Sanchi Stupa Tour Guide – नज़दीकी रेलवे स्टेशन, म्यूज़ियम-स्तूप का Ticket Fare और Guide Charges
Sanchi Stupa Tour Guide : सांची ( Sanchi ) , मध्य प्रदेश के रायसेन जिले की एक नगर पंचायत है. यह भोपाल से 46 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में है और विदिशा जिले से 10 किलोमीटर दूरी पर. यह शहर अपने सांची स्तूप ( Sanchi Stupa ) के लिए जाना जाता है. सांची एक धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व का धार्मिक स्थल है. सांची, पहाड़ी की चोटी पर बनाए गए कई स्तूपों का स्थल है. बौद्ध धर्म पर आधारित इन स्तूपों में से मुख्य स्तूप के अंदर भगवान बुद्ध के बॉडी रिमेंस रखे गए थे जबकि बाकी उनके शिष्यों पर केंद्रित हैं.
सम्राट अशोक ने यहां पहला स्तूप बनवाया और कई स्तंभों का भी निर्माण किया. प्रसिद्ध अशोक स्तंभों के मुकुट में चार शेर पीछे की ओर खड़े दिखाई देते हैं, इसे ही भारत के राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में अपनाया गया है. यूनेस्को द्वारा सांची स्तूप को 1989 में वर्ल्ड हेरिटेज स्थल घोषित किया था. सांची में स्तूपों ( Sanchi Stupa ) का निर्माण तीसरी ईसा पूर्व से शुरू हुआ जो बारहवी शताब्दी तक चलता रहा.
विदिशा से सांची का यात्रा || Vidisha to Sanchi
सांची स्तूप ( Sanchi Stupa ) जाने की मेरी कोई योजना नहीं थी. जब विदिशा के शाही परिवार से मिला तो सिद्धार्थ जी ने ज़ोर देकर कहा कि आपको वहां ज़रूर जाना चाहिए, तब मैंने वहां जाने का फैसला किया. उन्होंने किसी से कहकर मुझे बस स्टॉप तक ड्रॉप भी करवा दिया.
बस में सांची के लिए मैंने 12 या 15 रुपये की टिकट ली और 30 मिनट के अंदर मैं सांची स्टैंड पर था. सांची स्टैंड पर आपको कई ऑटो वाले मिलते हैं. अकेले हों तो ये 50 रुपये तक भी चार्ज कर लेते हैं. वैसे शेयर्ड में यह किराया कम रहता है.
मैंने कोई ऑटो तो नहीं किया, हां मेरे पास कई लोग ज़रूर आए, ये पूछने के लिए कि सांची जाना है क्या. मैंने पैदल ही कदमताल करने का फैसला किया. कुछ दूर आगे बढ़ने पर बाईं ओर सांची म्यूज़ियम है. सांची म्यूज़ियम की टिकट 5 रुपये की है. मैंने पहले म्यूज़ियम देखना सही समझा.
अगर ऑटो लेता तो यह नहीं देख पाता, वह तो सर्र से सीधा सांची ले जाते.
सांची म्यूज़ियम || Sanchi Museum
सर जॉन मार्शल – म्यूज़ियम में प्रवेश करते ही मुझे दाहिनी ओर कुछ दूरी पर सर जॉन मार्शल का बंगला दिखाई दिया. सर जॉन मार्शल एक पुरात्तवविद् थे. वह 1902 से 1928 तक भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग के महानिदेशक रहे थे. भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग ( ASI ) के महानिदेशक के रूप में जॉन मार्शल के कार्यकाल में भारतीय पुरातत्व के अंतर एक बड़ा बदलाव देखा गया. वह भारत में काम करने वाले पहले पेशेवर पुरातत्वविद् थे. वह भारत में अपने साथ ग्रीस और क्रेते में काम करने के अपने अनुभव को लाए.
सांची म्यूज़ियम की स्थापना सर जॉन मार्शल ने ही की थी. हालांकि वर्तमान भवन में म्यूज़ियम को स्थानंतरित 1966 में किया गया था. यह मुख्यतः एक कॉलेज भवन था. ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि ऊपर पहाड़ी पर जगह की कमी थी. इस म्यूज़ियम में चार गैलरियां और एक हॉल है. यह म्यूज़ियम हर शुक्रवार को बंद रहता है. आप सुबह 10 बजे से लेकर शाम 5 बजे तक यहां विज़िट कर सकते हैं.
