
मुरैना की विदाई का ये लम्हा मुझे भावुक कर रहा था. दोस्तों सच कहूं तो इसी वक्त मैंने निश्चय कर लिया था कि जल्द दोबारा मुरैना ज़रूर आउंगा और इस बार कम से कम एक हफ्ते के लिए.
आपको ये ब्लॉग कैसा लगा, प्रतिक्रिया ज़रूर दें. आप अपने लिखे अनुभव को भी हमसे साझा कर सकते हैं. अपनी यात्रा का कोई भी वृत्तांत हमें लिख भेजें- Gotraveljunoon@gmail.com पर… हमारे अपडेट्स के लिए यूट्यूब पर हमें ज़रूर फ़ॉलो करें. धन्यवाद
Vietnam Travel Blog : वियतनाम एक खूबसूरत देश है जो अपनी समृद्ध संस्कृति, शानदार लैंडस्केप… Read More
Trek With Friends : फरवरी दोस्तों के साथ रोमांचक सर्दियों की यात्रा पर निकलने का… Read More
Who is Ranveer Allahbadia : जाने-माने डिजिटल कंटेंट क्रिएटर और पॉडकास्ट होस्ट अनवीर अल्लाहबादिया कॉमेडियन… Read More
Rashtrapati Bhavan first wedding : भारत के राष्ट्रपति का निवास, राष्ट्रपति भवन, देश की ताकत,… Read More
Valentine's Day 2025 : फरवरी की शुरुआत और वैलेंटाइन डे के करीब आते ही, क्या… Read More
Valentine Week 2025 : फरवरी को प्यार का महीना भी कहा जाता है क्योंकि लोग… Read More