भारत मंदिरों का देश है. हर कदम पर आपको प्राचीन और ऐतिहासिक महत्व वाले मंदिर दिखाई देते हैं. इसी कड़ी में आज हम बात करेंगे एक ऐसे मंदिर की जिसका इतिहास उतना ही पुराना है जितना पुराना इतिहास गाजियाबाद के मेरठ से अलग होकर एक अलग जिला बनने का है. ये है मोहन नगर मंदिर (Mohan Nagar Mandir). मोहन नगर चौक से कुछ ही मीटर की दूरी पर दाहिनी ओर है बेहद पुरानी मोहन मेकिन (Mohan Meakin) और बाईं ओर है ये भव्य मंदिर.
गाजियाबाद का मोहन नगर मंदिर 1978 (Mohan Nagar Mandir build in 1978) में बनाया गया था. इसके दो वर्ष पहले ही, 14 नवंबर 1976 को तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायणदत्त तिवारी (Then Chief Minister of Uttar Pradesh Narayan Dutt Tiwari) ने इसे मेरठ से अलग करके एक अलग जिला बनाया था. अगर ये कहा जाए कि मोहन नगर मंदिर (Mohan Nagar Mandir) गाजियाबाद की पहचान है, तो गलत नहीं होगा.
आप जब जीटी रोड पर दिल्ली से आगे बढ़ते हैं, तो इसी मार्ग पर मोहन नगर चौराहे (Mohan Nagar Chauraha) से 200 मीटर की दूरी पर स्थित है मोहन नगर मंदिर. इस मंदिर की लोकेशन ऐसी है कि दिल्ली और एनसीआर के किसी भी कोने से इस मंदिर पहुंचा जा सकता है.
मोहन नगर मंदिर (Mohan Nagar Mandir) में मुख्य परिसर के नीचे देवी दुर्गा, देवी काली और देवी सरस्वती की अद्भुत प्रतिमा सुशोभित है. इसी परिसर में आपको पीतल से बनाई गई विभिन्न देवी देवताओं की मूर्तियां दिखाई देती हैं. बाहर की ओर हनुमान जी और भैरो बाबा की दुर्लभ मूर्तियां हैं. इसी परिसर के बाहर दो सिंह दरवाजे के दोनो ओर हैं. अब इन्हें शीशे के फ्रेम में ढक दिया गया है.
Mohan Nagar Mandir के गार्डन में आपको भगवान गणेश की मूर्ति भी दिखाई देती है. यहीं एक पर्वतनुमा मंदिर है. यह मंदिर खुले प्रांगण में है. यहां आपको गंगा मां और शिवलिंग दिखाई देता है. श्रद्धालु यहां सोमवार को और सावन के महीने में जल चढ़ाने आते हैं. ऐसे में अगर ये कहा जाए कि गाजियाबाद का मोहन नगर मंदिर किसी एक देवी देवता पर न होकर समस्त देवी देवताओं पर केंद्रित है, तो गलत नहीं होगा.
गाजियाबाद के मोहन नगर मंदिर में जनमाष्टमी, नवरात्रि आदि उत्सव मनाए जाते हैं. हालांकि आप यहां आम दिनों में भी आकर खुद को तरोताजा कर सकते हैं. खूबसूरत पार्क के बीच में बना मंदिर का प्रांगण आपको पूजा के साथ साथ ध्यान लगाने का अवसर देता है. बाहर पार्क आपको परिवार और दोस्तों के साथ कुछ पल सुकून से बिताने का अवसर देता है.
मोहन नगर मंदिर में पूर्व में विवाह से पूर्व लड़का और लड़की का परिचय कराने की परंपरा चल निकली थी. इसे अब पूर्णत: बंद कर दिया गया है. इसके साथ ही, स्कूली ड्रेस में मंदिर में आने की मनाही है. स्कूल और कॉलेज में पढ़ाई करने वाले या अविवाहित लड़के और लड़कियां यहां पार्क में नहीं बैठ सकते हैं.
मोहन नगर मंदिर, नरेंद्र मोहन अस्पताल से सटा हुआ है. दोनों के परिसरों को एक चार फीट की दीवार अलग करती है. नरेंद्र मोहन परिवार के द्वारा गाजियाबाद को दी गई इस अमूल्य धरोहर के लिए समस्त जनता उनकी आभारी है.
यूं तो मंदिर परिसर में एक अच्छी कैंटीन है. यहां आप चाइनीज खा सकते हैं. अगर आपका मन और कुछ खाने का हो तो मंदिर से बाहर निकलकर बाईं ओर आगे बढ़ने पर सड़क के दूसरी ओर आपको कई बेहतरीन ढाबे मिलते हैं. आप यहां लजीज भोजन का आनंद ले सकते हैं.
By Air
गाजियाबाद के मोहन नगर मंदिर से दिल्ली के इंदिरा गांधी एयरपोर्ट की दूरी 44 किलोमीटर के लगभग है. राजनगर एक्सटेंशन एलिवेटेड रोड के जरिए यहां पहुंचा जा सकता है.
By Train
गाजियाबाद के रेलवे स्टेशन से इसकी दूरी 5.5 किलोमीटर की है.
By Road
गाजियाबाद के पुराना बस अड्डे से यहां की दूरी 4.8 किलोमीटर है.
यह तो हुई परंपरागत साधनों की बात लेकिन अब यहां का सबसे बड़ा लैंडमार्क खुद मोहन नगर मेट्रो स्टेशन (Mohan Nagar Metro Station) बन चुका है. Delhi Metro Red Line पर ये स्टेशन है. आप मेट्रो की सवारी करके बिना थके यहां आराम से पहुंच सकते हैं. मेट्रो स्टेशन से पैदल ही आप मंदिर पहुंच सकते हैं.
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