हम डोबरा चांटी से निकल चुके थे. रास्ते में चंबा होते हुए ऋषिकेश पहुंच चुके थे. ऋषिकेश में लंच के बाद, अगली मंज़िल थी सर्वदमन बनर्जी ( Sarvadaman Banerjee ) से मुलाकात करना. चूंकि सर्वदमन बनर्जी ( Sarvadaman Banerjee ) से मुलाकात पहले से तय थी इसलिए इसे लेकर मैं ज़्यादा चिंतित न होकर एक्साइटेड था. दरअसल, सर्वदमन जी ( Sarvadaman Banerjee ) के साथ बचपन की अमिट याद जुड़ी हुई है. गांव में जब बिजली नहीं थी, तब पूरा गांव में बैटरी चार्ज होकर आती थी और सब एकजुट होकर श्री कृष्णा को देखा करते थे. रामानंद सागर के धारावाहिक श्रीकृष्णा के उस दौर का मैं गवाह रहा हूं इसलिए टीवी के अपने पहले हीरो से मिलने की तमन्ना बचपन से ही तीव्र रही थी.
नटराज चौक पर भोजन करके, हम सर्वदमन बनर्जी जी से मिलने उनके दिए पते पर पहुंच गए. हालांकि वहां पहुंचने तक की यात्रा भी आसान नहीं थी. हम शेयर्ड ऑटो से कॉलोनी के गेट पर तो उतर गए लेकिन जब उनके बारे में जानकारी ली तो पता चला कि वो कालोनी के अंतिम छोर पर रहते हैं और वह दूरी लगभग 3 से 4 किलोमीटर की होगी. खैर, हिम्मत हारने का सवाल नहीं था. हम भी चल दिए. चलत चलत, ढलान आई, फिर चढ़ाई, फिर खराब रास्ता, 15-15 किलो के बैग उठाए हम चलते रहे, चलते रहे. आखिर में, हम कालोनी के छोर पर आ गए.
कालोनी के अंतिम छोर पर बड़े बड़े घर बने थे. एक घर में, किसान पशुओं के लिए चारा तैयार कर रहे थे. हमने उनसे सर्वदमन जी ( Sarvadaman Banerjee ) के घर के बारे में पूछा, उन्होंने घर की तरफ न सिर्फ इशारा किया बल्कि बाहर आकर एक दूसरे घर के अंदर से बने रास्ते से जाने की सलाह भी दी. साथ ही कहा कि जाते वक्त हम दरवाजे को बंद कर दें. इसके बाद अगले 5 मिनट में हम सर्वदमन जी ( Sarvadaman Banerjee ) के घर के बाहर खड़े थे और नेम प्लेट को पढ़ रहे थे जिसपर लिखा था – Banerjee Sarvadaman
ये घर बेहद ही प्लानिंग से तैयार किया गया था. मेन गेट के अंदर लेकिन घर के परिसर में ही उनकी गाड़ी खड़ी थी और गाड़ी के आगे जालीदार दरवाजे के पीछे वो ध्यानमग्न थे. यह मेरा उनसे पहला साक्षात्कार था. मैं उन्हें देखकर थोड़ा पीछे हो गया. मन में ख्याल आया कि कहीं उन्हें असहज न लगे. पीछे होकर, मैंने बेल बजाई. एक शख्स बाहर आए और उन्होंने हमसे अगले दरवाजे से एंट्री करने के लिए कहा. मैं अगले दरवाजे की तरफ बढ़ा और वहां से घर में प्रवेश किया.
घर में प्रवेश करते ही एक सकारात्मक ऊर्जा का अहसास मुझे हुआ. घर में, हर तरफ पॉजिटिविटी ही महसूस हो रही थी. उस शख्स ने हमें ऊपर पहुंचाया और एक हॉल में हम बैठ गए. हमारे बैठने के 5 मिनट के भीतर सर्वदमन जी का उस हॉल में आना हुआ. उन्हें देखकर ही ऐसा लगा कि जैसे बचपन की अभिलाषा आज पूरी हो गई. मैं बेहद खुश हुआ.
सर्वदमन बनर्जी जी ( Sarvadaman Banerjee ) से मुलाकात कैसी रही, क्या रही, इसके लिए आप हमारा वीडियो ज़रूर देखें. हालांकि, इस मुलाकात के बाद मुझे ऐसा ज़रूर लगा कि जैसे मेरा दूसरा जन्म हो गया हो. आज तक बंद आंखों से मेडिटेशन किया था लेकिन उनसे बात करते करते, पहली बार मैंने खुली आंखों से मेडिटेशन किया. न जाने किस लोग में पहुंच गया था. यहां मैंने पहली बार शून्य हो जाने का अहसास भी लिया.
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