Mehandipur Balaji Full Information in Hindi – भारत भर में अनेकों धार्मिक स्थल हैं जिनकी अपने आप में विशेष महिमा है. यही महिमा दूर दूर से भक्तों को भगवान के दर पर लेकर आती है. उत्तर में मां वैष्णों देवी, पश्चिम में शिरडी साईं, त्रयम्बकेश्वर, मध्य में महाकाल, पूर्व में मां कामाख्या और दक्षिण में तिरुपति बालाजी से धाम हैं. इसके अलावा भी असंख्य धाम देशभर में हैं जिनसे भक्तों का विशेष जुड़ाव है. इन्हीं में से एक है मेहंदीपुर बालाजी का मंदिर ( Mehandipur Balaji ). इस आधुनिक दौर में भी अगर किसी से प्रेतात्मा की बात की जाए तो ज्यादातर लोग इसे मजाक में लेंगे लेकिन श्री बालाजी ( Mehandipur Balaji ) धाम ऐसे तीर्थों में से है, जहां विज्ञान भी आपको परिधि में सिमटा दिखाई देगा. यही वजह है कि इस मंदिर ( Mehandipur Balaji ) में हर प्रकार के भक्तों के साथ साथ भूत-प्रेत और बाधा से घिरे भक्त बड़े अरमान लेकर पहुंचते हैं. लेकिन इसके साथ ही मुझ जैसे भक्त भी मन में अगाध श्रद्धा लेकर यहां जाते हैं. मैं अब तक 4 बार श्री बालाजी के दर्शन कर चुका हूं.
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मैंने बालाजी ( Mehandipur Balaji ) की अपनी पहली यात्रा में ही न सिर्फ भक्तों के अलग अलग रूपों से साक्षात्कार किया बल्कि एक ईश्वरीय ताकत की भी अनुभूति की. राजस्थान में मेहंदीपुर वाले बालाजी ( Mehandipur Balaji ) की महिमा अपरंपार है. देश के गांव गांव शहर शहर से भक्तगण यहां भगवान बालाजी के दर्शन के लिए आते हैं. ये मंदिर भूत-प्रेत और बाधा दूर करने के दिव्य रूप में बेहद चर्चित है. यहां पर आप दर्शन के लिए लगी लाइन में ही झूम झूमकर मतवाले होते लोगों को देख लेंगे. मेहंदीपुर वाले बालाजी पर एक एक काम की जानकारी हम आपके लिए लेकर आ रहे हैं. अगर आप वहां दर्शन के लिए जा रहे हैं तो ये लेख आपके बेहद काम का है.
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मेहंदीपुर बालाजी ( Mehandipur Balaji ) धाम राजस्थान के दौसा जिले में पड़ता है. ये मंदिर हनुमान जी पर केंद्रित है. हनुमानजी ने बाल रूप में ढेर सारी लीला रची थी और भगवान के बाल रूप में से एक रूप यहां भी विद्यमान है. मेहंदीपुर में वह बालाजी ( Mehandipur Balaji ) के रूप में विद्यमान हैं. श्री मेहंदीपुर बालाजी ( Mehandipur Balaji ) महाराज जी का धाम दो पहाड़ियों के बीच स्थित है. इन्हीं दो पहाड़ियों के बीच होने की वजह से इन्हें घाटा मेहंदीपुर बालाजी ( Mehandipur Balaji ) के नाम से भी जाना जाता है. बजरंग बली यहां पर बाल रूप में विद्यमान हैं. बालाजी के साथ ही श्री भैरव बाबा और श्री प्रेतराज सरकार जी भी यहां साक्षात् विराजमान हैं. श्री बालाजी महाराज के दरबार के ठीक समक्ष ही श्री सीताराम जी का दरबार भी है. आप सीताराम के चरणों के पास खड़े होकर सीधा बालाजी के दर्शन कर सकते हैं. श्री बालाजी महाराज भी सदैव मां सीता और प्रभु श्री राम के दर्शन करते रहते हैं. श्री राम के दरबार से कुछ दूरी पर ही श्री गणेशपुरी जी का समाधि स्थल है.
