Rasleela : अगर आप धार्मिक जगहों पर घूमने-फिरने के शौकीन हैं, तो वृंदावन घूमकर आपको न सिर्फ शांति-सुकून मिलेगा, बल्कि आपको यहां बहुत कुछ जानने को भी मिलेगा. वृंदावन में ऐसी ही जगह है निधिवन. (Rasleela) जहां जाकर आपको ऐसा नजारा देखने को मिलेगा. जिसका जवाब विज्ञान के पास भी नहीं है. आपको निधिवन के पेड़ मनुष्य के शरीर के आकार दिखाई देंगे, जो अलग-अलग मुद्राओं में खड़े हैं.
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ये दुनिया बहुत से साहसिक, मजेदार और डरावने स्थानों से भरी हुई है. (Rasleela) लेकिन, उत्तर प्रदेश के वृंदावन में स्थित यह स्थान निधिवन, दुनिया के कई रहस्यमयी स्थानों को भी पीछे छोड़ देता है. निधिवन, उन सभी से बहुत अलग और अद्भुत है. वृंदावन को भगवान श्री कृष्ण की भूमि के रूप में जाना जाता है जिसमें कृष्ण मंदिरों के साथ-साथ मंत्रमुग्ध करने वाले कई मंदिर भी हैं. (Rasleela) लेकिन, इसके अलावा भी निधिवन कई कारणों से लोकप्रिय है. स्थानीय लोगों का मानना है कि यह वही स्थान है, जहां भगवान कृष्ण आज भी आते हैं और हर रात यहां आकर रासलीला करते हैं.
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निधिवन शब्द दो शब्दों ‘निधि’ और ‘वन’ से मिलकर बना है. निधि का अर्थ है खजाना और वन का अर्थ है जंगल. ये जगह घना और हरा जंगल है, जिसमें सैकड़ों पेड़ हैं. ये पेड़ अपने आप में काफी अनोखे हैं क्योंकि अच्छी जड़ों और शाखाओं के होने बाद भी ये सभी पेड़ खोखले हैं. फिर भी ये जंगल पूरे साल हरे-भरे रहते हैं, यहां मुश्किल से जानवर और अन्य जीव पाए जाते हैं.
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वैसे तो यह जगह अपने आप में ही काफी आकर्षक लगती है, लेकिन इससे जुड़ी कहानियां इस जगह को और भी ज्यादा आकर्षक बनाती हैं. भगवान कृष्ण (भगवान कृष्ण के द्वारकाधीश मंदिर के बारे में तथ्य) के बारे में ऐसा कहा जाता है कि वह अकेले निधिवन नहीं आते हैं. उनके साथ राधा और उनकी सभी गोपियां भी रासलीला करने और आनंद लेने यहां आती हैं. निधिवन, वास्तव में गुरु हरिदास द्वारा स्थापित किया गया था. वह भगवान कृष्ण के सबसे बड़े भक्तों में से एक थे और उनकी गहरी भक्ति, तपस्या और ध्यान को देखने के बाद ही भगवान स्वयं इस स्थान पर जाने के लिए आश्वस्त हुए.
यह स्थल पर एक सुंदर मंदिर भी है, जिसमें भगवान कृष्ण और राधा की मूर्तियां सुशोभित हैं. कुछ ही दूरी पर रंग महल नामक एक और मंदिर है, जिसका अपना विशेष महत्व है. भक्तों द्वारा यह माना जाता है कि यह रंग महल है जहां भगवान कृष्ण स्वयं अपनी प्रिय राधा को सजाते हैं. वृंदावन का ये मंदिर उन सभी चीजों से भरा है, जिन चीजों की देवताओं को आवश्यकता हो सकती है. इसमें बेड, टूथब्रश, कपड़े, गहने, मिठाई, पानी आदि शामिल हैं. मंदिर के द्वार को बंद करने से पहले हर दिन यह सब रंग महल के पुजारियों द्वारा यहां रखा जाता है. हालांकि, हर सुबह सब कुछ बिखरा हुआ पाया जाता है जैसे कि किसी ने रात को उनका इस्तेमाल किया हो.
इस स्थान पर समय का सख्त ध्यान रखा जाता है, ताकि रात को किसी को भी किसी तरह का कोई नुकसान न पहुंचे. मंदिर शाम 5 बजे बंद हो जाता है और इसके बाद किसी को भी निधिवन के आसपास घूमने की इजाजत नहीं है. यानि इस समय के बाद कोई भी निधिवन के आसपास भी नहीं जा सकता है. आप सोच रहे होंगे कि क्या वास्तव में किसी ने कभी वहां अंदर जाकर ये देखने की कोशिश नहीं की होगी कि आखिर वहां रात को क्या होता है? बता दें कि बहुत से लोग ये कोशिश कर चुके हैं. लेकिन, स्थानीय लोगों की माने तो जो भी रात को रासलीला की देखने की कोशिश करता है, तो वह या तो अपना मानसिक संतुलन खो बैठता है, या सदमे से मर जाता है.
शायद यही वजह है कि निधिवन के आसपास के घरों में बहुत कम ही खिड़कियां होती हैं या फिर होती ही नहीं हैं. जिनके घरों में हैं, वे उन्हें रात में विशेष रूप से बंद रखते हैं. लोगों का इस तथ्य पर दृढ़ विश्वास है कि रासलीला के दौरान भगवान परेशान नहीं होना चाहते हैं. हालांकि, कई लोगों ने रात में जंगल से बांसुरी की आवाज और पैरों के चलने की आवाज सुनने का भी दावा किया है. कुछ लोगों का यह भी कहना है कि रात के समय जंगल के पेड़ गोपियों के रूप में बदल जाते हैं, जबकि कुछ लोगों का मानना है कि पेड़ भगवान कृष्ण की 16,000 पत्नियां हैं, जो हर रात जीवित हो जाती हैं.
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