Teerth Yatra

पहाड़ों की बेटी है नंदा देवी, जानें आखिर क्यों होती है 12 साल बाद Nanda Devi Raj Jat

Nanda Devi Raj Jat – पहाड़ों की बेटी नंदा यानि नंदा देवी की राज जात ( Nanda Devi Raj Jat ) यात्रा, जो सदियों से चली आ रही है, ये एक ऐसी यात्रा है जो वक्त के साथ अब परंपरा का रूप ले चुकी है. यह परंपरा आज हर 12 वर्ष बाद दोहराई जाती है. घुमक्कड़ी के साथ मैं ऋषभ आज आपको पहाड़ों से जुड़ी एक और रोचक कहानी के बारे में बताने जा रहा हूं जो यहां चमोली गढ़वाल से जुड़ी हुई है.

वैसे तो आप सभी ने नंदा देवी राज जात ( Nanda Devi Raj Jat ) के बारे में सुना ही होगा जो पूरे बारह वर्ष बाद चमोली गढ़वाल में मनाई जाता है. इससे पहले मैं आगे की कहनी शुरू करूँ आपको यह बता देता हूँ कि आखिर नंदा देवी राजजात ( Nanda Devi Raj Jat ) आखिर है क्या ?

दोस्तों नंदा देवी को माता पार्वती का स्वरूप माना जाता है. और ऐसा कहा जाता है कि ये हिमालय की पुत्री हैं. उन्हीं का स्वरुप है नंदा देवी. नंदा देवी को पहाड़ों की देवी इसलिए कहते है क्योकि यह यहाँ रहने वालों की रक्षा और स्त्रियों के दुखों का निवारण यह देवी करती हैं. 

नंदा देवी गढ़वाल के साथ-साथ कुमाऊं के राजाओं की कुलदेवी भी थी इसलिए नंदा देवी को राजराजेश्वरी भी कहा जाता है. नंदा देवी को अपने मायके से ससुराल भेजने की प्रक्रिया को ही नंदा देवी राजजात कहा जाता है जिसमें माता के स्वागत सत्कार के साथ माता को उसके ससुराल कैलाश स्वामी शिव के पास भेजा जाता है. इस आस्था के साथ कि माँ नंदा दोबारा अपने घर (मायके) ज़रूर आएंगी और सभी के दुखों का निवारण करेंगी.

कहा जाता है कि जब नंदा देवी की यात्रा शुरू होती है तो उससे पहले ही चार सींगो वाला खाडू जन्म लेता है. ये एक (भेड़) है जिसके चार सींग होते है. इस खाडू के जन्म लेने के बाद इसके बड़े होने तक इसको दैवीय रूप में पाला-पोसा जाता है जो संकेत होता है माता नंदा देवी के अपने मायके आने का. जिसके बारह वर्ष जैसे ही पूरे होते हैं वेसे ही माता की यात्रा यानि नंदा देवी यात्रा जिसको राजजात ( Nanda Devi Raj Jat ) कहा जाता है शुरू की जाती है.

इसमें नंदा देवी की डोली तैयार की जाती है, जैसे विवाह पूर्व कन्या की विदाई की डोली तैयार की जाती है. उसके उपरांत पूरे विधि विधान से माता नंदा देवी को कैलाश पर्वत तक छोड़ा जाता है और इस यात्रा में सबसे महत्वपूर्ण अंग चार सींगो वाला खाडू को माना जाता है. ऐसा कहा जाता है कि वही गाँव वालों का सन्देश माता नंदा देवी तक पहुंचाता है. इसलिए यात्रा का प्रथम यात्री इसी खाडू को बनाया जाता है. 

इस खाडू की पीठ पर दो थैले लटकाए जाते हैं जिसमें माता के लिए स्थानीय लोगों द्वारा भेंट और गहने रखे जाते हैं. माता के लिए श्रृंगार का सामान भी रखा जाता है. इस यात्रा के दौरान इस चार सींगो वाले खाडू की पूजा कैलाश श्रृंखला में स्तित हेमकुंड में की जाती है और उसके बाद इस चार सींग वाले खाडू को आगे की ओर छोड़ा दिया जाता है. यहाँ के लोगों का मानना है कि यह चोसिंघिया खाडू कैलाश में प्रवेश करते ही विलुप्त हो जाता है और वह शिव लोक यानि देवी नंदा के पास चला जाता है.

