Sarvadaman D. Banerjee की Personal Life – क्यों छोड़ दी एक्टिंग की दुनिया ? क्या करती हैं उनकी बेटी ?
Sarvadaman D. Banerjee Personal Life and Photos – साल 2020 में, भारत ने लॉकडाउन देखा. इस लॉकडाउन के दौर में दूरदर्शन के पौराणिक सीरियल एक बार फिर लोगों ने देखें. ये वो दौर रहा जब देश की युवा पीढ़ी भी रामानंद सागर के बनाए टीवी प्रोग्राम रामायण और श्रीकृष्णा से खुद को जोड़ पाई. इन टीवी कार्यक्रमों के किरदारों को नई पीढ़ी ने देखा और पसंद किया. इन किरदारों में श्री कृष्णा टीवी सीरियल में कृष्ण का किरदार निभाने वाले Sarvadaman D. Banerjee को भी खूब चर्चा मिली. Sarvadaman D. Banerjee को युवा पीढ़ी ने खूब पसंद किया. हिंदी, बंगाली और तेलुगू भाषा में काम कर चुके Sarvadaman D. Banerjee ने, फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (FTII) से एक्टिंग की पढ़ाई की है. Sarvadaman D. Banerjee ने महेंद्र सिंह धोनी के ज़िन्दगी पर आधारित फिल्म ‘एम॰ एस॰ धोनी द अनटॉल्ड स्टोरी’ में धोनी के कोच की भूमिका भी निभाई थी. एक्टिंग की दुनिया को दूर रखकर वो अब निशुल्क योग एवं मेडिटेशन क्लास चलाते हैं वो लोगों को आध्यात्म सिखाते हैं. आइए आज आपको बताते हैं Sarvadaman D. Banerjee की ज़िंदगी की कुछ बातें और उनके आज के जीवन के बारे में. साथ ही, www.traveljunoon.com के साथ उनकी मुलाकात के अनुभव का जिक्र भी आप इस आर्टिकल में पढ़ सकेंगे.
Sarvadaman D. Banerjee Personal Life
Sarvadaman D. Banerjee का जन्म 14 मार्च 1965 के दिन उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के मगरवारा में हुआ था. उन्होंने शुरुआती पढ़ाई, कानपुर के St. Aloysius School में पूरी की. इसके बाद जब वो 9वीं और 10वीं क्लास में पहुंचें, तभी उन्होंने ये तय कर लिया था कि वो ऐक्टिंग की दुनिया में जाएंगे और अभिनय करेंगे. ये वो समय था जब उनका 3-4 दोस्तों का ग्रुप था. उस समय इन दोस्तों ने मिलकर 40 से 50 मिनट की फिल्म भी बनाई थी. सर्वदमन बनर्जी को बचपन से ही आध्यात्म में खासी रुचि थी. 5 वर्ष की उम्र तक तो हाल ऐसा था कि ये किसी से बात भी नहीं करते थे. लोग सोचते थे कि ये बच्चा बोल ही नहीं पाएगा. प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद इन्होंने अभिनय की पढ़ाई के लिए पुणे के फिल्म इंस्टिट्यूट FTII में दाखिला लिया और वहां से पढ़ाई की.
सर्वदमन बनर्जी से जब हमने एक्टिंग के बारे में ये पूछा कि क्या आपने एक्टिंग FTII से सीखी है. तो उन्होंने कहा कि एक्टिंग कहीं से सीखी नहीं जाती है. इसके अलावा, उन्होंने ये भी कहा कि FTII में जितने सो कॉल्ड इंटीलेक्चुअल आते हैं, सब एक नंबर के फर्जी हैं.
Sarvadaman D. Banerjee Wife
Sarvadaman D. Banerjee की निजी जिंदगी की बात करें तो इनकी शादी सुनीता से हुई थी जो पेशे से एक डॉक्टर हैं. दुख की बात ये रही कि शादी 14 वर्ष तक चली और टूट गई. इनकी एक बेटी भी है और वो भी एक डॉक्टर है. सर्वदमन से जब हमने ये सवाल किया कि आपकी एक बेटी भी थी तो उन्होंने कहा कि वंस अपॉन अ टाइम. शादी के सवाल पर उन्होंने ये भी कहा कि मैंने शादी कभी मानी ही नहीं. मैंने मां-बाप किसी को नहीं माना.
Sarvadaman D. Banerjee Mother and Father Information
मां और पिता के सवाल पर सर्वदमन बनर्जी ने कहा कि मेरी मां मुझे अपना गुरू बुलाती थी. एक बार मां ने उनसे कहा कि मैंने तुझे पैदा किया है. सर्वदमन ने इस बात पर मां से कहा कि ये सब ऑटोमैटिक हुआ है, आपने पैदा नहीं किया है. अगर आपने मुझे अपनी इच्छा से पैदा किया है तो मेरी तरह एक और बच्चा जन्मकर दिखाओ. इसपर मां ने चुप्पी साध ली.
