Pandit Pradeep Mishra : कौन हैं कथावाचक प्रदीप मिश्रा? जानें इनके बारे में सबकुछ
Pandit Pradeep Mishra : कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा की आजकल हर जगह चर्चा हो रही है. इसी कड़ी में हर कोई जानना चाह रहा है कि आखिर प्रदीप मिश्रा हैं कौन तो हम आपके सारे सवाल का जवाब इस आर्टिकल के जरिए देने जा रहे हैं. हम आपको बताएंगे प्रदीप मिश्रा कौन हैं, उनका जन्म कब हुआ, कथावाचक कैसे बने सबकुछ…
पंडित प्रदीप मिश्रा का जन्म 16 जून, 1977 को हुआ जिन्हें रघुराम और सीहोर वाले बाबा के नाम से भी जाना जाता है. एक भारतीय आध्यात्मिक गुरु और वक्ता हैं. यह हिंदू धर्मग्रंथों, विशेष रूप से शिव पुराण पर अपने प्रवचनों के लिए फेमस हैं. वह मध्य प्रदेश के सीहोर में कुबेरेश्वर धाम, कुबेरेश्वर महादेव मंदिर में मुख्य पुजारी के रूप में काम करते हैं. वह एक लोकप्रिय कथावाचक हैं, जिन्होंने सोशल मीडिया और यूट्यूब पर काफी संख्या में फॉलोअर्स जुटाए हैं, जहां वह अपनी गहरी पहुंच और शिक्षाएं साझा करते हैं.
पंडित प्रदीप मिश्रा का परिवार || Pandit Pradeep Mishra’s family
पंडित प्रदीप मिश्रा एक हिंदू परिवार से हैं. उनके पिता रामेश्वर दयाल मिश्रा सड़कों पर काले चने बेचते थे और उनका निधन हार्टअटैक से हो गया था. उनकी मां का नाम सीता मिश्रा है. उनके दो भाई हैं जिनका नाम दीपक मिश्रा और विनय मिश्रा है. 5 दिसंबर 2004 को उनकी शादी हुई. उनके दो बेटे हैं जिनका नाम माधव मिश्रा और राघव मिश्रा है.
पंडित प्रदीप मिश्रा का करियर || Career of Pandit Pradeep Mishra
मिश्रा ने अपने गांव में पूर्णकालिक पंडित बनने से पहले एक स्कूल शिक्षक के रूप में काम किया. आध्यात्मिक उपदेश में उनकी यात्रा श्रीमद् भागवत कथा के पाठ से शुरू हुई. बाद में उन्होंने इंदौर में श्री गोवर्धन नाथ से गुरु दीक्षा प्राप्त की.
पंडित प्रदीप मिश्रा का शिक्षक से सीहोर वाले बाबा तक || From teacher of Pandit Pradeep Mishra to Baba of Sehore
बचपन में पंडित प्रदीप मिश्रा अपने माता-पिता के साथ गांव में आयोजित होने वाली विभिन्न कथाओं और प्रवचनों में जाते थे. वहीं से उनका झुकाव आध्यात्म की ओर हुआ. बाद में उन्होंने एक निजी स्कूल में शिक्षक के तौर पर काम करना शुरू कर दिया.इसके साथ ही, उन्होंने अपने गांव में पंडित के तौर पर भी काम किया. 10 साल तक शिक्षक के तौर पर काम करने के बाद उन्होंने नौकरी छोड़ दी. 1999 में पंडित प्रदीप ने अपने गांव में होने वाले छोटे-मोटे आयोजनों में कथा वाचन करना शुरू किया.
अपनी एक कथा में उन्होंने बताया कि कैसे उन्होंने श्रीमद्भागवत कथा का प्रचार करना शुरू किया. उन्होंने बताया कि उनके गांव में गीता बाई पाराशर नाम की महिला थी जो गांव के कई घरों में खाना बनाती थी. पति की मौत के बाद उन्होंने अपने घर पर श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन करने का फैसला किया. उस समय गांव में पंडित के तौर पर काम कर रहे पंडित प्रदीप ने उन्हें भरोसा दिलाया कि वे उनके घर पर श्रीमद्भागवत कथा सुनाकर उनका संकल्प पूरा करेंगे.