नंदा देवी की यह यात्रा दो प्रकार की होती है एक वार्षिक यात्रा और दूसरी राजजात जो बारह साल बाद आयोजित की जाती है. मान्यताओं के अनुसार देखा जाये तो नंदा देवी की यह अनोखी यात्रा चमोली जिले के कासुवा से शुरू होती है और दसोली और बधाण से भी नंदा देवी की राजजात ( Nanda Devi Raj Jat ) निकलती है. जहाँ से माता की डोलियां विशेष रूप से निकाली जाती है. यह यात्रा लगभग 280 किलोमीटर की होती है जिसको कसुवा से पैदल ही पूरी करनी पड़ती है और उसके बाद हेमकुंड में इस यात्रा का आखिरी पड़ाव होता है.

कुछ मान्यताओं के आधार पर यह माना जाता है कि जब भी नंदा देवी की राजजात ( Nanda Devi Raj Jat ) होती है तो गाँव में खुशहाली आती है. पहाड़ों की देवी और बेटी होने के नाते नंदा देवी गाँव की उन बेटियों के घर भी खुशहाली देती हैं जो शादी होकर दूसरे गाँव मे चली गई हैं. यदि वो बेटी नंदा देवी की राजजात मे शामिल होती हैं तो उसको मान सम्मान के साथ-साथ ससुराल से खुशियाँ भी प्राप्त होती हैं. यह स्थानीय लोगों की मान्यता है.

इस नंदा देवी राजजात में अल्मोड़ा, कटारमल, नैनीताल, नंद्केशारी से भी नंदा देवी की डोलियाँ आती हैं. वहीं यात्रा का दूसरा पड़ाव नोटी गाँव मे होता है. उसके बाद यात्रा लौटकर कसुवा आती है. इसके बाद नोटी, सेम, कोटी, भगोती, कुलसारी, चेपड़ो, लोहाजंग, वान, बेदनी, पाथर नाचोदिया, रूपकुंड, शिला समुंद्र, हेमकुंड से चंदिनिया घाट, और नंदप्रयाग और फिर नोटी आकार वापस यात्रा का समापन होता है. 

इस यात्रा मे 200 स्थानीय देवी देवता शामिल होते हैं. इस तरह से नंदा देवी राजजात को पूरा किया जाता है. जिसमें देश और विदेश से लोग शामिल होते हैं. वैसे अगली नंदा देवी राजजात साल 2026 में आयोजित होगी. आप 2026 में इस यात्रा में शामिल होने की तैयारी तो करें ही साथ ही उत्तराखंड भी जरूर घूमें.

For Travel Related Queries- GoTravelJunoon@Gmail.com

 

Recent Posts

Ujjain Mahakal Bhasma Aarti Darshan : जानें,उज्जैन महाकाल भस्म आरती दर्शन,शीतकालीन कार्यक्रम और टिकट की कीमतें

Ujjain Mahakal Bhasma Aarti Darshan :  उज्जैन महाकाल भस्म आरती दर्शन के साथ दिव्य आनंद… Read More

2 days ago

Kulgam Travel Blog : कुलगाम में घूमने की ये जगहें हैं बेहतरीन

Kulgam Travel Blog :  कुलगाम शब्द का अर्थ है "कुल" जिसका अर्थ है "संपूर्ण" और… Read More

2 days ago

Vastu Tips For Glass Items : समृद्धि को आकर्षित करने के लिए घर पर इन नियमों का पालन करें

Vastu Tips For Glass Items : बहुत से लोग अपने रहने की जगह को सजाने… Read More

3 days ago

Travel Tips For Women : महिलाओं के लिए टॉप 3 ट्रैवल-फ्रेंडली टॉयलेट सीट सैनिटाइजर

Travel Tips For Women : महिलाओं के लिए यात्रा करना मज़ेदार और सशक्त बनाने वाला… Read More

3 days ago

Kishtwar Tourist Places : किश्तवाड़ में घूमने की जगहों के बारे में जानें इस आर्टिकल में

Kishtwar Tourist Places : किश्तवाड़ एक फेमस हिल स्टेशन है, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता, समृद्ध… Read More

3 days ago