पिता के प्रश्न पर उन्होंने कहा कि मेरे पिता ने हजारों किताबें पढ़ीं. जो वो पढ़ते थे, वही बोलते थे, फिर तोते में और पिता में क्या फर्क रह गया. मैंने कभी उनकी सुनी ही नहीं. हां सुनता था लेकिन मानता नहीं था.
Sarvadaman D. Banerjee के फेवरेट फिल्म डायरेक्टर
सर्वदमन के फेवरिट फिल्म डायरेक्टर जापान के अकीरा कुरोसावा हैं. उनके बारे में ख़ास बात ये है कि वे बहुत कम फिल्में देखते हैं. जब उन्होंने फिल्म अमर प्रेम देखी तो वे बहुत रोये थे. फिल्म देख कर बाहर आये और फिर से टिकट लिया और फिर फिल्म देखने लगे. फिल्म में राजेश खन्ना का किरदार उन्हें बहुत पसंद आया. ये किरदार उनपर इतना हावी हो गया कि वो वैसा बनने की सोचने लगे.
वो सोचने लगे कि मैं इतना अच्छा आदमी तो नहीं बन सकता लेकिन अभिनेता बनूं तो कम से कम ऐसे किरदार तो निभा ही सकता हूं. इसके बाद उनपर भगवान की ऐसी कृपा हुई कि फिल्म इंस्टिट्यूट से निकलने के बाद 1981 में उन्हें पहली फिल्म आदि शंकराचार्य करने को मिली जो दुनिया में नामी ज्ञानी संत थे. इन्हीं आदि शंकराचार्य की वजह से हिन्दू समाज को सही दिशा मिली थी. इस फिल्म के लिए उन्होंने सर मुंडवाया था और 2.5 वर्ष तक नंगे पैर ही घूमते थे कोई मेकअप नहीं करते थे. इस फिल्म को 4 बार राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला.
ये फिल्म करने के बाद, उन्होंने फिल्म वल्लभाचार्य गुरु, श्री दत्ता दर्शनम भी की. फिर उन्होंने डायरेक्टर के. विश्वनाथ के साथ तेलुगु फिल्म सिरिवेनेला की जिसमे उन्होंने अंधे होने का किरदार किया था. इस फिल्म में उनके साथ अदाकारा मुनमुन और कमल हसन की पत्नी सुहासनी हसन थी. इसमें उन्हें स्टेट अवार्ड मिला. इसके बाद, उन्होंने कुछ और तेलुगु फिल्में की. तेलुगु इंडस्ट्री में बड़ा नाम मिलने के बाद सर्वदमन मुंबई आ गए और उन्होंने 1993 में कृष्णा किया और उसके बाद 1998 में स्वामी विवेकानंद का किरदार निभाया. वे रामानंद सागर जी के साथ काफी वक़्त तक जुड़े रहे और 1995 के सीरियल अर्जुन , 2001 के जय गंगा मैया , और 2005 के ॐ नमः शिवाय में भी काम किया.
How Sarvadaman Banerjee selected for Shri Krishna Character
कृष्णा का किरदार किसी भी अभिनेता के लिए बेहद अहम होता है. आइये हम आपको बताते हैं कि सर्वदमन को, रामानंद सागर की टीवी प्रोग्राम में कृष्ण का किरदार कैसे मिला था. वर्ष 1993 में कृष्णा धारावाहिक का निर्माण करते समय रामानंद सागर ने सर्वदमन डी बनर्जी को कृष्णा का रोल ऑफर किया. हालांकि, रामानंद सागर के इस ऑपर को सर्वदमन ने ये कह कर मना कर दिया की मेरे अंदर शिव है में कृष्ण को सही से जानता नहीं हूं.
रामानंद सागर जी के बार बार कहने पर उन्होंने जवाब देने के लिए 10 दिन का वक्त भी मांगा. वो मन ही मन कृष्ण से प्रार्थना करने लगे कि अगर दर्शन दोगे तो आपका काम करूंगा. एक दिन वह ऑटो से वासु भट्टाचार्य के घर जा रहे थे. रास्ते में समुद्र, शाम का समय, उफान मारती लहरें, उस पर गिरती पानी की बूंदे और उस पर नृत्य करते हुए कृष्ण कन्हाई. ये सब देखकर सर्वदमन बेहोश से हो गए.
उन्हें जब होश आया तो उन्होंने ऑटो वाले से ऑटो वापस ले चलने के लिए कहा और इसके बाद उन्होंने कृष्णा के किरदार के लिए हां कर दी. कृष्ण के बाद सर्वदमन ने फिल्म विवेकानंद की और हाल ही में 2016 में आई फिल्म ‘एम एस धोनी: द अनटोल्ड स्टोरी’ में सर्वदमन ने धोनी बने सुशांत सिंह राजपूत के कोच का भी किरदार निभाया था.