हालांकि गीता बाई ने विनम्रता से इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया और कहा कि पंडित प्रदीप ने किसी गुरु से दीक्षा नहीं ली है, इसलिए वे कथा नहीं सुना सकते। इसके बाद वे इंदौर चले गए और श्री गोवर्धन नाथ से गुरु दीक्षा ली. अपनी कथा में उन्होंने अपने गुरु के बारे में बताते हुए कहा, “गुरु ने ही हमें धोती पहनना सिखाया, गुरु ने मेरे हाथ में एक पोटली दी और कहा कि तुम जहां भी कथा करोगे, तुम्हारा पंडाल कभी खाली नहीं रहेगा.
उन्हीं की कृपा से मेरे पंडाल में इतने श्रद्धालु आते हैं.” दीक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने अपने गांव और आस-पास के इलाकों में श्रीमद्भागवत कथा का वाचन करना शुरू कर दिया. धीरे-धीरे उनकी शिव पुराण में रुचि बढ़ने लगी. 2020 में भारत में कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान उन्होंने अपना पहला शिव पुराण वीडियो प्रदीप जी मिश्रा सीहोर वाले नाम से अपने यूट्यूब चैनल पर अपलोड किया. कुछ ही दिनों में उनके वीडियो को हजारों व्यूज मिल गए. धीरे-धीरे उनकी शिव पुराण कथाएं यूट्यूब पर लोकप्रिय होने लगीं.
लॉकडाउन के बाद उन्होंने रुद्राक्ष महोत्सव के साथ सीहोर में शिव पुराण कथा का आयोजन किया. आयोजन वाले दिन कार्यक्रम में हजारों लोग जुटने लगे। भारी ट्रैफिक जाम के कारण सड़कें जाम हो गईं. बाद में कार्यक्रम को बीच में ही खत्म कर दिया गया. पंडित प्रदीप को उम्मीद नहीं थी कि उनके यूट्यूब वीडियो देखने के बाद इतने लोग वहां जुटेंगे.
अपनी एक कथा में तो उन्होंने अपने फॉलोअर्स के प्यार की खुशी में आंसू भी बहाए. उन्होंने अपने फॉलोअर्स से रुद्राक्ष न देने और कार्यक्रम को तय समय से कुछ दिन पहले खत्म करने के लिए माफी भी मांगी. इसके बाद उन्होंने हिंदी टीवी चैनल आस्था के साथ मिलकर अपनी कथाएं और प्रवचन प्रसारित किए. पंडित प्रदीप मिश्रा ने कुबेरेश्वर धाम मंदिर बनवाया है और मध्य प्रदेश के सीहोर में श्री विट्ठलेश सेवा समिति भी शुरू की है जो लोगों को मुफ़्त भोजन, गाय कल्याण सेवाएँ और मुफ़्त चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करने में मदद करती है.
पंडित प्रदीप मिश्रा की सामाजिक गतिविधियां || Social activities of Pandit Pradeep Mishra
मिश्रा ने मध्य प्रदेश के सीहोर में श्री विट्ठलेश सेवा समिति की स्थापना की है, जो अपने फॉलोअर्स को मुफ़्त भोजन उपलब्ध कराने के लिए समर्पित है, इसके अतिरिक्त, संगठन सामुदायिक पहलों जैसे कि गौ कल्याण सेवाओं और ज़रूरतमंदों के लिए चिकित्सा सुविधाओं को अपना समर्थन देता है.
पंडित प्रदीप मिश्रा के सोशल मीडिया पर फॉलोअर्स || Pandit Pradeep Mishra’s followers on social media
मिश्रा की सोशल मीडिया पर मज़बूत मौजूदगी है, जिसके विभिन्न प्लेटफ़ॉर्म पर 9.144 मिलियन फॉलोअर्स हैं. उल्लेखनीय रूप से, उन्होंने Facebook पर 1.9 मिलियन फॉलोअर्स, YouTube पर 7 मिलियन सब्सक्राइबर और Instagram पर 947k फॉलोअर्स हैं. उनके कई वीडियो को तीन से दस मिलियन के बीच व्यू मिले हैं, यह उनके ऑनलाइन फ़ॉलोअर्स में काफ़ी योगदान देता है.