सांची म्यूज़ियम में सर जॉन मार्शल का बंगला लॉक रखा गया है. हालांकि यह स्मृति भवन आज भी उनकी यादों को संजोए हुए है.
सांची म्यूज़ियम शिव मंदिर || Sanchi Museum Shiva Temple
यह कम ही लोगों को पता होगा कि सांची में सदियों पुराना एक शिवलिंग भी है. यहां गैलरी के पीछे एक टीले पर शिवलिंग स्थापित है. यहां एक मंदिर भी था जिसे नष्ट कर दिया गया. शिवलिंग पर आज भी पूजा की जाती है.
शिवलिंग तक पहुंचने का रास्ता नहीं है. आपको घास के मैदान से होकर ही वहां तक पहुंचना होता है. हां, बारिश होने पर यह हिस्सा पानी से भर जाता है, इसलिए संभलकर जाएं.
बुद्ध जम्बूद्वीप पार्क || Buddha Jambudweep Park Sanchi
मध्य प्रदेश पर्यटन विकास निगम ने महात्मा गौतम बुद्ध के जीवन सिद्धांतों और उनके जीवन पर केंद्रित इस बुद्ध जम्बूद्वीप पार्क का निर्माण किया है. यहां लेज़र शो भी आयोजित किया जाता है. यह पार्क 17 एकड़ में फैला हुआ है.
इसमें इंटरप्रिटेशन सेंटर कैफ़ेटेरिया मेडिटेशन कियोस्क एवं जन सुविधाएं भी विकसित की गई हैं. बच्चों के लिए भी यह जगह खासी रोचक है. उनमें नैतिक मूल्यों के विकास के लिए जातक वन का निर्माण किया गया है.
सांची स्तूप तक की ट्रेकिंग || Trek to Sanchi Stupa
सांची बस स्टैंड से सांची स्तूप तक की पैदल यात्रा आपको थका सकती है. मैंने म्यूज़ियम से आगे बढ़ने पर एक शॉर्ट कट लिया. इससे रास्ता छोटा तो हो गया लेकिन दूरी ज़्यादा कम नहीं हुई. बैठते, चलते, आराम करते मैं लगभग 25 मिनट में सांची स्तूप तक पहुंच गया था.
सांची स्तूप के लिए पार्किंग || Sanchi Stupa Parking
मैं अभी तक मध्य प्रदेश की अपनी विदिशा-मुरैना यात्रा के दौरान कई जगहों पर गया था. इसमें मुरैना का 64 योगिनी मंदिर और बटेश्वर मंदिर व विदिशा का विजय मंदिर या बीजामंडल भारतीय पुरात्तव सर्वेक्षण विभाग के अंतर्गत आते हैं. इनमें से कहीं पर भी यात्रा टिकट नहीं थी.
सांची स्तूप इन जगहों से थोड़ा अधिक चर्चित है, इसके बावजूद यहां पार्किंग बिल्कुल फ्री है. कमाल की बात लगी.
सांची में एंट्री टिकट और लॉकर सुविधा || Sanchi Entry Ticket and Locker Facility
सांची में एंट्री टिकट 40 रुपये की है. यहां एंट्री टिकट के काउंटर वाले ऑफिस में ही लॉकर सुविधा भी है. यहां आप अपना कीमती सामान लॉकर में रख सकते हैं. चाबी आपके पास ही रहती है. यह लॉकर सुविधा भी निशुल्क है.
मॉडर्न टैंपल, सांची || Modern Temple Sanchi
स्तूप के लिए एंट्री से पहले, पार्किंग के सामने आपको मॉडर्न टेंपल दिखाई देता है. सांची का यह मॉडर्न टेंपल श्रीलंका ने बनवाया है. ज़मीन भारत ने दी थी. श्रीलंका के लिए यह सांची स्थल इसलिए अहमियत रखता है क्योंकि देश में बौद्ध धर्म यहीं से पहुंचा था.
सम्राट अशोक के पुत्र महेंद्र और पुत्री संघमित्रा यहीं से श्रीलंका गए थे, जिसके बाद श्रीलंका में बौद्ध धर्म का प्रचार और प्रसार हुआ. आज श्रीलंका में 70 फ़ीसदी से ज़्यादा आबादी बौद्ध है.
