Teerth Yatra

Padmanabhaswamy Temple : श्री पद्मनाभन स्वामी मंदिर तिलिस्म खजाने वाला

Padmanabhaswamy Temple : देश का सबसे अमीर मंदिर। एक लाख करोड़ के खजाने की तो गिनती हो चुकी है। एक तहखाना बन्द है। इस रहस्यपूर्ण तहखाने को अब तक खोला नहीं गया हैं। कहते हैं कि यह तहखाना तिलस्मी है। यह चाभियों से खुलने वाला नहीं। इसे खोलने के खास मंत्र हैं। विशेष समय में उस मंत्र के उच्चारण से ही इन्हें खोला जा सकता है। सुनते हैं कि इसमें सबसे बड़ा खजाना है। बहुत पुराना खजाना। इस मंदिर को 10वीं शताब्दी का बताया जाता है। प्रामाणिक इतिहास 16वीं शताब्दी के बाद का सामने आता है। उस वक्त वर्मा वंश की शुरुआत हुई थी। पहले राजा ने पश्चमी घाट से समुंदर किनारे के खूबसूरत इलाके पर कब्जा कर लिया। राजा के तौर पर अपनी मान्यता के लिए भगवान पद्मनाभन को राज्य का स्वामी घोषित कर दिया। यह इलाका काली मिर्च, इलायची और दूसरे गरम मसालों के लिए सदियों से दुनिया में मशहूर था। यूरोप में उनकी काफी मांग थी। यहां विदेशी व्यापारी मसालों के लिए काफी धन संपदा लेकर आते थे। उनसे मिला सोना, जवाहरात यहीं रखा गया। खजाने का एक ज्ञात श्रोत तो यह है। बाकी किवदंती तरह तरह की हैं।

खैर यह तो हुआ मंदिर के खजाने और इतिहास से जुड़ा किस्सा। इतना सबकुछ जानने के बाद मंदिर देखने की इच्छा किसकी नहीं होगी। शनिवार शाम की वापसी थी। शुक्रवार रात में तय किया कि सुबह चार बजे उठेंगे। पांच बजे दर्शन के लिए पहुंच जाएंगे। सुबह नींद देर से खुली। नहाने तैयार होते होते साढ़े आठ बजे गए। हालांकि तैयारी रात से शुरू थी। एक मित्र मंदिर में पहनने वाली धोती रात में ही खरीद कर दे गए थे। इस मंदिर में सिला हुआ वस्त्र पहन कर जाने की इजाज़त नहीं। स्त्रियों की साड़ी इस प्रतिबंध से मुक्त है। वह साड़ी पहन कर जा सकती हैं। अगर सूट या कुछ और पहना है तो ऊपर से धोती पहनकर ही जाने की इजाजत मिलती है। पुरुषों पर सख्ती ज्यादा है। उन्हें सिर्फ धोती पहनकर ही जाना होता है। अच्छी बात यह है कि अंतः वस्त्र को लेकर कोई रोक नहीं है। धोती पहनने के मामले में मेरे जैसे नौसिखिए के लिए यह राहत की बात थी। धोती खुल जाने का डर था। ईश्वर की कृपा से अच्छी बंधी थी। खुली नहीं।

मंदिर के द्वार से पहले ही एक काउंटर है। वहां बैठी महिला ने नौ रुपए की रसीद काटी। मेरी शर्ट, मोबाइल और घड़ी हिफाज़त से रख ली। इस ताकीद के साथ कि रसीद खोए न। रुपये भी मुठ्ठी में थे। रसीद के साथ। पर्स लाया ही नहीं था। मंदिर के प्रवेश द्वार से ही वहां की सफाई और अनुशासन के दर्शन होने लगे। सब पंक्तिबद्ध थे। कोई बाहर निकले तो उसे समझाने के लिए कारसेवक थे। अंदर के परकोटे प्राचीनता का अहसास करा रहे थे। अद्भुत द्रविड़ स्थापत्य। भगवान विष्णु, राम और कृष्ण की मूर्तियां हर तरफ थीं। जीवन से जुड़ी हर मुद्रा में। देवी देवताओं की ज्यादातर मूर्तियों को पूरी सजीवता से गढ़ा गया था। ज्यादातर मूर्तियों के श्रृंगार में संगतराश या मूर्तिकार की उस वक्त के समाज के प्रति सोच समझ आ रही थी। कई मूर्तियां अजंता एलोरा और खजुराहो की मूर्तियों का अहसास करा रहीं थीं।

