chatarpur temple-नौ दिन तक चलने वाले नवरात्रे आज से शरू हो गए हैं. हर जगह भक्तिमय महौल है. नवरात्रों में दिल्ली के छत्तरपुर स्थित आद्या कात्यायनी शक्तिपीठ मंदिर में माता के दर्शन के लिए भारी संख्या में श्रद्धालुगण आते हैं. यहां माता का स्वरूप देखते ही बनता है. दरअसल मां कात्यायनी के श्रृंगार के लिए यहां रोजाना दक्षिण भारत से खास हर रंगों के फूलों से बनी माला मंगवाई जाती है. यहां खास तौर पर माता का श्रृंगार रोज आपको अलग-अलग देखने मिलता है. हालांकि माता का यह भव्य रूप नवरात्र और पूर्णिमा जैसे खास अवसरों पर ही आप देख सकते हैं. अन्य दिनों में आए भक्तजन मां के दर्शन के लिए ठीक ऊपर बने भवन में जाते हैं.
राजस्थान के रणकपुर जैन मंदिर की बनावट है अद्भुत, ताजमहल से की जाती है तुलना
आद्या कात्यानी शक्ति पीठ मंदिर या छतरपुर मंदिर एक भव्य हिंदू मंदिर है जो मां दुर्गा के कात्यायनी रूप को समर्पित है. छतरपुर मंदिर दिल्ली के सबसे बड़े और सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में एक है. यह मंदिर गुड़गांव-महरौली मार्ग के पास छतरपुर में स्थित है. छतरपुर स्थित श्री आद्या कात्यायनी शक्तिपीठ मंदिर का शिलान्यास सन् 1974 में किया गया था.
इसकी स्थापना कर्नाटक के संत बाबा नागपाल जी ने की थी. इनकी 1998 में मृत्यु हो गई थी और उनकी समाधि मंदिर परिसर के भीतर शिव-गौरी नागेश्वर मंदिर के परिसर में स्थित है. कहते हैं कि इससे पहले मंदिर स्थल पर एक कुटिया हुआ करती थी. फिर धीरे-धीरे मंदिर का क्षेत्रफल 70 एकड़ तक फैल गया
वास्तुकला की दृष्टि से छतरपुर का मंदिर एक अद्भुत मंदिर है क्योंकि इस मंदिर के पत्थर कवितायें दर्शाते हैं. 2005 में दिल्ली में अक्षरधाम मंदिर बनने से पहले यह छतरपुर मंदिर भारत का सबसे बड़ा और दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मंदिर हुआ करता था. इस मंदिर को पूरी तरह से संगमरमर से बनाया गया था और मंदिर की सभी जगहों पर जाली से काम करवाया गया था. इस तरह की वास्तुकला को वेसारा वास्तुकला कहा जाता है.
शाकुम्भरी देवी शक्तिपीठ जहां होती है भक्तों की हर मनोकामना पूरी
कात्यायनी मां के भव्य मंदिर में जैसे ही आप प्रवेश करते हैं तो आपको एक बड़ा-सा पेड़ दिखाई देता है, जिसको सभी भक्तजनों ने अपने मन्नत की चुनरी, धागे, चूड़ी आदि से पूरा तरह ढंक दिया है. दरअसल एक मान्यता के अनुसार ऐसा करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
यह मंदिर 70 एकड़ में फैला है और 20 से अधिक छोटे और बड़े मंदिरों को तीन अलग-अलग परिसरों में विभाजित किया गया है. मंदिर परिसर में नवदुर्गा का एक शयनकक्ष है जहां एक बिस्तर, दोसारी मेज और नौ कुर्सियों के साथ एक मीटिंग टेबल होती है, जो सभी शुद्ध चांदी से बने हुए हैं. इस मंदिर के परिसर में अन्य मंदिर भी हैं जो भगवान गणेश, भगवान राम, भगवान हनुमान और भगवान शिव को समर्पित है.
माँ कात्यायनी का स्वरूप अत्यंत ओजमयी है. सिंह पर विराजमान माता शक्ति का स्वरूप हैं. माँ की भक्ति द्वारा मनुष्य को धर्म, अर्थ, काम तथा मोक्ष फलों की प्राप्ति होती है. माँ कत्यायनी की भक्ति प्राप्त करने के लिए भक्त को इस मंत्र का जाप करना चाहिए-
‘या देवी सर्वभूतेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता.
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
पौराणिक कहानी के अनुसार एक बार एक ऋषि ने दुर्गा देवी की कठोर तपस्या की थी. उस ऋषि का नाम कात्यायन ऋषि था. उस ऋषि की कठोर तपस्या को देखकर दुर्गा देवी प्रसन्न हुईं और उस ऋषि के सामने प्रकट हुईं. देवी ने उस ऋषि की तपस्या से प्रसन्न होकर कहा कि जो भी वरदान चाहते हो वो अवश्य मांगो.
उसके बाद कात्यायन ऋषि ने देवी से कहा कि आप मेरे घर में मेरी पुत्री बनकर जन्म लो. मुझे आपका पिता बनने की इच्छा है. ऋषि के यह शब्द सुनकर देवी प्रसन्न हुईं और उसे इच्छा अनुरूप वरदान दे दिया. देवी ने फिर ऋषि के घर में पुत्री के रूप में जन्म लिया और तभी से देवी के उस अवतार को कात्यायनी देवी अवतार कहा जाता है. इसीलिए दिल्ली के इस मंदिर को कात्यायनी देवी का छतरपुर मंदिर कहा जाता है. यह मंदिर दिल्ली के दक्षिण पश्चिम के हिस्से में आता है और यह क़ुतुब मीनार से केवल 4 किमी की दूरी पर स्थित है.
माता कात्यायनी का श्रृंगार यहां रोज सुबह 3 बजे से ही शुरू कर दिया जाता है. जिसमें इस्तेमाल हुए वस्त्र, आभूषण और माला इत्यादि फिर कभी दोहराए नहीं जाते हैं. माता को पहनाई जाती खास तरह की फूलों की माला में मां कात्यायनी का स्वरूप एकदम मनोहारी लगता है. जिसमें इस्तेमाल सभी रंगों के फूल खास दक्षिण भारत से रोज एयरलिफ्ट कराकर मंगवाएं जाते हैं.
यहां आपको भगवान शिव, विष्णु, श्री गणेश-माता लक्ष्मी, हनुमान जी और श्रीराम-माता सीता आदि के दर्शन भी हो जाते हैं. इस मंदिर की एक खास बात है कि यह ग्रहण में भी खुला रहता है और नवरात्रों के दौरान इसके द्वार 24 घंटे अपने भक्तों के लिए खुले रहते हैं.
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