सांची स्तूप देखने की टिकट कितने की है? || Sanchi Museum Ticket
मॉडर्न टेंपल तक आपसे यहां किसी तरह का शुल्क नहीं लिया जाता है. मॉडर्न टेंपल के बाद ही सांची के स्तूपों को देखने के लिए एंट्री गेट है. इसी एंट्री गेट के पास एक ऑफिस में टिकट काउंटर है. यहां से आप सांची स्तूप की टिकट लेते हैं.
सांची स्तूप की टिकट 40 रुपये प्रति व्यक्ति है. यहीं पर आपको लॉकर की सुविधा मिल जाती है.
सांची स्तूप में गाइड सुविधा || Guide Charges in Sanchi Stupa
सांची में गाइड सुविधा भी उपलब्ध है. मैं आपसे यही कहूंगा कि बगैर गाइड सुविधा के यह ऐसा है कि आप बस देखते रहें और समझें कुछ न! हां, अगर गूगल करें तो अलग बात है लेकिन यहां कदम कदम पर इतना कुछ है कि हर हिस्से को गूगल करके कैसे पढ़ेंगे?
जैसे एक ग्रीक आर्किटेक्चर है, उसका क्या महत्व है, कितने बनाया. सिकंदर के एक सिपहसालार ने उसे निर्मित कराया था. आप हमारे वीडियो में वह देख सकते हैं.
सांची स्तूप में गाइड अमूमन 500 रुपये चार्ज करते हैं, हालांकि आप इसपर मोल-भाव कर सकते हैं. मैं क्योंकि अकेला था इसलिए मैंने उन्हें 250 रुपये में तय कर लिया था.
वैसे मुझे निजी तौर पर लगता है कि ऐतिहासिक स्थलों की यात्रा पर गाइड ज़रूर करना चाहिए.
स्तूप क्या होता है || What is a Stupa
स्तूप का अर्थ होता है समाधि. हिंदू धर्म में इसे समाधि कहते हैं और पाली भाषा में स्तूप. इस्लाम में मकबरा या TOMB. किसी मृत व्यक्ति की याद में बनाए गए स्मारक को स्तूप कहा जाता है.
सांची में मुझे कैसा महसूस हुआ || How I Felt in Sanchi
मैं दिल्ली-NCR में रहता हूं. कोलाहल और भागदौड़ वाली ज़िंदगी. हालांकि, अब तो लगभग हर जगह का यही हाल है लेकिन सांची में मुझे एक शांति दिखाई दी. सड़क पर वाहन थे लेकिन एक ठहराव मुझे दिखाई दिया.
सांची में प्राकृतिक सौंदर्यता भी अपने शिखर पर है. आपको यहां प्रकृति को देखते हुए अपनी यात्रा करते हैं. सदियों पहले किस सोच के तहत यहां स्तूप बनाए गए होंगे यह भी बड़ा प्रश्न है.
मुझे सांची में रिलैक्स होने का अहसास मिला. मैं चाहूंगा कि आप लोग भी सांची ज़रूर जाएं. सांची म्यूज़ियम और सांची स्तूप की अपनी इस यात्रा का वीडियो भी मैंने आर्टिकल में एंबेड कर दिया है. आप उसे ज़रूर देखें.
सांची स्तूप को लेकर अगर आपके मन में किसी तरह का प्रश्न हो तो बेझिझक पूछें. आशा करता हूं कि आप हमारी वेबसाइट और यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब ज़रूर करेंगे.
कैसे पहुंचे सांची स्तूप || How to Reach Sanchi Stupa
हवाई मार्ग से – रायसेन के पास कोई हवाई अड्डा नहीं है, और निकटतम हवाई अड्डा भोपाल है जो रायसेन से 55 किमी दूर है.
ट्रेन मार्ग से – रायसेन में कोई रेलवे स्टेशन नहीं है, और निकटतम रेलवे स्टेशन विदिशा का ही है, जो सांची से 13 किलोमीटर दूर है. भोपाल रेलवे स्टेशन 47 किलोमीटर दूर है.
सड़क मार्ग से – रायसेन देश के अलग अलग हिस्सों से सड़क के ज़रिए जुड़ा हुआ है. सांची स्तूप, भोपाल-विदिशा हाईवे पर स्थित है.