शाकुम्भरी देवी शक्तिपीठ जहां होती है भक्तों की हर मनोकामना पूरी
Shakumbhari Devi- शाकुम्भरी देवी शक्तिपीठ में भक्तों की गहरी आस्था है. उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में माता का सुंदर स्थान विराजमान है. सहारनपुर नगर से 25 कि.मी यह पावन धाम स्थापित है. शिवालिक पहाड़ियों के मध्य से बहती बरसाती नदी के बीच में मंदिर रूप में माता का दरबार सजा हुआ है. श्रद्धालुओं का विश्वास है कि माता उनकी हर प्रकार से रक्षा करती हैं और उनकी झोली सुख-संपत्ति से भर देती हैं. मंदिर के गर्भ गृह में मुख्य प्रतिमा माता शाकुम्भरी देवी की है. माता की दाईं तरफ माता भीमा देवी व भ्रामरी देवी और बाईं तरफ मां शताक्षी देवी विराजमान हैं.
Story behind the temple
माता शाकुम्भरी अपने भक्तों द्वारा याद करने पर अवश्य आती हैं. इस संबध में एक प्राचीन कथा का उल्लेख आता है. एक समय में दुर्गम नाम का एक असुर था. उसने घोर तप द्वारा ब्रह्मदेव को प्रसन्न करके देवताओं पर विजय पाने का वरदान प्राप्त कर लिया. वर पाते ही उसने मनुष्यों पर अत्याचार करना प्रारंभ कर दिया, अंतत: वरदान के कारण उसने देवताओं पर भी विजय प्राप्त कर ली। चारों वेद भी दुर्गम ने इंद्र देव से छीन लिए. वेदों के ना होने पर चारों वर्ण कर्महीन हो गए. यज्ञ-होम इत्यादि समस्त कर्मकांड बंद होने से देवताओं का तेज जाता रहा, वे प्रभावहीन होकर जंगलों में जाकर छिप गए. प्रकृति के नियमों से छेड़ छाड़ होने पर सृष्टि में त्राहि-त्राहि मच गई. सारी पृथ्वी पर भयंकर सूखा पड़ गया जिस कारण सारी वनस्पतियां सूख गईं. खेतों में फसलें नष्ट हो गईं. ऐसी परिस्थितियों में देवता व मानव दोनों मिल कर मां अंबे की स्तुति करने लगे.
Importance of Shakumbhari Devi
बच्चों की पुकार सुन कर मां ना आए ऐसा भला कभी हो सकता है? भक्तों की करुण आवाज पर माता भगवती तुरंत प्रकट हो गईं. देवताओं व मानवों की दुर्दशा देख कर मां के सौ नेत्रों से करुणा के आंसुओं की धाराएं फूट पड़ीं. सागरमयी आंखों से हजारों धाराओं के रूप में दया रूपी जल बहने के कारण शीघ्र ही सारी वनस्पतियां हरी-भरी हो गईं. पेड़ पौधे नए पत्तों व फूलों से भर गए. इसके तुरंत बाद माता ने अपनी माया से शाक, फल, सब्जियां व अन्य कई खाद्य पदार्थ उत्पन्न किये. जिन्हें खाकर देवताओं सहित सभी प्राणियों ने अपनी भूख-प्यास शांत की समस्त प्रकृति में प्राणों का संचार होने लगा. पशु व पक्षी फिर से चहचहाने लगे. चारों तरफ शांति का प्रकाश फैल गया. इसके तुरंत बाद सभी मिलकर मां का गुणगान गाने लगे. चूंकि मां ने अपने शत अर्थात् सौ नेत्रों से करुणा की वर्षा की थी इसलिए उन्हें शताक्षी नाम से पुकारा गया. इसी प्रकार विभिन्न शाक आहार उत्पन्न करने के कारण भक्तों ने माता की शाकुम्भरी नाम से पूजा-अर्चना की.
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Interesting Fact of Shakumbhari Devi
अंबे भवानी की जय-जयकार सुनकर मां का एक परम भक्त भूरादेव भी अपने पांच साथियों चंगल, मंगल, रोड़ा, झोड़ा व मानसिंह सहित वहां आ पहुंचा. उसने भी माता की अराधना गाई. अब मां ने देवताओं से पूछा कि वे कैसे उनका कल्याण करें? इस पर देवताओं ने माता से वेदों की प्राप्ति के लिए प्रार्थना की, ताकि सृष्टि का संचालन सुचारू रूप से चल सके. इस प्रकार मां के नेतृत्व में देवताओं ने फिर से राक्षसों पर आक्रमण कर दिया. युद्ध भूमि में भूरादेव और उसके साथियों ने दानवों में खलबली मचा दी. इस बीच दानवों के सेनापति शुम्भ निशुम्भ का भी संहार हो गया. ऐसा होने पर रक्तबीज नामक दैत्य ने मारकाट मचाते हुए भूरादेव व कई देवताओं का वध कर दिया.
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रक्तबीज के रक्त की जितनी बूंदें धरती पर गिरतीं उतने ही और राक्षस प्रकट हो जाते थे. तब मां ने महाकाली का रूप धर कर घोर गर्जना द्वारा युद्ध भूमि में कंपन उत्पन्न कर दिया.डर के मारे असुर भागने लगे. मां काली ने रक्तबीज को पकड़ कर उसका सिर धड़ से अलग कर दिया. उसके रक्त को धरती पर गिरने से पूर्व ही मां ने चूस लिया. इस प्रकार रक्तबीज का अंत हो गया. अब दुर्गम की बारी थी. रक्तबीज का संहार देखकर वह युद्ध भूमि से भागने लगा परंतु मां उसके सम्मुख प्रकट हो गई. दुर्गा ने उसकी छाती पर त्रिशूल से प्रहार किया. एक ही वार में दुर्गम यमलोक पहुंच गया. अब शेर पर सवार होकर मां युध्द भूमि का निरीक्षण करने लगीं. तभी मां को भूरादेव का शव दिखाई दिया. मां ने संजीवनी विद्या के प्रयोग से उसे जीवित कर दिया तथा उसकी वीरता व भक्ति से प्रसन्न होकर उसे वरदान दिया कि जो भी भक्त मेरे दर्शन हेतु आएंगे वे पहले भूरादेव के दर्शन करेंगे. तभी उनकी यात्रा पूर्ण मानी जाएगी. आज भी मां के दरबार से आधा कि.मी. पहले भूरादेव का मंदिर है. जहां पहले दर्शन किये जाते हैं.
How To reach
Shakumbhari Devi By Air
अगर आप हवाई जहाज से माँ शाकुम्भरी देवी सहारनपुर की यात्रा करना चाहते हैं तो आप देहरादून हवाई अड्डे से यात्रा कर सकते हैं और देहरादून से आप रोड या ट्रेन के रास्ते आ सकते हैं. हवाई जहाज द्वारा नई दिल्ली आईजीआई हवाई अड्डे पर पहुंचकर सहारनपुर की यात्रा का दूसरा आॅपशन है, इसके बाद आप या तो सड़क या ट्रेन से जा सकते हैं. यहां पहुंचने के लिए सहारनपुर जिले में स्थित बेहट बस स्टैंड से बस द्वारा मन्दिर पहुंचा जा सकता है.
Shakumbhari Devi By Train
अगर आप ट्रेन से यात्रा करते हैं तो आपको सहारनपुर रेलवे स्टेशन उतर सकते हैं यहां से मंदिर नजदीक पड़ेगा.
Shakumbhari Devi By Road
अगर आप बस से आना चाहते हैं तो बेहट बस स्टैंड उतरकर मंदिर पहुंचा जा सकता है.