पंडित प्रदीप मिश्रा के पुरस्कार और मान्यताएं || Awards and Recognitions of Pandit Pradeep Mishra
2022 में मिश्रा की ऑनलाइन वीडियो सामग्री ने सबसे ज़्यादा दर्शकों को एक साथ आकर्षित किया, जिससे उन्हें लंदन में वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्ड्स में स्थान मिला.
पंडित प्रदीप मिश्रा एक कथा का कितना चार्ज लेते हैं || How much does Pandit Pradeep Mishra charge for a story?
पंडित प्रदीप मिश्रा एक कथा के आयोजन के लिए कितना पैसा लेते हैं इसकी जानकारी अभी कहीं पर भी नहीं है. हालांकि रिपोर्ट में बताया जाता है कि वह एक कथा के आयोजन के लिए करीब 7-8 लाख रुपये चार्ज करते हैं.
पंडित प्रदीप मिश्रा की कंट्रोवर्सी || Pandit Pradeep Mishra’s controversy
वर्ष 2023 में पंडित प्रदीप ने महाशिवरात्रि की पूर्व संध्या पर मध्य प्रदेश में शिव पुराण कथा और रुद्राक्ष महोत्सव का आयोजन किया था. आयोजन के दिन वहां अपेक्षा से अधिक भीड़ जुट गई, जिससे वहां अफरा-तफरी मच गई. भगदड़ के दौरान कुछ लोगों की मौके पर ही मौत हो गई. पीड़ितों के कुछ परिजनों ने पंडित प्रदीप पर उचित व्यवस्था न करने का आरोप लगाया, जबकि कुछ अन्य लोगों ने स्थानीय प्रशासन पर भीड़ को संभालने के लिए उचित व्यवस्था न करने का आरोप लगाया.
बाद में भीड़ में से एक महिला ने पंडित के भतीजे पर उसे गलत तरीके से संभालने का आरोप लगाया. सभी घटनाओं पर विचार करने के बाद स्थानीय प्रशासन ने पंडित प्रदीप से रुद्राक्ष महोत्सव को समाप्त करने को कहा. बाद में जब पंडित प्रदीप से उनके आध्यात्मिक आयोजन की स्थिति के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि उन्हें भगदड़ के बारे में जानकारी नहीं थी. उन्होंने आगे कहा, “इस संबंध में मेरे पास कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है, जो भी यहां आया है, उसे जाना ही होगा, चाहे मैं ही क्यों न हो.”
अपनी कथाओं के दौरान अपमानजनक टिप्पणियां कीं || made derogatory comments during his stories
अधिकांश समय, वह विभिन्न समुदायों के खिलाफ आपत्तिजनक बयान देने के लिए चर्चा में रहते हैं. उन्होंने एक बार कहा था कि भारत एक हिंदू राष्ट्र है, जिसे भारतीय समाज के विभिन्न वर्गों ने अच्छी तरह से स्वीकार नहीं किया. भीम आर्मी के लोगों ने उनसे अपने बयान के लिए माफ़ी मांगने के लिए भी कहा. अपने एक प्रवचन में उन्होंने कहा कि हर भारतीय परिवार से एक लड़के को संघ या बजरंग दल में शामिल होना चाहिए. स्थानीय कांग्रेस ने उनके बयान पर आपत्ति जताई. अंतरराष्ट्रीय संगठन अखिल विश्व गायत्री परिवार ने एक बार उन पर श्री माँ ताप्ती शिवमहापुराण कथा के दौरान उनके सूत्र वाक्य ‘हम बदलेंगे, युग बदलेगा, हम सुधरेंगे, युग सुधरेगा’ का मज़ाक उड़ाने का आरोप लगाया.
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