Mathura Tour Guide: यमुना नदी के किनारे बसा मथुरा एक शहर हैं जिसके बारे में हम सभी ने सुना है. ये भारत के सबसे पुराने शहरों में शामिल है. इसका धार्मिक इतिहास काफी विस्तृत हैं. आप शहर में कई मंदिरों और धार्मिक संरचनाओं को देख सकते हैं. ऐसा माना जाता है कि भगवान कृष्ण का जन्म लगभग 5000 साल पहले मथुरा में हुआ था. इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे मथुरा घूमने की जगहों के बारे में.
-कुसुम सरोवर
-कंस किला
-गोवर्धन हिल
-लट्ठमार होली का आनंद लें
-केसी घाट में संध्या आरती
-भूतेश्वर मंदिर
-बांके बिहारी
-प्रेम मंदिर
-इस्कॉन टेंपल
-गोरेलाल कुंज
-निधिवन
-राधा वल्लभ मंदिर
कुसुम सरोवर मथुरा में देखने लायक सबसे महत्वपूर्ण जगहों में से एक है. 450 फील लंबा तलाब 60 फीट गहरा है. मान्यता के अनुसार भगवान कृष्ण और राधा की कुसुम सरोवर के तट पर गुप्त मुलाकातें होती थीं. तलाब कई पेड़ों से घिरा हुआ है, जिसे भगवान कृष्ण का पसंदीदा पेड़ भी माना जाता है.
जब आप यहां होते हैं, तो आप वास्तव में शांति महसूस कर सकते हैं और अगर आप यहां अपनी शाम बिताने का प्लान करते हैं, तो आप कुसुम सरोवर में शाम की आरती भी देख सकते हैं.
खुलने और बंद होने का समय: 24X7
मथुरा में घूमने के स्थानों में से एक है कंस किला. मथुरा में कंस किला का नाम भगवान कृष्ण के मामा, राजा कंस के नाम पर रखा गया था. हिंदू पौराणिक कथाओं की मानें तो यह किला द्वापरयुग का है. यह इतिहास प्रेमियों और धार्मिक लोगों दोनों के लिए एक प्रमुख अट्रेक्शन है.
किला हिंदू और मुगल दोनों वास्तुकला का सबसे अच्छा उदाहरण है. शहर के सबसे प्रमुख आकर्षणों में से एक होने के अलावा, कंस किला ने यमुना बाढ़ के दौरान कई लोगों की जान भी बचाई है.
खुलने और बंद होने का समय: सुबह 6 बजे से रात 8 बजे तक
मथुरा केवल मंदिरों के बारे में नहीं है, आप यहां ट्रेकिंग भी कर सकते हैं. आप गोवर्धन पहाड़ियों में लगभग 21 किमी तक ट्रेक करना चुन सकते हैं.यह एक लंबा ट्रेकिंग ट्रेल है और इसकी खासी आध्यात्मिक महत्ता है. गोवर्धन पर्वत को श्रद्धालु गिरीराज जी भी कहते हैं. सदियों से यहां दूर दूर से श्रद्धालु गिरिराज जी की परिक्रमा करने आते हैं.
7 कोस की परिक्रमा लगभग 21 किलोमीटर की है. हिंदू पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान कृष्ण ने एक बार गांव को तेज आंधी से बचाने के लिए इस पहाड़ी को उठा लिया था. तभी से यहां के स्थानीय लोगों द्वारा इस पहाड़ को पवित्र माना जाता है.
आप परिक्रमा के दौरान यहां के रेस्टोरेंट में आहार ले सकते हैं. कुछ लोग परिक्रमा के लिए साधनों का इस्तेमाल करते हैं, तो कुछ इसे पैदल ही करते हैं.
क्या आप अभी भी सोच रहे हैं कि मथुरामें क्या करें? ठीक है, यदि आप मार्च के महीने के आसपास यहां जाते हैं, तो आप होली के रंग-बिरंगे त्योहार में शामिल हो सकते हैं. यहां का त्योहार देश के बाकी हिस्सों की तरह नहीं मनाया जाता है.
मथुरा-वृंदावन में, इसे लट्ठमार होली कहा जाता है और इसे एक अलग तरीके से खेला जाता है. इसमें महिलाएं पुरुषों को लाठियों से पीटती हैं. पुरुष खुद को मारपीट से बचाने की कोशिश करते हैं. यहां होली मनाने के इस मजेदार तरीके के अलावा आप यहां की बेहद स्वादिष्ट ठंडई भी ट्राय कर सकते हैं.
यह यमुना नदी के तट पर स्थित एक घाट है. घाट का नाम अश्व-दानव, केसी के नाम पर रखा गया था, जिसे कंस ने भगवान कृष्ण को मारने के लिए भेजा था. हालांकि, भगवान कृष्ण ने राक्षस को मार डाला और फिर इस घाट में स्नान किया. तभी से यह स्थान पवित्र माना जाता है. यहां की शाम की आरती अद्भुत लगती है और इसे देखना मथुरा-वृंदावन में दिलचस्प चीजों में से एक है.