सर्वदमन ने किया था 50 की उम्र तक ही एक्टिंग का फैसला
सर्वदमन ने, रामानंद सागर के टीवी प्रोग्राम कृष्णा को करते समय ही ये तय कर रखा था कि वे 45 से 50 वर्ष की उम्र तक ही काम करेंगे. इसके बाद, वे जीवन से जुड़े कुछ काम करेंगे. कृष्णा का किरदार अदा करते करते वे मायानगरी छोड़ अध्यात्म की तरफ चल पड़े. आख़िरकार, स्वामी विवेकानंद फिल्म करने के बाद आजकल वे फ़िल्मी दुनिया से दूर होकर ऋषिकेश में गंगा किनारे मैडिटेशन कराते हैं. मैडिटेशन कराते कराते उन्हें करीब 24 वर्ष बीत चुके हैं.
मैडिटेशन के अलावा, सर्वदमन बनर्जी पंख नाम की एक एनजीओ को भी सपोर्ट कर रहे हैं. यह एनजीओ, उत्तराखंड में स्लम में रहने वाले करीब 200 बच्चों को पढ़ाई में मदद कर रही है. गरीबी में रहने वाले 200 बच्चों को मुफ्त शिक्षा देने में सहायता कर रही है. इसके अलावा, ये एनजीओ वहां की शोषित महिलाओं को आजीविका कमाने की स्किल्स भी सिखाती है. ये काम वाकई सराहनीय है.
Sarvadaman D. Banerjee Meditation Centre
जब हम सर्दमनव बनर्जी के घर पहुंचे तो हमें वो मेडिटेशन करते हुए मिले. जब हमने सर्वदमन बनर्जी के मैडिटेशन सेंटर में प्रवेश किया तो हमें हर तरफ सकारातमक ऊर्जा दिखाई दी. अंदर एक खुला प्रांगण भी था. सीढ़ियों से ऊपर चढ़ने पर आपको बालकनी से एक खुला वातावरण मिलता है. ये नजारा देखकर ही तबीयत खुश हो जाती है.
Ramanand Sagar TV Serial Sri Krishna
रामानंद सागर के टीवी सीरियल, श्री कृष्णा का प्रसारण साल 1993 से 1996 के बीच हुआ था. उस वक्त ये शो ना सिर्फ लोगों के बीच काफी पॉपुलर हुआ बल्कि इसका हर किरदार दर्शकों के दिलों में रच-बस गया. इन्हीं किरदारों में से एक किरदार था सर्वदमन बनर्जी का. सर्वदमन डी बनर्जी ने कृष्ण के किरदार को इस कदर अपने में बसा लिया था मानो असल में भगवान कृष्ण ने अवतार लिया हो.
नीतीश भारद्वाज और सर्वदमन बनर्जी का रिश्ता
एक और दिलचस्प बात आपको बताते हैं, वो ये कि बीआर चोपड़ा की महाभारत वाले श्री कृष्ण यानी कि नीतीश भारद्वाज और कृष्णा वाले कृष्ण, सर्वदमन बनर्जी में 36 का आंकड़ा था. इसी से जुड़ा एक किस्सा बेहद मशहूर है. दरअसल, एक बार मुंबई में लायंस क्लब का प्रोग्राम हो रहा था. यहां रामानंद वाले कृष्ण यानी सर्वदमन का सम्मान समारोह किया जा रहा था. वहां किसी पत्रकार ने, सर्वदमन से बीआर चोपड़ा वाले कृष्ण यानी नीतीश भरद्वाज के बारे में सवाल किया. इसपर, सर्वदमन ने कहा “कौन से कृष्ण? वही, जिसे दुनिया भर में फैले कृष्ण भक्तों में से किसी ने नहीं पूछा, हमसे मिलने तो बीबीसी की टीवी टीम गुजरात में लक्ष्मी स्टूडियो तक चली आई थी. टीएनटी वालों ने मेरा सीरियल खरीद लिया है. चार देशों में मेरा सीरियल दिखाया जाएगा. मैंने तो दुनिया में धूम मचा दी.”
अब ये बात नीतीश भरद्वाज तक भी पहुंची. उन्होंने इस बात पर कहा कि ‘जिनसे घर में दिया नहीं जला, वे मस्जिद उजागर करने के दावे कर रहे हैं. किसी हिंदुस्तानी से पूछते, कोई पहचानता है इन्हें?’ इस किस्से से साबित होता है कि भगवानों में चाहे लड़ाई न हो लेकिन भगवान का रोल करने वालों में खींचतान हो सकती है.