गणेशपुरी जी और श्री बाला जी महाराज का संबंध भी अनोखा है. गणेशपुरी जी बालाजी के बालपन से ही उनके उपासक थे. पहले महंत श्री गणेश पुरी जी महाराज ही हुए जिन्हें आज समाधि वाले बाबा के नाम से जाना जाता है. श्री बालाजी के दर्शन के बाद भक्त समाधि बाबा की परिक्रमा कर उन्हें जलेबियां चढ़ाते हैं. ऐसा करने पर ही यात्रा पूर्ण मानी जाती है.
श्री बालाजी महाराज के मंदिर में दिनचर्या हर सुबह 5 बजे मुख्यद्वार के खुलने के साथ ही शुरू हो जाती है. मंदिर की धुलाई और सफाई के बाद श्री बालाजी महाराज की पूजा अर्चना होती है. महाराज जी का जलाभिषेक गंगाजल से किया जाता है. मंत्रोच्चारण भी वैदिक रीति से किया जाता है. इस काम में मंदिर के ही 5 पुजारी लगते हैं. ये मंदिर एक परिवार के ही पास है और उसी परिवार के पुजारी इसमें हैं. मंदिर प्रांगण में एक दिन में लगभग 25 ब्राह्मणों की सेवा रहती है, लेकिन बालाजी महाराज के श्रृंगार में सिर्फ पुजारी ही शामिल रहते हैं. गंगाजल से बालाजी महाराज का स्नान कराने के बाद चोला चढ़ाया जाता है. यह हर हफ्ते में 3 बार सोमवार, बुधवार, शुक्रवार को चढ़ाया जाता है.
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इस अभिषेक के बाद श्री बालाजी महाराज के शरीर पर चमेली का तेल लगाया जाता है. बालाजी महाराज को विशेष सिंदूर से सजाया जाता है, जिसमें चांदी का वर्क होता है. यह सिंदूर आम दुकानों पर नहीं मिलता है. भगवान बालाजी महाराज को जो तिलक लगाया जाता है उस चंदन, केसर, केवड़ा, इत्र को मिलाकर बनाया जाता है. इसके बाद आभूषण और गुलाब की माला से प्रभु का श्रृंगार किया जाता है. इस पूरे काम में डेढ़ घंटे का वक्त लगता है. तत्पश्चात भोग लगता है और फिर होती है सुबह की आरती. बालाजी महाराज के श्रृंगार के पूरे समय तक मंदिर के कपाट खुलते नहीं हैं.
हर सुबह और शाम को बालाजी महाराज की आरती का समय होते-होते मंदिर के बाहर भक्तों का जनसूमह इकट्ठा हो जाता है. सभी की आंख में प्रभु से अपने बाधाओं को हर लेने की चाह होती है. आरती के पश्चात मंदिर के पुजारी भक्तों पर विशेष जल से छिड़काव करते हैं. जल की इस एक छींट के लिए भक्त सर्दी, गर्मी, बरसात में घंटों मंदिर के बाहर और प्रांगण में बैठे रहते हैं. इस जल को बाधा दूर कर लेने वाला जल माना जाता है.
Shri Mehendipur Balaji Yantra Hand
मंदिर में होने वाली आरती लगभग 40 मिनट तक चलती है. आरती के बाद भक्त भगवान के दर्शन करते हैं. बालाजी महाराज के दर से भक्तों को डिब्बा बंद विशेष प्रसाद दिया जाता है. भक्तों के दर्शन का सिलसिला रात 9 बजे तक चलता है. सिर्फ दोपहर को एवं रात्रि भोग के वक्त आधे आधे घंटे के लिए बालाजी मंदिर के पट बंद किए जाते हैं, ऐसा पर्दा डालकर किया जाता है. मेंहदीपुर वाले बाबा के दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ हर दिन उमड़ती है लेकिन मंगलवार और शनिवार को यहां जनसैलाब आ जाता है. देश में दूर दूर से भक्तगण यहां पहुंचते हैं.