यकीनन जब यह परकोटे बने होंगे, समाज काफी उन्नत रहा होगा। योग की ऐसी ऐसी मुद्राएं थीं, जो अमूमन और जगहों पर नहीं दिखतीं। ये भी हो सकता है कि और जगह हों। मुझे देखने का अवसर न मिला। लाइन में आगे एक काउंटर था। वहां आप स्वेच्छा से रसीद कटा सकते हैं। मैंने 200 रुपये की रसीद कटवाई। काउंटर पर बैठी महिला ने कंप्यूटर से रसीद निकाल कर दी। रसीद हाथ मे देखते ही एक कारसेवक ने मुझे लाइन से निकाल लिया। एक दूसरा रास्ता दिखाया। यह मुख्य मंदिर का विशिष्ट रास्ता था। रसीद वाले विशिष्ट भक्त के लिए। मुझे मंदिर में एकदम सामने से भगवान पद्मनाभन स्वामी के दर्शन हुए। छीर सागर में लेटे हुए भगवान विष्णु की विशालकाय प्रतिमा को देख मैंने पूरी आस्था सर आंखें बंद कीं। फिर उन भक्तों को देखा जो सामान्य लाइन में थे। उन्हें ठीक से दर्शन हों, इस वास्ते मैं तुरन्त आगे से हट गया।

भगवान पद्मनाभन की स्मृति को मस्तिष्क में अंकित करते हुए। आगे भगवान राम और कृष्ण के दर्शन किए। कृष्ण सुदामा के कथा चित्र नही अंकित नजर आए। उत्तर भारत के कथा नायक, ईश्वरों और विष्णु जी के अवतारों के प्रति लोगों की श्रद्धा देखने वाली थी। यह अहसास भी मजबूत हुआ कि कैसे यह मंदिर उत्तर और दक्षिण को एक सूत्र में बांधते हैं। कैसे देश को एक रखते हैं। लौटते वक्त रसीद फिर काम आई। एक डिब्बाबन्द खीर का प्रसाद मिला। इस तरह भगवान पद्मनाभन स्वामी के दर्शन पूर्ण हुए।

Recent Posts

Rangbhari Ekadashi 2025: जानें, रंगभरी एकादशी का महत्व और वाराणसी में होली मनाने की रस्में

Rangbhari Ekadashi 2025: हर साल फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रंगभरी… Read More

7 hours ago

Char Dham Yatra 2025 : कब से शुरू होगी चारधाम यात्रा, क्या होंगे VIP नियम?

Char Dham Yatra 2025 : उत्तराखंड की चार धाम यात्रा 30 अप्रैल, 2025 को गंगोत्री… Read More

1 week ago

Concentration बढ़ाना चाहते हैं? सुबह उठकर करें ये 5 एक्सरसाइज, तनाव और चिंता होगी दूर

आज की भागदौड़ भरी दुनिया में एकाग्रता बनाए रखना एक बड़ी चुनौती बन गई है.… Read More

2 weeks ago

Spring Season 2025 : वसंत ऋतु में भारत की ये 5 जगहें जरूर घूमें

Spring Season 2025 : वसंत ऋतु सबसे सुखद मौसमों में से एक है, जिसमें फूल… Read More

2 weeks ago

Dharamshala Travel Blog Day 1 : धर्मशाला में कैसा रहा हमारी यात्रा का पहला दिन, जानें पूरा ट्रैवल ब्लॉग

Dharamshala travel Blog Day 1 धर्मशाला उत्तर भारत का एक शहर है. यह हिमाचल प्रदेश… Read More

2 weeks ago

Vietnam Travel Blog : क्या आप जल्द ही वियतनाम जाने की योजना बना रहे हैं? तो जानिए कैसे कम खर्च में यात्रा करें

Vietnam Travel Blog : वियतनाम एक खूबसूरत देश है जो अपनी समृद्ध संस्कृति, शानदार लैंडस्केप… Read More

3 weeks ago