खुलने और बंद होने का समय: 24X7
यह मथुरा के सबसे प्रमुख मंदिरों में से एक है और भगवान शिव को समर्पित है. हिंदू पौराणिक कथाओं में इस स्थान का बहुत महत्व है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि माता सती की अंगूठी उनके शरीर के नष्ट होने के बाद यहां गिरी थी. जब आप आएंगे तो आप पाताल देवी की गुफा को देख पाएंगे, जिनकी राजा कंस पूजा करते थे. मंदिर एक शक्तिपीठ है.
खुलने और बंद होने का समय: सुबह 5 बजे से दोपहर 1 बजे तक; सुबह 4:30 से 10:30 बजे तक
वृंदावन के मंदिरों में सबसे ज्यादा चर्चित मंदिर बांके बिहारी जी का ही है. धार्मिक स्थल के अलावा यह मंदिर अपनी राजस्थानी शैली की वास्तुकला और धनुषाकार खिड़कियों के लिए भी लोकप्रिय है. जैसे ही आप मंदिर के करीब आते हैं, आप राधा कृष्ण के मंत्रों को सुन सकते हैं. भीड़भाड़ के बावजूद आप इस मंदिर को शांति देख सकते हैं.
खुलने और बंद होने का समय: सुबह 7.45 बजे से रात 8.30 बजे तक
मथुरा के वृंदावन में स्थित विश्व प्रसिद्ध प्रेम मंदिर. इस बेहद खूबसूरत मंदिर को देखने के लिए देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी लोग आते हैं. यह जगद्गुरू कृपालुजी महाराज का एक ऐसा स्वप्न था जिसे उन्होंने 11 साल में साकार किया.
वृंदावन में इस्कॉन मंदिर से कुछ ही दूरी पर स्थित ये मंदिर भगवान कृष्ण और राधा को समर्पित है. इस बेहद भव्य और अद्भुत मंदिर का निर्माण कार्य जनवरी 2001 में आरंभ हुआ था और 11 साल बाद ये बनकर तैयार हुआ.
प्रेम मंदिर का उद्घाटन समारोह 15 फरवरी से 17 फरवरी 2012 तक किया गया. 17 फरवरी को इसे सार्वजनिक तौर पर खोल दिया गया था. मंदिर 125 फीट ऊंचा है और 122 फीट लंबा है. मंदिर की चौड़ाई 115 फीट है. ये मंदिर जिन संगमरमर से बनाया गया है, वे खासतौर से इटली से मंगाए गए थे.
प्रेम मंदिर में आप लेजर शो का आनंद ले सकते हैं. कृपालु जी महाराज के साहित्य पढ़ सकते हैं. यहां एक कैंटीन भी है, जहां आप जलपान कर सकते हैं.
कन्हैया की नगरी में अगर इस्कॉन मंदिर की बात न हो, तो चर्चा भी अधूरी रह जाएगी और जानकारी भी पूरी नहीं मिल पाएगी. वृंदावन में बांके बिहारी मंदिर से ढाई किलोमीटर दूर स्थित इस्कॉन मंदिर कृष्ण भक्तों को अपनी ओर खींचता है.
यह वृंदावन के सभी मंदिरों में सबसे भव्य है. मंदिर के अंदर नक्काशी, पेंटिंग बेहद मोहक है. मंदिर के अंदर सदैव हरे राम, हरे राम… राम राम हरे हरे! हरे कृष्ण, हरे कृष्ण… कृष्ण कृष्ण हरे हरे! का पाठ चलता रहता है.
मंदिर की स्थापना 1975 में की गई थी. मंदिर में दर्शन के बाद आपको चरणामृत का प्रसाद मिलता है. यहां हर शाम 5 बजे खिचड़ी वितरित की जाती है. आप मंदिर में हिंदू धर्म से संबंधित और इस्कॉन से जुड़ी पुस्तकें, सामानों की खरीदारी कर सकते हैं. यहां खाने पीने की भी उचित व्यवस्था है. जूते-चप्पल निशुल्क रख सकते हैं.
निधिवन, वृंदावन में घूमने लायक एक अहम जगह है. धार्मिक नगरी में निधिवन एक बेहद पवित्र, रहस्यमयी धार्मिक जगह है. ऐसा माना जाता है कि कृष्ण आज भी दिन में द्वारिकाधीश कहलाए जाते हैं लेकिन रात में वह निधिवन में रास रचाने आते हैं.
रास के बाद निधिवन परिसर में स्थापित रंग महल में वह शयन करते हैं. यहीं रंग महल में आज भी प्रसाद (माखन मिश्री) हर रोज रखा जाता है. यहीं पर शयन के लिए हर रात्रि को पलंग लगाया जाता है.
