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Masroor Rock Cut Temple : रहस्य से भरी है कांगड़ा में स्थित मसरूर रॉक कट टेंपल की कहानी

Masroor Rock Cut Temple: आज हम आपको एक ऐसे ऐतिहासिक मंदिर के बारे में बताएंगे जिसके इतिहास का अंदाजा तक कोई नहीं लगा पाया.  कुछ कहानिया हैं, दन्त कथाएं भी हैं. मंदिर के गर्भ गृह में अभी भी श्री राम, माता सीता और लक्ष्मण के साथ विराजमान हैं. ये मंदिर हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के मसरूर गांव में स्थित हैं. कुल 15 बड़ी चट्टानों पर ये मंदिर बना है जिसे हम रॉक कट टेंपल के नाम से जानते हैं.

हिमालयन पिरामिड के नाम से विख्यात बेजोड़ कला का नमूना रॉक कट टेंपल मसरूर एक अनोखा और रहस्यमयी इतिहास समेटे हुए हैं.  पुरातत्व विभाग के अनुसार शायद 8वीं सदी में बना यह मंदिर उत्तर भारत का इकलौता ऐसा मंदिर है. देखा जाए तो पत्थरों पर ऐसी खूबसूरत नक्काशी करना बेहद मुश्किल काम है. ऐसे में ये कारीगरी करने के लिए दूर से कारीगर लाए गए थे लेकिन यह कारीगरी किसने की इसके आज तक पुख्ता सबूत नहीं मिल पाए हैं.

मसरूर झील मंदिर की खूबसूरती में चार चांद लगाती है|| There is Masroor lake which adds to the beauty of the temple

मसरूर रॉक कट टेंपल को अजंता-एलोरा ऑफ हिमाचल भी कहा जाता है. हालांकि ये एलोरा से भी पुराने हैं. पहाड़ काटकर गर्भ गृह, मूर्तियां, सीढ़ियां और दरवाजे बनाए गये हैं. मंदिर के बिल्कुल सामने मसरूर झील है जो मंदिर की खूबसूरती में चार चांद लगाती है.

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मसरूर मंदिर कांगड़ा के दक्षिण में 15 किमी की दूरी पर मसरूर टाउन में स्थित एक प्रमुख पर्यटन स्थल है. 15 शिखर मंदिरों वाली यह संरचना गुफाओं के अंदर स्थित हैं जो मसरूर मंदिर के रूप में जाना जाता है. 15 मंदिरों में, ठाकुरद्वार मंदिर जिसमें हिंदू देवी-देवताओं राम, लक्षमण, और सीता की काले पत्थर की छवियां हैं, जबकि भगवान शिव की मूर्ति बीच में है.

इसमें अन्तराल में एक वर्गाकार गर्भगृह है, जबकि मंदिर के दूसरी ओर एक आयताकार मंडप है जिसमें चार विशाल स्तंभ और चार सहायक धार्मिक स्थलों के साथ एक मुखमंडप है.

इंडो आर्यन वास्तुकला की शैली का प्रतिनिधित्व करते हुये, 10 वीं शताब्दी में इस मंदिर का निर्माण पत्थर के एक ठोस टुकड़े का उपयोग करके किया गया था, इसकी स्थापत्य शैली के कारण, इसे अजंता-एलोरा मंदिर की याद ताजा करने वाला कहा जाता है. हिंदू भगवान शिव को समर्पित इस मंदिर के वास्तुशिल्प डिजाइन को 8 वीं या 9 वीं शताब्दी से जोड़ा जा सकता है.

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दंत कथाओं के अनुसार पांडवो ने किया था निर्माण || According to legends Pandavas had built

झील में मंदिर के कुछ हिस्सों का प्रतिबिंब दिखाई देता है. उत्तर भारत में यह इस तरह का एकलौता मंदिर हैं. सदियों से चली आ रही दन्त कथाओं के मुताबिक मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण पांडवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान किया था और मंदिर के सामने खूबसूरत झील को पांडवों ने अपनी पत्नी द्रौपदी के लिए बनवाया गया था.

मंदिर की दीवार पर ब्रह्मा, विष्णु, महेश और कार्तिकेय के साथ अन्य देवी देवताओं की आकृति देखने को मिल जाती हैं. बलुआ पत्‍थर को काटकर बनाए गए इस मंदिर को 1905 में आए भूकंप के कारण काफी नुकसान भी हुआ था. इसके बावजूद ये आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. सरकार ने इसे राष्ट्रीय संपत्ति के तहत संरक्षण दिया है. मंदिर को सर्वप्रथम 1913 में एक अंग्रेज एचएल स्टलबर्थ ने खोजा था.

भारत का अनोखा मंदिर || Unique temple of India

8वीं शताब्दी में निर्मित किया गया था तथा समुद्र तल से 2500 फुट की ऊंचाई पर एक ही चट्टान को काट कर बना देश का एकमात्र मंदिर माना जाता है।

स्वर्ग जाने का मार्ग || way to heaven

आज भी विशाल पत्थरों के बने दरवाजानुमा द्वार हैं, जिन्हें ‘स्वर्गद्वार’ के नाम से जाना जाता है. कुछ अन्य मान्यताओं के अनुसार, पांडव अपने स्वर्गारोहण से पहले इसी स्थान पर ठहरे थे, जिसके लिए यहां स्थित पत्थरनुमा दरवाजों को ‘स्वर्ग जाने का मार्ग’ भी कहा जाता है.

मसरूर रॉक कट मंदिर दर्शन का सही समय || Best time to visit Masroor Rock Cut Temple

आप मसरूर मंदिर के दर्शन पूरे साल कभी भी कर सकते हैं पर इसका सबसे सही और उचित समय है मार्च से अक्टूबर के महीने का.

मसरूर रॉक कट मंदिर पहुंचें कैसे? || How to reach the Masroor Rock Cut Temple?

मसरूर मंदिर कांगड़ा घाटी से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. आप कांगड़ा पहुंच कोई भी निजी कैब या टैक्सी बुक करा कर यहां तक पहुंच सकते हैं.

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