श्री बालाजी महाराज के दर्शन करने के बाद सीढ़ियों से होकर एक रास्ता प्रेतराज जी महाराज के कक्ष तक जाता है. इसी कक्ष में भूत प्रेत और बाधाओं से घिरे भक्त आपको झूमते दिखाई देंगे. महाराज जी की महिमा से दूर दूर से भक्त समस्याओं से मुक्ति के लिए यहां पहुंचते हैं. मैं जब यहां दर्शन के लिए गया था. दर्शन के लिए लगी लाइन में ही कई लोग मुझे झूमते दिखाई दिए. कुछ लोग तो लाइन छोड़कर सड़क पर भागने लगते हैं और पीछे पीछे उनके परिजन उन्हें पकड़ने के लिए दौड़ते हैं. ध्यान रहे, ये भगवान का दर है, आपका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता लेकिन शर्त ये है कि आपका दिल साफ होना चाहिए. बालाजी महाराज के दर पर आपको किसी प्रकार का डर मन में लेकर आने की जरूरत नहीं है. बस हर महिमा को देखकर आप जय बालाजी, श्री बालाजी बोलते चले जाएं और आगे बढ़ते चले जाएं.
बालाजी महाराज के दर पर आपको कई नियमों का पालन करना होता है. हिंदू धर्म यूं तो एक बहती धारा है लेकिन अगर आप थोड़ी सी कोशिश कर लें तो मंदिर में दर्शन के नियमों को अपना सकते हैं. सुबह, शाम को सभी यात्रियों को बालाजी महाराज के समक्ष उपस्थित होकर भजन कीर्तन ध्यानपूर्वक सुनने चाहिए. सभी श्रद्धालु एक दूसरे से सहानुभूति पूर्वक व्यवहार करें. लाइन में चूंकि वक्त लगता है इसलिए फालतू की बातचीत में न पड़कर बालाजी का जप करते रहें. मंदिर में मिलने वाला प्रसाद पूरी श्रद्धा से ग्रहण करें. जिन भी रोगियों को मार पड़ रही हो उनके लिए जगह छोड़ दें और दूर हट जाएं. ऐसी स्थिति में भगवान की महिमा देखकर हाथ जोड़ें, मुख से हंसी कतई नहीं छूटनी चाहिए. श्रद्धालुओं को न तो किसी पूजन सामग्री को छूना चाहिए, न ही बाहर किसी से प्रसाद लेना चाहिए.
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बालाजी धाम आने वाले भक्त पूरी तरह से ब्रह्मचर्य का पालन करें. यहां दर्शन पर आने से 48 घंटे पहले और दर्शन करके 48 घंटे बाद तक लहसुन प्याज वाला खाना नहीं खाना चाहिए. मांस मदिरा तो दूर की बात है. बालाजी धाम में भी आपको किसी होटल में लहसुन प्याज वाला भोजन नहीं मिलेगा इसलिए ऐसे ही भोजन का सेवन करें. मेहंदीपुर बालाजी के धाम में भक्तों को लड्डुओं का पैकेट प्रसाद स्वरूप दिया जाता है. भक्त उसे ही ग्रहण करें और घर जाकर परिवार के हर सदस्य को थोड़ा थोड़ा बांटें. श्री मेहंदीपुर धाम में किसी भी तरह का टोटका या पूजा विधा पंडितों या ओझाओं द्वारा नहीं की जाती है, भक्त किसी के भी बहकावे में न आएं. हर तरह की बाधा को बालाजी महाराज स्वयं हरते हैं.
मंदिर के दर्शन करने के बाद और समाधि बाबा को जलेबी चढ़ाकर परिक्रमा के बाद भक्त तीन पहाड़ वाले बाबा के दर्शन भी कर सकते हैं. एक लंबी चढ़ाई के बाद आप एक पहाड़ी पर पहुंचेंगे जहां से आपको पूरा मेहंदीपुर कस्बा दिखाई देगा और बजरंग बली जी की विशालकाय प्रतिमा के भी आप दर्शन करेंगे. पहाड़ी पर 3 पहाड़ी बाबा के मंदिर के दर्शन करने के साथ ही आपको एक साथ छोटे और बड़े कई मंदिरों की श्रृंखला दिखाई देगी. ये मंदिर किसी न किसी भक्त ने ही बनाए हैं, वो भी किसी मनोकामना के पूर्ण होने पर. यहां भी बड़ी संख्या में भक्त दर्शन के लिए आते हैं. भक्तों ने यहां बेंच, कुर्सियों का निर्माण भी करवाया है. सच ये है कि यहां से आप बालाजी धाम की मनोरमता का आनंद ले पाते हैं. बेहद खूबसूरत दृश्यों को अपनी आंखों से देखने का अनुभव ही अलग है.