सुबह बिस्तरों के देखने से आभास होता है कि कोई यहां रात्रि विश्राम के लिए आया था और भोग भी ग्रहण किया. ढाई एकड़ में फैले निधिवन में आपको कोई भी वृक्ष सीधा खड़ा नहीं मिलेगा. इन वृक्षों की डालियां नीचे की ओर आपस में गुंथी हुई हैं.
श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर की मथुरा जंक्शन से दूरी लगभग ढाई किलोमीटर की है. जहां कृष्ण जन्मे वह जगह 5 हजार साल पहले मल्लपुरा इलाके के कटरा केशव देव में राजा कंस की जेल हुआ करती थी. इसी कारागार में रोहिणी नक्षत्र में आधी रात को भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था. इस मंदिर में आपको वह कारागार आज भी दिखाई देगा जिसमें कृष्ण जन्मे थे.
हालांकि, बाद में इसे तहस नहस करने की कोशिश की गई लेकिन मूल स्वरूप आज भी कायम है. मंदिर में विशाल सीढ़ियां आपको ऐसे स्थान पर लेकर जाती हैं जहां आप कुछ देर बैठकर गहरी शांति का अनुभव कर सकते हैं. जनमाष्टमी पर हर साल यहां त्यौहार का आयोजन होता है.
आपको गोकुल जाना हो, गोवर्धन, मथुरा या वृंदावन… मथुरा जंक्शन रेलवे स्टेशन ही वह सेंटर पॉइंट है जहां आप ट्रेन के जरिए आ सकते हैं. यहां आकर आप अपनी योजना के हिसाब से यात्रा को आगे बढ़ा सकते हैं.
मथुरा से वृंदावन की दूरी 14 किलोमीटर से ज्यादा की है जबकि मथुरा से गोवर्धन की दूरी लगभग 22 किलोमीटर की है. आपको शेयर्ड ऑटो या बुकिंग पर वाहन भी मिल जाते हैं. ई-रिक्शा का विकल्प भी आपके पास रहता है.
मथुरा की यात्रा करने का सबसे अच्छा समय सर्दियों का मौसम है जो नवंबर के अंत में शुरू होता है और फरवरी में समाप्त होता है. हालांकि, मथुरा की सुंदरता को देखने के लिए, आप मार्च के दौरान होली पर अपनी यात्रा की योजना बना सकते हैं. जैसे ही आप मथुरा की यात्रा करते हैं, आप आसपास के स्थानों जैसे गोकुल और यहां तक कि आगरा का भी जा सकते हैं.
हिंदू भगवान कृष्ण का जन्म स्थान मथुरा हिंदू धर्म के सात पवित्र शहरों में से एक है. भारत के हर जगह से मथुरा की अच्छी कनेक्टिविटी है.
मथुरा जंक्शन रेलवे स्टेशन, देश के हर बड़े शहर से जुड़ा हुआ है. आप यहां देश के अलग अलग हिस्सों से आसानी से पहुंच सकते हैं.
मथुरा का नजदीकी हवाई अड्डा आगरा हवाई अड्डा है. हालांकि, बहुत कम यात्री उड़ानें यहां संचालित होती हैं, मथुरा का प्रमुख नजदीकी इंटरनेशनल हवाई अड्डा इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, दिल्ली है.पर्यटक किसी भी शहर से दिल्ली के लिए उड़ान भर सकते हैं और फिर मथुरा पहुंचने के लिए बस, टैक्सी या ट्रेन किराए पर ले सकते हैं.
मथुरा जंक्शन मध्य और पश्चिम रेलवे का एक प्रमुख रेलवे स्टेशन है. इसलिए पर्यटक कोलकाता, दिल्ली, मुंबई, इंदौर, आगरा, भोपाल, ग्वालियर, वाराणसी, लखनऊ सहित प्रमुख शहरों से मथुरा के लिए ट्रेन सेवाओं का लाभ उठा सकते हैं. कोई भी दिल्ली, भरतपुर, अलवर और आगरा से मथुरा के तीन अन्य रेलवे स्टेशनों तक लोकल ट्रेनों में सवार हो सकता है.
रोडवेज का एक अच्छा नेटवर्क मथुरा को दिल्ली, आगरा, मुरादाबाद, जयपुर, बीकानेर, कोलकाता के साथ-साथ यूपी के अन्य छोटे शहरों और आसपास के राज्यों से जोड़ता है. मथुरा में निजी ऑपरेटर भी बस सर्विस चलाते हैं.
पर्यटक दिल्ली, आगरा, अलवर, अलीगढ़, इंदौर, भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर, जयपुर, उदयपुर, अजमेर, चंडीगढ़, लखनऊ, कानपुर, मेरठ, हरिद्वार आदि स्थानों से सीधी बस ले सकते हैं.
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