श्री मेहंदीपुर बालाजी धाम में ढेर सारी होटल और धर्मशालाएं हैं. धर्मशालाओं की तो यहां बहुतायत है. आपको हर श्रेणी की धर्मशाला यहां मिल जाएगी. 100 रुपये से लेकर 1500 रुपये प्रतिदिन तक. आप अपनी सुविधानुसार इनका चयन कर सकते हैं. यहां खाने की, गीजर, ठंडे-गर्म पानी की सुविधा 24 घंटे उपलब्ध रहती है. यही नहीं, हर धर्मशाला में पार्किंग की व्यवस्था भी रहती है. अगर आप एक दिन के लिए आ रहे हैं तो बिना ठहरे भी दर्शन कर लौट सकते हैं.
आप अपने वाहन से या किराए के वाहन से, रोडवेज बस या टूरिस्ट बस, ट्रेन यात्रा कर, हवाई यात्रा से बालाजी महाराज के दर्शन के लिए पहुंच सकते हैं. बालाजी धाम से सबसे पास जो हवाई अड्डा है वह जयपुर का है. जयपुर एयरपोर्ट यहां से 100 किलोमीटर हैं जबकि दिल्ली हवाई अड्डा 260 किलोमीटर है. अगर आप ग्रुप में यात्रा कर रहे हैं या संगत के साथ हैं तब तो आप बस से आ सकते हैं लेकिन रोडवेज बस ये यात्रा आपको थका सकती है. इसमें 9 से 10 घंटे लग जाते हैं और जाम दुश्वारी पैदा कर देता है. मैं अपने अनुभवों के आधार पर आपको ट्रेन की यात्रा करने के लिए कहूंगा. आप देश के किसी कोने से यहां पहुंच सकते हैं. नजदीकी रेलवे स्टेशन बांदीकुई है जो यहां से 40 किलोमीटर दूर है. वहां से बालाजी धाम के लिए 24 घंटे वाहन सेवा उपलब्ध रहती है.
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दिल्ली से हर रोज बांदीकुई के लिए 8 से 10 ट्रेनें चलती हैं. आप जयपुर, कानपुर, बरेली, झांसी, आगरा, मथुरा, ग्वालियर, हरिद्वार, लखनऊ, चंडीगढ़ व कुछ अन्य जगहों से यहां के लिए सीधी ट्रेन पकड़कर आ सकते हैं. आईआरसीटीसी पर टिकट बुक कराते वक्त आपको बांदीकुई का कोड BKI डालना होगा. अगर आप बस से आना चाहते हैं तो आपको दिल्ली, मेरठ, सहारनपुर, रेवाड़ी, अलवर, अलीगढ़, बरेली से सीधी बस मिल जाएगी. कुछ बसें सीधा धाम तक आती हैं जबकि अधिकतर आपको यहां से 2 किलोमीटर पहले बालाजी मोड़ पर छोड़ती हैं. बालाजी मोड़ से धाम तक के लिए जीप 24 घंटे उपलब्ध रहती है.
श्री बालाजी धाम की जयपुर शहर से 100 किलोमीटर, दिल्ली से 260, मथुरा से 160, आगरा से 180, अलीगढ़ से 250, दौसा से 50, बांदीकुई से 40, अलवर से 100, रेवाड़ी से 180 किलोमीटर दूर है. एक बार इस धाम के दर्शन के लिए अवश्य जाएं. बालाजी महाराज की महिमा आपपर और आपके परिवार पर बरसे. मेरी और ट्रैवल जुनून की यही प्रार्थना है.
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